जिंदगी जीने के लिए जरूरी है,सांस लेना और सांस लेने के लिए जरूरी है शरीर में फेफड़े का होना। लेकिन, जब फेफड़ा ही बीमार हो जाए तो क्या करेंगे? फेफड़ों में होने वाली बीमारियों में से एक खतरनाक बीमारी लंग कैंसर है। लंग कैंसर के लक्षण देखने में सामान्य लगते हैं, लेकिन ध्यान न देने पर यह जानलेवा भी साबित हो सकते हैं। लंग कैंसर के लक्षण सामने आने से पहले फेफड़े में कैंसर सेल्स अपना पूरा कब्जा जमा चुकी होती है। जो धूम्रपान और एल्कोहॉल के सेवन से होता है।
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लंग कैंसर (Lung Cancer) क्या है?
फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) एक सामान्य कैंसर है। लंग कैंसर एक या दोनों फेफड़ों में हो सकता है। लंग टिश्यू असामान्य गति से बढ़ते हुए एक ट्यूमर का रूप ले लेते हैं, तब लंग कैंसर हो जाता है। शरीर में फेफड़े सांस लेने में मदद करते हैं और आपके शरीर के बाकी हिस्सों को ऑक्सीजन पहुंचाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कैंसर से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा जान लंग कैंसर के कारण जाती है। लंग कैंसर जैसे-जैसे बढ़ते हैं, असामान्य कोशिकाएं ट्यूमर बना सकती हैं। जिससे फेफड़े शरीर को ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाते हैं और वह सही से काम भी नहीं करते हैं।
लंग कैंसर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Lung Cancer)
लंग कैंसर के लक्षण तब तक सामने नहीं आते हैं, जब तक वह पूरी तरह से फेफड़े को अपने कब्जे में न ले लें। लेकिन कुछ मामलों में लंग कैंसर के लक्षण शुरुआत में ही सामने आने लगते हैं। अगर आप पहले से ही लंग कैंसर के लक्षण पर ध्यान दें, तो आपके लंग कैंसर का इलाज संभव है। क्योंकि उस समय लंग कैंसर फर्स्ट स्टेज का हो सकता है।
लंग कैंसर के लक्षण में से हर लक्षण कैंसर का हो ये जरूरी नहीं। फिर भी, अगर आपको कोई भी समस्या हो तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएं, ताकि वक्त रहते लंग कैंसर के लक्षण का पता लगा कर इलाज किया जा सके। लंग कैंसर के लक्षण निम्न हैं :
- ज्यादा खांसी आना और उसका ठीक न होना
- बलगम (थूक या कफ) में खून आना
- हंसने, खांसने और सांस लेने में सीने में दर्द होना
- गला बैठना
- भूख में कमी
- बेवजह वजन का घटना
- सांस लेने में समस्या
- थकान होना या कमजोर महसूस करना
- ब्रॉन्काइटिस और निमोनिया जैसे संक्रमण बार-बार होना
- गले से घरघराहट जैसी आवाज आना
अगर फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य हिस्सो में फैल जाता है, तो निम्न लक्षण सामने आते है:
- हड्डियों में दर्द होना
- नर्वस सिस्टम में बदलाव आना। क्योंकि कैंसर मस्तिष्क तक फैल जाता है, जैसे- सिरदर्द, कमजोरी या हाथ या पैर सुन्न होना, चक्कर आना
- कैंसर से लीवर संबंधी रोग यानी कि पीलिया आदि होना
- लिम्फ नोड्स में सूजन
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लंग कैंसर के लक्षण के साथ कुछ अन्य सिंड्रोम भी हो सकते हैं :
हॉर्नर सिंड्रोम (Horner syndrome)
फेफड़ों के ऊपरी हिस्से के कैंसरों को पैनकोस्ट ट्यूमर कहा जाता है। पैनकोस्ट ट्यूमर स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) की तुलना में नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) के होने की संभावना बढ़ जाती है। जिससे हॉर्नर सिंड्रोम नामक लक्षणों का एक समूह होता है।
हॉर्नर सिंड्रोम नर्वस सिस्टम संबंधी समस्या है। जिसमें चेहरे और आंखों के एक और की तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क से संयोजन नहीं कर पाता है। आसान भाषा में कहा जा सकता है कि हॉर्नर सिंड्रोम में एक आंख की पुपिल छोटी और पलकें ढली हुई होती है। साथ ही चेहरे पर पसीने की कमी से वह विकृत होने लगता है। हॉर्नर सिंड्रोम को हॉर्नर-बरनार्ड सिंड्रोम या ऑक्यूलोसिम्पेथेटिक पाल्सी कहा जाता है।
- हॉर्नर सिंड्रोम के कारण चेहरे का जो हिस्सा प्रभावित होता है, उस हिस्से पर पसीना कम होता है
- टोसिस यानी कि पलकों का झुक जाना
- चेहरे में आंखों का धंस जाना
- पुपिल का छोटा हो जाना
इसके अलावा हॉर्नर सिंड्रोम के ज्यादा लक्षणों की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
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पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम (Paraneoplastic syndromes)
कुछ लंग कैंसर आपके शरीर में हॉर्मोन जैसे अवयव को बनाता है, जो खून के द्वारा टिश्यू और शरीर के अंगों तक पहुंचते हैं। इस समस्या को पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम कहते हैं। कभी-कभी पैरानियोप्लास्टिक सिंड्रोम लंग से शुरू होते हैं। जिससे लंग कैंसर के लक्षण नजर आने लगते हैं।
सुपीरियर वेना कैवा सिंड्रोम (Superior vena cava syndrome)
सुपीरियर वेना कैवा (SVC) दिल से सिर और हाथों में खून को पहुंचाने वाली नस है। जो फेफड़े के ऊपरी हिस्से और लिम्फ नोड्स से हो कर गुजरती है। लंग ट्यूमर उसी नस में पनपना शुरू होता है। जो कि सुपीरियर वेना कैवा में दबाव बनाना शुरू करता है। जिसके कारण से खून सुपीरियर वेना कैवा में वापस जाना शुरू हो जाता है और सिर व हाथों तक नहीं पहुंच पाता है। इसी वजह से चेहरे, गर्दन, हाथों और सीने के ऊपरी भाग में सूजन आ जाती है। साथ ही सिरदर्द, चक्कर और बेहोशी आने लगती है। कभी-कभी तो सुपीरियर वेना कैवा सिंड्रोम जानलेवा भी साबित हो जाता है।
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लंग कैंसर का पता कैसे लगाएं?
लंग कैंसर के लक्षण सामने आने के बाद आप डॉक्टर के पास जाते हैं और डॉक्टर आपकी निम्न तरह से जांच करते हैं :
- सबसे पहले डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री की जांच करते हैं।
- साथ ही लंग कैंसर के लक्षणों को भी देखते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर आपके लिए निम्न तरह की इमेज टेस्टिंग करते हैं :
- कम्प्यूटेड टॉमोग्राफी स्कैन (CT Scan)
- पॉजिस्ट्रॉन इमीशन टॉमोग्राफी स्कैन (PET scan)
- बोन स्कैन
इसके अलावा आप ब्रॉन्कोस्कोपी बायोप्सी, एंडोब्रॉन्कियल अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी इसोफेजियल अल्ट्रासाउंड, मीडियास्टिनोस्कोपी व मीडियास्टिनोटॉमी, थोरासेंटेसिस, थोरैकोस्कोपी और ओपन बायोप्सी आदि विधि का प्रयोग करके लंग कैंसर का पता लगाया जाता है।
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लंग कैंसर के स्टेजेस (Lung cancer stages)
जब लंग कैंसर के लक्षण सामने आने के बाद आपको लंग कैंसर के स्टेजेस को जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि लंग कैंसर का इलाज उसके स्टेजेस के आधार पर ही होता है। अगर आपका लंग कैंसर पहले या दूसरे स्टेज में है तो घबराने की जरूरत नहीं है। उसका इलाज संभव है।
लंग कैंसर के लक्षण का इलाज (Lung cancer treatment)
फेफड़ों के कैंसर का इलाज कई तरह से किया जाता है, जो फेफड़ों के कैंसर के प्रकार पर और वह कितनी दूर तक फैल चुका है पर निर्भर होते है। नॉन-स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर वाले लोगों का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन, लक्षित चिकित्सा या इन सभी उपचारों के संयोजन से किया जा सकता है तथा स्मॉल सेल फेफड़ों के कैंसर वाले लोगों को आमतौर पर रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी के साथ इलाज किया जाता है।
सर्जरी: डॉक्टर्स एक निर्धारित स्टेज तक ही सर्जरी का सहारा लेते हैं। डॉक्टर्स सर्जरी को तभी तक चुनते हैं, जब तक कि कैंसर फेफड़ों से ज्यादा फैला न हो। आमतौर पर 10 से 35 प्रतिशत लंग कैंसर का ट्यूमर ही सर्जरी के जरिए निकाले जा सकते हैं। लेकिन, यहां यह ध्यान देने की जरूरत है कि सर्जरी हर बार इसके निदान की गारंटी नहीं देती। ट्यूमर के फैलने के बाद इसके वापस विकसित होने की संभावना बनी रहती है।
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कीमोथेरेपी (Chemotherapy): कैंसर को कम करने के लिए विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाइयां आपके द्वारा ली जाने वाली गोलियां या आपकी नसों में दी जाने वाली दवाएं या कभी-कभी दोनों हो सकती हैं।
रेडिएशन ट्रीटमेंट: कैंसर के संक्रमण को खत्म करने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों (एक्स-किरणों के समान) का उपयोग किया जाता है।
कैंसर की चिकित्सा मुख्य रूप से फेफड़ों के कैंसर के प्रकार और अवस्था पर निर्भर करती है। आप एक से अधिक प्रकार की ट्रीटमेंट को चुन सकते हैं।