रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) यानी हमारे सांस लेने वाले अंगों का स्वास्थ्य जिसमें फेफड़े आदि शामिल हैं। रेस्पिरेटरी सिस्टम सांस लेने में मदद करने वाले अंगों और टिश्यूस का नेटवर्क है। यह सिस्टम हमारे शरीर को हवा से ऑक्सीजन को अवशोषित करने में मदद करता है, ताकि अन्य अंग काम कर सकें। यह हमारे रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड जैसी अपशिष्ट गैसों को भी साफ करता है। इससे जुड़ीं सामान्य समस्याओं में एलर्जी, रोग या संक्रमण शामिल हैं। कभी-कभी हम अपने फेफड़ों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन, फेफड़ों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट वायु प्रदूषकों के प्रवेश के द्वार के समान है, जिससे प्रदूषक और अन्य हानिकारक तत्व हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। जानिए रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) से जुड़े कुछ गंभीर मुद्दों के बारे में:
रेस्पायरेटरी हेल्थ की तकलीफ कैसे शुरू होती है? (How does Respiratory Problems start)
जब हम अपने नाक और मुंह के माध्यम से हवा को अंदर ले जाते हैं तो ब्रीदिंग शुरू होती है। इसके बाद हवा गले के पीछे और विंडपाइप में जाती है, जिसे ब्रोन्कियल ट्यूब नामक वायु मार्ग में विभाजित किया जाता है। हमारे फेफड़ें अच्छे से काम करें इसके लिए एयरवेज का खुला रहना जरूरी है। वे सूजन या जलन और अतिरिक्त बलगम से मुक्त होना चाहिए। रेस्पायरेटरी हेल्थ की तकलीफ तब शुरू होती है जब कोई हानिकारक तत्व हमारे शरीर में प्रवेश कर के हमारे एयरवेज, फेफड़ों या अन्य रेस्पायरेटरी अंगों को प्रभावित करता है। कई बार किन्ही कारणों से ऑक्सीजन की कमी के कारण भी सांस लेने में समस्या हो सकती है या कई बार यह एक गंभीर बीमारी की तरफ इशारा भी हो सकता है। ऐसा किसी बैक्टीरियल या वायरल इन्फेक्शन के कारण हो सकता है। श्वास नली के क्षतिग्रस्त होने से भी सांस लेने में दिक्कत होती है।
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रेस्पायरेटरी तकलीफों के पीछे क्या कारण हो सकते हैं? (Reasons behind Respiratory Problems)
जिस व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई हो रही है उसे सांस लेने या छोड़ने में परेशानी होती है या ऐसा महसूस होता है जैसे उन्हें पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। रेस्पायरेटरी तकलीफों के लक्षणों में सांस लेने में कठिनाई शामिल है। यह लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। रेस्पायरेटरी तकलीफों के पीछे यह कारण हो सकते हैं:
- फेफड़ों में समस्या (Problem in Lungs)
- एयरवेज में इंफेक्शन (Infection in Airways)
- पैनिक अटैक या एंग्जायटी (Panic attack or Anxiety)
- सांस लेने में तकलीफ के अन्य कारण
- एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reactions)
- फेफड़ों में रक्त वाहिकाओं में किसी क्लॉट के कारण रुकावट (Blockage from a Clot in one of the Blood Vessels in the Lung)
- दुर्लभ फेफड़ों की स्थिति (Rare Lung Conditions)
कुछ लोग लम्बे समय तक सांस लेने में समस्या महसूस कर सकते हैं, ऐसा इन कारणों से हो सकता है:
- स्मोकिंग (Smoking)
- अनफिट होना (Being Unfit)
- मोटापा (Obesity)
- एनीमिया (Anemia)
- हार्ट फेलियर या अन्य हार्ट समस्याएं (Heart Failure and other Heart Problems)
- फेफड़ों का कैंसर (Lung Cancer)
कौन सी रेस्पायरेटरी तकलीफें हैं, जो आम तौर पर लोगों में देखी जाती हैं? (Respiratory Problems)
ह्यूमन रेस्पायरेटरी ट्रैक्ट हवा और कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकालने के लिए खुला है, जिससे यह कीटाणुओं भी आराम से इसमें प्रवेश कर सकते हैं और बीमारी का कारण बन सकते हैं। रेस्पायरेटरी सिस्टम को प्रभावित करने वाली बीमारियां बहुत आम हैं, खासकर उन लोगों में, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है। जानिए, कौन सी हैं रेस्पायरेटरी बीमारियां जो आम तौर पर लोगों में देखी जाती है।
सामान्य सर्दी-जुकाम (Normal Cold)
सामान्य सर्दी जुकाम हमारी नाक और गले (ऊपरी श्वास नलिका) में होने वाला एक वायरल संक्रमण है। यह आमतौर पर हानिरहित होता है, हालांकि इसमें परेशानी और बेचैनी सामान्य है। कई प्रकार के वायरस आम सर्दी-जुकाम का कारण बन सकते हैं। जानिए क्या हैं इसके लक्षण:
- नाक का बहना या बंद होना (Runny or Stuffy Nose)
- गले में समस्या (Sore Throat)
- खांसी (Cough)
- शरीर में दर्द या सिरदर्द (Body Aches or Headache)
- छींक आना (Sneezing)
- हल्का बुखार (Low-grade fever)
कारण और रिस्क फैक्टर्स (Causes and Risk Factors)
हालांकि कई प्रकार के वायरस एक सामान्य सर्दी का कारण बन सकते हैं, लेकिन राइनोवायरस इसका (Rhinoviruses) सबसे आम कारण है। सर्दी- जुकाम का वायरस मुंह के मुंह, आंखों और नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। इसका जोखिम इन स्थितियों में बढ़ जाता है:
- अधिक उम्र (Ageing)
- कमजोर इम्यूनिटी (Weak Immunity)
- स्मोकिंग (Smoking)
- मौसम (Any Weather)
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निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
सामान्य सर्दी-जुकाम से पीड़ित अधिकतर लोगों में इस रोग का लक्षणों द्वारा निदान किया जा सकता है। यदि आपके डॉक्टर को संदेह है कि आपके पास एक बैक्टीरियल इंफेक्शन या अन्य इंफेक्शन है, तो वह आपके लक्षणों के अन्य कारणों को जानने के लिए छाती का एक्स-रे (X-Ray) या अन्य टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं। आम सर्दी-जुकाम का कोई इलाज नहीं है। कोल्ड वायरस में एंटीबायोटिक (Antibiotics) से कोई फायदा नहीं होता और इसका उपयोग तब तक नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि बैक्टीरियल इंफेक्शन न हो। इसके उपचार में को कम करने की सलाह दी जाती है। हालांकि डॉक्टर दर्द दूर करने के लिए दवा, नेसल स्प्रे या खांसी के लिए दवाई दे सकते हैं। इसके साथ ही पर्याप्त नींद लेने, गर्म चीजों का सेवन करने, अधिक पानी पीने आदि तरीकों से भी आपको राहत मिल सकती है।
अस्थमा (Asthma)
अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके एयरवेज तंग हो जाते हैं और उनमे सूजन आ जाती है। इसके साथ इसमें बहुत अधिक बलगम पैदा होती है। इस रोग में सांस लेने में समस्या होती है या जब सांस लेते हैं तो सीटी जैसी आवाज आती है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण:
डॉ. प्रशांत छाजेद, विभागाध्यक्ष-श्वसन चिकित्सा, हीरानंदानी अस्पताल, वाशी और फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड, का इस बारे में कहना है,” बढ़ते समय के साथ लोगों में फेफड़ों से संबंधित कई तरह की समस्याएं देखने को मिल रही हैं, जिसमें से एक अस्थमा भी है। वायु प्रदूषण और खराब इनडोर वायु गुणवत्ता को बीमारी और मृत्यु दर की उच्च दर से जोड़ा गया है। इनडोर वायु प्रदूषण को एक प्रमुख वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या माना गया है। कई रिपोर्टों के अनुसार, मुख्य रूप से खराब वेंटिलेशन के कारण, बाहरी प्रदूषकों की तुलना में इनडोर प्रदूषकों की सांद्रता कई गुना अधिक हो सकती है। इसके अलावा, लोग अपना अधिकांश समय वर्तमान COVID-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते स घर के अंदर बिता रहे हैं, इसलिए इनडोर प्रदूषण के संपर्क में आना एक प्रमुख चिंता का विषया हो गया है। कई अस्थमा के शिकार नय मरीजों को तो यह भी नहीं पता चल रहा है कि उन्हें अस्थमा की दिक्कत है। जिसे वो कोरोना से जोड़कर देखने लगते हैं।” हर व्यक्ति के लिए अस्थमा के लक्षण अलग होते हैं। कुछ लोग इसमें अधिक समस्याओं को महसूस करते हैं तो कुछ कम। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
- छाती में जकड़न और दर्द (Chest tightness or pain)
- सोने में समस्या (Trouble sleeping )
- सर्दी-जुकाम और फ्लू में खांसी या सांस लेने में समस्या (Coughing or wheezing in cold or the flu)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
अस्थमा के क्या कारण हो सकते हैं , यह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन यह पर्यावरण और आनुवंशिक कारकों के मेल के कारण होता है। इसके कारण इस प्रकार हैं:
- एयरबोर्न एलर्जेंस (Airborne Allergens)
- कोई फिजिकल एक्टिविटी (Any Physical activity)
- ठंडी हवा (Cold air)
- हवा में प्रदूषण (Air pollutants)
- कुछ दवाईयां जैसे बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers)
- तनाव (Stress)
- गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज(Gastroesophageal reflux disease
कुछ स्थितियों में इसकी संभावना बढ़ सकती है जैसे:
- अगर आपके ब्लड रिलेशन में किसी को अस्थमा हो (Asthma in Blood Relation)
- अगर आप किसी एलर्जी से पीड़ित हों (Any Allergy)
- मोटापा (Obesity)
- स्मोकिंग या सेकंड हैंड स्मोक (Smoking or secondhand smoke)
- अधिक प्रदूषण में रहना (Living in excess pollution)
- केमिकल के संपर्क में आना (Chemical exposure)
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निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
आपके डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में पूछेंगे और आपकी शारीरिक जांच करेंगे। इसके साथ ही इस बात को कन्फर्म करने के लिए कि आपको अस्थमा है या कोई अन्य समस्या, वो यह टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं :
- स्पिरोमेट्री (Spirometry)
- पीक फ्लो (Peak flow)
- इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging tests) जैसे एक्स रे
- एलर्जी टेस्टिंग (Allergy testing)
- नाइट्रिक ऑक्साइड टेस्ट (Nitric oxide test)
रोकथाम और दीर्घकालिक नियंत्रण, शुरू होने से पहले अस्थमा के अटैक्स को रोकने के लिए महत्वपूर्ण हैं। अस्थमा के उपचार में आमतौर पर अपने ट्रिगर्स को पहचानना सीखना शामिल होता है, जिससे बचने के लिए कदम उठाए जाते हैं। अस्थमा का उपचार तीन प्राथमिक भागों में किया जाता है:
- ब्रीदिंग एक्सरसाइजेज (Breathing Exercises)
- क्विक-एक्टिंग ट्रीटमेंट्स (Quick-Acting Treatments)
- लॉन्ग टर्म अस्थमा कंट्रोल मेडिकेशन्स (long-term asthma control medications)
डॉक्टर आपको आपके अस्थमा के टाइप, आपकी उम्र और ट्रिगर्स के अनुसार उपचार की सलाह दे सकते हैं।
ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
ब्रोंकाइटिस हमारी ब्रोन्कियल ट्यूब्स की लायनिंग में होने वाली सूजन है। ब्रोन्कियल ट्यूब्स फेफड़ों से हवा को अंदर ले जाती है या बाहर निकल देती है। जिन लोगों को ब्रोंकाइटिस होता है, उनमें अक्सर गाढ़ा बलगम निकलता है। ब्रोंकाइटिस एक्यूट या क्रोनिक हो सकता है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण:
- खांसी (Cough)
- अधिक बलगम का उत्पादन (Production of mucus)
- थकान Fatigue
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
- थोड़ा बुखार और ठंड लगना (Slight fever and chills)
- सीने में बेचैनी (Chest discomfort)
कारण और रिस्क फैक्टर्स (Causes and Risk Factors)
एक्यूट ब्रोंकाइटिस आमतौर पर वायरस के कारण होता है। यह आमतौर पर वही वायरस होते हैं जो सर्दी और फ्लू (इन्फ्लूएंजा) का कारण बनते हैं। एंटीबायोटिक्स, वायरस को नष्ट नहीं करते हैं, इसलिए ब्रोंकाइटिस के अधिकांश मामलों में इस प्रकार की दवा उपयोगी नहीं है। रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) से जुड़ीं यह समस्या इन स्थितियों में जोखिम भरी हो सकती है:
- स्मोकिंग या सिगरेट का धुंआ (Cigarette Smoke)
- प्रदूषकों के संपर्क में अधिक रहना (Exposure to Irritants)
- गैस्ट्रिक रिफ्लक्स (Gastric Reflux)
निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
बीमारी की शुरुआत में, ब्रोंकाइटिस के लक्षणों सामान्य सर्दी-जुकाम के लक्षण में अंतर मुश्किल हो सकता है। इस बीमारी के निदान के लिए डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करते हैं और इन टेस्ट की सलाह दें सकते हैं:
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
- थूक का परीक्षण (Sputum tests)
- पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (Pulmonary function test)
एक्यूट ब्रोंकाइटिस के अधिकांश मामले उपचार के बिना बेहतर हो जाते हैं, आमतौर पर कुछ हफ्तों के भीतर। क्योंकि, ब्रोंकाइटिस के अधिकांश मामले वायरल संक्रमण के कारण होते हैं, इसलिए एंटीबायोटिक प्रभावी नहीं होते हैं। कुछ परिस्थितियों में, आपके डॉक्टर अन्य दवाओं की सिफारिश कर सकते हैं, जिनमें खांसी की दवाइयां शामिल हैं। कुछ थेरेपीज, व्यायाम और लाइफस्टाइल में बदलाव भी इस समस्या और इसके फैलने से बचने में मददगार है।
निमोनिया (Pneumonia)
निमोनिया एक फेफड़ों का संक्रमण है जो हल्के से लेकर इतना गंभीर हो सकता है कि आपको अस्पताल जाना पड़ता है। यह तब होता है जब एक इंफेक्शन फेफड़ों में एयर सैकस का कारण बनता है। इसके कारण सांस लेने में समस्या हो सकती है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण
निमोनिया के लक्षण और लक्षण हल्के से गंभीर तक हो सकते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं
- सांस लेते या खांसते हुए छाती में दर्द होना (Chest Pain when you Breathe or Cough)
- खांसी, जो कफ पैदा कर सकती है (Cough, which may produce Phlegm)
- थकावट (Fatigue)
- बुखार, पसीना और ठंड लगना (Fever, Sweating and Chills)
- सामान्य से कम शरीर का तापमान (Lower than normal Body Temperature)
- मतली, उल्टी या दस्त (Nausea, Vomiting or Diarrhea)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
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कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
कई रोगाणु निमोनिया का कारण बन सकते हैं। सबसे आम बैक्टीरिया और वायरस हैं जो हम सांस लेते हैं। रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) से जुड़ीं इस समस्या के कारण इस प्रकार हैं
- फ्लू वायरस (Flu Viruses)
- कोल्ड वायरस (Cold Virus)
- बैक्टीरिया (Bacteria)
- कवक (Fungi)
इन स्थितियों में निमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है:
- अगर आपकी उम्र 65 से अधिक या दो साल से कम है (If you are Over 65 or under Two years old)
- किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं (Suffering from a Serious Illness)
- धूम्रपान करते हैं (Smoking)
- आपका इम्यून सिस्टम कमजोर है (Weak Immune System)
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निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
आपके डॉक्टर इस बीमारी के निदान के लिए सबसे पहले आपसे लक्षणों के बारे में जानेंगे इसके साथ ही मेडिकल हिस्ट्री और फिजिकल जांच भी की जा सकती है। अगर डॉक्टर को निमोनिया का संदेह होता है। तो आपको यह टेस्ट कराने के लिए कहा जा सकता है:
- ब्लड टेस्ट्स (Blood tests)
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)
- पल्स ऑक्सीमेट्री (Pulse oximetry)
- थूक का परीक्षण (Sputum Test)
- सीटी स्कैन (CT Scan)
निमोनिया के लिए उपचार में संक्रमण को ठीक करना और जटिलताओं को रोकना शामिल है। विशिष्ट उपचार, आपके निमोनिया के प्रकार और गंभीरता, आपकी आयु और आपके समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। उपचार के विकल्पों में शामिल हैं:
- एंटीबायोटिक्स (Antibiotics)
- कफ मेडिसिन (Cough medicine)
- बुखार से राहत/दर्द निवारक दवाइयां (Fever Relief / Pain Relief Medications)
इसके साथ ही रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) के लिए डॉक्टर आपको पर्याप्त आराम करने, हाइड्रेट रहने और हल्का व पचने वाले आहार का सेवन करने के लिए कहेंगे।
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क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease – COPD)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (COPD) या सीओपीडी, बीमारियों का एक समूह है, जिसमें रोगी को सांस लेने में मुश्किल होती है। हालांकि, इसमें मरीज को लगातार खांसी आती है, जैसे किसी धूम्रपान करने वाले को होती है। सीओपीडी में दो बीमारियां मुख्य रूप से शामिल हैं। अधिकांश लोग इन दोनों ही बीमारियों से ग्रसित होते हैं :
इंफीसेमा (वातस्फीति): इसमें फेफड़ों की वायु थैली (एल्वियोली) को नुकसान पहुंचता है, जिससे सांस लेने में और तकलीफ होती है और एल्वियोली प्रभावित हो जाती है। इससे आपके रक्त में ऑक्सिजन और कार्बन डायऑक्साइड को बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है।
ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis)
ट्यूबरक्युलॉसिस (Tuberculosis) यानी टीबी एक ऐसा बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो हमारे बॉडी टिशू पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देता है। यह बीमारी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्युलॉसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है, जो हवा के जरिए फैलती है। टीबी के बैक्टीरिया उन पर तेजी से हमला करते हैं, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। खासतौर पर उन्हें जो एचआईवी या कैंसर से पीड़ित रह चुके हों। ज्यादातर यह बीमारी व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करती है। लेकिन, यह हड्डियों, लिम्फ ग्रंथियों, आंतों, दिल, दिमाग के साथ-साथ अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है।
रेस्पायरेटरी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है? (Tips for Respiratory Problems)
कई बार हम अपने फेफड़ों पर अधिक ध्यान नहीं देते लेकिन, हमारे स्वास्थ्य के लिए यह जरूरी है। जैसे रेस्पायरेटरी सिस्टम हमारे शरीर का ख्याल रखता है, वैसे ही हमें भी उसका ख्याल रखना चाहिए। jरेस्पायरेटरी हेल्थ को बेहतर बनाए रखने के लिए किन बातों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है जानिए?
- धूम्रपान न करें (Don’t Smoke) :अधिकतर रेस्पायरेटरी समस्याओं का कारण धूम्रपान है। धूम्रपान करने से एयर पैसेज तंग हो जाता है। जिससे सांस लेने में समस्या होती है। इससे क्रोनिक सूजन या फेफड़ों में सूजन भी हो सकती है। इससे कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है, इसलिए धूम्रपान न करें।
- इनडोर प्रदूषकों के सम्पर्क में आने से बचें (Avoid exposure to indoor pollutants): सेकेंड हैंड स्मोक, घर या ऑफिस में केमिकल आदि से भी रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) को नुकसान होता है। जिससे लंग डिजीज बदतर हो सकती है। इसलिए घर और कार को स्मोक फ्री बनाएं।
- घर के बाहर के प्रदूषण से बचें (Avoid outdoor pollution): एयर की गुणवत्ता दिनों दिन कम होती जा रही है और यह रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) के लिए भी प्रदूषण नुकसानदायक है। लंबे समय तक इसके जोखिम को कम करने के लिए बाहरी प्रदूषण के कम संपर्क में आने के तरीकों पर विचार करें।
- इंफेक्शन से बचें (Avoid infection): कई बार सामान्य रेस्पिरेटरी इंफेक्शन भी गंभीर हो सकते हैं, ऐसे में इनसे खुद को बचना जरूरी है। इसलिए अपने हाथों को जितना हो सके साबुन और पानी से धोएं, सर्दी- जुकाम के मौसम में भीड़ वाली जगह पर न जाएं, ओरल हाइजीन बनाये रखें, हर साल इन्फुएन्ज़ा का टीका लगवाएं और अगर आप बीमारी पड़ते हैं तो अपना ध्यान रखें।
- नियमित चेकअप (Regular checkup): नियमित चेकअप से भी बीमारियों से बचा जा सकता है, खासतौर पर फेफड़ों की बिमारियों से। जिनके बारे में तब तक पता नहीं चलता, जब तक यह गंभीर नहीं हो जाती।
- व्यायाम (Exercise) : आप चाहे किसी भी उम्र के हैं किसी भी गंभीर बीमारी से बचने के लिए आपका फिजिकल एक्टिव होना जरूरी है। इसे न केवल आप बल्कि आपके फेफड़े भी स्वस्थ रहेंगे।
रेस्पायरेटरी हेल्थ बेहतर बनाए रखने के लिए किन एक्सरसाइजेज को किया जाना चाहिए? (Exercises for Respiratory Problems)
जब आप शारीरिक रूप से सक्रिय होते हैं, तो दिल और फेफड़े आपकी मांसपेशियों की अतिरिक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। जैसे नियमित व्यायाम आपकी मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, वैसे ही यह आपके फेफड़ों और दिल को भी मजबूत बनाता है। जानिए रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) बेहतर बनाए रखने के लिए आपको कौन सी एक्सरसाइज करनी चाहिए:
सैर (Walk)
सैर आपके संपूर्ण स्वास्थ्य के साथ ही आपके फेफड़ों के लिए भी लाभदायक साबित हो सकती है। रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) बेहतर बनाए रखने के लिए आप रोजाना कुछ मिनट सैर अवश्य करें।
लिप ब्रीदिंग (Lip Breathing)
पर्स लिप्ड ब्रीदिंग एक सांस लेने की तकनीक है जो जिसमे आप अपने सांस लेने की प्रक्रिया को प्रभावी बना सकते हैं। इसे करने के लिए आप सीधा और शांत बैठना है। दो सेकंड के लिए नाक के माध्यम से सांस लेनी है और यह महसूस करना है कि यह हवा आपके पेट में जा रही है। अब अपने होंठों को ऐसे बनाना है जैसे आप सीटी बजा रहे हैं और धीरे-धीरे सांस छोड़ देनी है। इसी प्रक्रिया को दोहराना है।
डायाफ्रामिक ब्रीदिंग (Diaphragmatic Breathing)
इस ब्रीदिंग को बैली ब्रीदिंग भी कहते हैं। इसके करने के लिए जमीन पर आराम से लेट जाएं। एक हाथ को छाती और दूसरे को पेट पर रखें। अब दो सेकंड के लिए नाक के माध्यम से सांस लें। इसमें आपको यह महसूस होना चाहिए कि हवा आपकी नासिकाओं के माध्यम से पेट में जा रही है। इस तरह की ब्रीदिंग में यह बात का ख्याल रखें कि आपका पेट मूव कर रहा हो, लेकिन छाती स्थिर हो। अब अपने होंठों को ऐसा कर लें जैसे सीटी बजा रहे हों और अपने पेट को धीरे से दबाकर सांस छोड़ दें। इसे दोहराएं।
रेस्पायरेटरी हेल्थ बेहतर बनाए रखने के लिए किन चीज़ों से बचाव जरूरी है? (Prevention for Respiratory Problems)
रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) बेहतर बनाए रखने के लिए कुछ चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर आप कुछ चीजों को नजरअंदाज करेंगे, तो आपको सांस संबंधी रोगों से भी आराम मिलेगा। यह चीजें इस प्रकार हैं:
- स्मोकिंग और सेकंडहैंड स्मोक (Smoking and Secondhand Smoke)
- रोगाणु (Germs) रोगाणुओं से बचने के लिए अपने हाथों को समय-समय पर धोते रहें।
- स्मोक, गैस, मिट्टी, धुएं आदि से बचे (Avoid Smoke, Gas, Dust, Fum)
- केमिकल, सॉल्वैंट्स और पेंट आदि से बचे (Avoid Chemicals, Solvents and Paints)
जिन्हे रेस्पायरेटरी तकलीफें हैं, उन्हें कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए?
रेस्पायरेटरी तकलीफें संक्रमण के कारण, धूम्रपान या वायु प्रदूषण आदि के कारण हो सकती हैं। ऐसे में सबसे जरूरी है बचाव। रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) को बनाए रखने के लिए आपको कुछ चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए। कुछ सावधानियां बरत कर आप न केवल इन हेल्थ प्रॉब्लम्स से राहत पा सकते हैं बल्कि सामान्य जीवन भी जी सकते हैं। यह सावधानियां इस प्रकार हैं:
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहें (Physical Fit)
- अच्छा और संतुलित आहार का सेवन करें (Right Food)
- अधिक से अधिक पानी पीएं (Enough Water)
- अपने घर में कुछ पौधों को लगाएं (Plant some plants in your House)
- अपने हाथों को अच्छे से साफ करें (Wash your Hands)
- धूम्रपान या तंबाकू आदि से दूर रहें (Stay away form Smoking and Tobacco)
- साफ सफाई का खास ख्याल रखें (Take Special Care of Cleanliness)
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इसके साथ ही तनाव से बचाव और पर्याप्त नींद लेना आदि भी रेस्पायरेटरी हेल्थ (Respiratory Health) के लिए जरूरी है। अगर आपको कभी भी सांस लेने में समस्या या दर्द, लगातार खांसी आना, एक्सरसाइज करते हुए खांसी, एयरवेज में दर्द आदि हो तो यह रेस्पायरेटरी समस्या (Respiratory Problems) की तरफ इशारा हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है।