-होम स्कूलर्स के पक्षकारों का मानना है कि स्कूल का विकल्प तो हमेशा ही खुला ही है। ऐसे में कम से कम एक बार होम स्कूलिंग करा कर देखना चाहिए।
– होम स्कूलर्स परीक्षा के डर से मुक्त रहते हैं। वे दूसरों की जगह खुद से ही प्रतिस्पर्धा करते हैं।
– इस पद्धति में यदि बच्चा वर्तमान सिलेबस या किताबों के साथ सहज नहीं है तो आप इन्हें बच्चों के मुताबिक बदल सकते हैं।
– होम स्कूलर्स को घर से स्कूल जाने की जरूरत नहीं होती। इससे उन्हें अधिक सुरक्षित और फ्रेंडली माहौल मिलता है। बच्चे को माता-पिता का साथ भी ज्यादा मिलता है।
-होम स्कूलर्स के सीखने की प्रक्रिया स्कूल की चारदीवारी तक ही सीमित नहीं रहती। आस-पास की चीजों से सीखना उनकी जीवन शैली का हिस्सा बन जाता है। यह बच्चे के लिए बहुत अच्छा होता है।
– होम स्कूलर्स के अभिभावकों को उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता नहीं रहती। आजकल ज्यादातर महिलाएं वर्किंग हो चुकी हैं। ऐसे में महिलाएं (मां) अपने समय के अनुसार बच्चे को शिक्षा दे सकती हैं।
– होमस्कूलिंग का सबसे बड़ा फायदा यही है कि टाइम शेड्यूल फ्लेक्सिबल होता है। आप अपने समय के मुताबिक अपने बच्चे के टाइम टेबल को एडजस्ट कर सकते हैं। इससे बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स को भी परेशानी कम होती है।
– होमस्कूलिंग में बच्चे की रचनात्मकता भी बढ़ जाती है।
–आप बच्चे को इनडोर गेम्स, आउटडोर गेम्स, अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट, कला और अन्य कार्यों में उसकी रूचि समझ सकते हैं।
-होमस्कूलिंग से बच्चे का मानसिक विकास होता है।
-बच्चे के शारीरिक विकास के लिए भी होमस्कूलिंग बेहतर विकल्प है।