backup og meta

हाइब्रिड फूड्स और सब्जियां क्या हैं? जानिए इनके फायदे और नुकसान

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/04/2020

    हाइब्रिड फूड्स और सब्जियां क्या हैं? जानिए इनके फायदे और नुकसान

    हाइब्रिड फूड  यानि ऐसे फूड जिनमें दो ब्रीड को मिलाकर कोई तीसरी ब्रीड तैयार की जाती है। मौजूदा समय में मिलने वाला 95 फीसदी खाने-पीने का सामान हाइब्रिड होता है। जमशेदपुर के एनएमएल (नेशनल मेटलर्जिकल लेबोरेटरी) के पूर्व साइंटिस्ट केके पॉल और जमशेदपुर की टिनप्लेट कंपनी के अस्पताल में कार्यरत डायटीशियन संचिता से बातचीत के आधार पर हाइब्रिड फूड और उसके सेवन से क्या फायदे या नुकसान होते हैं जानिए इस आर्टिकल में।

    अलग अलग प्लांट को मिलाकर तैयार करते हैं हाइब्रिड फूड

    रिटायर्ड साइंटिस्ट केके पाल बताते हैं कि, ‘दो अलग-अलग प्लांट से तीसरा प्लांट तैयार किया जाना ही हाइब्रिड कहलाता है। वहीं उससे निकले वाला फूड खाने के काम में लाया जाता है। जरूरी नहीं कि सिर्फ सब्जियों को ही हाइब्रिड तरीके से तैयार किया जाए, बल्कि फूल, पेड़, पौधों को भी हाइब्रिड तकनीक के द्वारा तैयार किया जा सकता है। मौजूदा समय के मार्केट को देखते हुए लोग हाइब्रिड की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। क्योंकि आज के समय में बाजार में उन्हीं वस्तुओं की मांग ज्यादा है जो देखने में अच्छी दिखें, लंबे समय तक टिके। यही वजह है कि बीते साल में हाइब्रिड खाद्य पदार्थ का चलन बढ़ा है। जरूरी नहीं ही हाइब्रिड फूड को सिर्फ खेतों में ही तैयार किया जाए, बल्कि आज के समय में लैब में भी हाइब्रिड फूड की उन्नत तकनीक विकसित की जा रही है।’

    यह भी पढ़ें: अगर आप सोच रहीं हैं शिशु का पहला आहार कुछ मीठा हो जाए… तो जरा ठहरिये

    जरूरी नहीं कि हर हाइब्रिड फूड सेहतमंद ही हो

    हार्टिकल्चर में बीते 30 साल से एक्टिव रहने वाले जमशेदपुर के एनएमएल से रिटायर्ड साइंटिस्ट केके पाल बताते हैं कि जरूरी नहीं है कि हाइब्रिड फूड सेहतमंद ही हो। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह प्राकृतिक होने के बावजूद इंसानों के द्वारा तैयार किए जाते हैं। मौजूदा समय में हम 90 फीसदी खाद्य पदार्थ हाइब्रिड ही सेवन करते हैं, सब्जियों से लेकर फल तक बाजार में बिकने वाला 90 फीसदी सामान हाइब्रिड तकनीक के द्वारा ही विकसित किया गया है। भारत में लाल बहादुर शास्त्री ग्रीन रिवोल्यूशन लेकर आए थे, जिसे हरित क्रांति कहा जाता है। आजादी के बाद भारत में आई यह क्रांति हाइब्रिड तकनीक पर आधारित थी। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले एक बीघा जमीन में चार मन धान हुआ करता था, इस तकनीक के अपनाने से एक बीघा जमीन में 20 मन धान होने लगा। ऐसे पैदावार बढ़ने के साथ किसानों की आमदनी में एकाएक इजाफा हुआ, लेकिन कुछ साल के बाद इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिले। जैसे खेतों की उर्वरक क्षमता का कम होना उसमें से एक है।

    यह भी पढ़ें : बच्चे की उम्र के अनुसार क्या आप उसे आहार की मात्रा दे रहें हैं?

    ऐसे तैयार किए जाते हैं हाइब्रिड फूड

    हाइब्रिड पद्दिति से किसी भी प्लांट को दो प्लांट के पॉलेन/पराग को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह पॉलेन अलग अलग प्रजातियों के होने पर हाइब्रिड कहलाता है। संतरा, सेब, अमरूद केला सहित अन्य के साथ ऐसा ही किया जाता है। वहीं दूसरे तरीके की बात करें तो इस तरीके में लैब के अंदर आर्टिफिशियल तरीके से प्लांट के जीन और सेल के स्ट्रक्चर में बदलाव कर उसे तैयार किया जाता है। साइंटिस्ट लैबोरेटरी में प्लांट के अंदर एक्सटर्नल एनर्जी डालकर करते हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो लैब में साइंटिस्ट आर्टिफिशियली इसे तैयार करते हैं।

    यह भी पढ़ें : संतुलित आहार और भारतीय व्यंजनों का समझें कनेक्शन

    सामान्य फूड के अलावा हाइब्रिड फूड ही क्यों

    कई मामलों में हाइब्रिड फूड उसी प्रजाति के किसी अन्य फूड की तुलना में ज्यादा न्यूट्रिशन देता है, टेस्टी होता है और लंबे समय तक टिकता है। वहीं कुछ मामलों में उसी प्रजाति के फल-सब्जी की तुलना में इसमें उतना टेस्ट नहीं होता, जितने की हम अपेक्षा करते हैं। भारत में इकोनॉमिकली वैल्यू के कारण किसानों से लेकर तमाम लोगों का रूझान हाइब्रिड फूड की ओर तेजी से बढ़ा है। क्योंकि इसे तैयार करना आसान है, पैदावार ज्यादा है, लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है। इन तमाम खासियत के कारण ही लोग हाइब्रिड फूड को पसंद करते हैं।

    भारतीय बाजार में आप खुद महसूस करेंगे कि ऑर्गेंनिग खाद्य पदार्थ की कीमत हाइब्रिड फूड की तुलना में ज्यादा होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऑर्गेनिक फूड को प्राकृतिक तौर पर नैचुरल खाद की मदद से तैयार किया गया है, जबकि हाइब्रिड फूड में जरूरी नहीं है उसी तकनीक से तैयार किया जाए। वहीं विदेशों के मॉल में यदि आप सब्जियां खरीदें तो वहां पर हाइब्रिड फूड की अलग श्रेणी होती है वहीं ऑर्गेनिक फूड की अलग श्रेणी। जहां से आप मनचाहे फूड साक सब्जियों की खरीदारी कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर हम ब्राउन राइस को ही ले लें, भारतीय बाजार में अच्छे ब्राउन राइस की कीमत 750-हजार रुपए तक के बीच में है। जबकि इसकी पैदावार काफी लेट होती है, कम पैदावार होने के साथ इसमें प्रचूर मात्रा में विटामिन की मात्रा होती है।

    संचिता गुहा डायटिशियनSanchita Guha (ditetion)

    क्राॅस पॉलीनेशन के होते हैं कई फायदे

    जमशेदपुर के टिनप्लेट अस्पताल की डायटिशियन संचिता गुहा बताती हैं कि, ‘क्राॅस पॉलीनेशन की मदद से हाइब्रिड फूड को तैयार किया जाता है। उदाहरण के तौर पर पंजाब की लौकी व केरल की लौकी का टेस्ट से लेकर साइज सभी अलग प्रकार की है, ऐसे में बेहतर परिणाम और अच्छी फसल के लिए हाइब्रिड तकनीक का सहारा ले सकते हैं। प्रकृति कई बार क्रॉस पॉलीनेशन खुद ब खुद ही करती है। बता दें कि क्रॉस पॉलीनेशन तकनीक की मदद से तैयार किए गए फल या सब्जियों में उतने ही न्यूट्रिएंट्स होते हैं जितने उसके मदर प्लांट में है।’

    यह भी पढ़ें : जायफल का सेवन कर दूर रखें कई बीमारियां, जानिए इसके फायदे

    साल भर मिलती है हाइब्रिड सब्जियां और फल

    डायटीशियन संचिता गुहा बताती हैं कि मौजूदा समय में हम देखते हैं कि हमें साल भर केला, संतरा, तरबूज सहित अन्य फल-सब्जियां मिलती है यह हाइब्रिड फूड के कारण ही संभव है। ऐसा पूरी तरह सही नहीं है कि हाइब्रिड फूड या हाइब्रिड सब्जियों में न्यूट्रिएंट्स नहीं होते हैं, बल्कि कई हाइब्रिड फूड में दूसरे फूड की तुलना में ज्यादा न्यूट्रिशन की मात्रा होती है।

    यह भी पढ़ें : इन 7 फलों को करें फ्रूट डायट में शामिल और घटाएं वजन

    ज्यादा कमाने के चक्कर में लोग करते हैं धोखा

    भारत में कई लोग ऐसे भी हैं जो ज्यादा कमाने की चाह में सब्जियों व फलों में इंजेक्शन लगाकर बेचते हैं। बिना लैब टेस्ट के इसकी पहचान करना बेहद ही मुश्किल है। क्योंकि इंजेक्शन में कई एंटीबाॅयटिक होते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। शरीर के लिए यह काफी घातक होता है, इसलिए जरूरी है कि विश्वसनीय जगहों से ही सब्जी की खरीदारी करें।

    क्या है जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड और जीएमओ?

    सामान्य तौर पर जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड को जीएमओ कहा जाता है। जीएमओ का अर्थ यह है कि ऐसे प्लांट व जानवर जिन्हें दूसरे प्लांट व एनिमल्स के डीएनए, बैक्टीरिया, वायरस से जेनेटिकली इंजीनियरिंग कर तैयार किया गया हो। सामान्य तौर पर लोग पैदावार बढ़ाने के लिए ऐसा करते हैं। शोध के दौरान पता चला है कि जीएम जेनेटिकली मॉडिफाइड फूड के कारण इनवायरमेंटल डैमेज के साथ इनका सेवन किया जाए तो शारीरिक नुकसान भी हो सकता है। सेंटर फॉर फूड सेफ्टी के अनुसार प्लांट व एनिमल के साथ यदि जेनटिकली मॉडिफाइ करने की कोशिश की जाती है तो 21वीं सदी में हमें काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। जेनेटिकली मॉडिफाइ फूड में टॉक्सिक व एलर्जिक रिएक्शन होते हैं जिसके कारण हम बीमार पड़ सकते हैं वहीं हमारे शरीर के अंगों को भी नुकसान पहुंच सकता है।

    इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।

    और पढ़ें

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/04/2020

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement