लेफ्ट वेंट्रिकल डिस्फंक्शन (Dysfunction of Left ventricle)
लेफ्ट वेंट्रिकल एंलार्जमेंट का एक कारण लेफ्ट वेंट्रिकल डिस्फंक्शन भी है। अगर आपके लेफ्ट वेंट्रिकल में समस्या है तो बाएं वेंट्रिकल को ठीक से भरने की स्थिति में बाएं लेफ्ट एट्रियम में प्रेशर बढ़ जाता है। प्रेशर के बढ़ने के कारण लेफ्ट एट्रियम में एंलार्जमेंट हो सकती है। इस मामले में लेफ्ट एट्रियम में एंलार्जमेंट की मात्रा लेफ्ट वेंट्रिकल के डिस्फंक्शन के लेवल को बताती है।
एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation)
एट्रियल फिब्रिलेशन को एरिथमिया (Arrhythmia) भी कहा जाता है, जो असामान्य (Irregular heartbeat) हार्टबीट है। जिसके कारण स्ट्रोक और हार्ट फेलियर का रिस्क बढ़ जाता है। इस स्थिति में दिल के दो अपर चैम्बर्स या एट्रिया, हार्ट के दो लोअर चैम्बर्स, या वेंट्रिकल्स के साथ तालमेल बिठाते हैं। एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) की समस्या कभी-कभी भी हो सकती है या यह स्थाई भी हो सकती है। यह स्पष्ट नहीं है कि एट्रियल फिब्रिलेशन लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट (Left Atrial Enlargement) का कारण या जटिलता का कारण बन सकता है। जानिए क्या हैं इसे जुड़े रिस्क फैक्टर्स ?
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लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट के रिस्क फैक्टर्स (Risk factors of Left Atrial Enlargement)
लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट के रिस्क फैक्टर्स में हायपरटेंशन या अन्य हार्ट डिजीज के अलावा भी कई अन्य स्थितियां शामिल हो सकती हैं। इनके बारे में जानकारी होना भी बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं इन रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
- उम्र (Age): लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट की समस्या बुजुर्गों में अधिक सामान्य है।
- वजन(Weight): वजन के अधिक होने से हायपरटेंशन की समस्या बढ़ती है, जो लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट का एक कारण है।
- फैमिली हिस्ट्री (Family history): कई बार परिवार में यह रोग होने से भी इस समस्या का रिस्क बढ़ सकता है।
- अन्य हेल्थ स्थितियां (Other health conditions): कुछ अन्य हेल्थ कंडिशंस इस समस्या के लिए रिस्क फैक्टर्स हो सकती हैं जिनमें डायबिटीज भी एक है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अब जानिए इस रोग की जटिलताओं के बारे में।
लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट की जटिलताएं (Left Atrial Enlargement Complications)
लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट (Left Atrial Enlargement) निम्नलिखित हृदय स्थितियों के लिए खराब परिणामों से जुडी हुई है:
- एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation): एट्रियल फिब्रिलेशन सामान्य और अक्सर हार्ट रेट के बढ़ने को कहा जाता है और इसे लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट (Left Atrial Enlargement) के कारण और जटिलता दोनों के रूप में जाना जाता है।
- स्ट्रोक (Stroke): ऐसा माना जाता है कि स्ट्रोक की स्थिति में भी इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है।
- कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive heart failure): कंजेस्टिव हार्ट फेलियर से पीड़ित लोगों में भी यह समस्या होने की संभावना अधिक होती है। इस रोग की जटिलताओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर की सलाह लें। जानिए किस तरह से होता है इस रोग का निदान।

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लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट के निदान (Diagnosis of Left Atrial Enlargement)
लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट(Left Atrial Enlargement) के निदान के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से उसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री के बारे में जान जाएगा। यही नहीं, डॉक्टर कई टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं। जैसे हार्ट की जांच के लिए इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) का प्रयोग करना। इस टेस्ट में हार्ट की तस्वीर लेने के लिए अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है। इस टेस्ट में रोगी की छाती में मेटल इलेक्ट्रोड्स (Metal Electrodes) को अटैच किया जाता है। उसके बाद इसमें स्मॉल साउंड वेव्स (Small Sound Waves) को पास कराया जाता है। यह साउंड वेव्स हार्ट से बाउंस ऑफ करती है और इमेज बनाती हैं। यह पूरी तरह से सुरक्षित तरीका है। इसमें कोई भी दर्द नहीं होता और न ही इसके कोई साइड इफेक्ट्स हैं।
इसके साथ ही डॉक्टर लेफ्ट एट्रियल एंलार्जमेंट (Left Atrial Enlargement) के निदान के लिए अन्य कुछ टेस्ट भी करा सकते हैं, जैसे मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) और कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन्स (Computed tomography scans) आदि। यह टेस्ट लेफ्ट एट्रियम के साइज को मापने के लिए उपयोगी माने जाते हैं। इस समस्या के निदान के बाद डॉक्टर इसके उपचार के बारे में जानते हैं। जानिए किस तरह से संभव है इसका उपचार?
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