नाक के रोग अक्सर तकलीफदेह होते हैं। नाक हमारे शरीर का एक अहम अंग है, जिसके माध्यम से हम ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ते हैं। नाक के रोग कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ जल्दी ठीक हो जाते हैं तो कुछ को ठीक होने में वक्त लगता है। नाक के रोग की विस्तृत जानकारी आपको उनसे बचाव करने में मदद करती है। यह हवा को फिल्टर करके, उसमें से धूल-मिट्टी और जलन पैदा करने वाले कणों को निकाल देती है। यह हवा को गर्म और नमी भरा बनाए रखती है, जिससे आपके फेफड़े और ट्यूब्स सूखते नही हैं।
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नाक के रोग कैसे होते हैं खतरनाक?
आपकी नाक में नर्व कोशिकाएं भी होती हैं, जो आपको खुशबू को पहचानने में मदद करती हैं। नाक में किसी भी प्रकार की समस्या या नाक के रोग होने पर इसका खामियाजा पूरी बॉडी को भुगतना पड़ता है। सामान्य सर्दी जुकाम में नाक जाम हो जाती है और आपको सांस लेने, सोने या सहज महसूस करने में समस्या होती है। आज हम इस आर्टिकल में नाक के रोग के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। यह जानकारी आपको नाक के रोग से निपटने में मदद करेगी।
नाक के रोग में जुकाम (Common cold)
नाक के रोग में सामान्य जुकाम एक बड़ी समस्या है। हर व्यक्ति को इससे गुजरना पड़ता है। नाक के रोग में जुकाम नाक और गले के संक्रमण की वजह से होता है। हालांकि, इसके पीछे कई अलग–अलग तरह के वायरस जिम्मेदार होते हैं। जुकाम होने पर व्यक्ति असहज महसूस कर सकता है। लेकिन, इससे तत्कालिक रूप से कोई अन्य शारीरिक परेशानी नहीं हो सकती है।
नाक के रोग में सामान्य जुकाम एक सामान्य स्थिति है। यह छह साल से छोटे बच्चों में जुकाम होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है। लेकिन, स्वस्थ वयस्कों को भी जुकाम की समस्या हो सकता है। हालांकि, जानकारों का मानना है कि यदि आपको नाक के रोग में जुकाम एक साल में 2 से 3 बार होता है तो यह चिंता की बात नहीं है। जुकाम की समस्या ज्यादा होने पर इसके कारणों की पहचान करके इसका इलाज किया जा सकता है।
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नाक के रोग में जुकाम के लक्षण:
- बार-बार छींक आना
- शरीर में हल्का दर्द या सिर दर्द होना
- शरीर का तापमान हल्का बढ़ना
- अच्छा महसूस नहीं करना
- नाक से पानी आना या नाक बंद होना
- गले में खराश होना
- कफ आना
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सामान्य जुकाम के दौरान नाक बहना एक सामान्य बात है। ऐसे में ध्यान रखना जरूरी है कि कहीं इंफेक्शन की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा है या कोई अन्य कारण है। उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी जुकाम के लक्षण हो सकते हैं।
जुकाम के कारण
कई अलग-अलग तरह के वायरस के कारण जुकाम की समस्या हो सकती हैं। हालांकि, अधिकतर मामलों में जुकाम रायनोवायरस के कारण होता है। सामान्य जुकाम इंफेक्शन से होता है और यह किसी अन्य व्यक्ति को आसानी से हो सकता है। वायरस आंख, मुंह और नाक से शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह वायरस हवा में मौजूद होते हैं और बड़े ही आसानी से खांसने, छींकने या बातचीत करने के दौरान फैल जाते हैं।
जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के हाथ मिलाने से भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ऐसे में जब स्वस्थ्य व्यक्ति के जुकाम पीड़ित से हाथ मिलाने के दौरान स्वस्थ व्यक्ति में फैल जाता है (जब वह उन्हीं हाथों से आंख या नाक को छूते हैं या हाथों को बिना धोए खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं)। इसके अतिरिक्त, ठंड लगने या लंबे समय तक ठंडे मौसम में रहने के कारण जुकाम होता है। आमतौर पर इसकी समस्या सर्दी या बरसात के मौसम में सबसे अधिक होती है, जिसकी वजह से जुकाम को सर्दी भी कहा जाता है।
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नाक के रोग में साइनसाइटिस
साइनसाइटिस एक संक्रमण है, जिसमें साइनस ब्लॉकेज के कारण एक या एक से ज्यादा साइनस में सूजन आ जाती है। साइनसाइटिस लगभग चार हफ्तों तक रह सकता है, जिसे तीव्र साइनसाइटिस कहा जाता है। वहीं, लगभग तीन महीने तक रहने वाले संक्रमण को क्रोनिक साइनसाइटिस (Chronic Sinusitis) कहा जाता है। नाक के रोग में यह बीमारी आम है, जो किसी को भी प्रभावित कर सकती है। इसके कारणों को नियंत्रित करके इससे निपटा जा सकता है।
नाक के रोग में साइनसाइटिस के लक्षण:
- सिर दर्द
- माथे या चेहरे में दर्द होना
- नाक का बहना
- गले में खराश
- खांसी आना, विशेष रूप से रात के वक्त अधिक खांसी का आना
- बुखाररहना
नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस (Chronic Sinusitis)
नाक और सिर के बीच में साइनसिस होता है। तीन महीने या इससे अधिक समय तक सूजन रहने पर क्रोनिक साइनसाइटिस की समस्या रहती है। यह समस्या इस सूजन का इलाज न करने की स्थिति में पैदा होती है। नाक के रोग में यह एक सामान्य समस्या है। नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस सामान्य तरीके से बलगम के बाहर आने के तरीके में हस्तक्षेप करती है और इससे नाक और ज्यादा स्टफी हो जाती है। इस नाक के रोग में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। क्रोनिक साइनसाइटिस में आंख के आसपास के हिस्से में सूजन या कसाव आ जाता है।
नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस का कारण संक्रमण हो सकता है, जो साइनस (नेजल पोलयाप्स (Nasal Polyps)) में पनपता है। साथ ही इसकी वजह से साइनस के अस्तर में सूजन आ जाती है। इसे क्रोनिक रिनोसाइनसाइटिस (chronic rhinosinusitis) भी कह जाता है। यह समस्या बच्चों और व्यस्कों दोनों को प्रभावित करती है।
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नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस के लक्षण
- नाक में सूजन
- नाक से मोटा और रंगहीन डिस्चार्ज होना
- नाक बहने के बाद गले में वापस म्यूकस जाना
- नाक जाम होना या कंजेशन, नाक में दर्द के साथ सांस लेने में समस्या
- आंखों, गालों, नाक या माथे के आसपास सूजन
- स्वाद को सूंघने की क्षमता में कमी आना
नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस के अन्य लक्षण
- कान में दर्द
- ऊपरी जबड़े और दांतों में दर्द
- खांसी या गले में खराश
- गले में खराश
- मुंह से दुर्गंध आना
- थकावट
नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस की निम्नलिखित स्थितियों में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
नाक के रोग में क्रोनिक साइनसाइटिस में अक्सर आपकी परेशानी बढ़ जाती है। यह एक गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है।
निम्नलिखित लक्षण सामने आते ही डॉक्टर से संपर्क करें:
- बुखार
- आंख के आसपास सूजन या लालिमा पड़ना
- गंभीर सिर दर्द
- माथे पर सूजन
- मतिभ्रम होना
- दृष्टि में बदलाव या डबल विजन
- गर्दन में अकड़न
नाक के रोग में नेजर कंजेशन या बंद नाक (Nasal congestion)
नाक और उसके आसपास के ऊत्तकों और खून की नसों में अतिरिक्त मात्रा में लिक्विड पदार्थ जमा होने पर सूजन आ जाती है। इसे नेजल कंजेशन या बंद नाक की समस्या कहा जाता है। यहां ध्यान देने योग्य बात यह है कि ऊत्तक कोशिका का सूक्ष्म रूप होते हैं। एक साथ कई ऊत्तक मिलकर कोशिकाओं का निर्माण करते हैं। हालांकि नाक बहने पर भी यह स्थिति पैदा हो सकती है। आमतौर पर बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए बंद नाक की समस्या नाक के रोग में एक सामान्य शारीरिक परेशानी हो सकती है। लेकिन, बंद नाक की स्थिति छोटे बच्चें में गंभीर हो सकती है, इसके कारण उन्हें सोने और फीडिंग में परेशानी हो सकती है।
नाक के रोग में बंद नाक या नेजल कंजेशन के लक्षण:
- नाक जाम होना या बहती नाक
- बलगम आना
- नाक के ऊत्तकों में सूजन
- साइनस में दर्द होना
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स (Nasal polyps)
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स में साइनस और श्वास नली बढ़ जाती है। नेजल पैसेज की म्यूकस मेम्ब्रेन साइनस में सूजन आने पर नेजल पॉलिप्स हो सकता है। यह 12 हफ्तों या इससे अधिक समय तक रह सकता है। श्वास नली और साइनस में आने वाली सूजन कई बार इतनी ज्यादा होती है कि यह नेजल पैसेज को ब्लॉक करने के लिए काफी होती है। नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स की स्थिति पैदा होने पर सांस लेने में परेशानी, बार-बार साइनस का इंफेक्शन या सूंघने की क्षमता कम हो जाती है।
नेजल पॉलिप्स को अक्सर सांस संबंधी बीमारी जैसे एलर्जिक रेहनाइटस, क्रोनिक रेनोसाइनसाइटिस (chronic rhinosinusitis), अस्थमा या सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis) से जोड़ा जाता है।
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नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स के लक्षण:
- रंगीन या रंगहीन म्युकस के साथ नाक बहना
- स्टफी नोज
- पोस्टनेजल ड्रिप (Postnasal drip)
- सूंघने और स्वाद पहचानने की क्षमता कम होना
- सिर दर्द, साइनस का प्रेशर
- आंखों के आसपास खुजली
- ऊपरी दांत में दर्द
- माथे और चेहरे पर दबाव का अहसास
- खर्राटे
- नाक से बार-बार खून बहना
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स होने पर डॉक्टर को कब दिखाएं?
इस नाक के रोग में यदि लक्षण 10 दिन से अधिक समय तक रहते हैं तो यह क्रोनिक साइनोसाइटिस हो सकता है। हालांकि, नेजल पॉलिप्स और क्रोनिक साइनोसाइटिस दोनों ही एक दूसरे से मिलते जुलते हैं।
निम्नलिखित स्थितियों में तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें:
- सांस लेने में गंभीर समस्या
- अचानक से लक्षणों का बदतर हो जाना
- डबल विजन, नजर में कमी या आंखों को घुमा पाने में सीमित दक्षता
- आंख के आसपास गंभीर सूजन
- तेज बुखार के साथ गंभीर सिर दर्द या सिर को आगे करने में दिक्कत
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स (Nasal polyps) के कारण
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स क्यों होता है, वैज्ञानिक अभी तक इसका सटीक कारण पता नहीं कर पाए हैं। वैज्ञानिक इस बात का भी पता नहीं लगा पाए हैं कि क्यों लंबे वक्त तक होने वाली इनफ्लेमेशन या जलन और सूजन कुछ लोगों में नेजल पॉलिप्स की समस्या पैदा करती है और कुछ लोगों में नहीं करती।
यह सूजन नाक और साइनस में फ्लूइड उत्पन्न करने वाले अस्तर या लाइनिंग (म्युकस मेम्ब्रेन (mucous membrane)) में होती है।
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नाक के रोग के लिए इम्यून सिस्टम जिम्मेदार
कुछ अध्ययनों में इस बात का पता चला है कि कुछ लोगों में इम्यून सिस्टम की अलग प्रतिक्रिया नेजल पॉलिप्स के लिए जिम्मेदार होती है। सामान्य लोगों की तुलना में नेजल पॉलिप्स से पीढ़ित लोगों की म्यूकस मेम्ब्रेन (Mucous membranes) में अलग कैमिकल मार्कर होते हैं। हालांकि, नेजल पॉलिप्स किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन युवा और मिडिल उम्र के लोगों में यह सबसे ज्यादा सामान्य होता है।
नेजल पॉलिप्स साइनस या नेजल पैसेज से कहीं भी हो सकता है। हालांकि, यह ज्यादातर आंख, नाक और चीक बोन के पास जहां पर साइनस आपकी नाक में प्रवेश करता है, वहां पर नेजल पॉलिप्स पैदा होता है।
नाक के रोग के जोखिम के कारक
नाक के रोग में नेजल पॉलिप्स पैदा करने वाले कई कारक होते हैं, जिनकी वजह से यह समस्या पैदा हो सकती है।
निम्नलिखित स्थितियां नेजस पॉलिप्स के कारक के रूप में जानी जाती हैं:
- ऐसी कोई भी समस्या जो नेजल पैसेज या साइनस में लंबे वक्त तक जलन और सूजन का कारण बनती है। जैसे इंफेक्शन या एलर्जी से नेजल पॉलिप्स का खतरा बढ़ जाता है।
- अस्थमा, एक ऐसी बीमारी है, जिसमें श्वास नलियां सूजकर सिकुड़ जाती हैं और इनकी एस्पिरिन संवेदनशीलता कम हो जाती है।
- एलर्जिक फंगल साइनोसाइटस जो एयरबोन फंगी की एक एलर्जी होती है।
- सिस्टिक फाइब्रोसिस (Cystic fibrosis) एक जेनेटिक समस्या है, जिसकी वजह से बॉडी में असामान्य रूप से मोटा और चिपचिप फ्लूड पैदा होता है। इसमें नेजल और साइनस लाइनिंग से आने वाले मोटे म्युकस को शामिल किया जाता है।
- चुर्ग स्ट्राउस सिंड्रोम (Churg-Strauss syndrome), यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो रक्त वाहिकाओं में सूजन का कारण बनती है।
- विटामिन डी की कमी, यह समस्या जब सामने आती है तब आपकी बॉडी में पर्याप्त विटामिन डी नहीं होता है।
नाक के रोग में आपकी फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री काफी जिम्मेदार होती है। ऐसे कई सुबूत मिले हैं, जिनमें पता चला है कि अलग-अलग प्रकार के जेनेटिक इम्यून सिस्टम के साथ जुड़े होते हैं, जिससे नेजल पॉलिप्स होने की संभावना ज्यादा रहती है।
नाक के रोग में नेजल प्रोलयप्स की रोकथाम
समुचित उपायों से नाक के रोग की रोकथाम की जा सकती है। यह उपाय शुरुआती चरण में नाक के रोग के लक्षण सामने आते ही किए जाते हैं। लक्षणों को पहचानने में देरी करने से इनका इलाज मुश्किल हो जाता है।
- अस्थमा और एलर्जी: नाक के रोग में एलर्जी और अस्थमा की स्थिति में हमेशा अपने डॉक्टर के दिशा निर्देश का पालन करें। यदि आपके लक्षण नियंत्रण में नहीं आते हैं तो इलाज में बदलाव के लिए अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
- नाक की जलन से बचाव करें: जितना संभव हो सके उतना सांस लेते वक्त एयरबोर्न पदार्थों से बचें। इनकी वजह से आपको नाक के रोग हो सकते हैं। यह नाक और साइनस में सूजन या जलन पैदा करते हैं। इन पदार्थों में एलर्जेन्स, तंबाकू का धुंआ, खुशबू वाले कैमिकल्स, बारीक कण और धूल।
- हाइजीन का ध्यान रखें: दिन में नियमित रूप से अपने हाथों को साफ करें। नाक और साइनस में वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन फैलने से रोकने का यह सबसे बेहतर तरीका है। बैक्टीरियल और वायरल इंफेक्शन नेजल पैसेज और साइनस में सूजन पैदा करते हैं।
- नेजल राइन्स (Nasal rinse): नाक के रोग आपसे दूर रहें, इसके लिए आपको नेजल पैसेज को साफ रखना है। इसके लिए आप सॉल्टवॉटर (सलाइन) स्प्रे या नेजल वॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह म्युकस के प्रवाह को सुधारेगा और नाक से एलर्जी पैदा करने वाले एलर्जेन और अन्य जलन पैदा करने वाले पदार्थों को निकाल देगा। हालांकि आप नाक के रोग नेजल पॉलिप्स में ओवर-दि-काउंटर सलाइन स्प्रे या नेजल वॉश किट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अंत में हम यही कहेंगे कि नाक के रोग की सही जानकारी इसे बढ़ने से रोकती है। यदि समय पर लक्षणों को पहचानकर इनका इलाज किया जाए तो समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। बेहतर होगा कि आप भी इन लक्षणों के सामने आते ही तुरंत उपयुक्त उपाय करें।