नींद नहीं आने की समस्या से कभी न कभी हर कोई जूझता है। नींद न आने की इसी समस्या को इंसोम्निया कहते हैं। एक-दो दिन से ज्यादा नींद परेशानी बने तो, आप किसी न किसी से सलाह लेना भी शुरू कर देते हैं। इन सलाहों को मानने से पहले जान लें कि क्या हैं इंसोम्निया के मिथ और फैक्ट? चूंकि मुफ्त की सलाहों में बहुत सी सलाहें ऐसी होती हैं, जो सही नहीं होती हैं। बहुत लोग इंसोम्निया से जुड़ी कुछ ऐसी बातों पर भरोसा कर लेते हैं, जो सच नहीं होते। ये केवल इंसोम्निया से जुड़े मिथक होते हैं। आज इस आर्टिकल में हम आपको इंसोम्निया से जुड़े मिथक के बारे में बताएंगे और साथ ही इसके फैक्ट्स पर भी नजर डालेंगे।
यह हैं इंसोम्निया के मिथक
1) शराब पीने से नींद आती है
इंसोम्निया के मिथक में ये बात भी आती है कि कुछ लोग सोचते हैं शराब पीने से नींद आती है। उनका मानना होता है कि यदि नींद नहीं आ रही है तो, शराब पीनी चाहिए। यह इंसोम्निया से जुड़ा मिथक है। शराब पीने से नींद आने लगती है लेकिन, शराब की वजह से नींद में बेचैनी या परेशानी भी होती है। कई बार नींद जल्दी टूट जाती है।
2) मानसिक परेशानी की वजह से होता है इंसोम्निया
यह सच है कि मानसिक असंतुलन या परेशानी के कारण इंसोम्निया की समस्या हो सकती है। लेकिन सिर्फ यही कारण नहीं हैं। बीमारी, दवाओं का असर, किसी तरह का दर्द जैसे कारणों की वजह से भी नींद की समस्या हो सकती है।
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3) टीवी, लैपटॉप आदि देखने से नींद आती है
यह बहुत बड़ा भ्रम है कि नींद न आ रही हो तो, लैपटॉप पर काम करें या टीवी देखें। दरअसल, ऐसा करने से आप और सक्रिय हो जाते हैं। इससे आपको नींद कम आती है। रोशनी और शोर के कारण मेलाटोनिन का स्तर भी कम हो जाता है। मेलाटोनिन एक तरह का हॉर्मोन है, जो नींद लाने में मदद करता है। माना जाता है कि यह अंधेरे में ज्यादा सक्रिय होता है। यदि आपको म्युजिक सुने बिना नींद नहीं आती है तो, कोशिश करें कि कोई रिलेक्सिंग म्यूजिक सुनें या कोई स्लीप एप डाउंलोड कर लें। इंसोम्निया के मिथक पर आप भरोसा न करें।
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4) नींद की गोली से कोई नुकसान नहीं पहुंचता
पहले के बजाए आजकल की स्लीपिंग पिल सुरक्षित हैं लेकिन, यह याद रखना चाहिए कि दवाओं का साइड इफेक्ट भी हो सकता है। इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट यह भी हो सकता है कि आप इन्हीं के भरोसे जीने लगते हैं। नींद की गोलियां अस्थायी तौर पर नींद में मदद कर सकती हैं लेकिन, यह नींद का उपचार नहीं कर सकती हैं। इसलिए नींद की गोलियां लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। इंसोम्निया के मिथक में से एक है।
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5) दोपहर की झपकी नींद में मदद कर सकती है
कहा जाता है कि यदि आप दोपहर में एक नेप यानी झपकी ले लें तो, रातों को नींद अच्छी आती है। यह बात कुछ ही लोगों के लिए सही साबित हो सकती है। चूंकि कुछ लोग झपकी लेने के बाद रिफ्रेश महसूस करते हैं। वहीं जो लोग नींद की समस्या से परेशान हैं उनके लिए दोपहर की झपकी समस्या बन सकती है क्योंकि इसके बाद आपको रात को सोने में दिक्कत होती है। यह भी इंसोम्निया के मिथक में से एक है।
6) कम सोने को बना लें आदत
नींद नहीं आती तो, कई लोग सलाह देते हैं कि कम सोने को ही अपनी आदत बना लिया जाए। यह सरासर आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। आपको कम सोने की आदत हो सकती है, लेकिन आपके शरीर को यह आदत नहीं हजम होती है। कम सोने के कारण चीजों को याद रखने में दिक्कत हो सकती है। भरपूर नींद न सोने के कारण होने वाली थकान से वर्क परफोमेंस, एक्सिडेंट और अन्य बीमारियां की समस्या बढ़ सकती है। यह भी इंसोम्निया के मिथक में से एक है।
7) नींद की समस्या कुछ वक्त बाद खुद ठीक हो जाती है
जब तक आप यह नहीं जान लेते हैं कि आपको नींद क्यों नहीं आ रही है तब तक यह समस्या खत्म नहीं हो सकती। यदि आपको नींद नहीं आती, आधी रात यूं ही जागते हुए गुजर जाती है तो, हो सकता है कि आपको स्लीप डिसऑर्डर हो। इसलिए डॉक्टर से मिलकर सलाह लें। यह भी इंसोम्निया के मिथक में से एक है।
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यह फैक्ट्स करेंगे मदद
1) नींद न आ रही हो तो, बिस्तर से बाहर निकलें
बार-बार करवट ही बदले जा रहे हों तो, बिस्तर से बाहर आकर कुछ पढ़ लेना या रिलेक्सिंग म्यूजिक सुन लेना फायदेमंद हो सकता है। बिस्तर में रहते हुए बार-बार समय देखने से अच्छा है कि थोड़ा टहल लें। नींद की कमी के कारण मोटापा, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह भी इंसोम्निया के मिथक में से एक है।
2) खुद को सोने के लिए अभ्यस्त करें
सही समय में उठने और सोने के लिए आप अपने शरीर को अभ्यस्त कर सकते हैं। इसकी कुंजी समय पर सोना और उठना ही है। एक समय निर्धारित कर लें। सोने से करीब एक घंटे पहले किताब पढ़ें या गुनगुने पानी से नाहा लें। जो भी चीज आपको नींद दिलाए उसे नियमित रूप से करें।
3) एक्सरसाइज से नींद आती है
यह सच है कि एक्सरसाइज से नींद आती है। यदि आपको नींद न आने की दिक्कत है तो, कोशिश करें कि आप सोने से करीब दो या तीन घंटे पहले एक्सरसाइज करें। चूंकि कई एक्सरसाइज के कारण आपकी बॉडी सक्रिय हो जाती है। इससे आपकी बॉडी का तापमान भी बढ़ जाता है। इस तापमान को पूरी तरह उतरने में करीब छह घंटे लगते हैं। इस कारण सोने और एक्सरसाइज के बीच समय में अंतर रखें।
इंसोम्निया से जुड़ी समस्या किसी को भी हो सकती है। चाहे बच्चे हो या बड़ें। इसोम्निया का इलाज न खुद करें और न ही लोगों से पूछकर। कोशिश करें कि इंसोम्निया के मिथक और फैक्ट को अच्छी तरह टटोल लें और अपने डॉक्टर से जल्द से जल्द मुलाकात करें। तो अगर आप इंसोम्निया के मिथक पर शुरू से भरोसा करते आए हैं, तो इन्हें अपने दिमाग से निकला दें और बेहतर नींद के लिए आप ऊपर बताए गए टिप्स अपना सकते हैं।
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