सुबह का अलार्म बजने से पहले बिस्तर पर गर्मागर्म कॉफी मिल जाए तो क्या बात है। सुबह के समय कई लोगों को अखबार के साथ एक से दो कप कॉफी पीने की आदत होती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि कॉफी ज्यादा मात्रा में पीने से आपको ऑटोइम्यून डिजीज भी हो सकता है। कॉफी (coffee) में विटामिन-बी2, विटामिन-बी5, फोलेट, मैंगनीज, मैग्निशियम (Magnesium), पोटैशियम व फॉस्फोरस जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) की मात्रा भी काफी होती है। ये सभी चीजें दिमाग, शरीर व स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद साबित होती हैं। हालांकि इसका सीमित सेवन ही करना चाहिए।
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क्या है ऑटोइम्यून डिजीज?
ऑटोइम्यून डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति को एक साथ कई बीमारियां हो जाती हैं। ऑटोइम्यून दो शब्दों से मिल कर बना है- ऑटो का मतलब है अपने आप या स्वतः और इम्यून का मतलब है प्रतिरक्षा। तो इस तरह से समझा जा सकता है कि शरीर का इम्यून सिस्टम अपने आप कमजोर हो जाता है तो उससे होने वाली बीमारियों को ऑटोइम्यून डिजीज कहते हैं। यह शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।
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ऑटोइम्यून डिजीज होने के क्या कारण हैं?
शरीर में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस से हमारा इम्यून सिस्टम लड़ता है और इसके बाद शरीर के स्वस्थ्य ऊतकों को ही नष्ट करने लगता है, तब ऑटोइम्यून डिजीज होती है। सामान्यतः ऑटोइम्यून डिजीज उन लोगों में होती है जो मोटापा, खराब लाइफस्टाइल और जंक फूड का ज्यादा सेवन करते हैं।
ऑटोइम्यून डिजीज के सामान्य प्रकार क्या हैं?
ऑटोइम्यून डिजीज निम्न प्रकार के होते हैं :
- रयूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)
- स्क्लेरोडर्मा (Scleroderma)
- ल्यूपस
- मल्टिपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis)
- टेम्पोरल आर्थराइटिस
- सीलिएक डिजीज
- पोलिमायलजिया रयुमेटिका
- टाइप 1 डायबिटीज
- स्पॉट बाल्डनेस
- इंफ्लेम्ड ब्लड वेसेल्स
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कॉफी और ऑटोइम्यून डिजीज में क्या संबंध है?
हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार कॉफी का ज्यादा सेवन करने से रयूमेटाइड आर्थराइटिस, टाइप 1 डायबिटीज, सीलिएक डिजीज और हाशिमोटोस थाइरॉयडाईटिस हो जाता है। साथ ही कॉफी गैस्ट्रो-इसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) का भी कारण बन सकती है। वहीं, दूसरे अध्ययन के मुताबिक कॉफी ग्लूटेन के साथ रिएक्शन करती है। इसलिए जिन लोगों को ऑटोइम्यून डिजीज होती है वे अगर कॉफी का सेवन करते हैं तो उनके लिए यह काफी नुकसान देह है।
कॉफी में पाए जाने वाला कैफीन शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन को बढ़ाता है। जिसका नाम कॉर्टिसॉल है। जब कॉर्टिसॉल का लेवल ज्यादा होता है तो शरीर पर इसके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। ज्यादा कैफीन पीने से आपको नींद न आने की समस्या हो सकती है। कैफीन के कारण ही पेट में एसिडिटी और अपाचन की समस्या भी हो जाती है।
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कॉफी के सेवन को कैसे करें नियंत्रित?
कॉफी पीना कुछ लोगों की जरूरत होती है। क्योंकि उन्हें लगता है कि सुबह की कॉफी उनके पूरे दिन के लिए ऊर्जा का काम करती है। लेकिन आपकी ये सोच गलत है, कॉफी पीने से आपका स्ट्रेस लेवल बढ़ता है। साथ ही पेट और सीने में जलन होती है सो अलग। इसलिए हमें कॉपी की मात्रा को नियंत्रित करना चाहिए। निम्न तरीकों को अपना कर आप कॉफी के सेवन को कम कर सकते हैं और ऑटोइम्यून डिजीज से बच सकते हैं :
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धीरे-धीरे कम करें कैफीन का सेवन
अगर आप पूरे दिन में चार कप या उससे ज्यादा कॉफी का सेवन करते हैं तो कॉफी छोड़ने का प्लान कुछ ऐसा बनाएं :
- रोजाना – 4 कप कॉफी
- पहले दिन – 2 कप कॉफी
- दूसरे दिन – 1 कप कॉफी
- तीसरे दिन – ½ कप कॉफी
- चौथे दिन – ¼ कप कॉफी
- पांचवें दिन – कॉफी न पिएं
अगर नहीं छोड़ सकते कॉफी तो डीकैफ पिएं
अगर आपको कॉफी की बूरी लत लगी है और आप उसे नहीं छोड़ सकते हैं तो आप डीकैफ का इस्तेमाल कर सकते हैं। डीकैफ का मतलब है डीकैफीनेटेड कॉफी, जिसमें मात्र तीन प्रतिशत कैफीन पाया जाता है।
- रोजाना – 4 कप कॉफी
- पहले दिन – 4 कप कॉफी : 50% डीकैफ , 50% रेग्यूलर कॉफी
- दूसरे दिन – 4 कप कॉफी : 75% डीकैफ , 25% रेग्यूलर कॉफी
- तीसरे दिन – 4 कप कॉफी : 100% डीकैफ
- चौथे दिन – कॉफी न पिएं
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कॉफी की जगह ग्रीन टी पिएं
कॉफी पीने की आदत अच्छी है, तो क्यों न इस अच्छी आदत को और भी अच्छा बनाएं। कॉफी की जगह ग्रीन टी पिएं। इससे आपकी सेहत भी अच्छी हो जाएगी और ऑटोइम्यून डिजीज होने का खतरा भी कम हो जाएगा।
ज्यादा कॉफी पीने के नुकसान
ऑटोइम्यून डिजीज के अलावा कॉफी (coffee) पीने से कई अन्य नुकसान भी हैं। अधिक मात्रा में कॉफी का सेवन करने से होने वाले नुकसान निम्न हैं :
- किडनी (Kidney) के लिए है खतरनाक : कुछ रिसर्च के अनुसार, कॉफी में मूत्रवर्धक (Diuretic) गुण होते हैं। ऐसे में कॉफी का अधिक सेवन करने पर आपको बार-बार पेशाब जाने की समस्या हो सकती है। इसी के साथ ही, कैफीन की वजह से आपकी किडनी को खराब भी सकती है।
- कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) बढ़ना : अगर आप कॉफी की अधिक मात्रा में लेते हैं तो, इससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। खासतौर पर बैड केलेस्ट्रॉल, जिसे लो डेनसिटी लाइपोप्रोटिन (Low Density Lipoprotein (LDL)) के नाम से भी जाना जाता है। केलेस्ट्रॉल बढ़ने से मोटापा और दिल की बीमारी होने का भी खतरा रहता है।
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- नींद न आना : आप अगर जरूरत से ज्यादा कॉफी पीते हैं तो, आप अनिद्रा के शिकार हो सकते हैं। दरअसल, कॉफी में मौजूद कैफीन अधिक मात्रा में होने पर दिमाग को उत्तेजित करता है, इससे नींद नहीं आती।
- हड्डियां कमजोर होना : कॉफी को अधिक मात्रा में लेने से हड्डियों पर बुरा असर पड़ सकता है। इससे ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) होने का खतरा रहता है। आपकी हड्डियां भी पतली व कमजोर होने लगती हैं। साथ ही आपको रयूमेटाइड ऑर्थराइटिस हो सकता है।
- चिंता या घबराहट : नियमित और सीमित मात्रा में कॉफी का सेवन ध्यान केंद्रित करने और सतर्क रहने में मदद करता है, वहीं इसका अधिक सेवन करने से आपको चिंता व घबराहट जैसी समस्या हो सकती है।
- मधुमेह (Diabetes) : डायबिटीज के मरीजों में कॉफी के अधिक सेवन से खून में शर्करा (Sucrose) की मात्रा बढ़ने लगती है, जो शूगर के मरीजों के लिए हानिकारक हो सकती है।
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- दस्त (loose motion) : तय मात्रा में कॉफी लेने से मेटाबॉलिजम (metabolism) ठीक रहता है, लेकिन ज्यादा मात्रा में कॉफी पीने से दस्त के अलावा पेट से जुड़ी बीमारी भी हो सकती है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
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