द सेंटर फार डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट के अनुसार वैसे लोग जो सेक्स के दौरान कॉन्डोम का इस्तेमाल करते हैं वो एचआईवी जैसी बीमारी से ज्यादा सेफ रह पाते हैं। अन्य कॉन्डोम की तुलना में लेटेक्स कॉन्डोम एचआईवी की बीमारी से बचाव के लिए ज्यादा सुरक्षित होते हैं। यदि आपको लेटेक्स से एलर्जी है तो ऐसे में आप पॉलीयूरेथेन (polyurethane) और पॉलीसोप्रीन (polyisoprene ) कॉन्डोम का इस्तेमाल कर एचआईवी ट्रांसमिशन की संभावनाओं को कम कर सकते हैं। लेकिन यह कॉन्डोम लेटेक्स कंडोम की तुलना में ज्यादा जल्दी फट जाते हैं।
एचआईवी टेस्टिंग है काफी जरूरी
जब कोई व्यक्ति एचआईवी से ग्रसित होता है तो एक निश्तित समय तक परिक्षण के बावजूद उसमें एचआईवी नहीं दिखता है। इस समय काल के बीच में जो एचआईवी की जांच करता है उसकी रिपोर्ट एचआईवी निगेटिव आती है। जबकि यह व्यक्ति संक्रमित हो चुका होता है। इस समय को विंडो पीरियड कहा जाता है।
यह विंडो पीरियड बायोलॉजिकल फैक्टर पर निर्भर करता है वहीं किस प्रकार का टेस्ट किया जा रहा है उसपर भी निर्भर करता है। सामान्य तौर पर एक से तीन महीनों के बाद टेस्ट में एचआईवी का पता चल जाता है। विंडो पीरियड के दौरान यदि संक्रमित व्यक्ति किसी अन्य के साथ संभोग करता है तो उसे भी संक्रमित कर सकता है। जबकि एचआईवी टेस्ट में वो संक्रमित नहीं पाया गया था।
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कुछ सेक्स के प्रकार में रहती है बीमारी के फैलने की ज्यादा संभावनाएं
सेक्स के दौरान एचआईवी संक्रमित होने की संभावना सेक्स के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। उदाहरण के तौर पर ओरल सेक्स की तुलना में एनल सेक्स करने वालों को बीमारी की संभावनाएं कहीं ज्यादा रहती है।
कॉन्डोमलेस सेक्स करने वालों के साथ यदि वो एनल सेक्स करें तो उन्हें एचआईवी होने की संभावनाएं अधिक रहती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि एनस में घाव होने की संभावना अधिक रहती है, जिसके कारण रक्तकोशिकाओं तक में वायरस चला जाता है। वहीं जो एनल सेक्स करते हैं उन्हें यह बीमारी होने की अधिक संभावना रहती है, इसे बॉटोमिंग भी कहा जाता है।
वजाइना सेक्स के दौरान भी एचआईवी एक से दूसरे में आसानी से जा सकता है। बता दें कि एनस की लाइनिंग वाल की तुलना में वजाइना की लाइनिंग वाल ज्यादा मजबूत होती है। इस वजह से एचआईवी संक्रमण का खतरा भी अधिक रहता है।
ओरल सेक्स की बात करें तो कॉन्डोमलेस सेक्स या बिना डेंटल डैम के सेक्स किया जाए तो इसमें एचआईवी ट्रांसमिशन की संभावना काफी कम रहती है। यदि ओरल सेक्स करने के दौरान आपके पार्टनर को मुंह में घाव है, ब्लीडिंग गम सहित अन्य समस्या है तो संभावनाएं अधिक है कि आपको भी एचआईवी की बीमारी हो सकती है।
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