आज के दौर में बच्चों में कम उम्र में ही कई तरह की जटिल बीमारियां देखने को मिलती हैं। कई मामलों में इनका कारण बच्चों में पोषक तत्वों की कमी होती है। बच्चे खाने के मामले में बुहत नखरे वाले होते हैं। वहीं, मां-बाप भी बच्चों की बात मान कर उन्हें उनकी पसंद का ही खाना देते हैं। लेकिन, ऐसा करना पेरेंट्स की सबसे बड़ी गलती होती है। इस संबंध में हैलो स्वास्थ्य ने वाराणसी के सृष्टि क्लीनिक के बाल रोग विशेषज्ञ पी. के. अग्रवाल से बात की। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि “भारत में बच्चों में पोषक तत्वों की कमी एक बड़ी समस्या है। भारत में ज्यादातर बच्चों में आयरन, आयोडीन, विटामिन और कैल्शियम की कमी पाई जाती है। जिसके लिए पक्रें़ट्स को पहले बच्चे की थाली को दुरुस्त करने की जरूरत है। जब से बच्चा ठोस आहार लेना शुरू करता है, तभी से पेरेंट्स को बच्चे के पोषक तत्वों पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों में पोषक तत्वों की कमी न हो।”
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बच्चों में आयरन (Deficiency of iron) की कमी
सभी पोषक तत्वों में आयरन भी एक जरूरी पोषक तत्व है। आयरन इंसान के खून के लिए बहुत जरूरी मिनरल है। ये रेड ब्लड सेल्स में होता है और कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। शरीर को दो तरह के आयरन की जरूरत होती है । पहला हीम आयरन, जो रेड मीट से मिलता है। दूसरा नॉन हीम आयरन, जो मांस, फलों और सब्जियों से मिलता है। आयरन की कमी से लगभग 47 फीसदी बच्चे ग्रसित हैं। शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया रोग होता है, जिससे बच्चे को कमजोरी, थकान आदि महसूस होते हैं। बच्चों में पोषक तत्वों की कमी की बात हो, तो ऐसे में आपको बच्चों में आयरन की कमी को भी समझना और दूर करना भी जरूरी होगा।
आयरन की कमी से बचाने के लिए बच्चे को रेड मीट, लिवर, शेलफिश, बीन्स, कद्दू और सीसम के बीज, पालक, ब्रॉकलि और हरी पत्तेदार सब्जियां खाने के लिए दें।
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बच्चों में आयोडीन की कमी (Deficiency of Iodine)
आयोडीन शरीर के लिए एक बहुत जरूरी मिनरल है। आयोडीन शरीर के अंदर थाॅयरॉयड हॉर्मोन को नियंत्रित करने के लिए मददगार होता है। थायरॉयड हॉर्मोन से बच्चे की लंबाई बढ़ती है। साथ ही हड्डियों और मस्तिष्क के विकास के लिए भी थायरॉयड ही जिम्मेदार होता है। आयोडीन की कमी से बच्चे को घेंघा रोग हो सकता है। इसके अलावा, दिल की धड़कनें तेज होना और सांस धीमी होने लगती हैं व वजन में भी इजाफा होता है। बच्चों में आयोडीन की कमी से मानसिक विकृति भी हो सकती है। आयोडीन की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को मछली, दही और अंडे खिलाएं। इसके साथ ही खाने में हमेशा आयोडीन युक्त नमक का ही प्रयोग करें। बच्चों में पोषक तत्वों की कमी के कारण कोई गंभीर समस्या न हो इसके लिए उनकी डायट में आयरन युक्त भोजन को जरूर शामिल करें।
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बच्चे में विटामिन-डी की कमी (Deficiency of Vitamin-D)
बच्चों में पोषक तत्वों की कमी की बात हो, तो ऐसे में विटामिन-डी का जिक्र होना भी जरूरी है। विटामिल डी वसा में घुलने वाला विटामिन है। शरीर की सभी कोशिकाओं में विटामिन-डी की जरूरत होती है। विटामिन-डी के लिए सबसे अच्छा स्रोत धूप को ही माना जाता है। विटामिन-डी की कमी से बच्चे में रिकेट्स (Rickets), शरीर की वृद्धि में कमी, मांसपेशियां और हड्डियां में कमजोरी जैसी परेशानियां हो जाती हैं। ऐसे में थोड़ी भी चोट से बच्चों में हड्डियों के टूटने का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, विटामिन डी की कमी से कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। विटामिन-डी की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को कॉड लिवर ऑयल, फैटी फिश, अंडा, दूध आदि देना चाहिए।
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बच्चे में विटामिन-बी12 की कमी (Deficiency of Vitamin-B12)
विटामिन-बी 12 शरीर में रक्त निर्माण के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके अलावा, यह दिमाग और तंत्रिका तंत्र को सुचारू रूप से चलाने के लिए भी मददगार साबित होता है। इसकी कमी से बच्चे में ब्लड डिसॉर्डर हो सकता है। इसमें बच्चे के रेड ब्लड सेल्स का आकार बड़ा हो जाता है। इसे मेगालोब्लास्टिक एनीमिया कहते हैं। विटामिन-बी12 की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को ज्यादातर एनिमल फूड्स खिलाएं। जैसे कि शेलफिश, लिवर, मीट खाने के लिए दें। इसके अलावा, बच्चे को अंडा, दूध, दही, पनीर आदि देना चाहिए।
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बच्चे में कैल्शियम की कमी (Deficiency of Calcium)
बच्चों में पोषक तत्वों की कमी न हो इसके लिए उनकी डायट में कैल्शियम को शामिल करना भी बहुत जरूरी होता है। कैल्शियम की सबसे ज्यादा जरूरत हमारी हड्डियों और दांतों को होती है। हमारी हड्डियों की वृद्धि और मजबूती के लिए कैल्शियम जिम्मेदार होता है। कैल्शियम की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) बीमारी होती है। इस बीमारी में हड्डियों में छेद हो जाता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती है। इसके अलावा बच्चे में रिकेट्स भी होने का खतरा बना रहता है। कैल्शियम की कमी को दूर करने के लिए बच्चे के भोजन में दूध से निर्मित चीजें, हरी सब्जियां, हड्डी युक्त मछलियां आदि को शामिल करना चाहिए।
बच्चे में विटामिन-ए की कमी (Deficiency of Vitamin-A)
विटामिन-ए वसा में घुलने वाला विटामिन है। ये सभी पोषक तत्वों में सबसे जरूरी है। विटामिन त्वचा, दांत, हड्डियां आदि को दुरुस्त रखने के लिए मददगार होता है। इसके अलावा विटामिन-ए आंखो के लिए बहुत जरूरी होता है। विटामिन-ए आंखों की रोशनी को बनाए रखता है। विटामिन-ए की कमी से रतौंधी (Night Blindness) हो जाती है। वहीं, ज्यादा कमी होने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है। बच्चों में पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए उन्हें विटामिन ए से लेस खाना खिलाएं।
विटामिन-ए की कमी न हो इसलिए बच्चे को मछली के लिवर का तेल पिलाएं। इसके अलावा मछली, लिवर, मीठा आलू, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियां और गुड़ खिलाएं।
बच्चे में मैग्निशियम की कमी (Deficiency of Magnesium)
मैग्निशियम बच्चे के दांतों और हड्डियों को आकार देने में मदद करता है। मैग्निशियम की कमी से बच्चे की मांसपेशियों में ऐंठन होती है। थकान, माइग्रेन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि होता है।
मैग्निशियम की कमी को दूर करने के लिए बच्चे को संपूर्ण अनाज (Whole Grain), नट्स, डार्क चॉकलेट, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि देना चाहिए।
बच्चों में पोषक तत्वों की कमी के कारण कोई गंभीर समस्या न हो, इसके लिए इन सात मिनरल्स और विटामिन्स को बच्चे को देना जरूरी है। ऊपर बताए गए टिप्स को फॉलो करना आपके बच्चे के विकास के लिए मददगार साबित होगा।
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