अगर आप फिट एंड फाइन रहना चाहते हैं, तो अपने पेट का ख्याल रखना आपके लिए जरूरी हो जाता है। जैसा कि आप सभी ने कभी न कभी महसूस किया होगा, अगर डायजेशन ठीक ना हो, तो आप एनर्जेटिक फील नहीं करते। साथ ही मूड ऑफ होने के अलावा और भी कई शारीरिक परेशानी बिन बुलाए गेस्ट की तरह आ जाती है। अब जब आपकी सेहत का रास्ता पेट से होकर गुजरता है, तो पेट यानी पाचन तंत्र को कैसे हेल्दी रखा जाए , ये जानते हैं और जानते हैं डायजेशन से संबंधित गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर (Gastric and Duodenal Ulcers) दोनों क्यों अलग-अलग हैं।
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर क्या है? (What is Gastric and Duodenal Ulcers?)
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर दो अलग-अलग तरह के पेप्टिक अल्सर हैं। अगर सामान्य शब्दों में समझें, तो पेट के इनर लाइनिंग पर होने वाले घाव को गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcers) कहते हैं। वहीं स्मॉल इंटेस्टाइन के ऊपरी हिस्से पर होने वाले घाव को डुओडेनल अल्सर (Duodenal Ulcers) कहते हैं। गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर किसी को भी हो सकता है। कुछ लोगों को गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर दोनों की समस्या होती है, जिसे गैस्ट्रोडुओडेनल (Gastroduodenal) कहते हैं।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Gastric and Duodenal Ulcers?)
रिसर्च के अनुसार 75 प्रतिशत लोगों को गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के लक्षण समझ ही नहीं आते हैं। लेकिन रेयर केस में इसके लक्षण निम्नलिखित देखे या महसूस किये जा सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल है:
- स्टूल (मल) से ब्लड आना
- स्टूल का रंग गहरा होना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- बेहोशी छाना या होश खो देना
- उल्टी होना या उल्टी के साथ ब्लड आना
- थकान महसूस होना
- काम करने के दौरान सांस लेने में तकलीफ होना
- भूख नहीं लगना
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के पेशेंट ऐसे लक्षण महसूस कर सकते हैं।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के कारण क्या हो सकते हैं? (Cause of Gastric Ulcers)
गैस्ट्रिक अल्सर के कारण (Cause of Gastric Ulcers) –
गैस्ट्रिक अल्सर और डुओडेनल अल्सर के कारण के दो मुख्य कारण माने जाते हैं।
1. हेलिकोबेटर पायलोरी (H. pylori bacteria/Helicobacter pylori)- ज्यादातर अल्सर का कारण बैक्टीरियल इंफेक्शन एच. पायलोरी (H. pylori) की वजह से होता है। यही बैक्टीरिया पेट के पहले हिस्से को अपना शिकार बनाते हैं और फिर स्मॉल इंटेस्टाइन में प्रवेश कर डुओडेनल अल्सर होने की संभावना बढ़ा देते हैं।
2.नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs)- ओवर-द-काउंटर मिलने वाली दवाएं एवं बुखार की दवाओं के अलावा एस्प्रिन, आइबुप्रोफेन और नेप्रोक्सेन जैसी दवाओं के सेवन से गैस्ट्रिक अल्सर होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल ये दवाएं पेट को सुरक्षा प्रदान करने वाली लाइन, जिसे मेडिकल टर्म में म्यूकस को डैमेज करने लगते हैं।
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के इन दोनों कारणों के अलावा एक और कारण है जोलिंगर एलिसन सिंड्रोम (Zollinger-Ellison syndrome)। यह एक तरह का रेयर सिंड्रोम है, जिसकी वजह से पेट में कैंसेरियस और नॉनकैंसेरियस ट्यूमर बनने लगते हैं। ट्यूमर से हॉर्मोन भी रिलीज होने लगता है, जो पेट में एसिड का निर्माण ज्यादा करने लगता है और यही एसिड गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर जैसे गंभीर रूप लेने लगते हैं। यह ट्यूमर विशेष रूप से पैंक्रियाज या डुओडेनम में बनते हैं, लेकिन इनका निर्माण शरीर के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है।
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किन लोगों में अल्सर का खतरा ज्यादा होता है?
रिसर्च के मुताबिक नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (NSAIDs) या अर्थराइटिस जैसी बीमारियों की वजह से पेप्टिक अल्सर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जो लोग नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स लेते हैं या जोड़ों में दर्द इन्फ्लेमेशन की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर (Gastric and Duodenal Ulcers) का खतरा ज्यादा रहता है। इसके अलावा कुछ और मेडिकेशन्स हैं, जिसकी वजह से अल्सर (छाले) का खतरा बढ़ जाता है। जैसे:
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) ट्रीटमेंट
- एंटीकोआगुलंट्स (Anticoagulants)
- एसएसआरआई (Selective serotonin reuptake inhibitors)
- कीमोथेरिपी (Chemotherapy)
नोट: अगर आप ऊपर बताई गई ट्रीटमेंट ले रहें हैं, तो घबराएं नहीं, क्योंकि इन दवाओं का साइड इफेक्ट्स ना हो इसके लिए भी मेडिसिन प्रिस्क्राइब करते हैं। लेकिन ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का ठीक तरह से पालन करें।
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर ऊपर बताये स्थितियों के अलावा निम्नलिखित स्थितियों में होने की संभावना ज्यादा होती है। जैसे:
- 70 वर्ष की आयु या इससे ज्यादा उम्र होना
- एल्कोहॉल का सेवन करना
- स्मोकिंग करना
- पेप्टिक अल्सर पहले कभी हुआ हो
- गंभीर चोट लगना या शारीरिक आघात होना
- अत्यधिक तेल मसाले वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना
इन स्थितियों में गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर की संभावना ज्यादा बढ़ सकती है।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर का निदान कैसे किया जाता है?
अल्सर का निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपका मेडिकल हिस्ट्री जानना चाहेंगे। अगर आपको कोई बीमारी है या पहले हो चुकी है, तो उस बारे में जरूर बताएं। इसके साथ ही अपनी शारीरिक तकलीफ डॉक्टर से शेयर करें। अगर आप किसी तरह की दवाओं का सेवन करते हैं या पहले कर चुके हैं, तो उसकी जानकारी भी डॉक्टर को जरूर दें। डॉक्टर पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री समझने के बाद निम्नलिखित टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। इन टेस्ट में शामिल है:
- ब्लड टेस्ट (Blood test)- ब्लड टेस्ट से बॉडी में फैले इंफेक्शन की जानकारी मिलती है।
- स्टूल एंटीजेन टेस्ट (Stool antigen test)- इस टेस्ट के दौरान स्टूल में मौजूद अलग तरह की प्रोटीन की जांच की जाती है।
- यूरिया ब्रेथ टेस्ट (Urea breath test)- इस टेस्ट के दौरान कार्बन डाईऑक्साइड की जानकारी ली जाती है। दरअसल पाइलोरी एक तरह का एंजाइम बनाता है, जिसे यूरेएस (Urease) कहते हैं। यही यूरेएस यूरिया को तोड़ कर अमोनिया एवं कार्बन डाईऑक्साइड बनाता है। टेस्ट के दौरान पेशेंट को निगलने के लिए एक टैबलेट दी जाती है, जिससे कार्बन डाईऑक्साइड के लेवल की जानकारी मिलती है।
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इन टेस्ट के अलावा अन्य टेस्ट की भी सलाह दी जा सकती है। जैसे:
एसोफागोगैस्ट्रोडुओडेनोस्कॉपी (Esophagogastroduodenoscopy (EGD))
कैमरे की मदद से मुंह लाइट भेजी जाती है, जिससे खाने की नली, पेट और स्मॉल इंटेस्टाइन को देखा जा सके। इससे अल्सर (छाले) की जानकारी मिलती है। आवश्यकता पड़ने पर बायोप्सी के लिए टिशू भी ली जा सकती है।
अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सीरीज (Upper gastrointestinal series)
इस टेस्ट के दौरान पेशेंट को लिक्विड पिलाई जाती है, जिसे बेरियम स्वालो (barium swallow) या अपर जीआई सीरीज (upper GI series) भी कहते हैं। इससे एक्स-रे (X-Rays) के दौरान खाने की नली, पेट और स्मॉल इंटेस्टाइन का परिक्षण करते हैं।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर का इलाज कैसे किया जाता है?
- गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर का इलाज पेशेंट के कंडिशन पर निर्भर करता है। हेल्थ एक्सपर्ट अल्सर के खतरे को कम करने के लिए हिस्टामाइन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Histamine receptor blockers (H2 blockers)) या प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर (Proton pump inhibitors (PPIs)) प्रिस्क्राइब करते हैं, पाचन तंत्र को स्ट्रॉन्ग बनाने में मदद मिलती है।
- हेलिकोबेटर पायलोरी (H. pylori bacteria/Helicobacter pylori) के कारण अल्सर की समस्या शुरू हुई है, तो डॉक्टर प्रोटॉन पंप इन्हिबिटर (Proton pump inhibitors (PPIs)) प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
- नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) के कारण अगर अल्सर (छाले) की समस्या हुई है, तो ऐसी दवाओं का सेवन कम कर दिया जाता है।
- अगर अल्सर की वजह से ब्लीडिंग की समस्या हो रही है, तो आपका डॉक्टर ईजीडी प्रक्रिया से एंडोस्कोप कर ब्लीडिंग को रोकते हैं।
अगर दवा या इंडोस्कोपी से अल्सर की तकलीफ दूर नहीं हो पाती है, तो आपका डॉक्टर सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं। बीमारी की गंभीरता को देखते हुए मेडिकेशन या सर्जरी का निर्णय लेते हैं।
गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर का इलाज अगर ठीक तरह से नहीं करवाया गया, तो शारीरिक परेशानी बढ़ने की संभावना बनी रहती है। इसलिए अगर आपको अल्सर की समस्या है, तो लापरवाही ना बरतें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर को कैसे कम किया जा सकता है?
अलसर की तकलीफ को दूर किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए निम्नलिखित बातों को फॉलो करना जरूरी है। जैसे:
- अगर आप नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लामेट्री ड्रग्स ले रहें हैं, तो इनका सेवन अपनी मर्जी से ना करें। अगर इन दवाओं का सेवन करना आपके लिए जरूरी है, तो हेल्दी डायट फॉलो करें और अपने मील के साथ इसका सेवन करें।
- स्मोकिंग से दूरी बनाएं रखें, क्योंकि इससे गैस्ट्रिक अल्सर, डुओडेनल अल्सर या कैंसर का खतरा बढ़ता है।
- अगर आपको हेलिकोबेटर पायलोरी की वजह से बैक्टीरियल इंफेक्शन हुआ है, तो दवाओं का डोज पूरा करें।
- एल्कोहॉल का सेवन ना करें।
- इम्यून सिस्टम को हेल्दी बनाये रखें।
ऊपर बताई गई ये सिर्फ 5 पॉइंट्स अल्सर की तकलीफ को कम करने के साथ-साथ अल्सर से बचाये रखने में भी आपकी मदद करेगा।
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गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर के पेशेंट्स को क्या खाना चाहिए?
अल्सर के इलाज के लिए डॉक्टर एंटीबायोटिक और एंटा-एसिड दवाओंको प्रिस्क्राइब करते हैं। इन दवाओं के सेवन से बैड बैक्टीरिया को कम करने में मदद मिलती है। वहीं अगर आप पेट के अल्सर जैसे गैस्ट्रिक अल्सर या डुओडेनल अल्सर या गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर दोनों से ही पीड़ित हैं, तो अपने डायट में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करें। जैसे:
- फूलगोभी
- पत्तागोभी
- मूली
- सेब
- ब्लूबेरीज
- ब्लैकपेपर्स
- स्ट्रॉबेरी
- चेरी
- बेल पेपर्स
- गाजर
- ब्रोकली
- काले
- पालक
- प्रोबायोटिक फूड जैसे योगर्ट, केफिर, मिसो, सॉरेक्राट और कोम्बुचा
- ऑलिव ऑयल
- लहसुन
- डीकैफीनेटेड ग्रीन टी
- हल्दी
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अगर आपको गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर (Gastric and Duodenal Ulcers) की समस्या है, तो किन-किन चीजों से परहेज करना चाहिए?
अगर आप गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर (Gastric and Duodenal Ulcers) की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको निम्नलिखित खाद्य पदार्थों या पेय पदार्थों का सेवन ना करें। जैसे:
- कॉफी
- चॉकलेट
- स्पाइसी फूड
- एल्कोहॉल
- टमाटर या अन्य सिट्रस फ्रूट्स
- कैफीन
अगर आप गैस्ट्रिक और डुओडेनल अल्सर (Gastric and Duodenal Ulcers) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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