बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त का कमजोर होना समझ में आता है, पर कई बुजुर्गों में समय को लेकर कंफ्यूज रहना एक तरह की बीमारी है। दरअसल, यह सनडाउन सिंड्रोम का एक लक्षण है। जो लोग अल्जाइमर के शिकार होते हैं वे छोटी -छोटी चीजों को जल्दी भूल जाते है पर अल्जाइमर के 5 में से 1 मरीज में सनडाउनिंग या सनडाउन सिंड्रोम की शिकायत होती है। ऐसे में मरीज को यह समझ नहीं आता है कि कब सुबह है और कब शाम है, जैसे -जैसे रौशनी कम होती जाती है उनकी परेशानी बढ़ती जाती है। वृद्धावस्था के दौरान इस बीमारी के शिकार लोगों के लिए इस तरह की परिस्थित काफी चुनौतीपूर्ण होती है। आइए जानते हैं, इसके कारण, लक्षण और देखभाल के तरीके।
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सनडाउन सिंड्रोम (Sundown Syndrome) के लक्षण
जिन बुजर्ग लोगों में यह परेशानी होती है, उनके अंदर कुछ इस तरह के लक्षण नजर आते हैं, जैसे कि—
- अधिकतर समय उत्तेजित रहना, जिसके कारण वे हमेशा परेशान और चिंतित रहते हैं।
- बहुत ज्यादा बेचैनी होना।
- चिड़चिड़ाहट होना।
- जल्दी परेशान हो जाना।
- खोए-खोए रहना।
- इसमें बुजुर्गों का स्वाभाव बहुत जिद्दी भी हो सकता है।
- संदेहजनक नजर आते हैं।
- कभी-कभी बहुत चिल्लाना।
- उन चीजों को देखना या सुनना यानी ऐसी चीजों की कल्पना करना, जो कभी हैं ही नहीं।
- मूड स्विंग होता है।
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सनडाउन सिंड्रोम (Sundown Syndrome) के कारण
इस बीमारी के क्या कारण हैं और क्यों होती है? अभी तक सनडाउनिंग का कारणों के बारे में डॉक्टर्स को भी नहीं पता है। कुछ वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि जो लोग डिमेंशिया से ग्रस्त होते हैं, उनकी आंतरिक बॉडी क्लॉक प्रभावित हो जाती है या फिर अल्जाइमर वाले लोगों में दिमाग के उस हिस्से में दिक्क्त होना, जो सोने और जागने का संकेत देता है। इसके कुछ अन्य कारण भी सकते हैं, जैसे कि—
- घर में रोशनी कम होना और छाया ज्यादा होना। इससे भी बीमार बुजुर्ग में डर और भ्रम पैदा होने की संभावाना बढ़ जाती है।
- ऐसे लोग सपने और हकीकत में फर्क नहीं कर पाते हैं, जिसके कारण वो भटकाव महसूस करते हैं।
- थकान और निराशा के कारण।
- कई बार पर्याप्त नींद न लेने के कारण भी ऐसा होता है।
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सनडाउन सिंड्रोम (Sundown Syndrome) के उपाय
डेली का रूटीन फिक्स करें
अगर आपके घर में भी किसी बुजुर्ग को यह समस्या है, तो सबसे पहले आप उनके डेली रुटीन में बदलाव लाएं और हर काम के लिए समय फिक्स करें। इससे टाइम को लेकर उन्हें कोई भ्रम नहीं होगा। उनके उठने का समय, खाने का समय और सोने का समय सैट करें। इसी के साथ ही उन्हें बाहर ले जाने का और यहाँ तक की उनके दिन भर में किए जाने वाले सभी कार्यों का टाइम फिक्स करें। ऐसा करने से इस समस्या से निकलने में उन्हें काफी आसानी होगी।
नींद को प्रभावित न होने दें
अगर किसी को सनडाउन सिंड्रोम की शिकायत है, तो उनकी नींद पूरी होना बहुत जरूरी है। इसलिए ऐसे बीमार बुजुर्गों की नींद का विशेष ध्यान रखना चाहिए और उन्हें उन चीजों से दूर रखें, जिससे कि उनकी नींद प्रभावित हो सकती है, जैसे कि सिगरेट या शराब का सेवन। इसी के साथ वह लंच में चाहें जितना खाएं पर डिनर हमेशा थोड़ा डायट लें।
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शाम को झपकी न लेंने दें
वृद्धावस्था में थकान भी जल्दी लगती है और नींद भी काफी आती है। लेकिन, कोशिश करें की आप उन्हें शाम की झपकी से रोकें और अगर दिन में सोने की आदत है तो उन्हें दिन के शुरुआती पहर में सोने दें।
शाम का माहौल अच्छा रखें
रोशनी कम होना या अंधेरा, ऐसे में और परेशान करता है। इसलिए घर में लाइट चालू रखें। कमरे के तापमान का भी ख्याल रखें ताकि ज्यादा गर्मी या सर्दी न लगे। घर में ज्यादा शोर-शराबा न रखें। इसके लिए हल्का -हल्का सा म्यूजिक चला सकते हैं या उन्हें शाम में बाहर लेकर के भी जाएं।
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पसंदीदा म्यूजिक चलाएं
अपने प्रियजन को उनका पसंदीदा म्यूजिक सुनाएं। जिससे उन्हें झपकी नहीं आएगी। उन्हें गाने के साथ गुनगुनाने के लिए कहें। हो सके तो कैरोके का इस्तेमाल करें। क्लासिक म्यूजिक अगर पसंद करते हैं तो उन्हें वो सुनाएं।
सनडाउन सिंड्रोम के लिए दवाएं
सनडाउन सिंड्रोम के लिए आप चाहें तो निम्न दवाएं उपयोग में ला सकते हैं। ये दवाएं सनडाउन सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति में उत्तेजक स्वभाव को कम करने में मदद करती हैं।
मेलाटोनिन
कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि मेलाटोनिन हॉर्मोन ही हमारे सोने और जागने के चक्र के लिए जिम्मेदार होता है। यही हॉर्मोन सनडाउन सिंड्रोम के लिए भी जिम्मेदार होते हैं। इसमें व्यक्ति में मेलाटोनिन की मात्रा को कम करने के लिए कुछ सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं, जिससे नींद या झपकी कम होती है।
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एंटीसाइकोटिक दवाएं
एंटीसाइकोटिक दवाएं सनडाउन सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं। एक रिपोर्ट में पाया गया है कि एंटीसाइकोटिक दवाओं में से एक दवा क्विटापाइन सनडाउन के मरीज के लिए फायदेमंद होता है। जो स्लीप या झपकी को डिस्टर्ब करता है। लेकिन किसी भी तरह की एंटीसाइकोटिक दवाएं लेने से सनडाउन सिंड्रोम के लक्षण ठीक हो जाएं ऐसा जरूरी नहीं है। कुछ मामलों में दवा छोड़ने के बाद फिर से इस बीमारी के लक्षण सामने आने लगते हैं।
ऊपर बताई गई सभी दवाएं एक बार डॉक्टर या फार्मासिस्ट के परामर्श पर ही लें। साथ ही कोशिश करें कि सनडाउन सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति के लाइफस्टाइल में बदलाव करें। डॉक्टर अक्सर लाइट थेरिपी करने की सलाह देते हैं। लाइट थेरिपी में रोजाना सुबह मरीज को एक से दो घंटे तेज फ्लूरोसेंट लैंप में बैठने के लिए कहा जाता है।
सनडाउन सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति की देखभाल कैसे करें?
- इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को संभालने से पहले आप खुद शांत रहें। इसका मतलब है कि आप मरीज के लक्षणों पर चिल्लाए नहीं बल्कि उसे शांति से समझने की कोशिश करें।
- सनडाउन बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को थोड़ा समय दें। उनका साथ न छोड़ें वे धीरे-धीरे ठीक होंगे।
- बीमार व्यक्ति को आश्वस्त कराएं कि सब कुछ ठीक है।
अब तक तो आप समझ ही गए होंगे की सनडाउन सिंड्रोम क्या होता है और ऐसी स्थिति में कैसे आप अपने प्रियजानो का ख्याल रख सकते हैं। इस समस्या पर बुजुर्गों की देखभाल को लेकर आप डॉक्टर की सलाह भी लें।
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