अक्सर महिलाओं के मन में सवाल आता है कि पहले और दूसरे बच्चे के बीच में अंतर कैसे रखा जाए? इस सवाल का समाधान भी आपके ही पास है। अगर मां नियमित रूप से बच्चे को स्तनपान (Breastfeeding) कराती हैं, तो वह बहुत हद तक अनचाहे गर्भधारण (Unwanted Pregnancy) से बच सकती हैं। काशी मेडिकेयर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिप्रा धर ने हैलो स्वास्थ्य को बताया कि इसे गर्भ निरोध का सुरक्षित तरीका तो नहीं कहा जा सकता है लेकिन, फिर भी यह बहुत हद तक कारगर साबित होता है। आज हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में बताएंगे कि अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए किस तरह ब्रेस्टफीडिंग काम करती है। जानिए अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए ब्रेस्टफीडिंग किस तरह फायदा करती है।
स्तनपान कैसे करता है अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी (Unwanted Pregnancy) से बचाव?
स्तनपान के दौरान अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के कई कारण हैं, जैसे- हॉर्मोन, माहवारी का न आना आदि। मेडिकल साइंस की भाषा में हम इसे लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड भी कहते हैं। जब महिलाएं बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो उनके शरीर में ऐसे बदलाव आते हैं, जो ज्यादातर हॉर्मोन में बदलाव के कारण होते हैं। यही कारण है महिलाएं अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से दूर हो सकती हैं।
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactation Aminorrhea Method) क्या है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड को शॉर्ट में एलएएम भी कहते हैं। इसे स्तनपान गर्भनिरोधक विधि के तौर भी जाना जाता है। इस वजह से अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी यह स्वतः होने वाली एक प्रक्रिया है। डिलिवरी के तुरंत बाद महिला के योनि से रक्तस्राव शुरू हो जाता है, जो लगभग एक माह तक चलता रहता है। वहीं, मां द्वारा बच्चे को जन्म के तुरंत बाद से ही स्तनपान कराया जाता है जो कि मां के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। एक माह रक्तस्राव के बाद मां को आने वाले कुछ माह (लगभग पांच या छह महीने) तक माहवारी नहीं आती है। जिससे गर्भधारण होने का जोखिम कम हो जाता है।
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (Lactation Aminorrhea Method) कितना प्रभावी है?
लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। डॉ. शिप्रा धर ने बताया कि स्तनपान के दौरान 70 फीसदी गर्भधारण न करने की संभावना होती है। लेकिन, 30 प्रतिशत तक की संभावना होती है कि स्तनपान के दौरान मां को गर्भधारण हो सकता है। ऐसे में स्थाई उपाय यही है कि मां को डिलिवरी के तीन महीने के बाद से गर्भनिरोधक उपायों को अपनाना शुरू कर देना चाहिए, जिसमें गर्भ निरोधक गोलियां, कॉपर टी, गर्भ निरोधक इंजेक्शन और कंडोम शामिल है।
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स्तनपान (Breastfeeding) के दौरान हॉर्मोंस की भूमिका
डिलिवरी के बाद जब मां स्तनपान शुरू कराती है तो उसके शरीर में प्रोलैक्टिन हॉर्मोन (Prolactine Hormone) बनते है। ये हॉर्मोन मां को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित करता है और दुग्ध उत्पादन में मदद करता है। प्रोलैक्टिन हॉर्मोन बनने से ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन, फॉलिकल स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन नहीं बन पाते हैं। ये सभी हॉर्मोन गर्भधारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। अगर मां बच्चे को नियमित रूप या सही तरीके से स्तनपान नहीं करा रही है, तो प्रोलैक्टिन हॉर्मोन की अनियमितता हो जाती है और गर्भधारण होने का जोखिम बढ़ जाता है।
माहवारी (Periods) का न आना
डिलिवरी के तुरंत बाद मां की योनि से लगभग एक माह तक रक्तस्राव होता रहता है, जिसमें बच्चेदानी से दूषित रक्त निकल जाता है। इस तरह से आगे आने वाले महीनों में महिला को माहवारी नहीं आती है। इसके लिए भी प्रोलैक्टिन हॉर्मोन जिम्मेदार है। माहवारी न आने से मां स्तनपान के दौरान भी गर्भधारण नहीं कर सकती है, जिससे अनचाही प्रेग्नेंसी का जोखिम कम हो जाता है।
दो बच्चों में कितने समय का अंतर होना चाहिए?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक दो बच्चों में कम से कम दो साल का अंतर होना चाहिए। इसलिए डिलिवरी के बाद अस्पतालों में डॉक्टर बच्चों में अंतर के उपायों के बारे में बताते हैं। बच्चों में दो साल का अंतर रखने से मां का स्वास्थ्य अगले बच्चे को जन्म देने के अनुकूल बन जाता है। अगर आप दो बच्चों के बीच कम से कम दो साल का अंतर रखेंगी तो ये न सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा, बल्कि दोनों बच्चों की परवरिश के लिए भी बेहतर रहेगा। इसलिए अगर आप दूसरी प्रेग्नेंसी प्लान करना चाहती हैं तो कम से कम दो साल का अंतर जरूर रखें।
स्तनपान से नहीं होता है ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)
स्तनपान कराने से मां और बच्चे की सेहत तो बनी ही रहती है लेकिन, मां को इसका फायदा कुछ ज्यादा ही होता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर मां डिलिवरी से लेकर आठ माह तक बच्चे को स्तनपान कराती है तो मां में ब्रेस्ट ट्यूमर और ब्रेस्ट कैंसर जैसी घातक बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है। इसके साथ ही मां को सांस संबंधी और मानसिक रोग जैसी बीमारी नहीं होती है। नियमित और सुरक्षित स्तनपान कराने से बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। जिससे बच्चा स्वस्थ रहता है। तो अगर आप अपने बच्चे को नियमित रूप से स्तनपान कराती हैं, तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा काफी कम हो जाता है। यही कारण है कि डॉक्टर भी महिलाओं को मां और बच्चे दोनों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ब्रेस्टफीडिंग कराने की सलाह दिया करते हैं।
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इस तरह से आप लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड (LAM) के साथ ही अन्य गर्भनिरोधक उपायों को अपना कर अपने बच्चों के अंतर को बना सकती हैं। सिर्फ लैक्टेशन एमिनॉरिया मैथेड पर निर्भर रहना आपको अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी दे सकता है। इसके लिए एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। जिससे आप और शिशु दोनों स्वस्थ रहेंगे।
तो अगर आप अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचना चाहते हैं तो ब्रेस्टफीडिंग से आपकी मदद हो सकती है। लेकिन कोशिश यही करें कि अगर आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान प्रेग्नेंसी प्लान करना चाहते हैं, तो दोनों बच्चों के बीच कम से कम दो साल का अंतर जरूर रखें।
उम्मीद करते हैं आपको ठीक से समझ आ गया होगा कि आखिर अनवॉन्टेड प्रेग्नेंसी से बचने के लिए ब्रेस्टफीडिंग किस तरह मदद करती है। लेकिन अगर फिर भी आपके मन में इससे जुड़े अन्य कोई और भी सवाल हैं, तो हमसे हमारे फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर पेज पर जरूर पूछें। हम आपके सभी सवालों के जवाब डॉक्टर की सलाह लेकर बताने की पूरी कोशिश करेंगे। अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ शेयर जरूर करें।
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