“जो खुद को प्यार करते हैं, वो खुद को स्वस्थ्य रखते हैं“। लेकिन सफलताओं पर मुहर लगाने वाली और घर परिवार को प्यार करने वाली महिलाएं अक्सर अपने आपको प्यार करना भूल जाती हैं। अगर इसे आसान शब्दों में कहें, तो महिलाएं जीवन में हर क्षेत्र में तो कामयाब हो जाती हैं, लेकिन अपनी हेल्थ (Health) का ख्याल रखने में कहीं ना कहीं पीछे छूट जाती हैं। इंडियन नैशनल हेल्थ पोर्टल (Indian National Health Portal) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हैलो स्वास्थ्य इस विमेंस डे (Women’s day) के खास मौके पार महिलाओं में होने वाली कुछ ऐसी बीमारियों (Women illnesses) के बारे में जानकारी शेयर करने जा रहें हैं, जो हैं तो गंभीर, लेकिन अगर इन बीमारियों को इग्नोर ना किया जाए, तो इससे लड़ना और बीमारियों का दि एंड आसानी से किया जा सकता है।
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इस आर्टिकल में एक-एक कर जानेंगे महिलाओं में होने वाली बीमारियों (Women illnesses) के बारे में-
- कैंसर
- हृदय रोग
- विटामिन-डी डेफ़िशिएंसी
- पी.सी.ओ.एस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम)
- एनीमिया
- मैटरनल सेप्सिस
- डिप्रेशन एवं मेंटल हेल्थ
- वजायनल इंफेक्शन
- डायबिटीज
- ऑटोइम्यून डिजीज
1. कैंसर (Cancer)
महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) की लिस्ट में सबसे पहले आता है कैंसर। अमेरिकन सोसायटी ऑफ क्लीनिकल ऑन्कोलॉजी (American Society of Clinical Oncology) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर से महिलाओं की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इस आर्टिकल में ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) और ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों को आगे जानेंगे, साथ ही इस जानलेवा बीमारी को कैसे दूर किया जाए, यह समझेंगे।
(i) ब्रेस्ट कैंसर क्या है? (What is Breast Cancer?)
स्तन कैंसर (Breast Cancer) एक प्रकार का घातक ट्यूमर है, जो स्तन की कोशिकाओं (Cells) में शुरू होता है। ब्रेस्ट कैंसर एक घातक ट्यूमर कोशिकाओं का समूह है, जो तेजी से आसपास के टिश्यू (Tissues) में धीरे-धीरे बढ़ता है और शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है। ज्यादातर महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की शिकार हो जाते हैं। इसका सबसे मुख्य कारण जानकारी की कमी है। रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ साल 2018 में 162,468 ब्रेस्ट कैंसर के नय पेशेंट रजिस्टर किये गए। ब्रेस्ट कैंसर के इन बढ़ते मामलों को महिलाएं खुद कंट्रोल कर सकती हैं, जिसके लिए कुछ और नहीं सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों को समझना जरूरी है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (Symptoms of Breast Cancer)-
- किसी एक स्तन में गांठ (Breast lumps) बनना
- निप्पल से खून निकलना (Bleeding from nipple)
- किसी एक स्तन के आकार (Size of breast) में बदलाव आना
- ब्रेस्ट की स्किन (Changes in breast skin) का बदलना
- निप्पल या स्तन के आसपास की त्वचा का छिल जाना
- स्तन (Breast) की ऊपरी त्वचा का लाल या पीला पड़ना
अगर महिलाएं इन लक्षणों पर गौर करें, तो ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) को आसानी से हरा सकतीं हैं। इसलिए ब्रेस्ट में होने वाले बदलाओं को नजरअंदाज ना करें। अगर ऐसी कोई समस्या है, तो आप अपने पार्टनर, मां, महिला मित्र से बात करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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(ii) ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer)
महिलाओं में होने वाली बीमारी में कैंसर में ही एक और कैंसर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। वैसे ब्रेस्ट कैंसर की तरह महिलाओं में ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) पेशेंट्स की संख्या बढ़ती जा रही है। यह इसलिए भी खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इसकी जानकारी शुरुआती वक्त में नहीं मिल पाती है। इस कैंसर से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय और ट्यूब्स डैमेज हो जाते हैं। आदेश यूनिवर्सिटी जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस रिसर्च (Adesh University Journal of Medical Sciences Research) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2020 में 59,276 ओवेरियन कैंसर पेशेंट्स रजिस्टर किये गए। ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) से बचने के लिए इनके लक्षणों को इग्नोर ना करें।
ओवेरियन कैंसर के लक्षण (Symptoms of Ovarian cancer)-
- पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होना
- टॉयलेट के दौरान जलन महसूस होना
- कमर दर्द (Back pain) होना
- उल्टी आना
महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) में शामिल ओवेरियन कैंसर (Ovarian cancer) के लक्षणों को इग्नोर ना करें। यही नहीं कैंसर के अलावा कई अन्य महिलाओं में होने वाली बीमारी हैं, जिसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
नोट: कैंसर की समस्या से बचने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट रेग्यूलर करवाना या जब डॉक्टर के बताये अनुसार करवाएं।
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2. हृदय रोग (Heart Disease)
महिलाओं में हार्ट अटैक (Heart attack) की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। कुछ बीमारियों के कारण महलाओं में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। एक रिसर्च के अनुसार भारतीय महिलाओं में दिल से जुड़ी बीमारियों (Heart problem) का खतरा बढ़ता जा रहा है। वहीं हर 3 में से 1 महिला की मौत हार्ट डिजीज (Heart disease) के कारण हो रही है। ऐसे में हृदय रोग के लक्षणों को समझना बेहद जरूरी हो जाता है।
हृदय रोग के लक्षण (Symptoms of Heart Disease)-
- गर्दन, जबड़े, कंधे, ऊपरी पीठ या पेट से जुड़ी परेशानी महसूस होना
- जरूरत से ज्यादा पसीना आना
- उल्टी या मितली जैसी परेशानी
- तेज सिरदर्द होना
- चक्कर आना
- सांस लेने में कठिनाई (Breathing problem) महसूस होना
- बाहों में दर्द होना
- हमेशा थका-थका महसूस करना
महिलाओं को इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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3. विटामिन-डी की कमी (Vitamin-D deficiency)
महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) में विटामिन-डी की कमी भी शामिल है। दरअसल बदलती जीवनशैली के फायदे और नुकसान दोनों ही मिल रहें हैं। लेकिन अगर सेहत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो कई बीमारियां अपना आशियाना तलाशती रहती हैं। एक रिसर्च के अनुसार लगभग एक चौथाई आबादी विटामिन-डी की कमी की शिकार है। विटामिन-डी (Vitamin-D) शरीर के लिए अत्यधिक आवश्यक है, क्योंकि इसकी कमी से महिलाओं का इम्यून सिस्टम (Immune system) कमजोर होने लगता है। महिलाओं में विटामिन-डी की कमी (Efficiency of Vitamin-D) के कारण कई शारीरिक परेशानियां शुरू हो सकती हैं और हड्डियां भी कमजोर हो सकती हैं। महिलाओं में विटामिन-डी की कमी होने पर कई लक्षण देखे जा सकते हैं।
विटामिन-डी की कमी के लक्षण (Symptoms of Vitamin-D deficiency)-
- तनाव (Tension) में रहना
- बाल झड़ना
- पीठ दर्द (Back pain) रहना
- चेहरे का डार्क होना
- बार-बार बीमार पड़ना
- हमेशा थका हुआ महसूस करना
महिलाओं में विटामिन-डी की कमी होने पर ये लक्षण देखे या मससूस किये जा सकते हैं।
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4. पी.सी.ओ.एस (Polycystic Ovary Syndrome)
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम एक हॉर्मोनल सिंड्रोम है, जो महिलाओं के ओवरी पर नेगेटिव इम्पैक्ट डालता है। जब महिलाओं में हॉर्मोनल इम्बैलेंस होता है, तो पी.सी.ओ.एस (PCOS) का खतरा बढ़ जाता है। इसी कारण ऑव्युलेशन (Ovulation) ठीक तरह से नहीं होता है। इंडियन नैशनल हेल्थ पोर्टल (Indian National Portal) में पब्लिश्ड सर्वे के अनुसार साऊथ इंडिया में 9.13 प्रतिशत महिलाएं एवं महाराष्ट्र में 22.5 प्रतिशत महिलाएं पी.सी.ओ.एस (PCOS) की समस्या से पीड़ित हैं। इसलिए इसके लक्षणों को समझना जरूरी है।
पी.सी.ओ.एस के लक्षण (Symptoms of Polycystic Ovary Syndrome)-
- वजन बढ़ना (Weight gain)
- अनियमित पीरियड्स (Irregular periods) आना
- चेहरे पर मुंहासे निकलना
- जरूरत से ज्यादा बाल झड़ना
- चेहरे पर हेयर ग्रो करना
- कंसीव करने में कठिनाई होना
पी.सी.ओ.एस (PCOS) के इन लक्षणों को इग्नोर ना करें और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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5. एनीमिया (Anaemia)
महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) में एनीमिया भी शामिल है। एनीमिया होने का सबसे सामान्य कारण आयरन की कमी है। महिलाओं में एनीमिया की समस्या का सबसे मुख्य कारण पीरियड्स माना जाता है। दरअसल पीरियड्स (Periods) अगर नॉर्मल दिनों की तुलना में ज्यादा दिनों तक चले, तो शरीर में खून की कमी हो सकती है। वहीं अगर महिलाएं हेल्दी फूड हैबिट्स (Healthy food habits) ना बनायें, तो जल्द ही एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। महिलाओं में एनीमिया की समस्या होने पर कई शारीरिक परेशानियां महसूस की जा सकती है।
एनीमिया के लक्षण (Symptoms of Anaemia)-
- अक्सर भ्रम में रहना
- बहुत जल्दी ही थकान महसूस होना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- शरीर का रंग पीला पड़ना
- अत्यधिक ठंड लगना
- चक्कर आना
- बेहोश होना
अगर आपको ये लक्षण महसूस हो रहें हैं, तो सतर्क हो जाएं और डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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6. मैटरनल सेप्सिस (Maternal sepsis)
मैटरनल सेप्सिस गर्भाशय का गंभीर बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो गर्भवती महिलाओं में होने वाली समस्या है। यह परेशानी नवजात शिशु के जन्म देने से कुछ दिन पहले होता है। जन्म देने के बाद होने वाले संक्रमण को प्रासविक सेप्सिस (Puerperal sepsis) कहते हैं। ग्रुप ए स्ट्रेप्टोकॉकस (GAS) नामक बैक्टीरिया मैटरनल सेप्सिस का अहम कारण माना जाता है। कई बार बैक्टीरिया (Bacteria) शरीर की सुरक्षा प्रणाली को नष्ट करने लगता है, जो सेप्सिस का कारण बन जाता है। संक्रमण गर्भाशय में होता है या उसके आसपास की ट्यूब, ओवरी या रक्त प्रवाह के कारण पूरे शरीर में फैल सकता है। अगर ध्यान ना दिया जाए, तो मैटरनल सेप्सिस (Maternal sepsis) शिशु के जन्म के बाद मां की मृत्यु का कारण भी बन जाते हैं। इसलिए इसके लक्षणों को इग्नोर ना करें।
मैटरनल सेप्सिस के लक्षण (Symptoms of Maternal sepsis)-
- सर्दी-जुकाम और आमतौर पर अस्वस्थ महसूस होना
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना
- योनि के सफेद डिस्चार्ज (Vaginal discharge) होना और बदबू आना
- योनि से खून बहना
- कमजोरी महसूस होना
- बेहोश हो जाना
इसलिए गर्भवती महिलाओं को इन लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और अपनी इन शारीरिक परेशानियों को डॉक्टर के साथ शेयर करना चाहिए।
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7. डिप्रेशन एवं मेंटल हेल्थ (Depression and Mental Health)
डिप्रेशन एवं मेंटल हेल्थ महिलाओं में होने वाली बीमारी में शामिल है। रिसर्च गेट (ResearchGate) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं में मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम अत्यधिक देखने को मिल रही है। डिप्रेशन (Depression) एवं मेंटल हेल्थ (Mental health) ठीक नहीं होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे पहले इनके लक्षणों को जरूर समझना चाहिए।
डिप्रेशन एवं मेंटल हेल्थ के लक्षण (Symptoms of Depression and Mental Health)-
- किसी भी काम में ध्यान नहीं लगा पाना।
- उदास रहना।
- अकेलापन महसूस करना।
- ऐसा महसूस होना कि भविष्य अच्छा नहीं है।
- बैचेनी महसूस होना।
- सेक्स (Sex) में इंट्रेस खोना।
- गंभीर डिप्रेशन में सुसाइड के विचार भी आ सकते हैं।
अगर आपभी इन ऊपर बताये लक्षणों को महसूस कर रहीं हैं, तो अपने करीबी से बात करें। अपनी परेशानी शेयर करें और जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करें।
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8. वजायनल इंफेक्शन (Vaginal Infections)
महिलाओं में होने वाली बीमारी में वजायनल इंफेक्शन (Vaginal Infections) भी शामिल है। एक रिसर्च रिपोर्ट की मानें, तो महिलाओं में बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन (Bacterial Vaginal Infections) बहुत सामान्य है। तकरीबन 75 प्रतिशत महिलाओं में वजायनल यीस्ट इंफेक्शन की समस्या देखी गई है। वैसे तो यह महिलाओं को किसी भी उम्र में भी होने वाली बीमारी है, लेकिन 15-44 साल तक महिलाओं में ज्यादा होता है। वहीं महिलाओं को वजायनल यीस्ट इंफेक्शन (Vaginal Yeast Infections)की समस्या भी हो सकती है, जिसे कैंडिडिआसिस (Candidiasis) के नाम से भी जानी जाती है। भले ही ये वजायनल इंफेक्शन (Vaginal Infections) महिलाओं में होने वाली बीमारी में सामान्य माने जाते हैं, लेकिन अगर इनके लक्षणों को इग्नोर किया गया, तो परेशानी गंभीर हो सकती है। इसलिए महिलाओं को कुछ लक्षणों को इग्नोर नहीं करना चाहिए।
वजायनल इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms of Vaginal Infections)-
- वजायना में ईचिंग (Vaginal itching) होना
- वजायना का लाल (Redness) होना
- वजायना के आस-पास रैशेज (Rash) होना
- गाढ़ा, सफेद, गंधहीन डिसचार्ज होना
- वजायना के आस-पास सूजन होना
- यूरिन या फिर सेक्स करते समय जलन महसूस होना
- सेक्स (Sex) के दौरान दर्द होना
- वाइट डिस्चार्ज ज्यादा होना
- वल्वा लाल होना या जलन होना
महिलाओं को वजायना हाइजीन का ध्यान रखना चाहिए, जिससे इंफेक्शन से बचा जा सकता है। लेकिन अगर परेशानी कम ना हो, तो जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
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9. डायबिटीज (Diabetes)
महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) में डायबिटीज भी शामिल है, जिसका मुख्य कारण हॉर्मोन लेवल का असंतुलित होना माना जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें, तो पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी डायबिटीज (Diabetes) का खतरा ज्यादा है और इसका मुख्य कारण बदलती लाइफस्टाइल और शरीर में विटामिन डी की कमी देखी गई है। इसलिए महिलाओं को डायबिटीज के लक्षणों (Symptoms of Diabetes)के प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of Diabetes)
- जरूरत से ज्यादा भूख लगना
- अत्यधिक प्यास लगना
- थका हुआ महसूस होना
- वजन बढ़ना या कम होना
- स्किन सेंसेटिव होना
- इंफेक्शन (Infection) होना
इन लक्षणों को इग्नोर ना करें।
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10. ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases)
ऑटोइम्यून डिजीज एक ऐसी स्थिति है, जिसमें इम्यून सिस्टम हमारी बॉडी को अटैक करती है। ऑटोइम्यून दो शब्दों से मिल कर बना है- ऑटो का मतलब है अपने आप या स्वतः और इम्यून का मतलब है प्रतिरक्षा। तो इस तरह से समझा जा सकता है कि शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune system) अपने आप कमजोर हो जाता है तो उससे होने वाली बीमारियों को ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Diseases) कहते हैं। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। महिलाओं में होने वाली बीमारी (Women illnesses) की लिस्ट में शामिल ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षणों को समझें और अपने इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाये रखें।
ऑटोइम्यून डिजीज के लक्षण (Symptoms of Autoimmune Diseases)
- त्वचा में जलन होना।
- थकान महसूस होना।
- वजन कम होना या बढ़ना।
- मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द।
- डायजेशन (Diagestion) ठीक तरह से नहीं होना।
ये लक्षण महिलाओं में ऑटोइम्यून डिजीज के हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर से कंसल्टेशन बेहद जरूरी है। महिलाओं को इन बीमारियों (Women illnesses) को इग्नोर नहीं करना चाहिए और जिस तरह से कार्य क्षेत्र में और अपने परिवार को अवल रखती हैं, ठीक वैसे ही अपने सेहत का भी ख्याल रखना चाहिए और महिलाओं को इसके प्रति जाकरूक करना चाहिए।
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