मीठा कितना खाना चाहिए?
प्रेग्नेंसी में मीठा खाना हानिकारक होता है लेकिन इसकी कम या अधिक मात्रा का कोई सामान्य स्तर निर्धारित नहीं किया गया है। प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना आपके मेटाबोलिक रेट, ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) और वजन पर निर्भर करता है। किसी भी मामले में शुगर की मात्रा को प्रति दिन 25 ग्राम या उससे कम रखना सुरक्षित होता है। आप इस बाके में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं।
मीठा खाने का शिशु पर प्रभाव
प्रेग्नेंसी में मीठे या कार्बोहाइड्रेट के सेवन से बढ़ते बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके साथ ही जेस्टेशनल डायबिटीज या अनियंत्रित टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के कारण खून में अत्यधिक शुगर होने से शिशु को हानि पहुंच सकती है।
प्रेग्नेंसी में मीठा खाना प्लेसेंटा तक पहुंच सकता है और भ्रूण में खून के अंदर शुगर की मात्रा को बढ़ा देता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे के शरीर में इंसुलिन का उत्पादन अधिक हो जाता है और बच्चा ज्यादा बढ़ने लगता है। इस स्थिति को आमतौर पर मैक्रोसोमिया कहा जाता है। आकार में बड़े हुए बच्चे को प्रसव से पैदा करने में कई प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं जैसे कि सर्जरी से डिलिवरी और समय से पहले प्रसव।
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प्रेग्नेंसी में क्या खा कर ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को ठीक रखा जा सकता है?
अगर आप गर्भावस्था में मीठा नहीं खाना चाहती हैं, तो आप कुछ ऐसी चीजों को खा सकती हैं, जिससे अपना ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रख सकती हैं। आप अपनी प्रेग्नेंसी डायट में निम्न चीजें शामिल करें :
- प्रोटीन – लीन प्रोटीन वाले आहार, जैसे- बादाम, अंडे और मीट का सेवन अधिक करें। प्रोटीन ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित रखता है और शरीर में ऊर्जा प्रदान करता है।
- प्रोबायोटिक्स – प्रोबायोटिक्स ऐसे जीवाणु होते हैं जो पाचन की क्षमता को बढ़ाते हैं और पेट के लिए अच्छे होते हैं। यह गुड बैक्टीरिया आपको कई प्रकार के आहार से प्राप्त हो सकते हैं। यह कार्बोहाइड्रेट मेटाबॉलिज्म (उपापचय) और ब्लड में शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। प्राकृतिक दही प्रोबायोटिक्स का सबसे बेहतरीन स्रोत होता है।
- लो-ग्लाइसेमिक आहार – लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स (LGI) वाले आहार का सेवन करें यानी कि जिन व्यंजनों में ग्लूकोज की मात्रा कम होती है और जिन्हें पचाना आसान होता है उनका सेवन अधिक करें। जैसे कि साबुत आनाज, बींस, जौ, दलिया, ओट्स, फल और सब्जियां। इन सभी को पचाने में अधिक समय लगता है जिसके कारण ब्लड शुगर में बढ़ोत्तरी नहीं होती है।
- फाइबर युक्त आहार – न घुलने वाले फाइबर (Insoluble fiber) पाचन तंत्र को स्वस्थ रखते हैं और घुलने वाले फाइबर (soluble fiber) शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। ओट्स और फलियां सबसे अधिक घुलने वाले फाइबर में से एक हैं जबकि साबुत आनाज वाले आहार न घुलने वाले फाइबर युक्त होते हैं। फल और सब्जियां दोनों प्रकार के फाइबर से भरपूर होते हैं। सेब फाइबर का एक अच्छा स्रोत है, जिसे प्रेग्नेंसी में आप रोजाना सुबह खा सकती हैं।
गर्भावस्था में मीठा खाने की इच्छा है तो आप ठोड़ी मात्रा में स्वीट खा सकती हैं। एक बात का ख्याल रखें कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी ऐसे फूड का अधिक सेवन न करें जो आपको पसंद हो। गर्भावस्था में सभी तरह के फूड का सेवन करना चाहिए ताकि आपको फूड से सभी प्रकार के पोषक तत्व मिलें। फलों का सेवन करना आपके लिए तब तक हानिकारक नहीं है जब तक आप अधिक मात्रा में मीठा नहीं लेते हैं।
गर्भावस्था में मीठा खाने से शरीर का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है जिसका सीधा प्रभाव शिशु और मां पर पड़ता है। कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण बच्चे और मां में आसानी से संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान मीठा खाना कम कर दें और ऐसे आहर चुनें जिनसे आपको और आपके शिशु को लाभ पहुंचे। हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।