आमतौर पर योग सभी के लिए लाभकारी होता है, कई बार तो इसकी मदद से हम कई गंभीर बीमारियों से भी बच जाते है। इसी तरह योग ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के लिए भी मददगार साबित होता है। जानें कैसे योग ऑटिस्टिक बच्चों का संतुलन और ध्यान केंद्रित करने में सहायता करता है।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से तनाव कम करने में लाभदायक है योग
बहुत से मामलों में पाया गया है कि ऑटिस्टिक बच्चे अकेले रहने कारण चिड़चिड़े रहते हैं। साथ ही समाज का व्यवहार कई बार इनके लिए तनाव का कारण बन सकता है। सांस लेने में परेशानी होने पर भी योग लाभदायक हो सकता है। योग में कराए जाने वाले अलग-अलग व्यायाम मन की शांति के लिए भी बहुत जरूरी हैं। इसके साथ ही योग ऑटिज्म से होने वाली अशांति का भी इलाज कर सकता है। ऑटिज्म के कुछ लक्षणों पर दवाओं से नियंत्रण पाया जा सकता है लेकिन इससे होने वाले भावनात्मक बदलावों के लिए योग से बेहतर इलाज संभव नहीं है।
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रैगडॉल मुद्रा : इस मुद्रा को करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और तनाव नहीं रहता। इस आसन को करने के लिए आपको पीठ के बल आगे की तरफ झुकाया जाएगा। इसमें तनाव में राहत मिलती है।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से संतुलन और ध्यान केंद्रित करने के लिए योग है गुणकारी
ऑटिज्म की अवस्था में शारीरिक संतुलन में कमी आ सकती है। इसके साथ योग करने से किसी भी काम में ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ जाती है। साथ ही योग की मदद से मस्तिष्क और हृदय का संतुलन भी बढ़ता है जिसकी वजह से बच्चे में नई चीजों को सीखने की उत्सुकता बढ़ती है। इसका उदाहरण है :
सूर्यनमस्कार : इस योगासन में हाथों को ऊपर करके कुछ देर के लिए खड़े होना होता है जिससे शरीर में संतुलन आता है। सूर्य की तरफ खड़े होने की वजह से आपको विटामिन-डी भी मिलता है जो की हड्डियों की मजबूती में कारगर है। सुबह के समय इस आसन को करने से शरीर में अत्यधिक ऊर्जा का संचार होगा और बच्चा सक्रिय महसूस करेगा।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से बढ़ती है शारीरिक क्षमता और लचीलापन बार
योग में कराए जाने वाले अलग -अलग प्रकार के व्यायाम शरीर को मजबूती देते हैं। ऑटिज्म की समस्या में अक्सर शरीर में अकड़न आ जाती है और लचीलापन खो जाता है। इसे वापस पाने के लिए योग सही उपाय है।
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वॉरियर मुद्रा : इस योगासन में आपके हाथों को छाती और कंधे से 90 डिग्री पर रखा जाता है। इससे शरीर में दर्द कम होगा और साथ ही आत्मविश्वास में भी वृद्धि होगी। ऑटिस्टिक बच्चों में योग खासकर वॉरियर मुद्रा लाभकारी होता है।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से सामाजिक सरोकार में भी मिलती है सहायता
ऑटिस्टिक बच्चों को सामाजिक रूप बहुत ज्यादा प्रताड़ना झेलनी पड़ती है जिसकी वजह से वे डरे हुए रहते है। योग करने से उनका मन शांत रहता है जिसकी वजह से वे अलग स्थितियों में अपने आप को संभाल पाएंगे। योग करते समय बच्चे अक्सर अपने गुरु के साथ अच्छे संबंध बना लेते हैं जिससे उन्हें अपने अकेलेपन में साथी भी मिल जाता है।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से अच्छी नींद के लिए भी योग है जरूरी
कैट काऊ मुद्रा : इस आसन के नाम के अनुसार ही शरीर को गाय के जैसे नीचे की ओर झुकाया जाता है। इस मुद्रा में अंदरूनी अंगों और स्पाइन को राहत मिलती है साथ ही गले में भी राहत मिलती है। अंदरूनी अंगों में राहत मिलने की वजह से नींद अच्छी आएगी। इसलिए ऑटिस्टिक बच्चों में योग विशेषकर कैट काऊ मुद्रा लाभकारी माना जाता है।
ऑटिस्टिक बच्चों में योग से आत्म विश्वास बढ़ाने और खुश रहने के लिए भी योग है जरूरी।
योग में आसनों के अलावा गानों से थेरिपी और गहरी सांसों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। योग और ध्यान की मदद से बच्चा बाहरी दुनिया के साथ अपने अंदर भी कई बदलाव महसूस करेगा। समय के साथ उसका नई चीजों के प्रति भय कम होगा और वह शांत और सुलझा हुआ दिखेगा। योग का शांत माहौल, ऑटिस्टिक बच्चों के विचलित मन को शांत करता है साथ ही बहुत तेज आवाज या फिर महक जिससे उन्हें परेशानी होती है उससे भी निपटने में उनकी सहायता करता है। ऑटिस्टिक बच्चों में योग से आत्म विश्वास को बढ़ाने का बेहतर विकल्प माना जाता है।
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ऑटिस्टिक बच्चों की खास देखभाल क्यों है जरूरी?
एक्सपर्ट्स के अनुसार ऑटिज्म एक व्यवहार संबधी समस्या है। जिसके लक्षण ऑटिस्टिक बच्चे को अन्य सामान्य बच्चों से अलग बना सकता है। इसके लक्षण वाले बच्चे सामान्य बच्चों की तरह नहीं होते हैं। ऐसे बच्चों में अक्सर गुमसुम रहना, किसी बात को कई बार दोहराना या रटते रहने की आदत देखी जा सकती है। इन बच्चों में माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ इमोशनल बॉन्डिंग में भी कमी हो सकती है। साथ ही, ऑटिस्टिक बच्चों के ब्रेन का विकास भी काफी पिछे रह सकता है। ऐसे में योग. मेडिटेशन और अन्य दवाओं के उपचार के लिए आप काफी हद तक अपने बच्चे को नई चीजें सिखा सकते हैं। योग के अलावा, आपको अपने ऑटिस्टिक बच्चे की देखभाल करते समय निम्न बातों का भी ध्यान रखना चाहिए, जैसेः
गैजेट्स से रखें दूर
मोबाइल फोन, टीवी या इसी तरह के अन्य उपकरण आपके बच्चे के ब्रेन के विकास को अधिक प्रभावित कर सकता है। अगर आप किसी डिजिटल गैजेट्स की मदद से अपने बच्चे को नई चीजें सीखाने या पढ़ाने की मदद लेते हैं, तो उसे गैजेट्स को आप अन्य उपकरण जैसे, बैटरी से चलने वाले खिलौनों की मदद ले सकते हैं। मार्केट में ऐसे कई खिलौने आसानी से मिल सकते हैं, जो सिर्फ एक बटन दबाने पर आपके बच्चे को काउंटिंग, ए-बी-सी, क-ख-ग आदि चीजों को सीखाने में मदद कर सकते हैं।
संतुलित रखें आहार
साथ ही, आपको ऑटिस्टिक बच्चों के खानपान पर भी खास ध्यान रखना चाहिए। उन्हें हमेशा घर पर बनें पौष्टिक आहार ही खाने के लिए दें। ऐसे बच्चों के लिए पैकेटबंद ड्रिंक्स, चिप्स या किसी भी तरह के प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए। क्योंकि, जंक फूड और पैकेटबंद खाद्य पदार्थों में प्रोसेसिंग के दौरान केमिकल्स का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो बच्चे के नर्वस सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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इशारों की भाषा पर फोकस करें
ऑटिस्टिक बच्चे बहुत ही कम बोलना पसंद करते हैं। इसलिए, उन्हें ज्यादा बातचीत करने के लिए कभी भी फोर्स न करें, लेकिन उनकी गुमसुम रहने की आदत को आप इशारों की मदद से कम कर सकती हैं। अगर आप बच्चे से किसी तरह का संवाद करना चाहते हैं, तो अपने बच्चे से इशारों में बात करने की कोशिश करें। इस तरह के रवैये पर आपका बच्चे का ध्यान अधिक केंद्रित हो सकता है और वह बातों को अच्छे से समझ भी सकेगा।
खुद को शांत रखें
ऑटिस्टिक बच्चें कभी भी किसी भी बात पर चिड़चिड़ा हो सकते हैं या गुस्सा कर सकते हैं। ऐसे में आपको खुद को शांत रखना चाहिए और बच्चे के गुस्से के कम करने का प्रयास करना चाहिए। खासकर तब जब आप किसी वजह से अपने बच्चे के साथ घर से बाहर कहीं घूमने या किसी तरह का ऑउट डोर गेम्स खेलने के लिए गए हों।
इस विषय में और अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। साथ ही, ऑटिस्टिक बच्चों में योग से और भी क्या फायदे हो सकते हैं, इसके बारे में भी आपको अपने डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए।
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