नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) पेशेंट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं अगर खासकर बात प्रेग्नेंट लेडीज की करें, तो प्रेग्नेंसी के दौरान भी डायबिटीज की समस्या डायग्नोस की जाती है। प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) कई कारणों की वजह से हो सकती है। प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या को अगर इग्नोर किया जाए, तो गर्भवती महिला एवं शिशु दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में प्रेग्नेंसी में डायबिटीज (Diabetes during pregnancy) की समस्या से जुड़ी खास इन्फॉर्मेशन आपके साथ शेयर करेंगे।
- प्रेग्नेंसी में हाय शुगर की समस्या क्या है?
- प्रेग्नेंसी में हाय शुगर के कारण क्या हैं?
- प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर के लक्षण क्या हो सकते हैं?
- प्रेग्नेंसी में हाय शुगर का निदान कैसे किया जाता है?
- प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर का इलाज कैसे किया जाता है?
- प्रेग्नेंसी में हाय शुगर के जोखिम क्या हैं?
- जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या ना हो, इसलिए क्या करें?
चलिए अब एक-एक कर प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर (High sugar during pregnancy) से जुड़े इन सवालों का जवाब जानते हैं।
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प्रेग्नेंसी में हाय शुगर की समस्या क्या है? (High sugar during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें प्रेगनेंट लेडी के शरीर में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) बढ़ जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़े हुए ब्लड शुगर की समस्या प्रेग्नेंसी के पहले नहीं होती है। जब प्रेग्नेंट लेडी का शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हॉर्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है तब प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या हो सकती है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इंसुलिन की मात्रा कम होने की वजह से प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या हो सकती है, जिसे मेडिकल टर्म में जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) कहा जाता है। प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर की समस्या के पीछे कई कारण हैं, जिनके बारे में आर्टिकल में आगे समझेंगे।
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प्रेग्नेंसी में हाय शुगर के कारण क्या हैं? (High sugar during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या के पीछे मुख्य कारण इंसुलिन का ठीक तरह से निर्माण ना होना बताया गया है, लेकिन यूएस नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (U.S. National Library of Medicine) में पब्लिश्ड रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार इंसुलिन का निर्माण ना होना प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज की समस्या के मुख्य कारण। हालांकि इसके अलावा प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर (High sugar during pregnancy) कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार जो इस प्रकार है-
- शरीर का वजन जरूरत से ज्यादा (Extra weight gain) बढ़ना।
- प्रेग्नेंसी के दौरान आवश्यकता से ज्यादा वजन बढ़ना।
- पिछले प्रेग्नेंसी में डायबिटीज की समस्या होना।
- परिवार में टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या होना।
- पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) की समस्या होना।
- पहले से डायबिटीज (Diabetes) की समस्या रहना।
- एमनियोटिक फ्लूइड (Amniotic fluid) जरूरत से ज्यादा होना।
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की समस्या होना।
इन कारणों की वजह से भी प्रेग्नेंसी में हाई शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या हो सकती है। अब ऐसी स्थिति में प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले डायबिटीज के लक्षणों को समझना बेहद जरूरी है ताकि जल्द से जल्द इलाज शुरू की जाए।
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प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर के लक्षण (Symptoms of High sugar during pregnancy)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार गर्भवती महिलाओं को निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, जिससे प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या की जानकारी जल्द से जल्द मिल सके।
- जरूरत से ज्यादा प्यास लगना।
- बहुत जल्द थक जाना।
- बार बार टॉयलेट जाना।
- जी मिचलाने की समस्या महसूस होना।
- देखने में परेशानी (Vision problem) होना।
- वजायना में बार-बार इन्फेक्शन (Vaginal Infection) की समस्या होना।
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ऐसे लक्षण महसूस किए जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर से जल्द से जल्द कंसल्टेशन आवश्यक माना जाता है।
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प्रेग्नेंसी में हाय शुगर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of High sugar during pregnancy)
गर्भवती महिलाओं का प्रेग्नेंसी के 24वें सप्ताह से 28वें सप्ताह के बीच ब्लड शुगर लेवल चेक की जाती है। वहीं प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar) यानी जेस्टेशनल डायबिटीज के निदान के लिए ओरल ग्लूकोज टेस्ट (Oral glucose test) भी किया जाता है। इस टेस्ट की सहायता से बॉडी की सेल्स ग्लूकोज को एब्सॉर्ब करने में कितनी सक्षम है, इसकी जानकारी मिलती है। इसलिए ओरल ग्लूकोज टेस्ट करने से पहले पानी में चीनी मिक्स कर पिलाया जाता है और फिर अलग-अलग चार रिपोर्ट लिए जाते हैं। वहीं इस टेस्ट के 10 घंटे पहले से कुछ भी खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
प्रेग्नेंसी में हाय शुगर लेवल (High sugar during pregnancy)
- टेस्ट के दौरान खाली पेट रहने पर 95mg/dl से ज्यादा हो
- एक घंटे बाद की ब्लड रिपोर्ट 180mg/dl से ज्यादा हो
- दो घंटे बाद ब्लड रिपोर्ट 155mg/dl से ज्यादा हो
- तीन घंटे बाद ब्लड रिपोर्ट 140 mg/dl से ज्यादा हो
प्रेग्नेंसी के दौरान बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल ज्यादा होना मां और शिशु दोनों के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है। इसलिए डायग्नोसिस के बाद जल्द से जल्द ट्रीटमेंट शुरू की जाती है।
प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for High sugar during pregnancy)
प्रेग्नेंसी में हाय ब्लड शुगर का इलाज जल्द से जल्द शुरू किया जाता है, क्योंकि इससे गर्भवती महिला और शिशु दोनों को परेशानी हो सकती है। प्रेगनेंसी में हाय शुगर यानी जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) के इलाज के लिए गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए और हाय ब्लड शुगर लेवल की गंभीरता को ध्यान में रखकर जल्द से जल्द इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इस दौरान निम्नलिखित विकल्प अपनाए जा सकते हैं। जैसे:
- प्रेग्नेंसी के दौरान हेल्दी लाइफस्टाइल (Healthy lifestyle) मेंटेन करना और खानपान में बदलाव लाना एवं हेल्दी डायट (Healthy diet) फॉलो करना।
- प्रेग्नेंसी में ब्लड शुगर लेवल मेंटेन रखने के लिए डॉक्टर प्रेग्नेंट लेडी को मेटफॉर्मिन (Metformin) या कोई अन्य दवा प्रिसक्राइब कर सकते हैं।
- अगर प्रेग्नेंसी के दौरान इंसुलिन (Insulin) की आवश्यकता ज्यादा पड़ती है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भवती महिला को इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
नोट: प्रेग्नेंसी के दौरान प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) यानी जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) की समस्या होने पर अपनी मर्जी से किसी भी दवा का सेवन ना करें। वहीं अगर जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या को अगर इग्नोर किया गया तो यह गर्भवती महिला एवं गर्भ में पल रहे शिशु दोनों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
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प्रेग्नेंसी में हाय शुगर के जोखिम क्या हैं? (Risk factor of High sugar during pregnancy)
अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को बैलेंस में ना रखा जाए या प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) का इलाज ना करवाया जाए, तो निम्नलिखित जोखिम देखी जा सकती है। जैसे:
- नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार सिजेरियन डिलिवरी (C-section) की संभावना बढ़ जाती है।
- शिशु का जन्म समय से पहले हो सकता है।
- गर्भवती महिला में प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia) यानी हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Sugar) का खतरा बढ़ जाता है।
इन ऊपर बताये तकलीफों के अलावा शिशु की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या को इग्नोर ना करें।
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जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या ना हो, इसलिए क्या करें? (Tips for Gestational diabetes)
प्रेग्नेंसी के दौरान हाय ब्लड शुगर की समस्या से बचने के लिए या ब्लड सुगर लेवल (Blood sugar level) कंट्रोल रहे, इसलिए निम्नलिखित पेय एवं खाद्य पदार्थों से दूरी बनायें। जैसे:
- कोल्ड ड्रिंक, कैंडी या टॉफी का सेवन ना करें।
- ऐसी चीजें का सेवन ना करें जिनमें मीठा (Sweet) ज्यादा हो।
- जैम (Jam) और शहद (Honey) का सेवन भी ना करें।
- बेक की गई खाद्य पदार्थ जैसे केक या मफिंस से दूर रहें।
- फास्ट फूड (Fast food) या जंक फूड (Junk food) का सेवन ना करें।
प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या से बचने के लिए इन 5 बातों का विशेष ख्याल रखें।
अगर आप प्रेग्नेंसी या प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) से जुड़ी किसी तरह की कोई जानकारी पाना चाहते हैं, तो हमें कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों का जवाब देंगे। हालांकि अगर आप गर्भवती हैं और प्रेग्नेंसी में हाय शुगर (High sugar during pregnancy) की समस्या से परेशान हैं, तो अपने गायनोकोलॉजिस्ट से इस बारे में जरूर कंसल्ट करें। क्योंकि हेल्थ एक्सपर्ट आपकी सेहत को ध्यान में रखकर प्रेग्नेंसी में हाय शुगर की समस्या को बैलेंस करने के लिए मेडिकेशन एवं आपकी हेल्थ कंडिशन (Health condition) को ध्यान में रखकर आवश्यक सुझाव आपके साथ शेयर करेंगे।
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