अमूमन बच्चे का फर्स्ट टीथ लगभग छठें या सातवें महीने से आने शुरू हो जाते हैं। बच्चे को दांत आने (Teething) के वक्त उनके मसूड़े टीसने लगते हैं और बच्चे को हमेशा कुछ चबाने का मन करता है। इसलिए बच्चे को ऐसी स्थिति में उन्हें कुछ चबाने के लिए देते रहें, जिससे उसका दांत निलकने के दौरान होने वाली परेशानी से बच्चे को राहत मिलती है। इस संबंध में वाराणसी के सृष्टि क्लीनिक के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के. अग्रवाल ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि “बच्चे का फर्स्ट टीथ आने पर उसके मसूड़ों में टीस होती है। जिससे कुछ बच्चों को दर्द भी होता है। ऐसे में मां को बच्चे को कुछ ठंडा खिलाना चाहिए। ठंडक से मसूड़ों में होने वाली टीस से बच्चे को राहत मिलेगी।
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बच्चे का फर्स्ट टीथ आने पर बच्चे को ये खाने के लिए दें
बच्चे को दें टीथिंग बिस्किट
बच्चे के मसूड़ों में होने वाले दर्द और टीस से राहत पहुंचाने के लिए टीथिंग बिस्किट एक बेहतर विकल्प है। ये बिस्किट बच्चे के हिसाब से सख्त होते हैं लेकिन मुंह में जाते ही घुल जाते हैं। बच्चे को ये बिस्किट दें और धीरे-धीरे उसे चबाने की कोशिश करने दें। आप चाहें तो इस बिस्किट को खुद से भी बना सकती हैं। दो कप जौ के आटे में एक पका हुआ केला और दो चम्मच नारियल का तेल मिला कर गूंथ लें। इसके बाद उस आटे को गोल या स्टिक के रूप में बना लें। फिर इसे 350 डिग्री फारेनहाइट पर दस मिनट के लिए बेक कर लें। बच्चे के लिए टीथिंग बिस्किट तैयार है।
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कड़ी सब्जियों से बच्चे को मिलेगी राहत
बच्चे को खाने के लिए कड़ी सब्जियां दें। बच्चे को खासकर ऐसी सब्जियां दें जो वह कच्चा खा सके। आप बच्चे को गाजर, मूली, चुकंदर या खीरा अच्छे से छील कर धूल कर दे दें। वहीं, ध्यान भी दें कि बच्चा कहीं बड़ा टुकड़ा निगल ना जाए।
ठंडी दही बच्चे का फर्स्ट टीथों के लिए सही
जब भी बच्चे का फर्स्ट टीथ निकलें तो आप बच्चे को खाने के लिए ठंडी दही दें। इससे अलावा, आप बच्चे को ठंडी पुडिंग भी दे सकती हैं। इस तरह से मुलायम खाने को खाने से बच्चे के मसूड़ों को ठंडक मिलती है, जिससे बच्चे के मसूड़े में होने वाला दर्द कम होता है।
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बच्चे का फर्स्ट टीथ के लिए फलों के पॉप्स ट्राई करें
बच्चे का फर्स्ट टीथ निकलते समय आप उसके लिए पॉप्स बना सकती हैं। फलों के जूस को आइस ट्रे में फ्रिज कर दें। जब वह जम जाए तो उसे निकाल कर बच्चे को खाने के लिए दें। अगर पॉप्स नहीं हैं तो आप बच्चे को सब्जियां भी फ्रिज कर के भी दे सकती हैं, जैसे- फ्रोजेन गाजर, बेबी कॉर्न। आप चाहें तो इन सब्जियों की प्यूरी भी तैयार कर सकती हैं।
बच्चे का फर्स्ट टीथ निकलेने पर उसकी डायट में शामिल करें फ्लोराइड
फ्लोराइड एक मिनरल है, जो दांतों के इनेमल को सख्त करके दांतों को खराब होने से रोकने में मदद करता है। अच्छी बात यह है कि फ्लोराइड ज्यादातर नल के पानी में होता है। जब आपका बच्चा सॉलिड फूड पर शिफ्ट हो, तो अपने बच्चे को सिपर या स्ट्रॉ कप में पानी की कुछ बूंद दें। अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें कि क्या आपके नल के पानी में फ्लोराइड है या आपके बच्चे को फ्लोराइड का सप्लीमेंट देने की जरुरत है। आमतौर पर ज्यादातर बोतलबंद पानी में फ्लोराइड नहीं पाया जाता है। ऐसे में बच्चे का फर्स्ट टीथ निकलने के बाद उसकी डायट में फ्लोराइडड को शामिल करना जरूरी हो जाता है।
बच्चे का फर्स्ट टीथ निकलने पर रखें इन बातों का ध्यान
दूध पिलाने के तरीके को बदलें
बच्चे का फर्स्ट टीथ आने पर उनके काटने की आदत हो जाती है। सबसे पहले यह ध्यान रखें कि बच्चों की त्वचा आपके स्तनों से भी कई गुना नाजुक और कोमल होती है। ऐसे में कोशिश करें कि स्तनपान के दौरान बच्चे का मुंह पूरी तरह खुला हो। ऐसा करने पर बच्चे को दूध पीने में आसानी होगी और वो आपको काट भी नहीं पाएंगे। थोड़े समय बाद जब बच्चे का काटना आपको महसूस होने लगे तो दूध पिलाने की अवस्था को बदल दें।
बच्चे का फर्स्ट टीथ आने पर आदतों को समझें
बहुत से बच्चे दूध पीने के बाद ही निप्पल को काटते हैं। इससे समझ जाएं कि बच्चे को अब और दूध नहीं पीना है। अगर इसके बाद भी बच्चा स्तनपान की अवस्था में रहा तो वो दोबारा काटने का प्रयास कर सकता है। ऐसे वो फिर से दोहराए इससे पहले ही आप उसकी इस आदत को समझे और पहली ही बार में स्तनपान से उसे रोक दें।
बच्चे का फर्स्ट टीथ आने पर बच्चे की जरूरत को समझें
दांत निकलने से बच्चों के मसूड़ों में दर्द होता है। इससे बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं और काटने लगते हैं। इसलिए जब भी बच्चे के दांत के निकलने लगे तो उन्हें दांत निकलते समय इस्तेमाल किए जाने वाले खिलौने दें, या अपने साफ अंगुली से बच्चे के मसूड़ों की मसाज करें।
इसके अलावा, बच्चों को ठंडी चीजें दें, जिससे उसके मसूड़ों में होने वाला दर्द कम होगा। दांत निकलने के कारण बच्चा हर एक चीज को मुंह में डालने लगता है, जिससे बच्चे को दस्त भी हो सकती है। इसलिए आप इसके लिए तत्पर रहें। ज्यादा परेशानी होने पर आप बच्चे के डॉक्टर से मिल कर परामर्श ले सकती हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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