“शिशुओं के दांत उनके जबड़ों के अंदर छिपे होते हैं। जब ये दांत मसूड़ों के माध्यम से निकलते हैं, तो वे मसूड़ों के अंगेस्ट बहुत प्रेशर डालते हैं। इसकी वजह से कभी-कभी मसूड़ों में बहुत खुजली या दर्द होने लगता है। इन दोनों स्थितियों में मसूड़ों पर दबाव डालने से राहत मिलती है। इसीलिए जब बच्चों के दांत निकलते हैं, तो वे चीजे काटने लगते हैं। इस दौरान आमतौर पर बच्चे खिलौने और जो भी चीज उनके हाथ में आती है मुंह में डालने लगते हैं। खिलौने की सतह पर बैक्टीरिया होने से शिशु को बुखार, उल्टी, दस्त भी शुरू हो सकते हैं। इसलिए बच्चे के आसपास की चीजें साफ-सुथरी रखें।
एक बार जब दांत निकल आएं, तो कॉटन पर ग्लिसरीन लगाकर उन्हें साफ करना चाहिए, ताकि दूध का कोई भी अवशेष दांतों में न रह जाए। दांतों में दूध के अवशेष रह जाने की वजह से बच्चे को कम उम्र में ही कैविटी का सामना करना पड़ सकता है।’ ऐसा कहना है “हैलो स्वास्थ्य’ से हुई बातचीत में डॉ. हिमाक्षी जेठमलानी (एम्ब्रेसिंग स्माइल्स डेंटल क्लीनिक, मुंबई) का।
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बच्चों के दांत निकलना : बच्चों के दांत पहली बार कब निकलते हैं?
बच्चों के दांत अलग-अलग समय पर भी निकल सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर जब बच्चे छह महीने की उम्र की शुरुआती अवस्था में होते हैं, तो बच्चों के दांत निकलने शुरू होते हैं। सबसे पहले बच्चों के दांत ऊपर या नीचे की तरफ सामने वाले दांत उगते हैं। अक्सर एक साथ दो दांत उगते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चों के दांत उगने शुरू हो जाते हैं। ध्यान रखें कि, हर बच्चे के दांत निकलने का समय एक जैसा नहीं होता है। सामान्य तौर पर जहां छह महीने की उम्र में बच्चों के दांत निकलना शुरू होते हैं। वहीं, कुछ बच्चों के दांत चार माह की आयु में भी निकल आते हैं।
बच्चों के उल्टे दांत निकलना किसे कहते हैं ?
बच्चों के पहले नीचे के दांत निकलते हैं। कुछ बच्चों के पहले ऊपर के दांत भी निकल सकते हैं। इसे बच्चों के उल्टे दांत निकलना भी कहा जाता है। लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि बच्चों के दांत निकलने की उम्र के साथ ही ये तय नहीं होता है कि दांत नीचे निकलेंगे या पहले ऊपर निकलेंगे। अधिकतर बच्चों के निचले मसूड़ों में ही पहले दांत आते हैं जिन्हें सेंट्रल इनसाइजर्स कहा जाता है। जब नीचे के दो टीथ यानी सेंट्रल इनसाइजर्स आ जाते हैं तो फिर ऊपर की ओर यानी सामने की ओर दो दांत आते हैं। इन्हें अपर सेंट्रल इनसाइर्ज कहा जाता है। धीरे-धीरे अपर लेट्रल इनसाइजर्स और लोअर लेटरल इनसाइजर्स टीथ भी आते हैं। इसके बाद फस्ट मोलर और सेकेंड मोलर भी आते हैं। अगर बच्चे के दो दांत आने के बाद दांत न निकल रहे हो तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। बच्चों के दांत समय लेकर धीमे-धीमे आते हैं। दो से तीन साल में बच्चे के सभी दांत आ जाते हैं। बच्चों के दांत निकलना एक शारीरिक प्रक्रिया है। बच्चे को ऐसे में तकलीफ ज्यादा होगी या फिर कम, ये पहले से कहना संभव नहीं है।
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बच्चों के दांत निकलने पर क्या लक्षण दिखते हैं?
बच्चों के दांत निकलने के शुरुआती लक्षणों में शामिल हैं:
जब बच्चों के दांत निकलना शुरू होते हैं उनके मसूड़े थोड़े सूज जाते हैं और उनमें दर्द भी होता है। यह दर्द दांत निकलने के तीन से छह दिन पहले शुरू हो जाता है और दांत निकलने के साथ ही जाता है। वहीं, कुछ बच्चों को दांत निकलते समय दर्द का सामना नहीं करना पड़ता। बच्चों के दांत निकलने पर ये कुछ लक्षण दिखाई देते हैं-
- मसूड़ों में सूजन
- लार ज्यादा टपकना
- चीजों को ज्यादा काटना और चबाना
- कम खाना
- बुखार आना, उल्टी, दस्त ( ऐसा कुछ बच्चों के साथ हो सकता है)
- चिड़चिड़ापन की समस्या
- शरीर के तापमान थौड़ा गर्म होना- लेकिन बुखार के लक्षण नहीं होते हैं आदि।
इन सब लक्षणों के अलावा बच्चों के दांत निकलने की वजह से शिशु को बुखार या दस्त की समस्या (डायरिया) भी हो सकता है। यदि बच्चा लगातार रोता रहे और उसकी हेल्थ में कोई उतार-चढ़ाव दिखाई दे, तो डॉक्टर से परामर्श करना सही रहेगा। कई माता-पिता को शुरू में ये संकेत बुखार और दस्त के लक्षण लगते हैं। वहीं, एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर इन लक्षणों के अलावा आपके शिशु का गुदा (एनल) का तापमान 100.4 F (38 C) होता है या बहुत ज्यादा दस्त हो रहा है, तो डॉक्टर से बात करें।
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बच्चों के दांत निकलना : शिशु के दांत निकलते समय होने वाले दर्द को कम करने के लिए क्या करें?
टीथर का करें इस्तेमाल
दर्द को कम करने के लिए शिशु को ठंडा टीथर भी दे सकते हैं लेकिन, याद रहे यह ज्यादा ठंडा न हो क्योंकि इससे बच्चे का दर्द बढ़ भी सकता है। बच्चे को टीथर देने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर पूछे लें। टीथर को देने से पहले उसकी अच्छे से सफाई जरूर करें वरना बच्चे को दस्त या फिर इंफेक्शन की समस्या भी हो सकती है।
क्लीन क्लोथ देगा राहत
टीथिंग के दौरान बच्चे को साफ-सुथरा, नर्म और गीला कपड़ा चबाने के लिए दिया जा सकता है। इससे दर्द को कम करने में मदद मिलती है और शिशु के चबाने की इच्छा भी पूरी हो जाती है।
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ठंडे दही का सेवन
अगर छोटे बच्चे ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया हो तो आप उसे खाने के लिए कुछ ठंडी चीजें दे सकते हैं। जैसे- फ्रिज से निकाला हुआ दही। इससे शिशु को दर्द में राहत मिलेगी। अगर बच्चा चार माह का है तो बेहतर होगा कि आप उसे दही न दें।
मालिश
बच्चे के मसूड़ों का दर्द कम करने के लिए साफ उंगली से हल्की मालिश की जा सकती है। मालिश करते समय सूती कपड़े का इस्तेमाल किया जा सकता है। याद रखें कि कपड़ा साफ होना चाहिए। अगर आप बच्चे को मालिश के बाद टीथिंग बिस्किट दे रही हैं तो ध्यान रखें कि आपका बच्चा उसे चबाएं न कि खाने की कोशिश करें। टीथिंग बिस्किट टूटने का डर रहता है और ये बच्चे के गले में चोक हो सकता है। ऐसे बिस्किट न्यूट्रीशियस नहीं होते हैं, इनमे सॉल्ट और शुगर अधिक होता है।
दांत निकलने पर क्या करें : फ्लोराइड को करें एड
फ्लोराइड मिनिरल होता है जो टीथ इनेमल को हार्ड करता है और दांतों को खराब होने से बचाता है। वैसे तो फ्लोराइड की मात्रा टैप वॉटर में हो सकती है, लेकिन बोतल के पानी में फ्लोराइड नहीं होता है। आप डॉक्टर से पूछे कि बच्चे के लिए फ्लोराइड की कितना मात्रा जरूरी होती है। आप बिना डॉक्टर से जानकारी लिए बच्चे को फ्लोराइड बिल्कुल भी न दें। बच्चों को छह माह के बाद ही मां के दूध अलावा अन्य फूड दिया जाना चाहिए।
बुखार आने पर घबराएं नहीं
अगर आपको लग रहा है कि दांत आने के समय बच्चे के बॉडी का टेम्परेचर बढ़ गया है तो आप घबराएं नहीं डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर ऐसी सिचुएशन में बच्चों को बुखार कम करने वाली दवा देते हैं। जब आपके बच्चे के दांत आने वाले हो तो डॉक्टर से एक बार मिल लें और उनसे इमरजेंसी के लिए बुखार की दवा के बारे में जरूर जानकारी लें।
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बच्चों के दांत निकलना : शिशु के दांतों की देखभाल कैसे करें?
बच्चों के दूध के दांत नाजुक होते हैं इसलिए, उनका ध्यान ज्यादा रखना पड़ता है। दांतों की देखभाल के लिए नीचे दिए गए टिप्स को फॉलो करें-
- मसूड़ों को साफ करने के लिए मुलायम कपड़े का उपयोग करें। इससे बच्चे के नाजुक मसूड़ों की सफाई बिना नुकसान पहुंचाए हो जाएगी।
- बच्चे की कटोरी, प्लेट और चम्मच को अलग रखें ताकि उन बर्तनों को कोई और इस्तेमाल न करें। इससे उन्हें इंफेक्शन से बचाया जा सकता है।
- शिशु को विटामिन्स, कैल्शियम, फ्लोराइड, फास्फोरस और विटामिन-डी और मिनरल्स से भरपूर आहार दें। इससे बच्चे के आने वाले दांत और मसूड़े मजबूत बनेंगे।
- शिशु को मीठी चीजें खाने-पीने को कम दें। इससे दांतों में कैविटी होने की संभावना कम हो जाती है।
- जब बच्चे के 20 दांत निकल आएं, उसे डेंटल चेकअप के लिए ले जाएं।
- जब बच्चा 18 महीने का हो जाए, तब बच्चे को ब्रश कराना शुरू कर सकते हैं।
- मीठी दवाइयों की वजह से भी शिशु के दांत खराब हो सकते हैं, क्योंकि दवा दांतों में चिपक जाती हैं। इसलिए, हमेशा दवाइयां देने के बाद बच्चे को कुल्ला जरूर करवाएं।
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बच्चों के दांत निकलना : इस दौरान क्या न करें?
बच्चों के दांत सुरक्षित तरीके से निकले इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए और इन गलतियों को करना से बचना चाहिएः
- होम्योपैथिक दवा का उपचार न दें। डॉक्टर से बिना पूछे कोई भी दवा बच्चे को न दें।
- ओवर-द-काउंटर किसी भी तरह की दवा बच्चें को न खिलाएं
- किसी भी तरह की क्रीम बच्चे के मसूड़ों में न लगाएं
- हाल के सालों में, कुछ होम्योपैथिक उपचारों के दौरान बच्चों में दौरे और सांस लेने में कठिनाई की समस्या देखी गई है।
- इसके अलावा लिडोकाइन युक्त दर्द निवारक दवाएं भी आपके बच्चे के लिए हानिकारक और घातक साबित हो सकते हैं।
बच्चे के दांत निकलते वक्त अक्सर की जाती हैं ऐसी गलत बातें
अगर आपके बच्चे के दांत निकल रहे हैं तो आपको लोग कई तरह की सलाह देंगे और साथ ही ऐसी बातें भी बता सकते हैं जो महज मिथ हैं। हम आपको यहां कुछ मिथ बता रहे हैं, आप भी जानिए बच्चों के दांतों से जुड़े मिथ के बारे में।
मिथ- बच्चे को दांत निकलते समय बहुत तकलीफ होगी।
सच- ये बात सच है दांत निकलते समय बच्चे को तकलीफ होती है, लेकिन बच्चे को बहुत तकलीफ नहीं होती है।अमेरीकन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की रिचर्स में ये बात साफ की गई कि दांत निकलने के कारण फीवर की समस्या नहीं होती है।
वहीं, डायरिया गंदगी के कारण हो सकता है न कि दांत निकलने के कारण। वजह सिर्फ ये है कि ऐसे समय में बच्चा अपने आसपास की ज्यादातर चीजों को चबाने की कोशिश करता है, इसलिए दस्त या डायरिया हो सकता है। अगर आपको बच्चा बीमार दिख रहा है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं न कि ये सोचें कि दांत निकलने के कारण ये सब हो रहा है।
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मिथ- बच्चों के उल्टे दांत निकलना अच्छा नहीं होता है।
सच- आपने ऐसी बातें अक्सर सुनी होंगी कि पहले हमेशा बच्चे के नीचे के दांत ही आने चाहिए। अगर बच्चे के ऊपरी दांत पहले आ जाते हैं तो ये परिवार के लिए अच्छी बात नहीं होती है। हमारे शरीर में क्या कब और कैसे होगा,ये शारीरिक क्रिया यानी बॉडी फंक्शन के अनुसार होता है। यानी ये जरूरी नहीं होता है कि सभी की बॉडी एक ही समय पर एक ही जैसा काम करें।
मिथ- दांत निकलने के पहले बच्चों को मिरर नहीं दिखाना चाहिए।
सच- बच्चों के दांतों का मिरर यानी शीशे से कोई भी संबंध नहीं है। कुछ लोग मानते हैं कि बच्चे को शीशा दिखाने से बच्चे के दांत सही से नहीं उगते हैं। बेहतर होगा कि आप ऐसे मिथक को बिल्कुल भी सच न मानें। बेहतर होगा कि आप किसी भी तरह से मिथ को न मानें और बच्चे की टीथिंग को लेकर परेशान बिल्कुल भी न हो।
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मिथ- छह माह के बाद दांत निकलना अच्छा नहीं होती है।
सच- उपरोक्त जानकारी के अनुसार आपको पता ही चल गया होगा कि बच्चे के दांत चार माह से छह माह या आठ माह तक कभी भी निकल सकते हैं। ये बात मिथ है कि देरी से दांत निकलना खराब होता है।
बच्चों के दांतों की देखभाल : दांत साफ करते समय रखें इन बातों का ध्यान
जब तक बच्चे के दांत नहीं आते हैं, तब तक मां गीले कपड़े की सहायता से मुंह साफ कर सकती है लेकिन बच्चे के दांत आ जाने के बाद मां ब्रश का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए। बच्चों के लिए अलग ब्रश आते हैं। बच्चा जब तीन साल का हो जाए तो बच्चे के ब्रश में पी साइज टूथपेस्ट यूज किया जा सकता है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडिआट्रिक्स (AAP), अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन के अनुसार बच्चों के टूथपेस्ट में फ्लोराइड होना चाहिए और ब्रश में थोड़ा सा टूथपेस्ट लगाना चाहिए। बच्चों को बिना ब्रश किए बेड पर मत जाने दें वरना दांत खराब होने की संभावना बढ़ जाएगी।
आप बच्चे को सिखा सकती हैं कि किस तरह से थूंका जाए। जब तक बच्चा छह साल का न हो जाए, आप बच्चे के ब्रश में टूथपेस्ट लगाकर दें। अक्सर बच्चे अपने हाथों से ज्यादा टूथपेस्ट निकाल लेते हैं, जो कि उनके लिए सही नहीं है। आप ये बिल्कुल न सोंचे कि बच्चा चार साल की उम्र में ब्रश करना सीख जाएंगा। बच्चे सात से आठ साल की उम्र में सही से ब्रश करना सीख पाते हैं। बच्चे को अकेल कभी भी ब्रश करने के लिए न छोड़े। बच्चे ब्रश को तेजी से मसूड़ों में चला सकते हैं, जिससे घाव भी हो सकता है।
डेंटिस्ट से जरूर मिलें
जब आपके बच्चे के टीथ निकलने शुरू हो जाएं तो आप एक बार बच्चों के डेंटिस्ट से जरूर मिलें। वैसे तो दांत निकलने में मसूड़ों में सूजन आने के सिवा किसी खास तरह की दिक्कत नहीं होती है लेकिन आप इस बारे में डॉक्टर से जानकारी जरूर प्राप्त करें। साथ ही डॉक्टर से पूछें कि दांतों की देखभाल कैसे करनी है ? अगर आपकी जानकारी में बच्चों के डेंटिस्ट नहीं है तो आप जनरल डेंटिस्ट से भी बात कर सकती हैं। ऐसा करने से आपको बाद में बच्चे की डेंटल प्रॉब्लम से जूझना नहीं पड़ेगा।
दांत निकलने का समय हर शिशु के लिए दर्दनाक हो, ऐसा जरूरी नहीं है। हालांकि, बच्चों के दांत निकलते समय होने वाले दर्द को ऊपर बताए गए उपायों से काफी हद तक कम किया जा सकता है। लेकिन, दिक्कत ज्यादा होने पर डॉक्टर के पास जाना ही बेहतर होगा।
बच्चे के दांत निकलने से पहले क्या सावधानी रखनी चाहिए, आप इस बारे में डॉक्टर से राय ले सकते हैं। बच्चे के स्वास्थ्य का आप ध्यान रखेंगे तो दांत निकलते वक्त किसी खास समस्या का सामना आपको नहीं करना पड़ेगा। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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