हर माता-पिता अपने बच्चे की ग्रोथ और विकास के लिए वो सब करते हैं, जो उन्हें करना चाहिए। हर बच्चा अलग होता है, ऐसे में हर बच्चे की ग्रोथ भी अलग-अलग तरह से होती है। यानी, कुछ बच्चे बोलना जल्दी शुरू करते हैं तो कुछ बच्चे देर से बोलते हैं। हालांकि, छोटे बच्चों की तोतली बोली सबको अच्छी लगती है लेकिन कई बार यह तोतलापन चिंता का कारण भी हो सकता है। अगर आपका बच्चा तोतला बोलता है, तो थोड़ा बड़ा होने पर उसे शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ सकता है। आज हम एक ऐसे ही विकार के बारे में बात करने वाले हैं जिसे Lisp या लिस्पिंग (Lisping) कहा जाता है। आइए, जानिए हैं क्या हैं Lisp की यह समस्या और किस तरह से हो सकता है इसका उपचार?
Lisp या लिस्पिंग किसे कहा जाता है? (Lisp and Lisping)
Lisp एक फंक्शनल स्पीच डिसऑर्डर (Functional Speech Disorder) ,है जिसमें बच्चे को सिबिलेंट कॉन्सोनेंट साउंड्स (Sibilant consonant sounds) खासतौर एस (S) और जेड (Z) को बोलने में समस्या होती है। Lisp यानी लिस्पिंग (Lisping) का अर्थ होता है तुतलाना। कई बच्चे स्पीच डेवलपमेंट (Speech development) की कुछ खास स्टेजेज पर इस समस्या का सामना करते हैं। खासतौर पर, जब उनके सामने वाले दो दांत टूट जाते हैं। इसलिए, Lisp या लिस्पिंग (Lisping) को कई बार डेवलपमेंटल फोनेटिक डिसऑर्डर (Developmental phonetic disorder) भी कहा जाता है। कई बार फंक्शनल स्पीच डिसऑर्डर्स से पीड़ित बच्चों को भी अन्य साउंड्स निकालने में समस्या हो सकती है जैसे श (Sh), आई (I), आर (R) और च (Ch) आदि।
जब बच्चा इन साउंड्स को सही से नहीं निकाल पाता है, तो इसे आमतौर पर Lisp नहीं माना जाता है। बल्कि, यह एक फंक्शनल स्पीच डिसऑर्डर (Functional speech disorder) है। Lisp की समस्या बेहद सामान्य है और लगभग 23 प्रतिशत लोग जीवन में कभी न कभी इस समस्या से अवश्य प्रभावित होते हैं। अगर आपके पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों को Lisp और लिस्पिंग (Lisping) की समस्या है, तो आपको तुरंत स्पीच थेरेपिस्ट (speech therapist) से बात करनी चाहिए। स्पीच थेरेपी में प्रयोग होने वाली कुछ खास एक्सरसाइजेज से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। अब जानते हैं Lisp के प्रकारों के बारे में।
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Lisp और लिस्पिंग के प्रकार कौन से हैं? (Types of Lisp)
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर्स (National Institute on Deafness and Other Communication Disorders) के अनुसार 6 में से 1 व्यक्ति को यह डिसऑर्डर होने की संभावना रहती है। इसका इलाज इसके प्रकार पर निर्भर करता है। यह हैं इसके प्रकार:
- लेटरल (Lateral): इसमें जीभ के आसपास एयरफ्लो के कारण वेट साउंड लिस्पिंग (Lisping) पैदा होती है।
- डेंटलाइज्ड (Dentalized): यह समस्या तब पैदा होती है जब जीभ आगे के दाँतों पार अधिक दबाव देती है।
- इंटरडेंटल या फ्रंटल (Interdental or frontal): इसके कारण एस और जेड साउंड्स बनाने में समस्या होती है। ऐसा फ्रंट टीथ के स्पेस में जीभ के दबाव के कारण होता है। ऐसा उन छोटे बच्चों में सामान्य है जिसके आगे के दो दांत टूट चुके होते हैं।
- पेलेटल (Palatal): इसके कारण एस साउंड बनाने में मुश्किल होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीभ तालु को टच करती है।
इन स्थितियों से निपटने में स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) आपकी मदद कर सकते हैं। इससे आपका बच्चा सही से साउंड्स का उच्चारण कर पाने में सक्षम होता है। अब जानिए क्या हैं इस समस्या के कारण ?
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Lisp के कारण (Causes of Lisp)
फंक्शनल स्पीच डिसऑर्डर (Functional speech disorder) के रूप में लिस्पिंग (Lisping) के कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। इसे स्पीच डिले (Speech Delay) के रूप में भी जाना जाता है। जीभ, दांतों आदि के स्ट्रक्चरल इर्रेगुलेरिटीज के कारण भी यह समस्या हो सकती है। यह परेशानी किसी को भी हो सकती है। Lisp या लिस्पिंग (Lisping) को एमेच्योर डेवलपमेंट से भी जोड़ा जाता है। कुछ बच्चे अटेंशन पाने के लिए भी तुतला सकते हैं। लेकिन, कुछ बच्चों में इसका कारण असाधारण स्ट्रेस या ट्रॉमा हो सकता है। इसके अलावा भी इसके अन्य कई कारण हो सकते हैं। इसका एक कारण टंग थ्रस्टिंग (Tongue thrusting) हो सकती है, जो एक फिजियोलॉजिकल बिहेवियर (Physiological behavior) है। अब जानते हैं इसके निदान के बारे में।
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Lisp का निदान (Diagnosis of Lisp)
इसके निदान के लिए डॉक्टर यह जानने की कोशिश करेंगे क्या आपके बच्चे के मुंह में स्ट्रक्चरल इर्रेगुलेरिटीज़ (Structural irregularities) हैं या बच्चे को सुनने में समस्याएं हैं? इसके साथ ही अगर आपके बच्चे को एलर्जी और नाक संबंधी समस्या है तो उसका इलाज भी किया जा सकता है। हालांकि, स्पीच साउंड बनाने के लिए बच्चे की क्षमता का सही मूल्यांकन स्पीच-लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट (speech-language pathologist) द्वारा किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इसके निदान के लिए डॉक्टर बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री को भी जांचते हैं।
इसके निदान के लिए स्पीच-लैंग्वेज पैथोलोजिस्ट (speech-language pathologist) बच्चे के मुंह की एनाटॉमी की जांच करेंगे और इसके साथ ही इसकी मूवमेंट की भी जांच की जाएगी। यही नहीं, बच्चे की स्पीच और रीडिंग को बाद में एनालिसिस के लिए रिकॉर्ड किया जाता है, ताकि बच्चे की वॉइस की क्वालिटी को भी जांचा जा सके। इसके निदान के बाद इसका उपचार जरुरी है। जानिए Lisp या लिस्पिंग (Lisping) के उपचार के बारे में।
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Lisp या लिस्पिंग का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Lisp)
अधिकतर Lisp की समस्या डेवलपमेंटल होती है और जब बच्चे पांच से आठ साल के होते हैं, तो खुद ही यह समस्या ठीक हो जाती है। अगर यह इससे अधिक देर तक रहती है और किसी खास तरह की है तो स्पीच थेरेपी (Speech therapy) की सलाह दी जाती है। स्पीच थेरेपी का परिणाम आमतौर पर अच्छा होता है। किसी खास थेरेपी और Lisp के प्रकार के अनुसार इसका उपचार शॉर्ट टर्म होता है और कुछ ही महीनों में ठीक हो जाता है। लेकिन, कुछ मामलों में इसमें एक साल या इससे अभी अधिक समय लग सकता है। जानिए इस समस्या से राहत पाने के कुछ तरीकों के बारे में।
लिस्पिंग के बारे में जानकारी (Awareness of lisping)
कुछ लोगों खासतौर पर बच्चों को Lisp के बारे में जानकारी नहीं होती है। वो अपने उच्चारण में असामान्यता के बारे में नहीं जान पाते हैं। ऐसे में, स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) रोगी में इम्प्रॉपर प्रनन्सीएशन (Improper pronunciation) को पहचानने और बोलने के सही तरीके को आयडेंटिफाय करने में मदद कर सकते हैं। अपने बच्चे के लिए माता-पिता घर पर भी इस तकनीक का उपयोग कर सकते हैं।
टंग प्लेसमेंट (Tongue placement)
जब Lisp यानी लिस्पिंग (Lisping) टंग प्लेसमेंट (Tongue Placement) से बहुत अधिक प्रभावित होती है। ऐसे में, आपके स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) यह पहचानने में मदद कर सकते हैं कि जब आपका बच्चा कोई खास साउंड निकलने की कोशिश कर रहा हो तो उस दौरान आपके बच्चे कि टंग कहां लोकेटेड होती है।
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वर्ड असेसमेंट (Word assessment)
जब आपका बच्चा कुछ कॉन्सोनेंट्स बनाने की कोशिश करते हैं, तो उसकी जीभ की स्थिति का अंदाजा लगाने के लिए उसके स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) उससे अलग-अलग शब्दों का अभ्यास कराएंगे। अगर आपके बच्चे को यह समस्या है, तो इसके प्रकार व उस साउंड्स जिसे लेकर आपको परेशानी है उसे पहचाने के बाद स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) आपके बच्चे से शब्दों का अभ्यास कराएंगे। इनका अभ्यास करना बेहद जरूरी है।
बातचीत (Conversation)
बच्चे का दूसरों से साथ बात करना भी लिस्प की समस्या से राहत पाने का आसान तरीका है। इस स्टेज पर आपका बच्चा आपके या अन्य लोगों के साथ बिना तुतलाये बात कर सकता है। लेकिन, बातचीत की यह तकनीक नेचुरल होनी चाहिए। इसके लिए आप अपने बच्चे को कोई कहानी सुनाने या किसी घटना का वर्णन करने के लिए कह सकते हैं।
आर्टिकुलेशन थेरेपी (Articulation therapy)
Lisp यानी लिस्पिंग (Lisping) की समस्या को दूर करने के लिए एक थेरेपी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है जिसे अर्टिकुलेशन थेरेपी कहा जाता है। आर्टिक्यूलेशन थेरेपी इंटरवेंशन का एक रूप है जो स्पीच क्लेरिटी में सुधार के लिए स्पीच साउंड्स के सही प्रोडक्शन पर केंद्रित है। स्पीच-लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट (Speech-Language Pathologists) हायली ट्रेंड प्रोफेशनल होते हैं, जो आर्टिक्यूलेशन की समस्याओं सहित विभिन्न प्रकार की स्पीच और लैंग्वेज की कठिनाइयों का आकलन करने और उन्हें दूर करने का काम करते हैं।
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यह तो थी Lisp यानी लिस्पिंग (Lisping) के बारे में जानकारी। आप यह तो जान ही गए होंगे कि यह एक कॉमन स्पीच इम्पीडिमेंट है (common speech impediment) जिसके लक्षण अधिकतर बचपन में नजर आते हैं। ऐसे में बचपन में ही इस समस्या का उपचार होना बेहतर है। लेकिन, बाद में भी इसका इलाज संभव है। स्पीच थेरेपिस्ट (Speech Therapist) इस समस्या से छुटकारा पाने में मददगार साबित हो सकते हैं। वो न केवल इस समस्या का उपचार करते हैं बल्कि प्रभावित बच्चे या वयस्क के आत्मविश्वास को बढ़ाने में भी मदद कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे या परिवार के किसी अन्य सदस्य को यह समस्या है, तो शर्मिंदगी महसूस न करें। बल्कि, तुरंत डॉक्टर से बात करें ताकि वो आपका सही मार्गदर्शन कर सकें।
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