कुछ लोग बच्चों को अपने साथ सुलाना सही समझते हैं तो वहीं बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि बच्चों को अलग सुलाना बेहतर होता है। माता-पिता का बच्चों के साथ सोना ‘को-स्लीपिंग’ कहलाता है। कई शोध से पता चलता है कि माता-पिता का बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) न केवल उनके बचपन के लिए बेहतर है बल्कि बच्चों के आने वाले भविष्य के लिए भी इसके बहुत फायदे हैं। मां बाप का बच्चों के साथ सोने से सुरक्षा से जुड़ा जोखिम तो कम होता ही है। साथ ही को-स्लीपिंग से पेरेंट्स और बच्चों का रिश्ता भी गहरा होता है। वहीं कुछ लोगों का मानना होता है कि बच्चों के साथ सोना गलत है, तो बच्चों के साथ सोने से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स जान लेना भी होगा जरूरी।
बच्चों के साथ सोना इस तरह से फायदेमंद हो सकता है (Sleeping with kids can be beneficial in this way)
पेरेंट्स का बच्चों के साथ सोना उन्हें बनाता है इंडिपेंडेंट (Sleeping with parents makes them Independent)
माता-पिता का उनके बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) केवल सुकून की रात से ज्यादा होता है। ये केवल उन रातों के लिए नहीं है जब आपके बच्चों को आपकी जरूरत रही होगी। लेकिन, यह लंबे समय तक बच्चे के लिए मददगार हो सकता है। जब टॉडलर्स अपने माता-पिता के साथ सोते हैं, तो वह खुद को ज्यादा स्वतंत्र महसूस करते हैं। इससे उनके मन में किसी तरह का भय नहीं रहता। नेचुरल पेरेंट नेटवर्क के अनुसार, जो बच्चे माता-पिता के साथ सोते हैं वे उन बच्चों की तुलना में ज्यादा इंडिपेंडेंट होते हैं, जो अपने माता-पिता के बिना सोते हैं।
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बच्चे पेरेंट्स के पास होना करते हैं फील
डॉक्टर्स के अनुसार, माता-पिता और बच्चों का साथ सोना उनके बीच के संबंध को गहरा करता है। शारीरिक रूप से करीब होना और मां बच्चे के बीच स्पर्श की शक्ति दोनों के बीच एक गहरा रिश्ता कायम करती है। बच्चा मां के उस एहसास को महसूस करता है जो दोनों के बीच में मजबूत रिश्ता बनाता है।
बच्चों के साथ सोना उनकी इम्यूनिटी बढ़ाता है (Sleeping with kids boosts their immunity)
को-स्लीपिंग की वजह से टॉडलर्स में तनाव कम होता हैं और कम तनाव का मतलब है हेल्दी टॉडलर। अमेरिका के नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट के अनुसार, एक अध्ययन के दौरान बच्चों में स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल को मापाने पर पाया गया कि माता पिता के साथ सोने वाले बच्चों में कोर्टिसोल का स्तर कम था। माता-पिता और बच्चों का साथ सोना इस तरह बच्चों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है। तो आप भी अगर बच्चों को अलग सुलाते हैं तो आज से ही उन्हें साथ सुलाना शुरू कर दें।
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को-स्लीपिंग (Co-Sleeping) से भावनात्मक रूप से मजबूत होते हैं बच्चे
बच्चों की पेरेंटिंग के कई तरीके हैं और अपने बच्चे के साथ को-स्लीपिंग आपकी पेरेंटिंग को बेहतर बनाने के लिए सबसे सरल तरीकों में से एक हो सकता है। साइकोलॉजी टुडे के अनुसार, माता-पिता का बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) उनके भावनात्मक स्तर को बढ़ावा दे सकता है।
बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) मां को भी रखता है खुश
को-स्लीपिंग एक व्यक्तिगत पसंद है। पूरे परिवार का साथ सोना रिश्तों को मजबूत बनाता है। मां और बच्चे का साथ में सोना सिर्फ बच्चे को अच्छा महसूस नहीं कराता बल्कि मां को भी खुशी पहुंचाता है।
अगर आपका बच्चा आपके साथ सो रहा है और आपको इससे खुशी मिलती है तो आप इस रुटिन को आगे भी फॉलो कर सकते हैं। अगर एक मां खुश है, तो इससे एक खुशहाल घर बनता है और ऐसे माहौल में बच्चों पर सकारात्मक फर्क पड़ता है।
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को-स्लीपिंग (Co-Sleeping) से बच्चों को आती है अच्छी नींद
माता पिता के साथ सोने से बच्चों को अकेले सोने से बेहतर नींद आती है। एक शोध के अनुसार जब बच्चे माता-पिता के साथ को-स्लीप करते हैं, तो बच्चे अक्सर ज्यादा सोते हैं। अगर बच्चे रात को बीच में जागते हैं, तो उन्हें इस बात से सुकून रहता है कि उनके पेरेंट्स उनके आस-पास में है। इससे उनमें किसी तरह डर की भावना नहीं होती। वह सेफ महसूस करते हैं। इसी तरह किसी रात अगर बच्चा कोई बुरा सपना देखकर डर जाए तो उठने पर वह पहले से ज्यादा सहम जाएगा लेकिन उसके माता पिता उसके साथ होंगे तो वो उसे तुरंत गले लगाकर सुला देंगे।
पेरेंट्स का बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) उन्हें रखता है खुश
उस व्यक्ति के बगल में जागना और दिन की शुरुआत करना, जिसे आप सबसे ज्यादा प्यार करते हैं इससे ज्यादा सुखद और क्या हो सकता है। बच्चा दिन में सबसे पहले अपनी मां को देखता है, तो वह पूरा दिन खुश और रिफ्रेश रहता है। कई शोधों में भी इस बात की पुष्टी हुई है।
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बच्चों के साथ सोने (Sleeping with kids) के लिए उनकी पसंद का भी रखें ध्यान
अगर आप को-स्लीपिंग को फॉलों करते हैं, तो ध्यान दें कि जिस सोच से आप ये करते हैं वह बच्चा भी सोचें। ध्यान रखें कि बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) केवल माता-पिता के लिए नहीं बल्कि आपके बच्चे की जरूरतों को भी पूरा करे। अगर आप सिंगल पेरेंट है या आपके पति या पत्नी अक्सर घर से दूर रहते हैं, तो आपको अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए अपने बच्चे को अपने साथ सोने की आदत नहीं लगानी चाहिए।
अगर माता-पिता अपने बच्चों के साथ इसलिए सोते हैं क्योंकि उन्हे लगता है ऐसे सोने से उन्हें जल्दी नींद आएगी, तो अभी देर नहीं हुई है। को-स्लीपिंग अच्छी आदत है लेकिन, सिर्फ जब आपका बच्चा भी यही चाहता हो। उसकी मर्जी के बिना ये करना उसे गुस्सैल और चिड़चिड़ा बना सकता है। इसलिए यह पता लगाएं कि आपका बच्चा क्या चाहता है और उसी अनुसार उसका ध्यान रखें।
पढ़ाई पर नहीं पड़ता कोई असर
को-स्लीप के बारे में अफवाहे हैं, कि जो बच्चें अपने माता-पिता के साथ सोते है, वो पढ़ने में कमजोर होते हैं। हालांकि, अलग-अलग रिसर्च से पता चलता है कि यह अफवाहें गलत हैं। एक पेरेंटिंग मैगजीन ने अपने शोध में कहा है कि माता-पिता का बच्चों के साथ सोना (Sleeping with kids) उनकी पढ़ाई या दूसरी सामाजिक स्किल पर कोई निगेटिव असर नहीं डालता।
हमेशा सोते समय माता-पिता के साथ रहने से बच्चों में मजबूत “स्लीप ऑनसेट एसोसिएशन” की परेशानी हो सकती है, जिसे स्लीप क्रच (sleep crutch) या स्लीप प्रॉप (sleep prop) भी कहा जाता है, जिसका मतलब है कि ऐसी कोई आदत, जिसके बिना आपके बच्चे का काम नहीं चलता।
उम्मीद करते हैं कि बच्चों के साथ सोने (Sleeping with kids) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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