खुदकुशी या आत्महत्या के विचार आने पर लोग खुलकर बातचीत नहीं करते हैं। ऐसे में होता यह है कि जिन लोगों का मन आत्महत्या के विचार से जूझ रहा होता है, वे किसी से बात नहीं कर पाते और खुद को अकेला महसूस करते हैं। यही आगे चलकर उनकी खुदकुशी का कारण बनता है। खुदखुशी के विचार आने का मतलब यह नहीं है कि आप पागल या कमजोर हैं। कई बार किसी बात से अधिक निराश होने पर भी आत्महत्या के विचार आने लगते हैं। ऐसे लोगों की सहायता हर किसी को करनी चाहिए, ताकि किसी की जिंदगी बचाई जा सके। लेकिन सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) जितना आसान काम लगता है, उतना होता नहीं है। किसी व्यक्ति में जीने की ललक को फिर एक बार जगाना बहुत मुश्किल काम साबित हो सकता है। ऐसे में जरूरी है कि आपको सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) यानी कि किसी को आत्महत्या करने से रोकने के लिए इससे जुड़ी सभी बातें मालूम हों। हम आज आपके लिए सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी लेकर आए हैं।
सुइसाइड प्रिवेंशन : वॉर्निंग साइंस (Warning signs) पर दें ध्यान
आत्महत्या के विचार रखने वाले कई लोगों की बातों या व्यवहार में कुछ हफ्तों पहले से कुछ संकेत साफ दिखाई देते हैं। यही उनके वॉर्निंग साइंस (Warning signs) माने जा सकते हैं। हालांकि कुछ मामले ऐसे भी होते हैं, जिनमें खुदकुशी को लेकर कोई विचार नहीं किया जाता है , किसी क्षणिक आवेग में जान दे दी जाती है। लेकिन अगर आप ध्यान दें, तो ऐसे मामलों में भी खुदकुशी से ठीक पहले एक खास किस्म की चिंता (anxiety), मानसिक तनाव (mental stress), हताशा (hopelessness) या इस तरह के कोई और लक्षण जरूर दिखाई देते हैं। किसी व्यक्ति की मदद आप तभी कर सकते हैं, जब आप पहचान पाएंगे कि इसके मन में आत्महत्या के विचार आ रहे हैं। नीचे दिए गए लक्षणों या वॉर्निंग साइंस को देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति खुदखुशी करने की सोच रहा है। सुइसाइडल टेंडेंसी (suicidal tendency) के सामान्य लक्षणों की पहचान इनसे की जा सकती हैः
- आत्महत्या के बारे में बात करना- उदाहरण के तौर पर, इस तरह की बातें करना “मैं खुद को मारने जा रहा हूं,” “काश मैं मर चुका होता” या “काश मैं पैदा ही नहीं हुआ होता”
- जानलेवा वस्तुएं खरीदना जैसे- बंदूक या तरह-तरह की दवाओं को इकट्ठा करना
- सामाजिक जीवन से दूरी बनाना
- अकेले रहना
- आत्महत्या की कोशिश करने की सोचना
- किसी स्थिति में उलझना और निराश रहना
- बहुत ज्यादा शराब या दवाएं लेना
- खाने या सोने के पैटर्न सहित सामान्य दिनचर्या में बदलाव
- लोगों से ऐसे अलविदा कहना जैसे फिर से उनसे मिलने वाले नहीं हो
- गंभीर तौर पर परेशान रहना, चिंता करना या अकेले में रहना
- मूड स्विंग होना, कभी बहुत ज्यादा भावनात्मक होना
- मित्रों और परिवार के सदस्यों से अलगाव
- ध्यान केंद्रित करने में समस्याएं
- सामान्य गतिविधियों में अरुचि का पैदा होना
- खुद के लिए जोखिम भरे या खतरनाक कदम उठाना, जैसे बहुत तेज वाहन चलाना, इत्यादि
ध्यान रखें कि हर किसी व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों की इन स्थितियों के बारे में आसानी से पता लगाया जा सकता है, जबकि कुछ लोग अपनी स्थितियों के बारे में कोई बात नहीं करते हैं। वे आमतौर पर अपनी भावनाओं को सीक्रेट रखते हैं। किसी व्यक्ति की सुसाइडल टेंडेंसी के सारे वॉर्निंग साइंस (Warning signs) आपको एक साथ दिखाई नहीं देंगे, आपको उनके कामों पर ग़ौर देकर समझना होगा कि उन्हें आपकी मदद की जरूरत है या नहीं। अगर आपको इसके लक्षणों के बारे में कोई सवाल है, तो इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
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सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention): ये हैं इससे जुड़े मिथ्स और फैक्ट्स
सुइसाइड (Suicide) से जुड़े कई सवाल हमारे मन में आ सकते हैं, जिसके जवाब हम डॉक्टर या किसी एक्स्पर्ट से ले सकते हैं। लेकिन मामला गम्भीर तब बन जाता है, जब लोग इससे जुड़ी धारणाएं या तो बना लेते हैं या बनी हुई धारणाओं पर विश्वास करने लगते हैं। इसलिए आपके लिए जरूरी है कि सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) से जुड़े मिथ्स और फ़ैक्ट जान लें।
मिथ – डिप्रेस्ड व्यक्ति (depressed person) से नहीं पूछना चाहिए कि क्या उसे आत्महत्या के ख्याल आते हैं?
फैक्ट – अक्सर हम डिप्रेस्ड लोगों से बात करने से कतराते हैं। डिप्रेशन को लेकर हमारे आसपास स्टिग्मा बना हुआ है। लेकिन आपके लिए जरूरी हैं कि आप ज़रूरतमंद व्यक्ति से बात करें। जब आप व्यक्ति से उसके सुइसाइडल विचारों (suicidal thoughts) को लेकर बात करते हैं, तो उन्हें इमोशनल सपोर्ट मिलता है और वे अपने नेगेटिव विचार (negetive thoughts) आपसे शेयर कर पाते हैं। इसलिए डिप्रेस्ड व्यक्ति से उसके नेगेटिव विचारों के बारे में बात करने में कोई बुराई नहीं है।
मिथ- जो लग आत्महत्या (Suicide) चाहते हैं, वो कोई न कोई रास्ता ढूंढ ही लेते हैं।
फैक्ट – ये सेंटेंस तो आपने कई दफ़ा सुना होगा। लोगों का मनना है कि जो लोग आत्महत्या करना चाहते हैं, वो किसी तरह अपने काम को अंजाम दे ही देते हैं, लेकिन ये बात सच नहीं है। आत्महत्या के विचार से ग्रस्त व्यक्ति भले ही जीने की इच्छा ना रखे, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम उनकी मदद ना करें। जब आप ऐसी धारणा बना लेते हैं, तो आप व्यक्ति की मदद करने के बारे में नहीं सोचते, जो आत्महत्या के विचार से ग्रसित व्यक्ति के लिए ख़तरनाक हो सकता है।
मिथ- जिनके पास सबकुछ होता है, वो आत्महत्या (Suicide) करते।
फैक्ट – ये लोगों के बीच सुना जानेवाला सबसे बड़ा मिथ है। अच्छा घर, अच्छी नौकरी, फ़ैमिली ये सब देख कर हम सोचते हैं कि सब ठीक है। लेकिन व्यक्ति के निराशाजनक विचार उसके साथ क्या कर रहे हैं, ये कोई नहीं समझ पाता। इसलिए बाहरी चीज़ों को देख कर ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि डिप्रेशन (depression) से ग्रसित व्यक्ति आत्महत्या नहीं करेगा।
जब आप इन चीज़ों के बारे में विस्तार से समझते हैं, तो लोगों की तकलीफ़ों की तरफ देखने का आपका नज़रिया बदल जाता है। इसलिए आपको सही जानकारी होना, आपके किसी अपने की जिंदगी बचा सकती है।
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सुइसाइड प्रिवेंशन : कैसे करें दूसरों की मदद?
सुइसाइड प्रिवेंशन (Suicide prevention) के दौरान जब आप किसी व्यक्ति से बात कर रहे हों, तो आपको कई बातों का ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है। आपकी बातों का ज़रूरतमंद व्यक्ति पर सकारात्मक प्रभाव (Positive effect) पड़ना चाहिए, ना कि नकारात्मक। ये अपने आप में एक बड़ी ज़िम्मेदारी है। इसलिए आत्महत्या की ओर प्रेरित हो रहे व्यक्ति के लिए आप ये काम कर सकते हैं।
अकेले न छोड़ें
अगर व्यक्ति कुछ दिन से गुमसुम है या अकेला रहना पसंद करने लगा है तो सतर्क हो जाएं। हो सकता है उसके मन में आत्महत्या के विचार (suicidal thoughts) आ रहे हो। आपको चाहिए कि उससे आप प्यार से बात करें। उनकी उदासी और समस्या को समझने का प्रयास करें। जिसके कारण वह अवसाद का शिकार हो रहा है। यह व्यक्ति में आत्महत्या के विचार को बढ़ा सकता है। इसलिए अवसाद के लक्षण और उसे दूर करने के उपाय को समझना जरूरी है।
कुछ सवाल करें
व्यक्ति से उसकी भावनाओं के बारे में सीधे पूछें। भले ही यह अजीब हो। वह क्या कह रहा है, इसे सुनें और गंभीरता से लें। बस किसी ऐसे व्यक्ति से बात करना जो वास्तव में परवाह करता है, एक बड़ा बदलाव ला सकता है। अगर आप बात करने के बाद भी चिंतित हैं, तो अपनी चिंताओं को किसी काउंसलर, स्थानीय युवा केंद्र या किसी अन्य जिम्मेदार इंसान के साथ साझा करें।
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उपचार के लिए व्यक्ति को प्रोत्साहित करें
आत्महत्या के विचार रखने वाला या गंभीर रूप से उदास व्यक्ति में खुद की मदद करने की झमता नहीं होती है। ऐसे में यदि व्यक्ति डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य (Mental health) प्रदाता से परामर्श नहीं लेना चाहता है, तो उसे हेल्प ग्रुप, क्राइसिस सेंटर या किसी अन्य विश्वसनीय व्यक्ति की मदद लेने का सुझाव दें। आप सहायता और सलाह दे सकते हैं।
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आश्वासन (Assurance) दें
व्यक्ति को आश्वासन (Assurance) दें कि चीजें बेहतर हो सकती हैं। जब कोई आत्महत्या के विचार मन में लाता है, तो वह सोचता है कि कुछ भी बेहतर नहीं होगा। उस व्यक्ति को आश्वस्त करें कि उचित उपचार के साथ, वह सामना करने के अन्य तरीकों को विकसित कर सकता है और फिर से जीवन के बारे में बेहतर महसूस कर सकता है।
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एल्कोहॉल और ड्रग्स से बचाएं
व्यक्ति दवाओं या एल्कोहॉल (alcohol) का उपयोग करना शुरू कर देता है उसे लगता इन सबसे दर्दनाक भावनाओं को कम किया जा सकता है, लेकिन अंततः यह चीजों को बदतर बनाता है। प्रोत्साहित करें कि वह ऐसा न करें। यदि व्यक्ति अपने दम पर नहीं छोड़ सकता है, तो उपचार खोजने में मदद करें। शराब और ड्रग्स का उपयोग करने से बचना चाहिए, क्योंकि ये पदार्थ आत्मघाती विचारों की सोच को बढ़ावा देते हैं।
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घर को सुरक्षित बनाएं
अगर संभव है तो उन चीजों को हटा दें जिनका इस्तेमाल वह खुद को चोट पहुंचाने के लिए कर सकता है। साथ ही घर पर मौजूद हानिकारक दवाओं को भी हटा दें। कोशिश करें कि ऐसी स्थिति में व्यक्ति के साथ कुछ दिनों तक कोई रहे। यदि व्यक्ति पहले से अपने परिवार के साथ रह रहा है, तो परिवारजनों को व्यक्ति की स्थिति से अवगत करवाएं।
आपकी ख़ुशी का रास्ता कहां से जाता है, जानते हैं आप?
आत्महत्या करने का विचार रखनेवाला व्यक्ति आपसे क्या चाहता है?
वो अपने मन की बात कह सके
ऐसे विचार रखनेवाला व्यक्ति बस ये चाहता है कि कोई उसकी बातें शांति और धैर्य से सुने। वो अपने मन की बात आपसे कर सकें और अपनी परेशानी बता सके। इससे व्यक्ति का दिल हल्का होता है और वो कुछ समय के लिए बेहतर महसूस करता है।
आप उसका ख्याल रखें
जब व्यक्ति पर नकारात्मक विचार हावी हो जाते हैं, तो वह अपनी जिंदगी से प्यार नहीं कर पाता। ऐसे में किसी व्यक्ति की उसे जरूरत होती है, जो उसका ख्याल रख सके, उसके लिए संवेदना रखे और उसकी भावनाओं का ख्याल रखे। जब आप व्यक्ति का ख्याल रखते हैं, तो उसमें हिम्मत जागती है और वह अपनी समस्याओं का सामना करने के बारे में सोचता है।
आप उसका विश्वास करें
जब व्यक्ति आपसे अपने दिल की बात कहता है, तो उसे ये काम करने के लिए हिम्मत जतानी पड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि आप उसकी बातों पर विश्वास करें और उसे लेकर किसी तरह की धारणा ना बनाएं। जब व्यक्ति देखेगा कि आप उस पर भरोसा कर रहे हैं, तो वो निश्चिन्त होकर आपसे अपने दिल की बात कह सकेगा।
आप उसे आश्वासन दें
जो व्यक्ति डिप्रेशन (Depression) या किसी और मानसिक विकार (Mental problem) से जूझ रहे होते हैं, वे ख़ुद में भयभीत महसूस करता है। ऐसे में जब आप उसे सांत्वना देते हैं, तो वो बेहतर महसूस करता है। उसे अकेला महसूस नहीं होता और वो आपके सहयोग के बल पर नकारात्मक वातावरण से निकलने की कोशिश कर सकता है।
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आत्महत्या के विचार, जब आपके मन में आए तो?
अब तक हम जो बात कर रहे थे, वो थी किसी ऐसे व्यक्ति की मदद की, जो आत्महत्या के विचार से ग्रस्त है। लेकिन ये चुनौतीपूर्ण स्थिति आपको भी अपना शिकार बना सकती है। इसलिए जरूरी है कि इस बारे में भी बात की जाए। चाहे आप अभी कितना भी परेशान महसूस कर रहे हों, आप अकेले नहीं हैं। इस बारे में इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि जब किसी में स्ट्रेस का लेवल बढ़ता जाता है, तो कई बार यह डिसऑर्डर उसे सुसाइड जैसे विचारों की तरफ ले जाता है। हर किसी के जीवन में तनाव के अलग-अलग कारण होते हैं। इन सबका इलाज भी किया जा सकता है। तनाव के दौरान दिमाग में आने वाली नकारात्मक सोच कई हेल्थ रिस्क को बढ़ा सकती है। नकारात्मक प्रभाव संकट के रूप में जाना जाता है। तनाव का समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। मेरा मानना है कि अपने दिमाग पर कंट्रोल करना इतना भी मुश्किल नहीं है। बस जब मन में कोई बुरे ख्याल आएं। तुरंत अपना दिमाग किसी दूसरे काम में लगा लें। नियमित रूप से मेडिटेशन करना इसका सबसे अच्छा उपाय है। सकारात्मक या नकारात्मक स्थिति, तनाव की धारणा पर निर्भर करती है, साथ ही उनके नियंत्रण की भावना और सामना करने की क्षमता पर निर्भर करती है। लंबे समय तक तनाव बने रहना संकट की ओर ले जाता है।जो बदले में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई अध्ययनों ने खराब शारीरिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानि कि इम्यूनिटी को भी प्रभावित करता है। बढ़ता तनाव, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र और न्यूरो-एंडोक्राइन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह ग्लूकोज को चयापचय करने के लिए शरीर की क्षमता को कम करता है। कई बार बढ़ते तनाव के कारण भी शरीर में इंसुलिन का निमार्ण नहीं हो पाता है।
दर्द का इलाज किया जा सकता है और आशा को एक नई दिशा दी जा सकती है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपकी स्थिति क्या है। दुनिया में ऐसे लोग हैं जिन्हें आपकी जरूरत है। ऐसी जगहें मौजूद हैं, जहां आप अच्छा महसूस कर सकते हैं। आप आज जैसा महसूस कर रहे हैं, वैसा कल महसूस नहीं किया था, कल या अगले सप्ताह आपको कुछ और महसूस हो रहा होगा। आपके साथ जरूर कुछ ऐसे यादगार अनुभव हैं, जो आपको याद दिला सकते हैं कि जीवन जीने लायक है। मौत का सामना करने के लिए असली हिम्मत चाहिए। आप अपनी इसी हिम्मत और साहस का उपयोग जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के लिए कीजिए। अवसाद पर काबू पाने और अपने कौशल को जानने के लिए कीजिए। जीवन में ढेर सारे अनुभव हैं, जो आपको खुश करने की क्षमता रखते हैं। आपको इन चीजों से खुद को जोड़े रखना होगा।
कुछ बातें, जो नोट करने लायक हैं –
इलाज से परहेज का ख्याल छोड़ दें –
इलाज हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। अगर आप डिप्रेशन जैसी मानसिक तकलीफ़ (mental problem) से लम्बे समय से जूझ रहे हैं, तो आपके लिए जरूरी है कि आप डॉक्टर की सलाह लें। ये आपकी परेशानी कम ही करेगा, ना कि बढ़ाएगा। इसलिए जिनती जल्दी आप डॉक्टर से मदद लेंगे, उतनी ही जल्दी इस परेशानी से बाहर आ पाएंगे। साथ ही यदि आपके आसपास कोई व्यक्ति आत्महत्या के बारे में बातें करता है, तो उसे भी डॉक्टर से इलाज के लिए प्रेरित करें।
सहायता के लिए सपोर्ट नेटवर्क –
जब आप मानसिक तकलीफ महसूस करते हैं, तो आपको कुछ लोगों को इसके बारे में जरूर बताना चाहिए। वो आपके परिवारजन हो सकते हैं या आपके दोस्त हो सकते हैं। जिनसे आप जरूरत पड़ने पर सहायता ले सकते हैं। ये लोग आपकी मन की स्थिति को समझेंगे और आपको इस तकलीफ़ से बाहर निकलने में मदद करेंगे। यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करना चाहते हैं, जो आत्महत्या के विचार से जूझ रहा है, तो आप उसका सपोर्ट सिस्टम बन सकते हैं।
समय निकालना है जरूरी
इस बात का ध्यान रखें कि आत्महत्या का विचार कुछ समय के लिए ही आ सकता है। इसलिए आपको सजग रह कर इसके बारे में सोचना चाहिए। यदि आपको लगे कि आप आत्महत्या की ओर प्रेरित हो रहे हैं, तो आपको अपना ध्यान बंटाते हुए समय निकालना होगा। अगर एक बार आप इस नकारात्मक स्थिति से बाहर आ गए, तो आप खुद को इलाज के लिए मौक़ा दे पाएंगे। जब आपके पास कोई व्यक्ति इस स्थिति में दिखाई दे, तो आप उसे यही बात समझाने का प्रयत्न कर सकते हैं।
यदि कोई कहता है कि वह आत्महत्या के बारे में सोच रहा है या उसके व्यवहार से आपको लगता है कि व्यक्ति सुइसाइड कर सकता है, तो इस स्थिति को अनदेखा न करें। आत्महत्या के विचार रखने वाले कई लोग किसी न किसी पॉइंट पर खुदखुशी (सुइसाइड) करने का इरादा व्यक्त जरूर करते हैं। हो सकता है उनकी मदद करने का दौरान आपको लगे कि आप ओवर रिएक्ट कर रहे हैं, लेकिन आपके मित्र या प्रियजन की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। किसी के जीवन को दांव पर लगाते समय अपने रिश्ते को तनावपूर्ण बनाने के बारे में चिंता न करें।
अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो उसकी बेहतर समझ के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।