केसर का सदियों से कई देशों व संस्कृतियों में मसाले की तरह इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह खुश्क लाल या मैरून रंग का होता है। इसका इस्तेमाल स्वीट्स में और स्किन का रंग निखारने और सुगंध लाने के लिए किया जाता है। गर्भावस्था में इसके इस्तेमाल को लेकर कई धारणाएं बनी हुई हैं। कई लोग गर्भावस्था के दौरान इसके इस्तेमाल को अच्छा नहीं मानते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि गर्भावस्था में केसर खाने से शिशु का रंग गोरा और त्वचा कोमल होती है, लेकिन ये सच नहीं है क्योंकि रिसर्च भी यह कहती है कि शिशु का रंग माता-पिता से मिलने वाले क्रोमोजोम्स पर निर्भर करता है।
गर्भावस्था में केसर के उपयोग के क्या फायदे हो सकते हैं?
अगर प्रेग्नेंसी में केसर का सही मात्रा और समय को ध्यान में रखते हुए इस्तेमाल करेंगी तो इसके अच्छे फायदे हो सकते हैं।
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गर्भावस्था में केसर मूड स्विंग के दौरान है लाभदायक
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार की हॉर्मोनल बदलाव आते हैं। जिसकी वजह से गर्भवती महिला को मूड स्विंग के दौर से गुजरना पड़ता है। गुस्सा, चिड़चिड़ाहट, रोने जैसा महसूस होना आदि मूड स्विंग के दौरान महसूस होता है। इन परिस्थितियों में केसर का उपयोग राहत दे सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान जब भी आपको लगे कि मानसिक बदलाव परेशान कर रहे हैं तो दूध में केसर डालकर पिएं। गर्भावस्था में केसर महिलाओं के बदलते हुए मूड के लिए फायदेमंद है।
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मॉर्निंग सिकनेस में आराम पहुंचाता है
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस का होना सामान्य लक्षण है। इस दौरान उनमें सुबह जागने पर जी मिचलाना, उल्टी और सुस्ती महसूस होती है। अगर आप गर्भावस्था में केसर का इस्तेमाल उचित मात्रा और समय के अनुरूप करती हैं तो इन समस्याओं से जल्दी रिलीफ मिल सकता है। मॉर्निंग सिकनेस लगभग सभी महिलाओं की परेशानी है ऐसे में प्रेग्नेंसी में केसर का इस्तेमाल कर आप इस परेशानी से भी बच सकती हैं।
गर्भ में शिशु की हलचल को बनाए रखने में मददगार
आयुर्वेदिक विज्ञान के अनुसार केसर के इस्तेमाल से बॉडी का टेम्प्रेचर बढ़ता है। जब आप प्रेग्नेंसी में केसर का सेवन करती हैं तो इससे शरीर का तापमान बढ़ता है जो गर्भ के अंदर शिशु को हलचल करने में मदद करता है। आप शिशु की किक और हलचल महसूस करना चाहती हैं तो केसर का सेवन करें।
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प्रेग्नेंसी के दौरान हेयर-फॉल रोकता है
हॉर्मोनल बदलावों की अधिकता के कारण गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं के बाल बहुत झड़ते हैं। ऐसा होने पर प्रेग्नेंसी में केसर और मुलेठी को एक साथ पीस दूध के साथ पेस्ट बनाकर बालों पर लगाने से हेयर-फॉल में कमी आती है।
प्रेग्नेंसी में केसर हाई ब्लड प्रेशर से राहत देता है
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है। केसर में पाए जाने वाले तत्वों में पोटैशियम और क्रोसेटिन भी मौजूद होते हैं। यह दोनों उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में लाभदायक होते हैं।
पेट में ऐंठन से राहत
गर्भावस्था के दौरान गर्भ में जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है मांसपेशियों में खिंचाव भी आने लगता है। जिससे पेट में ऐंठन और दर्द होना स्वाभाविक है। केसर में एंटी-स्पासमोडिक गुण होते हैं जो ऐंठन से राहत दिलाते हैं।
हृदय संबंधी समस्याओं से बचाता है
गर्भावस्था में बेशक ज्यादा कैलोरी लेनी होती है, लेकिन साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि कोई दिल संबंधी समस्या खड़ी न हो जाए। केसर में क्रोसेटीन, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रहता है और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा कम हो जाता है।
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गर्भावस्था में केसर के सेवन से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
समय से पूर्व प्रसव या गर्भपात
प्रेग्नेंसी में केसर के अत्यधिक सेवन से शरीर में गर्मी बढ़ जाती है, जिसके कारण प्री-टर्म डिलिवरी या मिसकैरिज होने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि इससे गर्भाशय के संकुचन में वृद्धि होती है। यह गर्भावस्था के शुरुआती हफ्तों के दौरान गर्भपात का कारण बन सकता है।
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हाइपर सेंसिटिविटी
कई बार गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में केसर के सेवन से चिंता, मुंह में सूखा-सा महसूस करना, मतली और सिरदर्द का अनुभव होता है। यदि आप ऐसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो बेहतर है कि आप केसर के इस्तेमाल से बचें।
उल्टी
कुछ महिलाओं को केसर से उल्टी भी हो सकती है। बार-बार उल्टी होने से शिशु को आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित करता है।
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संकुचन
गर्भावस्था में केसर का अधिक सेवन गर्भाशय को उत्तेजित करता है। जिससे संकुचन की आवृत्ति बढ़ती है। इसके कारण समय से पहले प्रसव हो सकता है।
एलर्जी
जो महिलाएं किसी खाने की चीजों के लिए संवेदनशील होती हैं और जिनमें ओलिया, लोलियम, सासोला के पौधों से एलर्जी का इतिहास होता है, उन्हें केसर के सेवन से एलर्जी होने का खतरा होता है।
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क्या गर्भावस्था में केसर का सेवन सुरक्षित है?
केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला माना जाता है। जिसका उपयोग गर्भावस्था के दौरान सुरक्षित माना जाता है। हालांकि इसके साथ यह भी सलाह जरूर दी जाती है कि प्रेग्नेंसी में केसर का कम और जरूरत के मुताबिक ही इस्तेमाल करना चाहिए। कई ड्रग इंफॉर्मेशन डेटाबेस के अनुसार, प्रेग्नेंसी में अधिक मात्रा में केसर के उपयोग से यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया, ब्लीडिंग और मिसकैरिज होने का खतरा होता है। प्रेग्नेंसी में केसर के इस्तेमाल को लेकर धारणा बनी है कि इससे ‘शिशु गोरा पैदा होता है’ को साइंटिस्ट्स ने अब तक अप्रूव नहीं किया है। हालांकि, इसके कई अन्य कारण हो सकते हैं जिसके कारण लोग गर्भवती महिलाओं को केसर खाने को कहते हैं।
गर्भावस्था में केसर की कितनी मात्रा सुरक्षित है?
गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में प्रतिदिन 20-30 एमजी केसर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस दौरान गर्भपात होने का खतरा कम होता है। पहली तिमाही के दौरान डॉक्टर केसर का इस्तेमाल से मना करते हैं, क्योंकि इस दौरान यूटेराइन कॉन्ट्रैक्शन और गर्भपात का खतरा रहता है।
अब आपको समझ आ गया होगा कि गर्भावस्था में कितना केसर और कब खाना चाहिए? प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी चीज का सेवन करने पहले एक बार डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें। क्यों कि इस स्थिति में आपके द्वारा बरती गई छोटी सी लापरवाही का बच्चा और आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है। इसलिए बेहतर होगा कि डॉक्टर की निगरानी में किसी चीज का सेवन शुरू व बंद करें।
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