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जानें वात, पित्त और कफ क्या है? जानें आयुर्वेद के हिसाब से आपका शरीर कैसा है

जानें वात, पित्त और कफ क्या है? जानें आयुर्वेद के हिसाब से आपका शरीर कैसा है

कई बीमारियों और दोषों के इलाज के लिए आयुर्वेद को सबसे अच्छा माना गया है। आयुर्वेद को जीवन का विज्ञानं भी कहा गया है। यह पांच तत्वों से बना है-आकाश, वायु,अग्नि, जल एवम पृथ्वी । हमारे शरीर में ऐसी बहुत सी समस्याएं होती हैं, जिनमें अंग्रेजी दवाएं भी अपना असर नहीं दिखा पाती हैं। लेकिन आयुर्वेद में उनका काफी प्रभावशाली परिणाम देखने को मिला है। आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर  हवा, जल, अग्नि, आकाश और पृथ्वी इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। जिसे हम आयुर्वेद की भाषा में वात, पित्त और कफ (Vata Pitta and Kapha) कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि मानव शरीर में सिर से छाती तक के बीच के रोग कफ के बिगड़ने से होते हैं। पेट और कमर के अंत तक में होने वाले रोग पित्त के कारण होते हैं। कमर से लेकर पैरों तक में होने वाले दोष में वात दोष को कारण देखा गया है।

व्यक्ति के शरीर में ये (वात पित्त और कफ) तीन तरह के दोष देखे जा सकते हैं, जैसे कि-

वात दोष – वायु व आकाश

पित्त दोष – अग्नि तत्व

कफ दोष – पृथ्वी व जल

दोष, व्यक्ति के शरीर, प्रवृत्तियों (भोजन की रूचि, पाचन), मन और भावनाओं को प्रभावित करते हैं।

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जानें क्या है वात पित्त और कफ दोष? (What is Vata Pitta and kapha dosha?)

वात पित्त और कफ दोष-Vata Pitta and kapha dosha

वात दोष (vata Dosha)

वात, पित्त और कफ दोष (Vata Pitta and Kapha Dosha) में एक पहला वात दोष है। जब किसी में वात दोष होता है, तो उनके शरीर में हवा ज्यादा हाेती है। इसलिए कई लोगों में वजन न बढ़ने का कारण  वात दोष होता है। जैसा कि नाभि के नीचे होने वाले रोगों को वात दोष में गिना जाता है, जैसे कि कमर में होने वाली समस्या, घुटनों और पैरों में दर्द की समस्या आदि।  जो लोग अंतरिक्ष और वायु तत्व के साथ पैदा होते हैं, वे गर्म या गर्म मौसम पसंद करते हैं; उन्हें ठंड को सहन करने में परेशानी हो सकती है। उन्हें वजन बढ़ाने में परेशानी होती है। इसलिए उनका वजन कम और पतले होते हैं।

वात असंतुलन के लक्षण

वात असंतुलन के कारण होने वाले रोग

इस दोष के असंतुलन से मल त्याग, तंत्रिका तंत्र, मांसपेशियों और जोड़ों में विकार आदि के कार्य में अनियमितता हो सकती है, यहां कुछ विकार हैं, जो वात असंतुलन का कारण बन सकते हैं:

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वात को संतुलित करने के उपाय

  • रात 10 बजे से पहले बिस्तर पर जाएं यानि की सो जाएं और सुबह 6:00 बजे तक उठ जाएं।
  • खाने, सोने और काम करने के लिए नियमित समय के साथ दैनिक दिनचर्या बनाए रखें
  • गर्म पेय पदार्थ पिएं और ताजा, गर्म, संपूर्ण खाद्य पदार्थ खाएं।
  • उन खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जो स्वाद में नेचुरल रूप से मीठे और खट्टे न हों।
  • अपने दैनिक आहार में उच्च गुणवत्ता वाले अदरक, काली मिर्च, दालचीनी, और जीरा आदि का सेवन करें।
  • शराब (Alcohol), कैफीनयुक्त पेय (Caffeinated drinks) और चॉकलेट (Chocolate) से बचें
  • नियमित रूप से व्यायाम दिनचर्या को शामिल करें।
  • वात-कम करने वाली जड़ी-बूटियाें को सेवन करें।

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पित्त दोष ( Pitta Dosha)

वात, पित्त और कफ दोष में दूसरा पित्त दोष है।पेट में होने वाले अधिक रोगों का कारण पित्त में असंतुलन के कारण होता है। पित्त से शरीर को बुद्वि और बल दोनों ही मिलता है। उनमें डायरिया, एसिडिटी, नींद न आना, क्रोध, चिड़चिड़ापन या  हेपेटाइटिस आदि जैसी समस्याएं देखी जाती है। पित्त दोष वाले लोग , जो गर्म तत्वों के साथ पैदा होते हैं। उनमें अग्नि तत्व अधिक होता है।  पित्त दोष वाले व्यक्ति आम तौर पर सक्रिय, गतिशील और बुद्धिमान होते हैं। उनके पास नेतृत्व गुण हो सकते हैं, जैसे कि उनकी तेज नाक और उनकी आंखें भी तेज होंगी। यदि किसी व्यक्ति में पित्त अंतुलित होता है, तो स्किन प्रॉब्लम, मुहांसे और बाल झड़ने जैसी समस्या हो सकती है। हालांकि आग और पानी का संयोजन, यह अग्नि तत्व के साथ अधिक प्रभावी है।

पित्त में असंतुलन के लक्षण

  • ठंडी चीजों का सेवन करने की इच्छा होना
  • त्वचा का पीला रंग
  • चक्कर
  • दुर्बलता
  • नींद में कमी
  • क्रोध अधिक आना
  • जलन का अहसास
  • अत्यधिक प्यास और भूख लगना
  • मुंह में कड़वा स्वाद
  • सांसों से बदबू आना

पित्त असंतुलन के कारण रोग

  • पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer), पेट में दिक्कत या अन्नप्रणाली की सूजन
  • त्वचा के विकार जैसे एक्जिमा, सोरायसिस
  • थकान
  • माइग्रेन (Migrain)
  • एसिड रिफ्लक्स टेंडोनाइटिस
  • हरपीज
  • पीलिया (Jaundice)
  • सांसों की बदबू (Bad Breath)
  • अन्न-नलिका का रोग
  • असंतोष महसूस होना
  • पेट में दर्द (Stomach pain)
  • त्वचा की लालिमा

पित्त दोष को रोकने के उपाय

  • खाने, सोने और काम करने के लिए नियमित समय के साथ दैनिक दिनचर्या बनाए रखें।
  • हर दिन 4-5 लीटर पानी पिएं।
  • ऐसे लोगों के साथ तालमेल रखें जो खुश और सकारात्मक हों।
  • मेडिटेशन करें । यह दूसरों के बीच क्रोध, चिड़चिड़ापन जैसी भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • मध्यम रूप से कठिन योगासन रक्त परिसंचरण को बढ़ाकर और शरीर को डिटॉक्स करके पित्त को शांत कर सकते हैं।

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कफ दोष ( Kapha Dosha)

वात, पित्त और कफ दोष (Vata Pitta and Kapha dosha) में तीसरा कफ दोष है।अगर किसी में कफ असंतुलित होता है, तो उस व्यक्ति का मन और दिमाग अशांत रहता है। इसी के साथ ही तनाव (Tension) बना रहता है। कफ जल और पृथ्वी तत्व के पूर्वसर्ग को इंगित करता है। कफ दोष वाले लोग आमतौर पर शांत, आलसी, हंसमुख और अधिक वजन वाले होते हैं। दरअसल आयुर्वेद कहता है कि कफ दोष तीनों में सबसे कम परेशान करता है। यदि ये शांत रहें, तो व्यक्ति के बाल घने (Healthy Hair), काले और त्वचा चमकदार होती है। कफ असंतुलन होने पर हड्डियों और मांसपेशियों में एंठन होना। यह शरीर को नम रखता है। यह त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और प्रतिरक्षा को बनाए रखता है। लेकिन असंतुलन होने पर लालच और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं का कारण हो सकता है।

कफ असंतुलन के लक्षण

  • एनोरेक्सिया
  • खांसी
  • श्वसन संबंधी विकार
  • मोटापा (Obesity) 
  • मुंह में मीठा स्वाद
  • खट्टी डकार
  • रक्त वाहिकाओं का सख्त होना
  • भूख में कमी
  • फ्लू (Flu)
  • साइनोसाइटिस (Sinusitis)
  • ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
  • जोड़ों का विकार

कफ में असंतुलन के उपचार

  • खाद्य पदार्थ, जो कसैले, मसालेदार और कड़वे स्वाद वाले होते हैं, वे कफ को नियंत्रण में रखने के लिए अनुकूल रखने में मद्द करते हैं।
  • शरीर को सक्रिय रखना कफ व्यक्तित्वों के लिए जरूरी है। सुस्ती से दूर रहें।
  • योग का नियमित अभ्यास करने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है, विषाक्त पदार्थों को दूर रखने और शरीर को सक्रिय रखने में मदद करता है।
  • दिन के दौरान नींद से बचें ।

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डिस्क्लेमर

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Know yourself by knowing your ayurvedic body type/https://artoflivingretreatcenter.org/blog/know-yourself-by-knowing-your-ayurvedic-body-type/Accessed on 16/03/2021

Tridoshas in ayurveda vata pitta kapha/https://ayurvedamysore.org/tridoshas-in-ayurveda-vata-pitta-kapha/Accessed on 16/03/2021

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Vata Pitta Kapha/https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2876924/Accessed on 16/03/2021

 

Current Version

15/07/2022

Niharika Jaiswal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Niharika Jaiswal


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/07/2022

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