बर्थ कंट्रोल को कॉन्ट्रासेप्शन या गर्भनिरोधक के नाम से भी जाना जाता है। महिलाओं को कॉन्ट्रासेप्शन का प्रयोग करके अनचाही प्रेग्नेंसी से बचने में मदद मिलती है। महिलाओं के लिए बर्थ कंट्रोल के कई प्रकार उपलब्ध हैं, जिनमें से वो अपने लिए उपयुक्त विकल्प को चुन सकती हैं। कॉन्ट्रासेप्शन का प्रयोग कई चीजों पर निर्भर करता है जैसे आपकी सेहत, आपकी अभी या भविष्य में बच्चे पैदा करने की इच्छा आदि। इन तरीकों को अपनाने से न केवल अनचाही प्रेग्नेंसी बल्कि सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस (Sexually transmitted infections) से भी छुटकारा मिलता है। आपको कौन से कॉन्ट्रासेप्शन का प्रयोग करना चाहिए, यह निर्धारित करने में डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं। आज हम बात करने वाले हैं नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में। जानिए नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) क्या है और कौन से हैं यह तरीके? लेकिन सबसे पहले कॉन्ट्रासेप्शन कैसे काम करती है, यह जान लेते हैं।
कॉन्ट्रासेप्शन किस तरह से काम करती हैं? (Contraception)
जैसा की आप जानते ही हैं कि कंट्रासेप्शन को प्रेग्नेंसी से बचने के लिए डिजाइन किया गया होता है। यह बर्थ कंट्रोल मेथड्स कई तरीकों से काम करते हैं। यह तरीके इस प्रकार हैं:
- यह बर्थ कंट्रोल मेथड्स स्पर्म को एग्स में जाने से रोकते हैं। इस प्रकार के बर्थ कंट्रोल तरीकों में कंडोम (Condom), डायाफ्राम (Diaphragm), सर्वाइकल कैप्स (Cervical caps) और कंट्रासेप्टिव स्पंज (Contraceptive sponges) आदि शामिल हैं।
- यह महिला के अंडाशय को ऐसे अंडे रिलीज़ करने से रोकते हैं, जिन्हें फर्टीलाइज्ड किया जा सकता है। इसके प्रकारों में बर्थ कंट्रोल पिल्स (Birth control pills) , पैच (Patches), शॉट्स (Shots), वजाइनल रिंग्स (Vaginal rings) और एमरजेंसी कंट्रासेप्टिव पिल्स (Emergency contraceptive pills) आदि शामिल हैं।
- इंट्रायूटरिन डिवाइस (Intrauterine device) यानी आईयूडी IUDs, वो डिवाइस हैं, जिन्हें यूट्रस में इम्प्लांट किया जाता है। इन्हें भी बर्थ कंट्रोल का अच्छा तरीका माना जाता है।
- नसबंदी (Sterilization) से स्थायी रूप से महिला गर्भवती होने से बच सकती है। अब जानिए नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में।
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नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन क्या है? (Natural contraception)
मेडलाइनप्लस (Medline Plus) के अनुसार महिला को कौन से बर्थ कंट्रोल तरीके का प्रयोग करना है, यह कई चीजों पर निर्भर करता है। इसमें महिला का स्वास्थ्य, सेक्शुअल एक्टिविटी की फ्रीक्वेंसी, सेक्शुअल पार्टनर्स की संख्या और भविष्य में बच्चों की इच्छा आदि शामिल है। अगर आप अपने लिए सही बर्थ कंट्रोल मेथड के बारे में जानना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर की सलाह लें। अब बात करते हैं नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में। क्या आपने बर्थ कट्रोल के नेचुरल तरीकों के बारे में सुना है? नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) या नेचुरल फैमिली प्लानिंग एक तरह का बर्थ कंट्रोल का तरीका है, जो महिला के शरीर और मेंस्ट्रुअल सायकल के बारे में ऑब्जर्वेशन पर निर्भर करता है। जानिए इस बारे में विस्तार से।
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नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन या नेचुरल फैमिली प्लानिंग कैसे काम करती है?
नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) में महिला के मेंस्ट्रुअल सायकल के दौरान फर्टिलिटी के लक्षणों को पहचानना शामिल होता है, ताकि आप प्रेग्नेंसी को प्लान या नजरअंदाज कर सकें। अगर आप नेचुरल फैमिली प्लानिंग में रूचि रखते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि सबसे पहले इसके बारे में किसी एक्सपर्ट से जानकारी लें। तीन ऐसे फर्टिलिटी सिग्नल्स हैं, जिन्हें आप मॉनिटर कर सकते हैं और नेचुरल फैमिली प्लानिंग के लिए रिकॉर्ड कर सकते हैं। यह सिग्नल इस प्रकार हैं:
- मेंस्ट्रुअल सायकल की लेंथ
- रोजाना बॉडी टेम्प्रेचर में बदलाव
- सर्वाइकल सेक्रेशंस (Cervical secretions) में बदलाव
इन तीनों को एक साथ जांचने से आप सबसे अधिक फर्टाइल कब होंगे, यह जानने में आपको आसानी होगी। आप प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान इनको रिकॉर्ड और ट्रैक करने के लिए फर्टिलिटी चार्ट का उपयोग कर सकते हैं। अब जानिए नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के तरीके कौन से हैं?
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नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन के तरीके (Natural contraception)
नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के तरीकों में वो खास एक्शंस शामिल हैं, जिसमें आप अनचाही गर्भावस्था को रोकने में मदद करने के लिए नेचुरल तरीकों का प्रयोग कर सकते हैं। इन नेचुरल तरीकों में कंट्रासेप्शन के पुराने तरीके भी शामिल हैं। नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन में आपको किसी भी तरह का कोई खर्च नहीं करना पड़ता और इनका कोई भी साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होते। तरीके इस प्रकार हैं:
ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding)
इस तरीके को लेक्टेशनल इनफर्टिलिटी (Lactational infertility) के रूप में भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि लगातार ब्रेस्टफीडिंग से शिशु के जन्म के बाद छे महीने तक ओव्यूलेशन पोस्टपोन हो सकता है। यह नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) मेथड की तरह काम करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मिल्क प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक हार्मोन, ओव्यूलेशन को ट्रिगर करने वाले हार्मोन को रिलीज़ करने से रोकते हैं। इन महिलाओं में प्रेग्नेंसी का रिस्क कम रहता है:
- जिस महिला ने छे महीने से कम समय पहले शिशु को जन्म दिया हो
- शिशु को केवल ब्रेस्टफीड ही करा रही हों
- जिनके शिशु के जन्म के बाद से पीरियड्स शुरू न हुए हों
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परहेज (Abstinence)
इस तरीके को पार्टनर के साथ किसी भी तरह के सेक्शुअल इंटरकोर्स या सेक्स प्ले से बचने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। यह तरीका प्रेग्नेंसी और सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस (Sexually transmitted infections) बचाव का एक प्रभावी तरीका है। हालांकि, यह तरीका आपके निर्णय पर निर्भर करता है और कई बार ऐसा कर पाना मुश्किल हो जाता है। इसके बारे में अपने पार्टनर से बात करें और उसके बाद सही निर्णय लें।
विदड्रावल (Withdrawal)
विदड्रावल उस तरीके को कहा जाता है जिसमें एजैक्युलेट (Ejaculates) होने से पहले ही पुरुष अपने पीनस को महिला की वजाइना से बाहर निकाल लेता है। हालांकि, यह तरीका पूरी तरह से विश्वसनीय नहीं है। क्योंकि, कई बार वजाइना में पहले ही स्पर्म रिलीज़ हो गया होता है, जो एग्स को फर्टिलाइज करने के लिए काफी है। यह तरीका पूरी तरह से सेल्फ कंट्रोल पर निर्भर करता है।
फर्टिलिटी अवेयरनेस मेथड्स (Fertility Awareness Methods)
फर्टिलिटी अवेयरनेस मेथड्स में महिला को अपने शरीर को उस समय मॉनिटर करना होता है, जब वो सबसे अधिक फर्टाइल होता है। ओव्यूलेशन के दौरान आपको अनप्रोटेक्टेड सेक्स (Unprotected Sex) करने से बचना चाहिए। इस नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) मेथड में शरीर में होने वाले विभिन्न बदलाव को नोटिस करना होता है। यह भी नोटिस किया जाता है कि आप कब ओव्यूलेट करने वाली हैं।
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आउटरकोर्स (Outercourse)
आउटरकोर्स एक तरह का सेक्शुअल प्ले है, जिसमें सेक्शुअल इंटरकोर्स की जरूरत नहीं होती है। इसमें किसिंग (Kissing), मेनुअल स्टिम्युलेशन (Manual stimulation) , मास्टरबेशन (Masturbation), ओरल सेक्स (Oral Sex), एनल सेक्स (Anel ANAL Sex) आदि शामिल हैं। लेकिन, यह नेचुरल मेथड सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस (Sexually transmitted infections) से बचने में पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं। यह तो थे नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के तरीके। अब जानिए कि यह नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन के तरीके कितने प्रभावी हैं?
नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन कितने प्रभावी हैं?
अगर आपको नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में पूरी जानकारी है और आप इनका अच्छे से पालन करते हैं, तो यह तरीके 99 प्रतिशत प्रभावी है। इसका अर्थ है कि इन तरीकों को अपनाने के बाद 100 में से केवल एक से नौ महिलाओं को गर्भवती होने का रिस्क होता है। लेकिन, अगर इन तरीकों को अच्छे से पालन न किया जाए, तो गर्भवस्था का रिस्क बढ़ सकता है। ऐसे में इनके बारे में सही जानकारी होना और प्रैक्टिस जरूरी है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
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यह तो थी नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में पूरी जानकारी। हालांकि, बर्थ कंट्रोल हर किसी के लिए एक पर्सनल डिसीजन है। ऐसे में, आप अपने दिमाग में इस बात को अवश्य रखें कि अधिकतर ट्रेडिशनल और नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन मेथड, बर्थ कंट्रोल के बेहतरीन तरीके हैं। हालांकि ,कंडोम को छोड़ कर अन्य तरीके सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शंस (Sexually transmitted infections) से बचाव के लिए प्रभावी नहीं हैं। ऐसे में अगर आप नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन (Natural contraception) के बारे में विचार कर रहे हैं, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से इनके बारे में बात करें ताकि, डॉक्टर उस प्लान को डेवलप कर सकें जो आपके लिए प्रभावी हों।
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