इंसोम्निया का निदान (Insomnia Diagnosis)
इंसोम्निया के निदान के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री और स्लीप हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही डॉक्टर आपको एक या दो हफ्ते तक अपनी नींद, स्लीप पैटर्न और आप दिन में कैसा महसूस करते हैं, इन सब को नोटिस करने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही वो आपको कुछ खास टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं।
इंसोम्निया का उपचार (Insomnia Treatment)
एक्यूट इंसोम्निया को इलाज की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, अगर आप रोजाना की गतिविधियां भी न कर पा रहे हों तो डॉक्टर आपको कुछ समय के लिए स्लीपिंग पिल्स दे सकते हैं। इस समस्या के इलाज के लिए किसी भी ओवर द काउंटर दवा (Over-the-Counter Medicines) का सेवन न करें। इसके कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं और इन दवाइयों का प्रभाव भी अधिक देर तक नहीं रहता। क्रॉनिक इंसोम्निया के लिए आपको उन हेल्थ प्रॉब्लम्स या कंडीशन के उपचार की जरूरत होगी, जिनकी वजह से आपको नींद नहीं आती है। इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह करें ताकि वो सही समय पर आपका सही उपचार कर सकें। इस समस्या के उपचार के लिए डॉक्टर आपको बिहेवियरल थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं। अब जानते हैं इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) के बारे में।
जानिए हार्ट डिजीज और हार्ट डिजीज रिस्क्स के बारे में (Heart Disease and Heart Disease Risks)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) से पहले इन दोनों समस्याओं के बारे में जानना बेहद जरूरी है। इंसोम्निया के बारे में तो आप जान ही गए होंगे कि यह एक स्लीप डिसऑर्डर है, जिसमें पीड़ित व्यक्ति सोने में समस्या महसूस करता है। हृदय से संबंधित समस्याओं का सबसे सामान्य कारण होते हैं कोरोनरी आर्टरीज (Coronary Arteries) का तंग या ब्लॉक होना। बढ़ती उम्र, जेनेटिक, स्मोकिंग, हाय ब्लड कोलेस्ट्रॉल, हाय ब्लड प्रेशर आदि दिल की समस्याओं से जुड़े कुछ जोखिम हैं। लेकिन इंसोम्निया या नींद न या कम आने की समस्या को भी एक हार्ट डिजीज रिस्क्स से जोड़ कर देखा जाता है।
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क के बीच में संबंध (Relation between Insomnia and Heart Disease Risk)
इंसोम्निया और हार्ट डिजीज रिस्क (Insomnia and Heart Disease Risk) दोनों स्थितियां भयानक हो सकती हैं। नींद आने में समस्या होने का असर हमारे दिमागी और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर पड़ता है। यह बात साबित हो चुकी है कि इंसोम्निया दिल संबंधित समस्याओं को बढ़ा सकती है। ऐसा कहा जाता है कि जो वयस्क हर रोज सात घंटे से कम समय तक सोते हैं, उनमे स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack), अस्थमा (Asthma) या डिप्रेशन (Depression) आदि का जोखिम बढ़ सकता है। इससे जुडी कुछ हेल्थ समस्याएं हैं हार्ट डिजीज का जोखिम बढ़ना, हार्ट अटैक और स्ट्रोक। सामान्य स्लीप के दौरान हमारा ब्लड प्रेशर लो होता है। लेकिन, अगर किसी को सोने से संबंधित समस्या यानि इंसोम्निया है तो इसका अर्थ है कि उनका ब्लड प्रेशर लंबे समय तक हाय ही रहेगा। हाय ब्लड प्रेशर हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण और खतरा है।