महिलाओं को होने वाली आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक पीसीओएस यानी पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) भी है। वैसे तो यह बहुत घातक नहीं होती है, लेकिन इसका उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है इसलिए समय रहते उपचार कराना जरूरी है। पीसीओएस (PCOS) होने पर महिलाओं के शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन (Androgen) का स्राव अधिक होने लगता है जिससे उनके पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और कंसीव करने में भी समस्या आती है। पीसीओएस होने पर आप अपनी डॉक्टर से तो सलाह ले ही सकते हैं, साथ ही पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS Ayurvedic Treatment ) भी अपना सकते हैं। पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS Ayurvedic Treatment ) को यदि बीमारी की शुरुआत में ही अपनाया जाए तो इससे बहुत फायदा मिल सकता है।
क्या है पीसीओएस? (What is PCOS)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) महिलाओं में होने वाला आम हार्मोनल डिसऑर्डर है (hormonal disorder) जो प्रजनन उम्र यानी रिप्रोडक्टिव एज की महिलाओं को प्रभावित करता है। इस स्थिति में महिला के शरीर में सामान्य से अधिक मेल हार्मोन बनने लगते हैं जिसकी वजह से उनकी ओवरी में कई छोटे-बड़े सिस्ट बन जाते हैं और इन सिस्ट में तरल पदार्थ भरा होता है। ओवरी में सिस्ट (Cyst in ovaries) बनने के कारण महिलाओं को कंसीव (Conceive) करने में परेशानी आती है। पीसीओएस के कारण लंबे समय में महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज (type 2 diabetes) और हार्ट डिसीज (heart disease) होने का खतरा बढ़ सकता है। पीसीओएस के सटीक कारणों का तो अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन जल्दी निदाने और उपचार शुरू करने पर इससे होने वाली जटिलताओं से बचा जा सकता है। पीसीओएस (PCOS) के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS Ayurvedic Treatment) को भी अपनाया जाता सकता है।
क्या हैं पीसीओएस के कारण? (PCOS causes)
वैसे तो पीसीओएस के सही कारणों के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन कुछ कारकों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है-
अधिक इंसुलिन (Excess insulin)- इंसुलिन (Insulin) पैनक्रियाज (Pancreas) में बनने वाला हार्मोन है जो कोशिकाओं को शुगर का इस्तेमाल एनर्जी के लिए करने देता है। यदि कोशिकाएं (Cells) इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाएं तो ब्लड में शुगर की मात्रा (Blood sugar levels) बढ़ जाती है और आपका शरीर अधिक मात्रा में इंसुलिन (Insulin) पैदा कर सकता है। अतिरिक्त इंसुलिन बनने से एंड्रोजन हार्मोन (Androgen hormone) का उत्पान भी अधिक होता है जिससे ओवल्यूशन (Ovulation) प्रभावित होता है।
लो-ग्रेड इन्फ्लामेशन (Low-grade inflammation)- व्हाइट ब्लड सेल्स द्वारा संक्रमण से लड़ने के लिए खास तत्व के उपत्पादन के संदर्भ में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। रिसर्च के मुताबिक, पीसीओएस (PCOS) से पीड़ित महिलाओं में लो-ग्रेड इन्फ्लामेशन देखा गया है जो पॉलीसिस्टिक ओवरी में एंड्रोजन हार्मोन के उत्पदान को उत्तेजित करता है, जिससे हार्ट (heart) और ब्लड वेसल (blood vessel) से संबंधित समस्या हो सकती है।
अनुवांशिक (Heredity)- कुछ रिसर्च के मुताबिक, पीसीओएस की समस्या के लिए जीन्स भी जिम्मेदार हो सकते हैं।
अधिक एंड्रोजन (Excess androgen)- ओवरी (ovaries) असामान्य रूप से बहुत अधिक मात्रा में एंड्रोजन (Androgen) का उत्पादन करती है। इस मेल हार्मोन की अधिकता के कारण महिलाओं के शरीर पर अधिक बाल उगने और मुंहासों (acne) की समस्या होने लगती है।
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क्या हैं पीसीओएस के लक्षण? (PCOS symptoms)
महिलाओं में पीसीओएस के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। किसी में पहले पीरियड्स के समय ही इसके लक्षण नजर आते हैं, तो किसी में बाद में इसके लक्षण अनियमित पीरियड या बढ़े हुए वजन के रूप में दिखते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल है।
अनियमित पीरियड्स (Irregular periods) – पीरियड्स समय पर नहीं होते, उनके बीच लंबा अंतराल होता है या फिर पीरियड्स ज्यादा दिनों तक रहते हैं तो यह पीसीओएस के कारण हो सकता है।
मुंहासे (Pimples) – शरीर में मेल हार्मोन एंड्रोजन की अधिक मात्रा के कारण चेहरे और त्वचा पर अधिक बाल उगना, त्वचा का ऑयली होना और मुंहासों जैसी समस्या बढ़ने लगती है।
हैवी ब्लीडिंग (Heavy bleeding)- पीसीओएस (PCOS) से पीड़ित महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है।
वजन बढ़ना (Weight gain)- पीसीओएस (PCOS) के कारण महिलाओं का वजन बढ़ सकता है।
सिरदर्द (Headache)- कुछ महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिस्ट (Polycystic ovary syndrome) के कारण सिरदर्द की भी शिकायत होती है।
त्वचा का काला पड़ना (Dark skin)- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिस्ट (Polycystic ovary syndrome) के कारण त्वचा का रंग गहरा हो जाता है और शरीर के कई हिस्सों जैसे गर्दन और ब्रेस्ट के नीचे और पेट और जांघ के निचले हिस्से पैचेस यानी धब्बे जैसे दिखाई दे सकते हैं।
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से होने वाली अन्य समस्याएं
पीसीओएस का यदि समय पर इलाज न किया जाए तो इससे महिलाओं को कई तरह की अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
- स्लीप एप्निया (Sleep apnea)
- डिप्रेशन (Depression)
- एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial cancer)
- मेटाबोलिक सिंड्रोम जैसे डायबिटीज (Diabetes) और हाइपरलिपिडिमिया (Hyperlipidemia) जो कार्डियक समस्यों के लिए जिम्मेदार होती है
- इनफर्टिलिटी (Infertility)
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पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS ayurvedic treatment)
यदि आपको पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) के कोई लक्षण दिखते हैं तो उसे नजरअंदाज न करें। अपनी डॉक्टर से बात करें या किसी आयुर्वेदिक एक्सपर्टस की सलाह पर आप पीसीओएस का आयुर्वेदिक उपचार (PCOS Ayurvedic Treatment) भी करा सकते हैं। जर्नल ऑफ फार्मेसी के अनुसार पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS Ayurvedic Treatment) कारगर होता है। एनसीबीआई की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) के कारण होने वाली सबफर्टिलिटी (Subfertility)यानी कंसीव करने में होने वाली देरी का इलाज आयुर्वेदिक तरीके से किया जा सकता है। पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS ayurvedic treatment) में कुछ जड़ीबूटियों के साथ ही थेरेपी को भी शामिल किया जाता है।
आयुर्वेदिक हर्ब्स (Ayurvedic herbs)
वैसे तो सभी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS ayurvedic treatment) अलग-अलग तरीके से करते हैं, लेकिन कुछ आम हर्ब्स या जड़ी-बूटियां हैं जिन्हें उपचार में शामिल किया जाता है।
अश्वगंधा (Ashwagandha) – इसे इंडियन विंटर चेरी भी कहा जाता है। आयुर्वेद में अश्वगंधा को बहुत फायदेमंद माना गया है। अश्वगंधा कोर्टिसोल लेवल (Cortisol levels) को संतुलित करके तनाव (Stress) और पीसीओएस के लक्षणों में सुधार में मदद करता है।
दालचीनी (Cinnamon) – दालचीनी खांसी में तो फायदेमंद होती ही है यह पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या को भी दूर करने में मददगार है और यह उनके इंसुलिन प्रतिरोधी (Insulin resistance) होने की संभावना को भी कम करता है।
हल्दी (Turmeric) – औषधिय गुणों से भरपूर हल्दी आयुर्वेदिक दवाओं का अहम हिस्सा होती है। इसके एंटी इन्फ्लामेट्री गुण इंसुलिन प्रतिरोधी (Insulin resistance) होने की संभावना को कम करते हैं।
आयुर्वेदिक थेरेपी (Ayurvedic therapies)
आयुर्वेदिक प्रैक्टिशनर आपको निम्न योगासनों की सलाह दे सकता है-
- सुप्त बद्ध कोणासन (Supta Baddha Konasana)
- भारद्वाजसना (Bharadvajasana)
- चक्की चालासन (Chakki Chalanasana)
- श्वासन (Shavasana)
तनाव कम करने के लिए आपको प्राणायम (pranayamas) यानी ध्यान (meditation) और ब्रिदिंग एक्सरसाइज (breathing exercises) की भी सलाह दी जा सकती है।
आयुर्वेदिक डायट (Ayurvedic diet)
पीसीओएस के लक्षणों में सुधार के लिए आपको खास डायट प्लान (Diet plan) अपनाने की भी सलाह दी जा सकती है।
- सैचुरेटेड फैट जैसे रेड मीट और तली हुई चीजों का सेवन कम करें।
- खाने में नमक की मात्रा कम करें।
- डायट में अधिक मात्रा में फल, सब्जियां और साबूत अनाज को शामिल करें।
- रिफाइन्ड शुगर, मीठे पदार्थ और आर्टिफिशियल स्वीटनर का सेवन न करें।
- करेले की सब्जी खाएं या जूस पीएं। इससे ब्लड शुगर लेवल (blood sugar levels) नियंत्रित रहता है। आंवले का सेवन करना भी फायदेमंद होता है।
- मेथी के पत्ते (Fenugreek leaves) और तुलती की पत्तियां भी इंसिलन लेवल को नियंत्रित रखती है। दरअसल, पीसीओएस मरीजों के शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि कोशिकाएं इसका इस्तेमाल नहीं कर पाती जिससे ब्लड शुगर लेवल हाय हो जाता है।
- एक ग्लास पानी में एक चम्मच शहद (honey) और नींबू (lemon) का रस मिलाकर पीना भी फायदेमंद होता है इससे वजन कंट्रोल में रहता है।
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योग करें (Yog in PCOS)
पीसीओएस में नियमित रूप से योग करना भी फायदेमंद होता है। निम्न आसनों से आपको फायदा होगा।
प्राणायाम – जब आप नियमित रूप प्राणायाम करते है तो शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति बनी रहती है।
कपालभाति – यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है। यह पेट की मांसपेशियों को एक्टिव करता है, जिससे पाचन क्रिया ठीक रहती है।
सूर्य नमस्का र- सूर्य नमस्कार करने से शरीर के सभी हिस्से को फायदा होता है।
शवासन – रात को सोने के समय 2 से 3 मिनट तक शवासन करने से तनाव दूर होता है और नींद अच्छी आती है।
अन्य टिप्स
- डेली कम से कम आधे घंटे फिजिकल एक्टिविटी जैसे वॉकिंग या एक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे बॉडी एक्टिव रहती है और मूड भी अच्छा रहता है।
- आयरन और कैल्शियम की पूर्ति के लिए रोजाना दूध का सेवन करें।
- पूरे गुनगुना पानी पीएं। फ्रिज की ठंडी चीजें न खाएं।
- आयुर्वेद के मुताबिक पहले भोजन के बीच गैप होना जरूरी है। जब तक पहले का खाना पच न जाए दोबारा भोजन न करें।
- हमेशा घर का बना शुद्ध और ताजा खाना ही खाएं।
- बाहर का खाना और मैदे से बनी चीजों से परहेज करें।
- मौसम के अनुसार फल और सब्जियों का सेवन करना जरूरी है।
- रोज़ाना सुबह खली पेट एक चम्मच घी का सेवन करें।
- नाभि को तिल, सरसो या नारियल के तेल से पूरण करें जिससे आपका पूरा एब्डोमिनल एरिया अच्छे से काम करता है। नाभि पूरण एक आर्युवेदिक तकनीक है जिसमें नाभि में तेल भरा जाता है। पीरियड्स के दौरान पेट के निचले हिस्से पर तिल के तेल से मालिश करने से इस दौरान बहाव ठीक रहेगा।
पीसीओएस सबफर्टिलिटी का आयुर्वेदिक उपचार (PCOS subfertility ayurvedic treatment)
सबफर्टिलिटी (Subfertility) उस स्थिति को कहते हैं जब कोई महिला गर्भधारण की कोशिश करती है, लेकिन कंसीव करने में देरी होती है। ऐसा पीसीओएस के कारण हो सकता है। कुछ रिसर्च सबफर्टिली में आयुर्वेदिक उपचार को कारगर मानते हैं। सबफर्टिलिटी के लिए 6 महीने के प्रोग्राम से फायदा हो सकता है जिसमें शामिल है-
- शोधन (यह डिटॉक्सिफिकेशन और प्यूरीफिकेशन प्रक्रिया है)
- शमां (दर्दनिवारक उपचार जो लश्रणों की असहजता को कम करता है)
- तर्पण (Tarpana)
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पीसीओएस से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव है जरूरी (Lifestyle changes)
पीसीओएस का मुख्या कारण हार्मोनल बदलाव है और हार्मोनल बदलाव को जीवनशैली में बदलाव (Lifestyle changes) करके कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है। अपना वजन नियंत्रित करके आप ब्लड शुगर लेवल और एंड्रोजन हार्मोनल की मात्रा को बढ़ने से रोक सकती है। लो फैट और हाई कार्बोहाइड्रेट वाली चीजों को डायट में शामिल करें और फिजिकली एक्टिव रहें।
पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS ayurvedic treatment) कारगर तो होता है, लेकिन अपनी मर्जी से कोई भी दवा या जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करना हानिकारक हो सकता है। इसलिए समस्या का पता चलने पर किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से सलाह लें और उसके बाद ही पीसीओएस के लिए आयुर्वेदिक उपचार (PCOS ayurvedic treatment) शुरू करें।
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