जैसे हर इंसान अलग है, वैसे ही हर व्यक्ति में स्वास्थ्य समस्याएं भी अलग होती हैं। इसी तरह से भिन्न हैं महिलाओं और पुरुषों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं। कुछ ऐसी हेल्थ कंडीशंस हैं जो महिलाओं और पुरुषों दोनों में सामान्य हैं। लेकिन, इनका असर महिलाओं पर अधिक होता है। महिलाओं की इन यूनिक हेल्थ कंडीशंस में प्रेगनेंसी (Pregnancy), मीनोपॉज (Menopause) और फीमेल अंगों (Female Organs) से जुड़ी स्थितियां शामिल हैं। वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) का अगर समय पर निदान हो जाए, तो इनका उपचार संभव है। इसलिए, महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, बोन डेंसिटी आदि के लिए समय पर स्क्रीनिंग कराने की सलाह दी जाती है। जानिए, वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) के बारे में विस्तार से।
सामान्य वीमेन हेल्थ इश्यूज कौन से हैं? (What are the Common Women Health Issues)
ऐसी कई समस्याएं हैं जो पुरुषों और महिलाओं में सामान्य हैं। लेकिन, यह समस्याएं पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती हैं। जैसे महिलाओं में हार्ट अटैक की समस्या पुरुषों अधिक गंभीर होती है या महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक डिप्रेशन और एंग्जायटी के लक्षण दिखाई देते हैं आदि। जानिए, वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) यानी महिलाओं से संबंधित कुछ समस्याओं के बारे में, इसके साथ ही उनके निदान और उपचार आदि के बारे में जानना न भूलें:
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ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer)
ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) वो कैंसर है जो ब्रेस्ट की कोशिकाओं में बनता है। यह सामान्य वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) में से एक है। अगर शुरुआती चरण में इस कैंसर का निदान हो जाए तो इसका सफल उपचार संभव है। जानिए इसके बारे में विस्तार से:
लक्षण (Symptoms)
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों के बारे में अगर आपको पता होगा, तो आप खुद इसकी पहचान कर सकती हैं। ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण इस प्रकार हैं:
- ब्रेस्ट में गांठ (Breast Lump)
- ब्रेस्ट के आकार, साइज में परिवर्तन (Change in size, Shape of Breast)
- ब्रेस्ट की त्वचा में बदलाव Changes to the skin of Breast)
- निप्पल या ब्रेस्ट के आसपास की त्वचा का छिलना (Skin Peeling around the Nipple or Breast)
- ब्रेस्ट के ऊपर की त्वचा का लाल होना (Redness in skin over the breast)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
ब्रेस्ट कैंसर के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ चीजें इस समस्या को बढ़ा सकती हैं, जैसे:
- उम्र (Age)
- जेनेटिक फैक्टर (Genetic Factor)
- हेल्थ हिस्ट्री (Health History)
- डेन्स ब्रेस्ट (Dense Breast)
- कैंसर का इतिहास होना (Cancer History )
- रेडिएशन (Radiations)
ब्रेस्ट कैंसर का निदान (Diagnosis of Breast Cancer)
ब्रेस्ट कैंसर के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे इसके लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके बाद ब्रेस्ट की जांच की जाएगी। डॉक्टर इन टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं:
-
मैमोग्राम(Mammogram)
- ब्रेस्ट अल्ट्रासाउंड (Breast Ultrasound)
- बायोप्सी (Biopsy)
- ब्रेस्ट मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (breast Magnetic resonance imaging )
बायोप्सी के सैंपल लेबोरेटरी में जांच के बाद यह पता चल जाएगा कि यह कोशिकाएं कैंसरस हैं या नहीं। इसके साथ ही इस बात की भी जानकारी होगी कि कैंसर कौन सी स्टेज पर है। अगर कैंसर फैल चुका है, तो यह टेस्ट कराए जा सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट (Blood tests)
- मैमोग्राम(Mammogram) : यह जानने के लिए कि कहीं दूसरी ब्रेस्ट में भी कैंसर के लक्षण तो नहीं हैं
- ब्रेस्ट मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Breast MRI)
- बोन स्कैन (Bone Scan)
- कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Computerized Tomography )
- पॉज़िट्रान एमिशन टोमोग्राफी स्कैन (Positron emission tomography)
उपचार (Treatment)
ब्रेस्ट कैंसर का उपचार इसके प्रकार, स्टेज, साइज और ग्रेड पर निर्भर करता है। ब्रेस्ट कैंसर के उपचार के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, जैसे:
- ब्रेस्ट कैंसर को निकालना (Lumpectomy)
- पूरी ब्रेस्ट को निकालना (Mastectomy)
- लिम्फ नोड्स के लिमिटेड नंबर को निकालना (Sentinel Node Biopsy)
- कई लिम्फ नोड्स को निकालना (Axillary Lymph Node Dissection).
- दोनों ब्रेस्टस को निकालना (Removing both Breasts)
इसके लिए निम्नलिखित तरीकों को अपनाया जा सकता है:
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy) : इसमें हाई पावर्ड एनर्जी (High Powered Energy) का प्रयोग कर के कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) : कीमोथेरेपी में दवाइयों का प्रयोग कर के कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है।
- हॉर्मोन थेरेपी (Hormone therapy) : हॉर्मोन थेरेपी का उपयोग ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है जो हार्मोन के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- टार्गेटेड ट्रीटमेंट (Targeted treatments): टार्गेटेड ट्रीटमेंट से कैंसर सेल्स में उस जगह पर अटैक किया जाता है, जहां समस्या है।
- इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy) : इम्यूनोथेरेपी में इम्यून सिस्टम का प्रयोग कैंसर को नष्ट करने के लिए किया जाता है।.
- सपोर्टिव केयर (Supportive Care) : यह विशेष चिकित्सा देखभाल है जो दर्द और एक गंभीर बीमारी के अन्य लक्षणों से राहत प्रदान करने पर केंद्रित है।
और पढ़ें : सर्वाइकल कैंसर क्या है, जानें इसके लक्षण और उपचार
सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)
यह कैंसर सर्विक्स की कोशिकाओं में पाया जाता है। वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) में इस समस्या को भी गंभीर माना जाता है। सर्विक्स गर्भाशय का निचला हिस्सा है, जो वजाइना से जुड़ा होता है। जानिए क्या हैं इसमें लक्षण:
लक्षण (Symptoms)
सर्वाइकल कैंसर के शुरुआत में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. लेकिन एडवांस स्टेज में इस कैंसर के लक्षण इस प्रकार हैं:
- संभोग के बाद वजाइनल ब्लीडिंग (Vaginal bleeding after sex)
- संभोग के समय पेल्विक में दर्द (Pain in pelvic during orgasm)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
सर्वाइकल कैंसर तब शुरू होता है, जब सर्विक्स के हेल्दी सेल्स में बदलाव होना शुरू होता है। यह बदलाव सेल्स के DNA में होता है। इस बदलाव के कारण सेल्स का विकास अनियंत्रित तरीके से होता है। यह असामान्य कोशिकाएं एक ट्यूमर बनाती हैं। यह ट्यूमर कैंसर का कारण बन सकता है।
सर्वाइकल कैंसर का निदान (Cervical Cancer Diagnosis)
सर्वाइकल कैंसर के निदान के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट मदद कर सकते हैं। इसमें स्क्रीनिंग टेस्ट इस प्रकार हैं:
- पैप टेस्ट (Pap test): पैप टेस्ट के दौरान सर्विक्स से सेल्स का नमूना ले कर अब्नोर्मलिटीज़ की जांच की जाती है।
- ह्यूमन पेपिलोमा वायरस DNA टेस्ट (Human papillomavirus DNA test) :यह टेस्ट ह्यूमन पेपिलोमा वायरस के निदान के लिए लिए किया जाता है।
उपचार (Treatment)
सर्वाइकल कैंसर के उपचार के लिए डॉक्टर सबसे पहले यह निर्धारित करते हैं कि क्या आपको एक ट्रीटमेंट की जरूरत है या एक से अधिक ट्रीटमेंट्स का प्रयोग किया जाएगा। इसके उपचार के विकल्प इस प्रकार हैं।
- सर्जरी (Surgery) : सर्जरी ट्यूमर और उसके आसपास के कुछ हेल्दी टिश्यूस को निकालने के लिए की जाती है। सर्जरी में यह प्रक्रियाएं प्रयोग में लाई जाती हैं:
- कोनीज़ेशन (Conization) : इस प्रक्रिया का प्रयोग सभी असामान्य टिश्यूस को हटाने के लिए किया जाता है।
- लीप (LEEP) : इसमें इलेक्ट्रिक करंट को एक पतली तार हुक के माध्यम से पारित किया जाता है और यह हुक प्रभावित टिश्यू को हटा देता है।
- हिस्टरेक्टॉमी (Hysterectomy) : यह यूट्रस और सर्विक्स को हटाने की प्रक्रिया है। यह या तो सामान्य हो सकती है या रेडिकल।
- बायलेटरल साल्पिंगो-ओफ़ोरेक्टोमी (Bilateral Salpingo-Oophorectomy ): यदि आवश्यक हो, तो इस सर्जरी के माध्यम से दोनों फैलोपियन ट्यूब और दोनों ओवरीज़ को हटा दिया जाता है।
- रैडिक्ल् ट्रेक्लेक्टोमी (Radical Trachelectomy): यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें सर्विक्स को हटा दिया जाता है, लेकिन गर्भाशय को नहीं हटाया जाता।
- एक्सेन्टेरशन (Exenteration): यह गर्भाशय (Uterus), योनि (Vagina), निचले बृहदान्त्र (Lower colon), मलाशय (Rectum), या मूत्राशय (Bladder) को हटाने की प्रक्रिया है। अगर सर्वाइकल कैंसर रेडिएशन थेरेपी के बाद इन अंगों में फैल गया हो तो इन्हें हटा दिया जाता है।
सर्वाइकल कैंसर के उपचार के लिए अन्य तरीके भी अपनाए जाते हैं, जैसे:
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- टार्गेटेड थेरेपी Targeted therapy
- इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)
ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer)
इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के ओनोकोलॉजी विभाग के डाॅक्टर राहुल कुमार चौहान का कहना है कि ओवेरियन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं में मृत्यु का कारण बनने वाले 7 वां सबसे आम कारण है। भारत में, यह तीसरा सबसे आम कैंसर है – हर साल लगभग 60,000 महिलाओं को प्रभावित करता है और इसकी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं! यह एक अत्यधिक आक्रामक कैंसर है, जिसका मृत्यु अनुपात बहुत अधिक है। ज्यादातर मामलों में, कैंसर चुप रहता है या लंबे समय तक किसी का ध्यान नहीं जाता है। यह अंडाशय के विभिन्न भागों में बिना किसी प्रमुख लक्षण के हो सकता है, जैसे रोगी को पेट में सूजन, अपच , और कभी-कभी मूत्र संबंधी शिकायत भी हो सकती है। ये कई अन्य समस्याओं के सामान्य लक्षण हैं; इसलिए, प्रारंभिक अवस्था में डिम्बग्रंथि के कैंसर की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि, डिम्बग्रंथि के कैंसर को हराने का एकमात्र प्रभावी तरीका शीघ्र निदान और समय पर हस्तक्षेप है।
ओवरी से शुरू होने वाले इस कैंसर को ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) कहा जाता है। महिला के शरीर में दो ओवरीज होती है, जिनमे अंडाणु के साथ ही एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन (Estrogen and Progesterone) हार्मोन भी बनते हैं।
लक्षण (Symptoms)
वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) के लक्षणों को पहचाना बहुत ही जरूरी है, ताकि आप स्वयं इनका निदान कर सकें। लक्षणों की पहचान के बाद तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- ब्लोटिंग (bloating)
- भूख में परिवर्तन (Change in Appetite)
- वजन का कम होना (Weight Loss)
- कब्ज या पेट संबंधी अन्य समस्याएं (Constipation or Stomach related Problems)
- पेल्विक एरिया में समस्या (Problems in Pelvic area)
- मूत्र त्याग की अधिक इच्छा होना (Urge to Pass Urine)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
ओवेरियन कैंसर के कारणों के बारे में सही जानकारी नहीं है। लेकिन, कुछ स्थितियां इसके जोखिम को बढ़ा सकती हैं। यह स्थितियां इस प्रकार हैं:
- अधिक उम्र (Ageing)
- इनहेरिटेड जीन म्यूटेशन (Inherited Gene Mutation)
- एस्ट्रोजन हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (Estrogen Hormone Replacement Therapy)
- फॅमिली हिस्ट्री (Family History)
ओवेरियन कैंसर का निदान (Diagnosis of Ovarian Cancer)
ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) के निदान के लिए डॉक्टर आपसे इसके लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री, फैमिली हिस्ट्री आदि के बारे में जानेंगे। इसके बाद वो आपको पेल्विक टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। पेल्विक टेस्ट में आपको इन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा:
- पेल्विक जांच (Pelvic Examine) : जिसमें डॉक्टर पेल्विक एरिया की जांच करेंगे।
- इमेजिंग टेस्ट (Imaging Test) : इसमें डॉक्टर आपको पेल्विस का अल्ट्रासाउंड (Pelvis Ultrasound) या सीटी स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं।
- ब्लड टेस्ट (Blood Test): आपको ब्लड टेस्ट की सलाह भी दी जा सकती है ताकि आपके पूरे स्वास्थ्य के बारे में जांचा जाए।
उपचार
ओवेरियन कैंसर के उपचार (Treatment of Ovarian Cancer) के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। यह उपचार कैंसर की गंभीरता, स्टेज, टाइप आदि को ध्यान को रख कर किए जाते हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- सर्जरी (Surgery) : सर्जरी करने से पहले कैंसर का प्रकार और यह कितना फैला है, इस बात को ध्यान में रखा जाता है। सर्जरी के तरीकों में हिस्टेरेक्टॉमी, एक या दोनों ओवरीज को निकालना या केवल प्रभावित लिम्फ नोड्स (Affected Lymph Nodes) को हटाना शामिल है।
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy) : कीमोथेरेपी में कैंसर सेल्स को हटाने के लिए दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।
- टार्गेटेड थेरेपी (Targeted Therapy) : इस तरीके में केवल प्रभावित सेल्स को हटाया जाता है।
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy): इस थेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को हटाने के लिए एक्स रे का प्रयोग किया जाता है।
- इम्यूनोथेरेपी (immunotherapy) : इस तरीके में कैंसर के खिलाफ लड़ने के लिए इम्युनिटी का प्रयोग किया जाता है।
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ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है और आसानी से टूट जाती हैं। यह भी वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) में से एक है। इसलिए महिलाओं को कैल्शियम का अधिक सेवन करने की सलाह दी जाती है।
लक्षण (Symptoms)
ऑस्टियोपोरोसिस का सबसे पहले लक्षण हैं हड्डियों का कमजोर हो जाना। शुरुआत में इसका कोई लक्षण नजर नहीं आता। लेकिन इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- कमर में दर्द (Back Pain)
- समय के साथ ऊंचाई का कम होना (Loss of Height over time)
- झुका हुआ पोस्चर (Stooped Posture)
- हड्डी का जल्दी से टूटना (Bone Breaks Easily)
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कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
आपको कुछ स्थितियों में डॉक्टर से ऑस्टियोपोरोसिस के बारे में बात करनी चाहिए जैसे अगर आप जल्दी रजोनिवृत्ति से गुजर रही हों या कई महीनों तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड ले रही है कुछ फैक्टर महिलाओं में इस समस्या का कारण बनते हैं, जैसे
- उम्र (Age)
- एल्कोहॉल का सेवन (Alcohol Consumption)
- जेनेटिक्स (Genetics)
- व्यायाम की कमी (Lack of exercise)
- लौ बॉडी मास (Low body mass)
- धूम्रपान (Smoking)
- स्टेरॉयड का प्रयोग (Steroid use)
निदान और उपचार (Diagnosis)
इस स्थिति का पता लगाने के लिए, डॉक्टर एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड का उपयोग करके हड्डी के घनत्व को मापते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस के लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है, सही देखभाल इस बीमारी के विकास को रोकने के लिए जरूरी है। जिसमें सही आहार, व्यायाम, पर्याप्त नींद, तनाव से बचाव है। इसके साथ ही डॉक्टर इसके लक्षणों को कम करने के लिए कुछ दवाइयां भी दे सकते हैं।
गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं (Pregnancy Complications)
अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था में किसी भी जटिलता का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन कुछ गर्भवती महिलाएं कम्प्लीकेशन महसूस कर सकती हैं जो उनके स्वास्थ्य, उनके बच्चे के स्वास्थ्य या दोनों के स्वास्थ्य से जुड़ी होती हैं। कुछ समस्याएं प्रसव के समय भी हो सकती हैं। गर्भावस्था से जुड़ी कुछ सामान्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:
- हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
- गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes)
- प्रीक्लैम्प्सिआ (Preeclampsia)
- अपरिपक्व प्रसूति (Preterm Labor)
- गर्भपात (Miscarriage)
गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताओं के लक्षण (Symptoms of Pregnancy Complication)
गर्भावस्था से जुडी हर समस्या का लक्षण अलग होगा। जैसे अगर आप गर्भावधि मधुमेह से पीड़ित हैं तो आपको अधिक प्यास लगना, धुंधली दृष्टि, अधिक मूत्र त्याग की इच्छा आदि लक्षण हो सकते हैं। इसलिए आपको हर समस्या के लक्षणों के बारे में जानकरी होनी चाहिए। आप अपने डॉक्टर से भी इस बारे में जान सकते हैं।
कारण और रिस्क फैक्टर (Cause and Risk Factors )
अगर आपको पहले से ही कोई गंभीर बीमारी है तो डॉक्टर को बताना जरूरी है ताकि इस समस्या को गर्भवती होने से पहले ही कम किया जा सके। यदि आप गर्भवती हैं, तो आपको नियमित जांच की जरूरी है। कौन से रोग गर्भवस्था से जुड़ी कॉम्प्लीकेशन्स को बढ़ा देते हैं:
कुछ सामान्य बीमारियों के उदहारण इस प्रकार हैं जो प्रेगनेंसी में जटिलताओं को बढ़ा देते हैं, जैसे :
- डायबिटीज (Diabetes)
- कैंसर (Cancer)
- हाय ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)
- इन्फेक्शंस (Infections)
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज (Sexually Transmitted Diseases)
- किडनी में समस्या (Kidney Problems)
- एनीमिया (Anemia)
निम्नलिखित स्थितियां भी गर्भवस्था में होने वाली समस्याओं के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जैसे:
- 35 साल की उम्र के बाद गर्भवती होना (Being Pregnant at age 35 or older)
- कम उम्र में गर्भवती होना (Being Pregnant at a young age)
- अगर आपको कोई ईटिंग डिसऑर्डर है (Having an Eating Disorder like Anorexia)
- स्मोकिंग या ड्रिंकिंग(Smoking and Drinking)
- प्रेगनेंसी लॉस या प्रीटर्म बर्थ का इतिहास होना (History of Pregnancy loss or Preterm Birth)
- दो या दो से अधिक बच्चों का गर्भ में होना (Carrying Multiples babies, such as Twins or Triplets)
निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
गर्भवस्था से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करेंगे और कुछ टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं। यह टेस्ट ब्लड, यूरिन या जो भी आपको समस्या है उससे जुड़े हो सकते हैं। जैसे अगर डॉक्टर को संदेह है कि आपको गर्भावधि मधुमेह (Gestational Diabetes) है तो वो आपको इसका टेस्ट करने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही गर्भावस्था में आपको जो समस्या है उसके अनुसार उस बीमारी का इलाज किया जाएगा। आपको सही आहार का सेवन, व्यायाम, पर्याप्त नींद, समय-समय पर चेकअप तनाव आदि से बचने की भी सलाह दी जाती है।
महिलाओं में हृदय रोग (Heart Problems in Women)
वैसे तो सभी महिलाओं और पुरुषों को हृदय रोग का खतरा होता है। लेकिन ,ऐसा माना जाता है कि महिलाओं में इस समस्या का जोखिम अधिक है। महिलाओं को इसके लक्षणों और जोखिमों को कम करने के साथ स्वस्थ आहार लेना और व्यायाम करना आदि भी जरूरी है। इससे आपको स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
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लक्षण (Symptoms)
हार्ट संबंधी समस्याएं मुख्य वीमेन हेल्थ इश्यूज में से एक है। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आए तो तुरंत इलाज कराने की सलाह दी जाती है। जानिए क्या हैं इसके लक्षण :
- गर्दन, जबड़े, कंधे, ऊपरी पीठ या पेट की परेशानी (Neck, jaw, shoulder, upper back or abdominal discomfort)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
- एक या दोनों बाहों में दर्द (Pain in one or both Arms)
- उलटी अथवा मितली (Vomiting and nausea)
- पसीना आना (Sweating)
- असामान्य थकान (Abnormal fatigue)
- अपच (Indigestion)
कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors)
हार्ट संबंधी रोगों के कुछ प्रकार जन्मजात होते हैं और इनके एक कारणों में जेनेटिक फैक्टर्स भी शामिल हैं। लेकिन, कुछ स्थितियां दिल संबंधी रोगों की संभावना को बढ़ा देती हैं जैसे:
- डायबिटीज (Diabetes)
- हाइपरटेंशन (Hypertension)
- डिप्रेशन (Depression)
- स्मोकिंग (Smoking)
- क्रोनिक स्ट्रेस (Chronic stress)
- हार्ट समस्याओं की फॅमिली हिस्ट्री (Family History of Heart Disease)
- आर्थराइटिस और लुपस जैसे रोग (Arthritis and Lupus)
- ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Menopause or Premature Menopause)
- व्यायाम न करना (Not Exercising)
- प्रेगनेंसी में हाय ब्लड प्रेशर या डायबिटीज होना (High Blood Pressure or Diabetes during Pregnancy)
- मोटापा (Obesity)
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हार्ट संबंधी रोगों का निदान (Diagnosis of Heart Problems)
हार्ट संबंधी रोगों का निदान करने के लिए डॉक्टर आपकी और आपके परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानेंगे। इसके बाद आपको इन टेस्ट्स के लिए कहा जा सकता है:
ब्लड टेस्ट (Blood Test) :ब्लड टेस्ट से डॉक्टर हार्ट से जुड़ी समस्याओं के जोखिम के बारे में जान सकते हैं। यह सबसे आम लिपिड प्रोफाइल है, जो कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और ट्राइग्लिसराइड्स (Triglyceride) को मापता है। आपके लक्षणों और फॅमिली हिस्ट्री के बारे में जानकर डॉक्टर इन चीज़ों की जानकारी के लिए आपको ब्लड टेस्ट के लिए कह सकते हैं
- सोडियम और पोटैशियम लेवल्स (Sodium and Potassium levels)
- ब्लड सेल काउंट्स (Blood Cell Counts)
- किडनी फंक्शन (Kidney Function)
- लिवर फंक्शन (Liver Function)
- थाइरोइड फंक्शन (Thyroid Function)
इसके साथ ही अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती है, जैसे:
दिल में इलेक्ट्रिक एक्टिविटी को मापने के लिए:
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
- इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
- कैरोटिड धमनियों का अल्ट्रासाउंड (Ultrasound of Carotid Arteries)
- कोरोनरी कंप्यूटेड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी (Coronary Computed Tomography Angiography)
उपचार (Treatment)
महिलाओं को हार्ट संबंधी रोगों के उपचार के लिए डॉक्टर कुछ दवाइयों, एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) या स्टेंटिंग (Stenting) और कोरोनरी बाईपास सर्जरी (Coronary Bypass Surgery) की सलाह दे सकते हैं इसके साथ ही इसमें सबसे ज्यादा जरूरी है अपने लाइफस्टाइल में बदलाव करना इसके लिए डॉक्टर हेल्दी आदतों को अपनाने के लिए कहेंगे जैसे सही आहार, पर्याप्त नींद, व्यायाम करना, तनाव से बचना आदि
महिलाओं को स्वस्थ रहने के लिए टिप्स (Tips for Women To Stay Healthy)
महिलाओं की हेल्थ संबंधी समस्याओं यानी वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन अपने लाइफस्टाइल में कुछ हेल्दी बदलाव ला कर इनसे राहत अवश्य पाई जा सकती है। जानिए हेल्दी रहने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में क्या परिवर्तन करने चाहिए।
- स्मोकिंग और एल्कोहॉल से बचे (Stay Away from Smoking and Drinking): स्मोकिंग और एल्कोहॉल कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण हो सकता है। ऐसे में अगर आप स्वस्थ रहना चाहती हैं तो उन्हें छोड़ दें।
- व्यायाम करें (Exercise): फिजिकल एक्टिविटी से आप कई बीमारियों से बच सकते हैं जैसे मोटापा, डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम आदि। इसलिए रोजाना कार्डियो, सैर, योगा, मैडिटेशन आदि कर के आपको अच्छा भी महसूस होगा और आप फिट भी रहेंगी।
- तनाव को मैनेज करें (Manage Stress): ऐसा माना जाता है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक तनाव या चिंता में रहती हैं। ऐसे में महिलाओं को तनाव को मैनेज करने के लिए कुछ खास तरीके अपनाने चाहिए। जैसे योगा और मेडिटेशन करना, सकारात्मक और खुश रहना। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं। इसके साथ ही भरपूर नींद लेना न भूलें।
- सही आहार (Right Food): जिस तरह के भोजन का सेवन आप करेंगी वैसा ही प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा। इसलिए अनहेल्दी फ़ूड की जगह स्वस्थ आहार खाएं। अपने भोजन में फल, सब्जियों और साबुत आनाज को शामिल करें। अधिक से अधिक पानी पीएं।
- नियमित चेकअप (Routine Checkup): अगर आप अपना नियमित रूप से चेकअप कराएंगी तो आपको अगर कोई समस्या है तो उसका निदान जल्दी हो पाएगा। इसका फायदा यह होगा कि आपका सही और जल्दी उपचार होने में भी मदद मिलेगी। इसलिए नियमित रूप से चेकअप कराएं।
महिलाओं के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट क्यों जरूरी है? (Screening Tests for Women)
वैसे तो महिला हो या पुरुष शुरुआती या नियमित स्क्रीनिंग टेस्ट बहुत महत्वपूर्ण है। हेल्थ स्क्रीनिंग टेस्ट होने से कई बीमारियों का शुरू में ही निदान संभव है। जिससे उसका जल्दी उपचार और रोगी के जल्दी स्वस्थ होने में मदद मिलती है। हालांकि महिलाओं में स्क्रीनिंग टेस्ट उनकी उम्र, निजी और पारिवारिक हिस्ट्री और खास रिस्क फैक्टर पर निर्भर करती है। जानिए वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) से जुड़े कुछ स्क्रीनिंग टेस्ट के बारे में:
- ब्रेस्ट कैंसर के लिए मैमोग्राफी (Mammography for Breast Cancer)
- सर्वाइकल कैंसर के लिए पैप स्मीयर (Pap Smear for Cervical Cancer
- ऑस्टियोपोरोसिस के लिए ड्यूल एनर्जी एक्स-रे अब्सॉर्पशमेट्री (Dual Energy X-ray Absorptiometry for Osteoporosis)
और पढ़ें : जानें महिलाओं में होने वाली यूटीआई, यूटीएस और यूआई प्रॉब्लम के बारे में
एक कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि बचाव देखभाल से बेहतर है। ऐसे में, अगर आप स्वस्थ रहना चाहती है तो नियमित रूप से अपना हेल्थ चेकआप कराएं। इससे न केवल आप उस बीमारी से बचेंगे बल्कि आप मानसिक रूप से भी निश्चिन्त और तनाव मुक्त रहेंगी। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में बदलाव भी वीमेन हेल्थ इश्यूज (Women Health Issues) से बचने की कुंजी है। अगर आपको कभी भी कोई असामान्य लक्षण नजर आता है, तो देर न करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
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