टेटिनस की बीमारी से बचाव के लिए टेटिनस का टीका लगवाना बहुत जरूरी है। यह आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान और बच्चों को छोटी उम्र में ही दिया जाता है। टेटिनस की वैक्सीन लगवानी बहुत जरूरी है, क्योंकि ऐसा करने पर आगे चलकर यह बहुत घातक साबित हो सकती है। टेटिनस सीधा हमारे नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है, ऐसे में यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाए तो मरीज के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।
टेटिनस क्या है?
क्लॉस्ट्रिडियम टेटानी नामक बैक्टीरिया टेटिनस का संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार है। जो धूल-मिट्टी, जंग लगी चीजों और गंदगी में पाया जाता है और यह बैक्टीरिया आमतौर पर घाव, चोट के कारण त्वचा छिल जाने पर शरीर में उस जगह से प्रवेश करके व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। अक्सर आने लोगों को कहते सुना होगा कि लोहे से कट जाने या चोट लग जाने पर टेटिनस का इंजेक्शन लगवाना जरूरी है, वह इसलिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके। यदि संक्रमण बढ़ने लगता है तो जबड़े की मसल्स में ऐंठन आने लगती है जिससे पीड़ित को कुछ भी निगलने में परेशानी होती है और मुंह खोलना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए टिटनेस को लॉकजॉ भी कहा जाता है। धीरे-धीरे संक्रमण पूरे शरीर की मांसपेशियों में फैल जाता है जिससे ऐंठन होने लगती है। टिटनेस का संक्रमण किसी जानवर के काटने, जलने या नॉन स्टेराइल इंजेक्शन से भी हो सकता है। इसके लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते है, उसे उभरने में 3 से 8 दिन लग सकते हैं।
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टेटिनस (Tetanus)के लक्षण?
आमतौर पर टेटिनस संक्रमण के लक्षणों को दिखने में 3 दिन से लेकर 3 हफ्ते तक का भी समय लग सकता है। इसके आम लक्षणों में शामिल है।
- शरीर में दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन।
- बार-बार पेशाब जाना
- जबड़े जाम होना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- निगलने में परेशानी होना
- हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट बीट तेज चलना
- सिरदर्द
- संक्रमण यदि बहुत बढ़ गया है तो पीड़ित का दम भी घुट सकता है।
टेटिनस वैक्सीन (Tetanus vaccine) के प्रकार
व्यस्कों को आमतौर पर बांह पर टेटिनस का टीका लगाया जाता है। जबकि बच्चों को बांह या जांघ पर। टिटनेस वैक्सीन 4 अलग-लग प्रकार की है जो टिटनेस के साथ ही अन्य बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करती है। किसी व्यक्ति को कौन सी वैक्सीन दी जाएगी यह उसकी उम्र और वैक्सीन की स्थिति पर निर्भर करता है।
DTaP वैक्सीन- यह नवजात शिशु और छोटे बच्चों को डिप्थेरिया, टेटिनस और काली खांसी से बचाव के लिए दिया जाता है।
DT वैक्सीन- यह उन नवजात शिशु और छोटे बच्चों को दिया जाता है जिन्हें काली खांसी के टीके से बुरा रिएक्शन होता है। यह वैक्सीन सिर्फ टेटिनस और डिप्थेरिया से बचाव प्रदान करती है।
Tdap वैक्सीन- यह बड़े बच्चों और व्यस्कों को दिया जाता है। यह डिप्थेरिया,टेटिनस और काली खांसी से बचाव करता है।
Td वैक्सीन- यह बड़े बच्चों और व्यस्कों को दिया जाने वाला बूस्टर शॉट है जो डिप्थेरिया औरटेटिनस से बचाव करती है।
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टेटिनस वैक्सीन कब दी जाती है?
बच्चों को आमतौर पर DTaP या DT वैक्सीन की 5 डोज दी जाती है, जो 2 महीने, 4 महीने, 6 महीने, 15 से 18 महीने के बीच और 4 से 6 साल के बीच दिया जाता है। इसके बाद Tdap का एक डोज 11 से 12 साल के बीच और Td बूस्टर हर 10 साल में दिया जाता है।
यदि आपको बचपन में टिटनेस का टीका नहीं लगा है, तो आपको 3 डोज की सीरीज के रूप में वैक्सीन दी जाएगी जिसमें पहली डोज Tdap की और दो डोज Td की शआमिल है। ये वैक्सीन आपको 7 से 12 महीनों के अंदर गी जाएगी। इसके बाद आपको हर 10 साल में Td बूस्टर वैक्सीन लगवाने की जरूरत है।
प्रेग्नेंसी के तीसरे चरण में महिलाओं को Tdap की अतिरिक्त डोज लेने की सलाह दी जाती है ताकि वह और उनका बच्चा संक्रमण से बचा रहे।
टेटिनस वैक्सीन किसे लगवान चाहिए?
आपको टिटनेस वैक्सीन लगवाने की जरूरत है यदि-
- बचपन में आपको टिटनेस की वैक्सीन नहीं लगी है
- पिछले 10 सालों में टिटनेस बूस्टर नहीं लिया है
- टिटनेस से रिकवर हुए हैं
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चोट लगने पर टिटनेस का इंजेक्शन बहुत जरूरी होता है। लेकिन इस बार लोग चोट लगने पर इसे इग्नोर कर देते हैं, कि छोटी सी चोट है। पर ऐसा नहीं करना चाहिए, लोहे या किसी धातु से चोट लगने के बाद टिटनेस का इंजेक्शन लगवाना बहुत जरूरी है। नहीं तो, आपकी जान को भी खतरा हो सकता है। टिटनेस के जीवाणु मिट्टी, खाद या धूल में पाए जाते हैं। शरीर में किसी हिस्से में चोट या घाव होने पर यह जीवाणु वहीं रह जाते हैं और शरीर में संक्रमण पैदा कर देते हैं। ये खासकर उन जगाहों पर होता है, जहां गंदगी होती है। बच्चों को चाेट लगने पर इसका टीकाकरण जरूर करवाएं। इससे उनके शरीर में टिटनेस के लिए एंटीबॉडी विकसित हो जाएंगे। यदि बचपन में आपका टिटनेस का टीकाकरण नहीं दिया गया था, तो अब आप टिटनेस का टीकाकरण करवा लें। यह टीकाकरण 3 चरणों में होता है – पहले टीके को देने के बाद, दूसरा टीका 4 सप्ताह बाद दिया जाता है और तीसरा टीका, 6 से 2 सप्ताह बाद लगाया जाता है।
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टेटिनस वैक्सीन किसे नहीं लगवानी चाहिए?
यदि आपको Tdap की पहली डोज के बाद गंभीर एलर्जी हुई हो, तो आपको इसकी अगली डोज नहीं लेनी चाहिए। पिछली बार Tdap वैक्सीन लेने के एक हफ्ते यादि आप कोमा में गए हों या सिजर की समस्या हुई हो तो आपको आगे यह वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए। यदि आपको नर्वस सिस्टम से जुड़ी कोई दूसरी समस्या, पिछले टिटनेस वैक्सीन के दौरान तेज दर्द या सूजन की समस्या हुई हो तो इस बारे में डॉक्ट से बात करें। बीमार होने पर भी टिटनेस का टीका नहीं लगवाना चाहिए।
एक्सपर्ट की राय
इस बारे में सहानी नर्सिंग होम की ग्यानेकलॉजिस्ट डाक्टर संतोष सहानी का कहना है कि आज भी कई गर्भवती महिलाओं को ये नहीं पता होता है कि टिटनेस का इंजेक्शन उनके और अपने पेट में पल रहे बच्चे के लिए कितना जरूरी होता है। इसीलिए डॉक्टर द्वारा गर्भवती महिला को पहले ही चेकअप के दौरान डॉक्टर द्वारा इस वैक्सीन दी जाती है। अगर उस दौरान टीटी वैक्सीन मां को नहीं दी जाती है, तो गभर्वती महिला और बच्चे दाेनों के लिए भविष्य में संकट का कारण हो सकता है। इसके लिए किसी व्यक्ति को चोट लगने पर भी इसका इंजेक्शन तुरंत लेना चाहिए, उसे अंनदेखा न करें। नहीं तो, ऐसे में जान का खतरा हो सकता है। अगर आपने चोट लगने से कुछ ही सप्ताह पहले ही इंजैक्शन लिया था, जो उस स्थिति में एक बार अपने डॉक्टर से सलाह ले लें कि क्या करना है। आपकी छोटी-छोटी समझदारी आपको कई शारीरिक संकटों से बचा सकती हैं। इसलिए टिटनेस के वैक्सीन को समय रहने जरूर लेना चाहिए, यह बहुत जरूरी है।
टेटिनस वैक्सीन के जोखिम और साइड इफेक्ट
टिटनेस से बचाव के लिए टिटनेस की वैक्सीन लगवानी बहुत जरूरी है, लेकिन कभी-कभी इसका मामूली साइड इफेक्ट भी हो सकता है।
- इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन, लाल होना या दर्द होना
- बुखार
- बदनदर्द या सिरदर्द
- थकान
- उल्टी, मितली या डायरिया
- भूख न लगाना
- छोटे बच्चे ज्यादा नखरने करने लगते हैं
दुर्लभ मामलों में छोटे बच्चों को DTap वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट हो सकता है जैसे-
- सिजर्स
- 105 डिग्री से अधिक बुखार
- 3 घंटे या उससे अधिक समय तक लगातार रोना
- जहां इंजेक्शन लगा है उस पूरे हाथ या पैर में सूजन
अति गंभीर एलर्जिक रिएक्शन भी बहुत दुर्लभ है और यह वैक्सीन लगने के कुछ ही मिनटों के अंदर हो सकता है। लक्षणों में शामिल है-
- त्वचा का फूलना, खुजली या सूजन
- हाइव्स
- सांस लने में परेशानी या श्वसन संबंधी अन्य समस्या
- मुंह और गले में सूजन
- उल्टी, मतली, डायरिया या पेट में मरोड़
- चक्कर आना, लो ब्लड प्रेशर, धड़कन बढ़ना
- बेहोश होना
गंभीर रिएक्शन होने पर तुरंत इमरजेंसी नंबर पर फोन करें या डॉक्टर के पास जाएं और उन्हें बताएं कि बच्चे को वैक्सीन कब लगी थी।
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टेटिनस इंजेक्शन अधिक डोज होने पर दिखने वाले लक्षण
अगर आपको डॉक्टर द्वारा टिटनेस इंजेक्शन की अधिक डोज दे दी गई है, तो आपें इस तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे कि –
- चक्कर आना
- बेचैनी महसूस होना
- बुखार आ जाना
- मितली
- भूख नहीं लगना
- शरीर पर रेशैज होना
एक्सपायर्ड टिटनेस इंजेक्शन होने पर
अगर डॉक्टर द्वारा आपको गलती से एक्सपायर्ड इंजेक्शन दे दिया गया है तो, आपमें असहज और अपनी शरीरिक हालत को खराब महसूस कर सकते हैं, जैसे कि घबराहट, तनाव और बुखार जैसे कई लक्षण हो सकते हैं। ऐसा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें, इसे अंदेखा न करें।
क्यों जरूरी है टेटिनस की वैक्सीन?
टिटनेस बेहद गंभीर संक्रमण है जिसका असर हमारे नर्वस सिस्टम पर होता है। समय रहते यदि टीका न लगाया जाए तो यह संक्रमण जानलेवा भी हो सकता है। प्रेग्नेंसी में मां और गर्भस्थ शिशु दोनों को इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में प्रेग्नेंट महिला को वैक्सीन लगाकर दोनों का बचाव किया जा सकता है।
इस बारे में डॉक्टर्स का कहना है कि टिटनेस का वैक्सीन चोट लगने पर किसी भी व्यक्ति के अलावा प्रेग्नेंट महिला और मां-शिशु को टिटनेस की वैक्सीन देना बहुत जरूर है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो, मरीज की जान को खतरा हो सकता है। क्योंकि टिटनेस इंफेक्शन होने पर 90 फीसद पीड़ित की मौत होना निश्चित होती है। इसके अलावा टिटनेस का सीधा असर हमारे नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। समय रहते ध्यान नहीं दिया जाए तो, यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है।
प्रेग्नेंसी में टेटिनस का इंजेक्शन क्यों हैं जरूरी?
गर्भावस्था में संक्रमण मां में कई तरह के इंफेक्शन होने का खतरा वैसी ही ज्यादा होता है। ऐसे में अगर मां को टेटिनस जैसा इंफेक्शन हो जाए, तो इसका सीधा बुरा प्रभाव बच्चे पर भी पड़ता है। तो ऐसे में मां के टीकाकरण से गर्भ में पल रहा बच्चा भी सुरक्षित हो जाता है। गर्भावस्था में टेटिनस का इंजेक्शन लगवाने पर उनके शरीर में एंटीबॉडीज गर्भ में पल रहे शिशु तक पहुंच जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शिशु के जन्म के बाद उसे पहला टेटिनस का टीका नहीं लग जाता है, इसलिए तब तक मां के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज के जरिये बच्चा शुरुआती कुछ महीनों तक इस इंफेक्शन से बच सकता है। टेटिनस का इंजेक्शन मां और शिशु दोनों के लिए सुरक्षित होता है। शिशु को टिटनेस का टीका वैसे तो पैदा होने के छह से आठ हफ्तों के बीच डीटीपी टीके दिया जाता है।
प्रेग्नेंट मिहला को गर्भावस्था के दौरान टीटी का इंजेक्शन कब लगेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि मां को पहला इंजैक्शन कब लगेगा। आप कितनी बार गर्भवती हो चुकी हैं और आपकी पहली और इस गर्भावस्थाओं में अंतर कितना है। इन टीकों की हर खुराक में कम से कम 4 सप्ताह का अंतर जरूर होना चाहिए। इसलिए डॉक्टर द्वारा बताए गए समय पर इसे लगवाना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट द्वारा कि जिन महिलाओं ने कभी टीके लगवाएं ही नहीं हैं। उन्हें गर्भावस्था के दौरान टेटिनस के इंजेक्शन की पहली डोज जल्द से जल्द लगवाने की सलाह दी जाती है। पहली खुराक के चार हफ्तों बाद दूसरी खुराक लगवा लेनी चाहिए। दूसरी खुराक के ठीक छह महीने बाद फिर से तीसरे खुराक की सलाह दी जाती है। इसलिए डॉक्टर पहले अप्वाइंटमेंट के दौरान ही गर्भवती को टेटिनस के टीके की पहली खुराक दें और शिशु का जन्म होने तक तीन खुराकें दें। पहली गर्भावस्था में यदि टीटी के टीकों की दो खुराकें लगती हैं, तो आप अगले तीन साल तक टिटनस से प्रतिरक्षित रह सकती हैं। यदि आपको तीन खुराकें लगी हैं, पांच सालों तक आपका टिटनेस जैसी बीमारी से बचाव रहेगा। यदि आप इस समय सीमा के अंदर दोबारा गर्भवती हो जाती हैं, तो आपको शायद केवल एक बूस्टर खुराक लेने की जरूरत होगी।
ये बात तो आप समझ ही चुके होंगे की टेटिनस का इंजेक्शन कितना जरूरी है, चाहें वो चोट लगे व्यक्ति के लिए हो या गर्भवती मां और शिशु के लिए । सही समय पर इस वैक्सीन को जरूर लेना चाहिए।
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