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डायबिटीज होने पर कैसे करें अपने पैरों की देखभाल?

डायबिटीज होने पर कैसे करें अपने पैरों की देखभाल?

डायबिटीज से पीड़ित लोगों के खून में ग्लूकोज का लेवल बहुत अधिक होता है। जो बहुत गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। यह जटिलताएं पैरों से संबंधित भी हो सकती हैं। डायबिटीज पैरों को दो तरीकों से प्रभावित करती है। पहला डायबिटीज होने से ब्लड सप्लाई प्रभावित होती है, जिससे पैरों के घाव और चोट को भरने में देर होती है। दूसरा नर्व डैमेज होने की वजह से लोग पैरों में सुन्नता भी अनुभव कर सकते हैं। अगर किसी व्यक्ति की नर्वस डायबिटीज के कारण क्षतिग्रस्त हैं, उन्हें पैरों में हुए मामूली कट या छाले तक का एहसास नहीं हो पाता, जिससे अल्सर भी हो सकता है। ऐसे में डायबिटीज में फुट केयर करना आवश्यक है।

डायबिटीज (Diabetes) से पीड़ित लोगों में पैर संबंधी समस्याएं

डायबिटीज में खून का प्रवाह सही से नहीं हो पाता। ब्लड सर्कुलेशन के सही न होने के कारण आपके पैरों की ब्लड सप्लाई प्रभावित हो सकती है। जब यह ब्लड सप्लाई कम होती है, तो इसमें लगे कट या घाव ठीक नहीं हो पाते। पैर में  कम ब्लड सर्कुलेशन के कारण आपको चलते हुए टांगों के पीछे दर्द या ऐंठन महसूस हो सकता है।

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ब्लड सर्कुलेशन संबंधित समस्याएं

ब्लड सर्कुलेशन संबंधी समस्याओं के कारण धमनियों के सख्त या संकुचित होने के कारण हो सकती हैं । इसके सामान्य कारण इस प्रकार हैं:

डायबिटीज के कारण नर्व डैमेज (Nerve damage) की समस्या

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को नर्व डैमेज की समस्या हो सकती है। निम्नलिखित कारक जोखिमों को बढ़ा सकते हैं।

नर्व डैमेज के साथ अगर इंफेक्शन भी हो तो यह उपचार के साथ ठीक नहीं होता। ऐसी स्थिति में आपका पैर, उसकी उंगली या टांग के हिस्से को सर्जरी से निकालना पड़ सकता है ताकि वो इंफेक्शन शरीर के अन्य भागों तक न फैले।

डायबिटिक फुट से होने वाली समस्याएं

पैर से जुडी यह समस्याएं किसी भी व्यक्ति को हो सकती हैं। लेकिन डायबिटीज फुट यानी डायबिटीज के शिकार लोगों मेंं पैरों से जुडी निम्नलिखित समस्याएं होना बहुत ही सामान्य है।

एथलिट्स फुट (Athlete’s foot)

एथलिट्स फुट एक फंगस है जो पैरों मेंं खुजली, लालिमा या त्वचा के फट जाने का कारण बनती है। कीटाणु इस फटी हुई त्वचा से अंदर प्रवेश करते हैं जिससे संक्रमण हो सकता है। दवाइयों से इस रोग का इलाज संभव है। परेशानी अधिक हो तो इसके लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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नाखूनों का फंगल इंफेक्शन

जो नाखून फंगस से संक्रमित होते हैं, उसका रंग बदल जाता है, वो अधिक सख्त हो जाते हैं और बिलकुल टूट भी सकते हैं। जूतों की नमी और गर्मी फंगल के विकास को बढ़ावा देती है। इस तरह के इंफेक्शन का उपचार मुश्किल है। अगर समस्या कम है तो उन मामलों मेंं दवाईयां दी जाती है। लेकिन, अगर गंभीर है तो खराब नाखूनों के टिश्यू को निकाला जा सकता है।

कॉलेसिस (Callesis)

डायबिटिक फुट मेंं अगली समस्या है कॉलेसिस। कॉलेसिस वो सख्त त्वचा है जो पैर के नीचे होती है। कॉलेसिस का कारण रोगी का असामान्य वजन, जूतों की सही फिटिंग न होना आदि हो सकता है। पैरों मेंं कॉलेसिस होना बहुत ही सामान्य है लेकिन अगर इनसे समस्या हो तो डॉक्टर की राय लें। दवाईयां इसे नरम बना सकती हैं। लेकिन, इसे किसी तेजधार वाली चीज से काटने की कोशिश न करें।

कॉर्न्स

कॉर्न्स पैर की अंगुली या अंगूठे के बीच की हड्डी के पास की कठोर त्वचा का बनना है। कॉर्न्स की परेशानी जूते से बने दबाव के कारण हो सकती है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह लें।

छाले (Ulcer)

जब आपके जुड़े या जुराबें आपके पैर की एक ही जगह पर रगड़ खाते हैं। तो उनसे छाले हो सकते हैं।  इसके अलावा, सही फिट के जूते या जुराबें न पहनने से भी यह समस्या हो सकती है। इन छालों को कभी भी खुद से न फोड़ें। इसके लिए डॉक्टर की सलाह के बाद एंटीबैक्टीरियल क्रीम का प्रयोग किया जा सकता है।

पैर के अंगूठे की सूजन (bunion)

इसे बोनी लम्प भी कहा जाता है। यह बड़े अंगूठे के नीचे जोड़ पर बनता है। इसका कारण तंग जूते या कोई चोट हो सकती है। लेकिन कई बार हड्डी की सरंचना के कारण भी यह हो सकता है। पैर पर मुलायम पैडिंग का प्रयोग करके आप इस परेशानी मेंं राहत पा सकते हैं। अगर इसमेंं समस्या बढ़ जाए तो सर्जरी भी करानी पड़ सकती है

और पढ़ें:डबल डायबिटीज की समस्या के बारे में जानकारी होना है जरूरी, जानिए क्या रखनी चाहिए सावधानी

रूखी त्वचा (Dry skin)

रूखी त्वचा तब हो सकती है, जब आपके पैरों और पैरों की नसों को पसीने के लिए आपके मस्तिष्क से संदेश नहीं मिलता है। सूखी त्वचा फट सकती है, जिससे उसमें कीटाणु प्रवेश कर सकते हैं। आपकी त्वचा को नम और मुलायम बनाए रखने मेंं मदद करने के लिए मॉइस्चराइजिंग साबुन और लोशन का उपयोग बेहतर साबित हो सकता है।

पैर का अल्सर

पैर का अल्सर त्वचा मेंं लगने वाला कट या गहरा घाव है, जो संक्रमित हो सकता है। पैर का अल्सर मामूली चोट भी हो सकती है जो धीरे-धीरे ठीक होती है। इस स्थिति मेंं अपने डॉक्टर की सलाह लें। यह डायबिटिक फुट का सामान्य प्रकार है।

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पैरों की उंगली का मुड़ना (Hammertoe)

पैरों की उंगली के मुड़ने की समस्या मांसपेशियों के कमजोर होने से हो सकती है। इसका कारण सही फिटिंग वाले जूते न पहनना या आनुवंशिक भी हो सकता है । यह समस्या होने पर चलने मेंं परेशानी होती है जिससे अन्य रोग जैसे छाले या कॉलेसिस आदि भी हो सकते हैं। गंभीर मामलों मेंं सर्जरी की जा सकती है।

नाखून का त्वचा के नीचे बढ़ना (Ingrown toenail)

डायबिटिक फुट की यह समस्या होने पर नाखूनों के किनारे पर दबाव पड़ता है और दर्द होती है। इसके साथ ही सूजन, लालिमा और इंफेक्शन भी हो सकता है। इसे बचने के लिए नियमित रूप से अपने नाखूनों को काटें। इसके साथ ही आपको डॉक्टर की सलाह लें। गंभीर स्थिति मेंं सर्जरी भी करानी पड़ सकती है।

मस्से

यह भी कॉलेसिस की तरह लगते हैं। इनमेंं दर्द हो सकती है। इनका कारण हैं वायरस, जो त्वचा को संक्रमित करते हैं। इसके लिए खुद से कोई भी दवाई न लगाएं बल्कि अपने डॉक्टर से सलाह ले कर सही इलाज कराएं।

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डायबिटीज होने पर पैरों की देखभाल कैसे करें?

यदि आप अपने पैरों की देखभाल करते हैं तो पैरों की समस्याओं से बचा जा सकता। इसके साथ ही पैरों का सही समय पर उपचार कराना भी जरूरी है। आप अपनी फुट केयर अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें और उनके बनाये निर्देशों का पालन करें। फुट केयर के कुछ टिप्स इस प्रकार हैं।

पैरों की जांच

अपने पैरों को रोजाना चेक करें। अपनी पैरों की उंगलियों, एड़ियों, अपने उंगलियों के बीच में, साइड में सभी जगह यह चेक करें। ध्यान रहे आपके पैरों में निम्नलिखित समस्याएं न हों।

  • रूखी त्वचा और त्वचा में दरारे
  • छाले या घाव
  • नील या कट
  • लालिमा, सूजन या पैर में गर्माहट

अगर आप पैरों को अच्छे से न जांच पाएं, तो किसी अन्य व्यक्ति को चेक करने को कहें।

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पैरों की सफाई (Foot cleaning)

  • अपने पैरों को रोजाना गुनगुने पानी और साबुन से साफ करें। लेकिन, साबुन ऐसा हो जो आपके पैरों को नुकसान न पहुंचाए। कठोर साबुन आपकी त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • सबसे पहले अपने हाथ या कोहनी से पानी का तापमान चेक करें।
  • अच्छे से अपने पैर को साफ करें, खासतौर पर उंगलियों के बीच में। फुट केयर के लिए यह आवश्यक है कि आपको इंफेक्शन न हो।
  • सुखी त्वचा पर लोशन, पेट्रोलियम जेली आदि का प्रयोग करें। अपनी उंगलियों के बीच लोशन, तेल या क्रीम न लगाएं।

नाखून

  • अपने नाखूनों को काटने से पहले उन्हें गुनगुने पानी में थोड़ी देर डालें, ताकि यह नरम हो जाएं।
  • अपने नाखूनों को सीधा काटे। क्योंकि, मुड़े हुए नाखूनों से त्वचा के नीचे नाखून उगने की संभावना अधिक हो जाती है। 
  • अगर आप अपने पैरों की उंगलियों के नाखूनों को न काट पा रहे हों, तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।
  • अगर आपके नाखून सख्त हों तो उनमें फंगल इंफेक्शन हो सकता है। ऐसे में खुद उन्हें न काटे। बल्कि पहले डॉक्टर को दिखाएं और डॉक्टर से उसका उपचार कराएं।

खुद न उपचार करें

डायबिटीज से पीड़ित लोगों को पैरों के नीचे कॉर्न्स या कैलस (calluses)  हो सकते हैं। अगर ऐसा है तो खुद उसका उपचार न करें बल्कि डॉक्टर की सलाह लें। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर से मिले। अपने पैरों के घावों आदि का उपचार घर में न करें

मेडिकेटेड पैड का प्रयोग 

अपने पैरों पर मेडिकेटिड पैड का प्रयोग न करें।  पैरों के लिए हीटिंग पैड या हॉट वाटर बोतल का प्रयोग भी न करें।

स्मोकिंग न करें 

अगर आप स्मोकिंग करते हैं तो छोड़ दें। स्मोकिंग करने से पैरों तक खून सही तरीके से नहीं पहुंच पाता। जिससे पैरों की समस्या बढ़ सकती है। अगर धूम्रपान छोड़ने में मुश्किल हो तो डॉक्टर से सलाह लें।

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जूते 

  • डायबिटीज में फुट केयर या डायबिटीज में पैरों की देखभाल के लिए सही जूते और जुराबों का पहनना भी बहुत जरूरी है। अपने पैरों को घाव या चोट से बचाने के लिए जब भी जूते पहने तो उससे पहले जांच कर लें कि कहीं इसमें पत्थर, कांटा या कील आदि न हो। क्योंकि इससे पैरों को चोट लग सकती है।
  • अगर आपके जूते से पैर रगड़ खाते हैं तो इससे भी फफोले और घाव हो सकते हैं।
  • हमेशा सही साइज के जूते ही पहने। अगर जूते बहुत अधिक तंग या खुले हों तो उससे भी आपके पैरों को नुकसान हो सकता है।

जुराबें

  • अपने पैरों को बचाने के लिए साफ और सूखे जुराबों को पहने। इसके साथ ही ध्यान रखें कि इसमें कोई सुराख न हों। इससे आपकी पैरों की उंगलियों को नुकसान हो सकता है।
  • आप ऐसी खास जुराबे भी पहन सकते हैं, जिनमें एक्स्ट्रा पैडिंग हो।  ठंड के मौसम में, गर्म मोजे पहनें और बहुत लंबे समय तक ठंड में बाहर न रहें। यदि आपके पैर ठंडे हैं तो बिस्तर में भी साफ, सूखे मोजे पहन सकते हैं।

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ऐसे रखें अपना ख्याल

  • फुट केयर के साथ ही आपको अपनी डायबिटीज का भी ख्याल रखना चाहिए। अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखें। ब्लड शुगर का अधिक होना आपके पैरों में कमजोर ब्लड फ्लो और नर्व डैमेज की समस्या को बढ़ सकता है। इससे पैरों का सुन्न होना, उसमे जख्म या इंफेक्शन भी हो सकता है। अगर सही समय पर इसका इलाज न हो तो इससे फुट अल्सर और इंफेक्शन हो सकता है जो बहुत ही गंभीर हो सकता है।
  • साथ ही नियमित रूप से डॉक्टर से अपने पैरों की जांच भी कराएं। हर 6 महीने में डायबिटीज के लक्षणों के साथ-साथ पैरों का भी ध्यान रखें। पैरों की समस्याओं का कारण असामान्य फुट स्ट्रक्चर या सही साफ सफाई का न होना भी है। सैर, बाइकिंग या स्विमिंग भी फुट केयर में आपकी मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने डॉक्टर से यह पता कर लें कि कौन-सी गतिविधि आपको नहीं करनी चाहिए।  
  • जब आपको डायबिटीज हो तो नियमित रूप से फुट केयर आवश्यक है। इन समस्याओं के शुरू होने से बचाने के लिए आपको साल में कम से कम एक बार डॉक्टर से अपने पैरों का पूरा चेकअप अवश्य कराएं। अगर आपके पैरों में सुन्नता या झुनझुनी जैसी समस्याएं हों या आपके पैरों में हुई कोई चोट जल्दी न ठीक हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

अगर इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। मधुमेह में पैरों की देखभाल बहुत जरूरी होती है और अगर आपको इस संबंध में परेशानी महसूस हो, तो बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी उपाय न करें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

22/02/2021

Anu sharma द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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Anu sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/02/2021

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