कोलेस्ट्रॉल उस फैट को कहा जाता है, जिसका निर्माण और इस्तेमाल हमारा शरीर करता है। हालांकि, इसे कुछ एनिमल बेस्ड फूड़ से भी प्राप्त किया जा सकता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा हमारे लिए हानिकारक हो सकती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) भी कोलेस्ट्रॉल लेवल को इंक्रीज कर सकते हैं। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं, सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में। किंतु, सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स (Sex hormones and Cholesterol levels) में कोरिलेशन से पहले कोलेस्ट्रॉल और सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) के बारे में जानना भी आवश्यक है।
सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स Sex hormones and Cholesterol levels : किसे कहा जाता है कोलेस्ट्रॉल?
जैसा की पहले ही बताया गया है कि कोलेस्ट्रॉल एक वैक्सी और फैट के जैसा सब्सटांस होता है, जो हमारे शरीर के हर सेल में पाया जाता है। हमारे शरीर को कुछ कोलेस्ट्रॉल की जरूरत हॉर्मोन्स, विटामिन डी और अन्य सब्सटांस को बनाने के लिए पड़ती है, जो फूड़ को पचाने में मदद करते हैं। हालांकि, हमारा शरीर जरूरत के अनुसार कोलेस्ट्रॉल का निर्माण कर लेता है। लेकिन, इसके साथ ही हम इसे अंडों, मीट या चीज आदि से भी इसे प्राप्त कर सकते हैं। मेडलाइनप्लस (MedlinePlus) के अनुसार अगर हमारे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है, तो यह खून में अन्य सब्सटांसिस के साथ मिलकर प्लाक का निर्माण करते हैं।
प्लाक आर्टरीज की वॉल्स के साथ स्टिक हो जाते हैं और कई कोरोनरी आर्टरी डिजीज का कारण बनते हैं। जिसमें कोरोनरी आर्टरीज तंग और ब्लॉक हो जाती हैं। सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) से पहले अब कोलेस्ट्रॉल कितनी तरह के होते हैं, यह भी जान लेते हैं।
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सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स Sex hormones and Cholesterol levels : कोलेस्ट्रॉल के क्या हैं प्रकार?
कोलेस्ट्रॉल पूरे शरीर में खून में लिपोप्रोटीन द्वारा ले जाया जाता है। इन लिपोप्रोटीन में यह सब शामिल हैं:
- लो-डेंसिटी लेपोप्रोटीन (Low-density lipoprotein) यानी LDL जो मुख्य लिपोप्रोटींस में से एक है और इसे बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) भी कहा जाता है।
- हाय-डेंसिटी लेपोप्रोटीन (Low-density lipoprotein) यानी HDL जो दूसरा मुख्य लिपोप्रोटीन है और इसे गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol) भी कहा जाता है।
- वेरी-लो-डेंसिटी लिपोप्रोटींस (Very-Low-density lipoproteins) यानी VLDL ,खून में वो पार्टिकल्स होते हैं, जो ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride) को केरी करते हैं।
यह तो थी कोलेस्ट्रॉल के बारे में जानकारी। जैसा की हम पहले ही बता चुके हैं कि सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) है। इसलिए, सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) कौन से होते हैं, यह भी आप जान लें।
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सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स से पहले जानें सेक्स हॉर्मोन्स के बारे में जरूरी बातें (Sex hormones)
स्टेरॉयड हॉर्मोन जैसे एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन का निर्माण ओवरीज (Ovaries), टेस्टिस (Testes) और एड्रेनल कोर्टेक्स (Adrenal cortex) द्वारा होता है। यह प्रजनन अंगों के विकास या कार्य या सेकेंडरी सेक्स कैरेक्टरिस्टिक्स (Secondary sex characteristics) के विकास को प्रभावित करते हैं। इन हॉर्मोन्स का न केवल सेक्शुअल फंक्शन बल्कि हड्डियों, दिमाग और ब्लड वेसल आदि पर भी असर होता है। ऐसे ही इनका इफेक्ट कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) पर भी हो सकता है। आइए, जानें सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में।
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सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels)
हमारे शरीर के हॉर्मोन-प्रोड्यूसिंग ग्लेंड्स कोलेस्ट्रॉल का इस्तेमाल हॉर्मोन्स बनाने में करते हैं जैसे एस्ट्रोजन (Estrogen), टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) और कोर्टिसोल (Cortisol) आदि। जैसा की पहले ही बताया गया है कि हॉर्मोन्स का प्रभाव हमारे शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) पर भी पड़ सकता है। रिसर्च से यह बात साबित हुई है कि महिलाओं के मेंस्ट्रुअल सायकल के दौरान एस्ट्रोजन लेवल बढ़ता है। इसके साथ ही HDL कोलेस्ट्रॉल लेवल्स (HDL cholesterol levels) में भी बढ़ोतरी होती है और LDL कोलेस्ट्रॉल (LDL cholesterol) में कमी आती है। यह भी एक कारण हो सकता है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है, जब एस्ट्रोजन लेवल (Estrogen level) ड्राप होता है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन लेवल (Estrogen level) में कमी आ जाती है।
यही नहीं, थायरॉइड हॉर्मोन (Thyroid hormone के कम प्रोडक्शन से टोटल और LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है। अत्यधिक थायरॉइड हॉर्मोन (Thyroid hormone) यानि हायपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) का उल्टा प्रभाव होता है। एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (Androgen deprivation therapy), LDL कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकती है। एंड्रोजन डेप्रिवेशन थेरेपी (Androgen deprivation therapy) प्रोस्टेट कैंसर के विकास को रोकने के लिए पुरुष हार्मोन लेवल को कम करती है। यही नहीं, ग्रोथ हार्मोन की कमी के कारण भी LDL कोलेस्ट्रॉल लेवल (LDL Cholesterol level) बढ़ सकता है।
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सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन के बारे में अधिक इंफॉर्मेशन (Sex hormones and Cholesterol levels)
रिसर्च यह भी बताती हैं कि दो सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) एस्ट्राडिओल (Estradiol) और एस्ट्रोन (Estrone), जिन्हें साथ में एस्ट्रोजन के नाम से भी जाना जाता है। यहपुरुषों में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Bad Cholesterol level) को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके साथ ही यह गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Good Cholesterol level) को भी कम कर सकते हैं। यह खास सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) पुरुषों में हार्ट डिजीज के मुख्य रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में यह जानकारी बेहद आवश्यक है।
पुरुषों में, लो एस्ट्रोजन सामान्यता एक चिंता का विषय नहीं है। लेकिन, इसका हाय लेवल होना उनके लिए समस्या का विषय हो सकता है। क्योंकि पुरुषों का शरीर अत्यधिक एस्ट्रोजन को हैंडल नहीं कर पाता है। लेकिन, महिलाओं में इससे बिलकुल विपरीत होता है। पोस्ट मेनोपॉजल (Post-menopausal) महिलाओं में LDL कोलेस्ट्रॉल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है। लेकिन, असल में, एस्ट्रोजन प्रोडक्शन में तेजी से गिरावट के कारण उनके शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा में बदलाव आ सकता है। एस्ट्रोजेन एंडोथेलियल फंक्शन (Endothelial function) को प्रोटेक्ट करता है, और एंडोटिलिन एक वैसोकॉन्स्ट्रिक्टर (Vasoconstrictor) है। इसलिए पोस्ट मेनोपॉजल (Post-menopausal) महिलाएं हृदय रोग और हृदय संबंधी समस्याओं के अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
यह तो थी सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में जानकारी। आप इनके रिलेशन के बारे में जान गए होंगे। अब जानते हैं कि कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को कंट्रोल में कैसे रखा जा सकता है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल को कैसे रखें कंट्रोल में? (Manage cholesterol level)
सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बाद कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को कंट्रोल रखने के बारे में जानना भी आपके लिए आवश्यक है। जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी (Journal of the American College of Cardiology) में प्रकाशित गाइडलाइन्स के मुताबिक कुछ फैक्टर्स के कारण कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) बढ़ सकता है, जैसे फॅमिली हिस्ट्री और कुछ खास हेल्थ कंडिशंस जैसे क्रॉनिक किडनी डिजीज आदि। किंतु, कुछ हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल बदलाव के कारण हाय कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखने में मदद मिलती है। यह हेल्दी बदलाव इस प्रकार हैं:
- लो-साल्ट डायट (Low-salt diet) का सेवन करें और फल, सब्जियों या साबुत अनाज को प्राथमिकता दें। एनिमल फैट का सेवन सीमित मात्रा में करें और गुड फैट्स का सेवन करें। यानी, हेल्दी आहार का ही सेवन करें। अनहेल्दी
- आहार शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) के बढ़ने का कारण बन सकता है।
- अगर आपका वजन अधिक है तो उसे कम करें। इसके लिए व्यायाम करें और अपने खानपान का ध्यान रखें। अगर आपका वजन सही है, तो उसे मैंटेन रखें।
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो उसे पूरी तरह से छोड़ दें। इसके लिए डॉक्टर की मदद ली जा सकती है।
- व्यायाम करना न भूलें। दिन में कम से कम तीस मिनट्स तक एक्सरसाइज करें, ताकि आपको न केवल कोलेस्ट्रॉल लेवल को सही रखने में मदद मिले बल्कि आप सम्पूर्ण रूप से हेल्दी रहें।
- एल्कोहॉल का सेवन सिमित मात्रा में ही करें। कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) के बढ़ने का यह भी एक कारण हो सकता है।
- स्ट्रेस को मैनेज करें। स्ट्रेस कई हेल्दी कंडिशंस का कारण हो सकता है। इसलिए आप मेडिटेशन या योगा करें, परिवारर के साथ समय बिताएं, म्यूजिक सुनें। अगर यह परेशानी आपको अधिक है तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
Quiz : क्यों बढ़ती जा रही है कोलेस्ट्रॉल की समस्या?
अगर हेल्दी लाइफस्टाइल में बदलाव से भी आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल सही नहीं हो रहा है, तो आपको दवाईयों की जरूरत भी हो सकती है। कई कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को लो करने वाली ड्रग्स उपलब्ध हैं, जिसमें स्टेटिंस (Statins) शामिल है। इन दवाईयों के साथ ही आपका हेल्दी लाइफस्टाइल हैबिट्स को अपनाना भी जरूरी हैं। ध्यान रहे, कोलेस्ट्रॉल की स्थिति में किसी भी दवा को डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही लें। यही नहीं, अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल की भी समय-समय पर जांच कराएं। अगर आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) हाय है, तो डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।
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उम्मीद है कि सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हाय ब्लड प्रेशर. डायबिटीज के साथ ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल का कंट्रोल में होना भी आवश्यक है। क्योंकि, हाय कोलेस्ट्रॉल, हार्ट डिजीज का कारण बन सकता है। यह भी आप जान गए होंगे कि सेक्स हॉर्मोन्स (Sex hormones) भी कोलेस्ट्रॉल लेवल में बदलाव का कारण हो सकते हैं। कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को सही जीवनशैली और दवाईयों आदि से मैनेज किया जा सकता है।
ध्यान दें
अगर आपके मन में सेक्स हॉर्मोन्स और कोलेस्ट्रॉल लेवल्स में कोरिलेशन (Sex hormones and Cholesterol levels) के बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में इस बारे में जानना न भूलें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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