मेंटल डिसऑर्डर के लक्षण समय के साथ बिगड़ जाते हैं। मनोविकार की दर लोगों के बीच भिन्न-भिन्न होती है। अनुवंशिक, आयु, स्वास्थ्य साथ ही साथ मनोविकार के अंतर्निहित कारण रोग के बढ़ने के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। डिमेंशिया के अलग-अलग चरण हैं, जो विभिन्न तरीकों से स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर रोग के साथ होने वाले विभिन्न प्रकार के मनोविकार के लिए स्टेज की विभिन्न प्रणालियां निर्धारित की हैं, लेकिन स्टेजिंग सिस्टम पूरी तरह सही नहीं है और स्टेज अक्सर ओवरलैप हो सकते हैं। लक्षण कुछ चरणों में प्रकट हो सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं।
मानसिक विकार क्या है?
मेंटल डिसऑर्डर (Mental Disorder) किसी भी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। जिसमें उस व्यक्ति की सोच, व्यवहार और मनोदशा पर बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से वह व्यक्ति अवसाद (Depression) और चिंता (Anxiety) करने लगता है। इसकी वजह से उस व्यक्ति का पूरा स्वास्थ्य खराब हो जाता है और उसका शरीर कई बीमारियों का घर बन जाता है। मानसिक विकार (Mental Disorder) किसी को भी हो सकता है।
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क्या है मानसिक विकार के लक्षण?
- हमेशा उदास रहना
- ध्यान केंद्रित न कर पाना
- शारीरिक गतिविधियों से अलग रहना
- सोच में डूबे रहना
- डरा हुआ महसूस करना
- कम या ज्यादा भूख लगना
- नींद में कमीया ज्यादा सोना
- ज्यादा गुस्सा आना
- थका हुआ महसूस करना
- अधिक सोचना
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मेंटल डिसऑर्डर के कितने प्रकार होते हैं ?
मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं। इसके कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं –
- बाइपोलर डिसआर्डर
- डिमेंशिया (मनोभ्रंश)
- पार्किंसन रोग
- डिस्लेक्सिया
- एडीएचडी
- डिप्रेशन (अवसाद)
- मनोग्रसित बाध्यता विकार (ओसीडी; OCD)
- पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Post Traumatic Stress Disorder)
- फोबिया आदि
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मेंटल डिसऑर्डर के चरण (Stages of mental disorder)
शुरुआती स्टेज
मेंटल डिसऑर्डर अक्सर सोचने की क्षमता में हल्की गिरावट के साथ शुरू होता है। उदाहरण के लिए, कोई व्यक्ति हाल की बातचीत या किसी परिचित वस्तु का नाम भूल सकता है। शुरुआती लक्षणों में कार्य क्षमता में गिरावट भी आती है, जैसे कि बिल का भुगतान करने में दिक्कत। मेंटल डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति के करीबी लोग उसके अंदर होने वाले बदलाव को बहुत आसानी से देख सकते हैं। मेंटल डिसऑर्डर वाले व्यक्ति को यह महसूस हो सकता है कि कुछ सही नहीं है, लेकिन वे अपने लक्षणों को छिपाने की भी कोशिश कर सकते हैं। कुछ प्रकार के मनोविकार, भाषा को प्रभावित कर सकते हैं, जबकि अन्य स्मृति को प्रभावित करते हैं।
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मध्यम मनोविकार स्टेज
जैसे ही मेंटल डिसऑर्डर बढ़ता है, लक्षण छिपाना कठिन हो जाता है। अधिक ध्यान देने योग्य लक्षण विकसित हो सकते हैं। ऐसे में खुद की देखभाल या रोजमर्रा की गतिविधियों में पीड़ित की मदद करना आवश्यक हो जाता है। व्यक्तित्व परिवर्तन अधिक ध्यान देने योग्य हो सकते हैं। व्यक्ति को भ्रम या भय का अनुभव हो सकता है, और स्मृति हानि बढ़ सकती है। मध्यम मेंटल डिसऑर्डर वाले लोग आमतौर पर अपना पता या अन्य व्यक्तिगत जानकारी भूल जाते हैं, जिसमें उनका फोन नंबर भी शामिल है। नींद के पैटर्न और मूड भी बदल सकते हैं।
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गंभीर मनोविकार स्टेज
धीरे-धीरे, मेंटल डिसऑर्डर प्रगति कर सकता है और गंभीर हो सकता है। अक्सर किसी व्यक्ति की इस स्टेज पर याद्दाश्त काफी कम हो जाती है। गंभीर मेंटल डिसऑर्डर वाला व्यक्ति परिवार के सदस्यों को नहीं पहचान सकता है। ये स्थिति तब और भयानक हो जाती है, जब इंसान को चलने–फिरने पेशाब को रोकने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इस स्थिती में आंत्र और मूत्राशय के कार्य को नियंत्रित करने में असमर्थता होने लगती है। गंभीर मेंटल डिसऑर्डर भी मांसपेशियों में कठोरता और असामान्य सजगता का कारण बन सकता है। पीड़ित व्यक्ति को आम तौर पर खाने, स्नान और ड्रेसिंग के लिए पूर्णकालिक व्यक्तिगत देखभाल की आवश्यकता होने लगती है। गंभीर मनोविकार वाले लोग निमोनिया सहित दूसरे संक्रमण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं, और वे बिस्तर से उठने के लायक नहीं रहते।
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मानसिक विकार से बचने के उपाए
- एक्सरसाइज : प्रतिदिन व्यायाम करने से आप मानसिक विकार से बाहर आ सकते है। रोजाना कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करेंगे तो इससे आपका आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सही रहेगा।
- मेडिटेशन (Meditation) : यदि आप डिप्रेशन में भी हैं तो भी आप ध्यान लगाकर अपनी मानसिक स्थिति में बदलाव देख सकते हैं। इसे रोजाना करीब 10 मिनट तक करें इससे आप मानसिक विकार से जल्दी बाहर निकल पाएंगे।
- पौष्टिक आहार : यदि आप अपने खान-पान का ध्यान रखेंगे तो आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे और आप बीमारियों से भी बचे रहेंगे।
- मनोचिकित्सक की सलाह (Psychiatrist advice) : जब किसी व्यक्ति की स्थिति ज्यादा खराब होने लगती है, तब उसके परिवार वाले मनोचिकित्सक (Psychiatrist) की सलाह लेते हैं। जिसके बाद मनोचिकित्सक उस व्यक्ति से बात करते हैं और उसकी मनोदशा को समझने की कोशिश करते है। जिस तरह आम लोग अपनी स्वास्थ्य समस्या को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं। उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मनोचिकित्सक (Psychiatrist) के पास जाते हैं।
यदि किसी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो उसे एक बार जरूर डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि डॉक्टर उस व्यक्ति की मनोस्थिति के हिसाब से इलाज करते हैं। ज्यादातर मनोचिकित्सक (Psychiatrist) टॉक थेरिपी (Talk Therapy) का इस्तेमाल करके उस व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
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मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को दी जाने वाली मेडिसिन
मेंटल डिसऑर्डर के लक्षणों के इलाज के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। दवाओं का प्रयोग अक्सर मनोचिकित्सा के साथ किया जाता है। मानसिक रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं निम्नलिखित हैं –
- एंटीडिप्रेसन्ट (चिंता विरोधी दवाएं)
- मूड स्टेबलाइजर्स
- मनोविकार नाशक दवाएं।
मेंटल डिसऑर्डर से क्या जटिलताएं पैदा हो सकती हैं?
मानसिक रोग विकलांगता का एक प्रमुख कारण है। सही उपचार न होने से या ट्रीटमेंट आधा अधूरा छोड़ देने पर मानसिक बीमारी से गंभीर भावनात्मक, व्यवहारिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसकी निम्नलिखित जटिलताएं होती हैं –
- कमजोर इम्यून सिस्टम, जिससे आपके शरीर को संक्रमण से लड़ने में समय लगता है
- पारिवारिक समस्याएं
- सामाजिक अलगाव
- तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थ से जुड़ी समस्याएं
- आत्महत्या या दूसरों को नुकसान पहुंचाना
- दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ सकता है
- हृदय रोग और अन्य चिकित्सा समस्याएं
मेंटल डिसऑर्डर की स्टेजेस को जानने के बाद पीड़ित व्यक्ति की सहायता करने में मदद हो सकती है, लेकिन मनोविकार के साथ हर किसी को एक अनूठा अनुभव होता है। जरूरी है कि हम पीड़ित की जीवनशैली में यथासंभव बदलाव लाएं, ताकि वो बेहतर हो सके और इस बीमारी का डट कर सामना कर सके। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।