इंसुलिन रेजिस्टेंस का टेस्ट और डायग्नोसिस को जानने के लिए पढ़़ें
किसी भी मरीज में इंसुलिन रेजिस्टेंस की पहचान करने के लिए डॉक्टर इन चीजों की जांच कर सकता है। इसके लिए डॉक्टर मरीज के परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पूछताछ कर सकता है। वहीं मरीज का फिजिकल इग्जामिनेशन भी कर सकता है। इसमें मरीज के वजन की जांच के साथ ब्लड प्रेशर की जांच की जाती है।
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डॉक्टर इन ब्लड टेस्ट को करवाने का दे सकता है सुझाव
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (Fasting plasma glucose test) : इस जांच में मरीज के ब्लड शुगर लेवल की जांच की जाती है। इसके लिए जरूरी है कि मरीज ने आठ घंटों तक कुछ भी खाया न हो। इसलिए डॉक्टर इसे खाली पेट जांच करवाने की सलाह देते हैं।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral glucose tolerance test) : इस टेस्ट के तहत पहले मरीज की फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट की जाती है। उसके बाद मरीज को खास प्रकार का शुगरी सॉल्यूशन (sugary solution) पिलाया जाता है, जिसके दो घंटों के बाद मरीज की एक और ब्लड टेस्ट की जाती है।
- हीमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट (Hemoglobin A1c test) : इस ब्लड टेस्ट के जरिए मरीज के दो से तीन महीनों की औसतन ब्लड शुगर लेवल के बारे में पता किया जाता है। इसके जरिए डॉक्टर यह जानने की कोशिश करते हैं कि कहीं मरीज प्री डायबिटीज या डायबिटीज से ग्रसित तो नहीं। यदि मरीज को डायबिटीज है तो यह पता किया जाता है कि वह कंट्रोल में है या नहीं। डायबिटीज कंट्रोल के नतीजों को जानने के लिए उसके बाद एक और टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस कैसे टाइप 2 डायबिटीज में होता है तब्दील
जब आपको इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या है तो इस कंडीशन में आपके पैनक्रियाज ज्यादा इंसुलिन तैयार करते हैं। कुछ समय के लिए आपका ब्लड शुगर लेवल सामान्य हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता है आपके पैनक्रियाज ब्लड शुगर लेवल को सामान्य नहीं रख पाते हैं। वहीं इस दौरान आप अपने खानपान, लाइफस्टाइल में सुधार कर या एक्सरसाइज कर अपनी हेल्थ नहीं सुधारते हैं तो आपका ब्लड शुगर लेवल तबतक बढ़ता है जबतक आपको प्री डायबिटीज न हो जाए। इस हेल्थ कंडीशन में आपके स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टर कुछ ब्लड टेस्ट करवाते हैं व उसके नतीजों के अनुसार इलाज करते हैं। डॉक्टर यह कराते हैं टेस्ट;
- फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोज टेस्ट 100 से 125 एमजी/डीएल
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट 140 से 199 एमजी/डीएल दूसरे टेस्ट के बाद
- ए1सी रिजल्ट जो 5.7% से 6.4% हो सकता है