अभ्यंग, वमन और विरेचन विधि मरीज की स्थिति पर निर्भर करती है कि किन्हें कौन सी विधि से फायदा मिल सकता है। हालांकि गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज जड़ी बूटी एवं आयुर्वेदिक दवाओं से भी किया जाता है, जिसके बारे में आगे जानेंगे।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किन जड़ी-बूटियों से किया जाता है? (Gastritis treatment in ayurveda)
पेट में सूजन की परेशानी को दूर करने के लिए निम्नलिखित जड़ी बूटियों के सेवन की सलाह दी जा सकती है। इनमें शामिल है:
- शतावरी- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट (Antioxidant), एंटी-इंफ्लमेटरी (Anti Inflammatory) और एंटी-डिप्रेसेंट (Anti depressant) जैसे तत्व मौजूद होने के कारण इसे क्वीन ऑफ हर्ब (औषधि की रानी) भी कहा जाता है। इसके सेवन से इम्यून सिस्टम (Immune System) को मजबूत बनाये रखने में मदद मिलती है। इसलिए गैस्ट्राइटिस पेशेंट्स को इसके सेवन की सलाह दी जाती है।
- भृंगराज- इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सिडेंट्स (Antioxidant) जैसे- फ्लैवानॉयड (Flavonoid) और एल्कलॉइड (Alconoid) शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। इसके सेवन से बालों को झड़ने (Hair fall) से बचाने में मदद मिलती है। वहीं भृंगराज किडनी (Kidney), लिवर (Liver) और पेट (Stomach) की बीमारियों से रक्षा करने में सहायक माना जाता है। इसलिए गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज भृंगराज से भी किया जाता है।
- आमलकी- यह जड़ी बूटी ठंडी प्रवृत्ति की मानी जाती है और इसमें मौजूद औषधीय गुण शरीर को ऊर्जा (Energy) प्रदान करने में भी सहायक है। इसलिए यह गैस्ट्राइटिस मरीजों के लिए रामबाण की तरह काम करता है।
गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज इन 3 जड़ी बूटियों से विशेष रूप से किया जाता है। हालांकि अगर इन जड़ी बूटियों से अगर मरीज को राहत ना मिले तो अन्य जड़ी बूटी के सेवन की सलाह दी जा सकती है।
नोट: शतावरी, आमलकी एवं भृंगराज बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं, लेकिन आप इनका सेवन अपनी इच्छा अनुसार ना करें। इन जड़ी बूटियों के सेवन से लाभ मिले, इसलिए आयुर्वेदिक डॉक्टर से कंसल्ट करें और फिर इसकासेवन उचित मात्रा में सेवन करें।
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गैस्ट्राइटिस का आयुर्वेदिक इलाज किन-किन औषधियों से किया जाता है? (Ayurvedic treatment for Gastritis)
पेट में सूजन की तकलीफ को दूर करने के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन की सलाह दी जाती है। जैसे:
- लघु सूतशेखर रस
- सूतशेखर रस
- शतपत्रादि चूर्ण
- कामदुधा रस
- नारिकेल लवण क्षार
- कर्पदक भस्म