हार्ट अटैक वर्तमान समय में एक आम समस्या हो गई है। पूरी दुनिया में हार्ट अटैक के कारण ही सबसे ज्यादा मौतें हो रही हैं। अक्सर हम सुनते हैं कि हार्ट अटैक आने के बाद लोग ठीक हो सकते हैं, लेकिन कुछ लोगों को हार्ट अटैक भी खामोशी से आता है। जिसे साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) कहते हैं। इस प्रकार के हार्ट अटैक में ज्यादातर लोगों की जान चली जाती है। तो आइए जानते हैं कि दिल के मरीज को साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) किस कारण आता है? हार्ट अटैक के लक्षण क्या हो सकते हैं?
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साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) क्या है?
साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) के लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते। सीने में तेज दर्द, सांस की कमी और पसीना आना, यह कुछ ऐसे लक्षण हैं जो हार्ट अटैक की ओर इशारा करते हैं लेकिन हर बार यह लक्षण नजर नहीं आते हैं। असल में, हार्ट अटैक बिना किसी लक्षण के भी आ सकता है। इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहते हैं।
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक रिसर्च के अनुसार साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) ज्यादातर लोगों को समझ नहीं आती है। इसे मेडिकल टर्म में साइलेंट मायोकार्डियल इन्फार्क्शन (SMI) भी कहते हैं। महिलाओं की तुलना में 45 प्रतिशत पुरुष इसके शिकार होते हैं। इसे साइलेंट हार्ट अटैक इसलिए भी कहते हैं क्योंकि हार्ट अटैक के दौरान सीने में दर्द होता है। इसके साथ ही हाथों, गले और जबड़े में दर्द होता है। यही नहीं इस दौरान पेशेंट को सांस लेने में परेशानी, पसीना आना और चक्कर भी आ सकता है। जबकि साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) के दौरान ऐसा नहीं होता है।
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साइलेंट हार्ट अटैक (Silent Heart Attack) के लक्षण क्या हैं?
जैसा कि नाम से ही पता चलता है, साइलेंट हार्ट अटैक खामोशी से दबे पांव आता है। इसके कोई लक्षण नहीं सामने आते हैं या फिर अगर कोई लक्षण सामने भी आए तो हो भी तो बहुत कम और समझ में न आने वाले लक्षण होते हैं लेकिन यह भी आम हार्ट अटैक की तरह ही होता है जिसमें दिल के हिस्से तक खून का बहाव स्थायी तौर पर रुक जाता है। जो कि दिल को बुरी तरह जोखिम में डाल सकता है। अक्सर लोगों को पता भी नहीं चल पाता कि उन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है इसके बावजूद कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिसे लोग समझ नहीं पाते हैं।
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- खाना न पचना
- फ्लू होना
- जबड़े या शरीर के ऊपरी हिस्से में जकड़न महसूस होना
- हल्का सिरदर्द होना
- सांस लेने में परेशानी महसूस होना
- मितली होना
- उल्टी होना
- डाइजेशन की समस्या होना
- अत्यधिक थकान महसूस होना
- जरूरत से ज्यादा पसीना आना
ऐसे में ज्यादातर लोग हार्ट अटैक समझ नहीं पाते और इन लक्षणों को छोटी-मोटी बीमारी समझ के नजरअंदाज कर देते हैं
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साइलेंट हार्ट अटैक (Silent Heart Attack) के क्या कारण हैं?
जब रक्त का बहाव कोरोनरी आर्टरीज में ब्लॉकेज की वजह से दिल तक पहुंचने में नाकाम हो जाता है तो हार्ट अटैक की स्थिति पैदा होती है एक्सपर्ट्स का कहना है कि साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होता है, जिसक निम्न कारण हो सकते हैं :
- हाई ब्लड प्रेशर
- हाई कोलेस्ट्रॉल
- धूम्रपान
- हार्ट अटैक का पारिवारिक इतिहास
- मोटापा
- उम्र ज्यादा होना
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साइलेंट हार्ट अटैक (Silent Heart Attack) से बचने के उपाय क्या हैं?
साइलेंट हार्ट अटैक से बचने के निम्नलिखित उपाय हो सकते हैं, जैसे-
- एंग्जायटी या चेस्ट में भारीपन महसूस होने पर बॉडी चेकअप के लिए जायें। ऐसी स्थिति में कभी-कभी हार्ट में ब्लॉकेज हो सकता है। ब्लॉकेज होने पर परेशान न हों बल्कि ठीक तरह से इसका इलाज करवायें।
- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल या आप मोटापे के शिकार हैं तो समय-समय पर शारीरिक जांच करवाते रहें या डॉक्टर द्वारा बताये गये रूटीन चेकअप बताये गये समय पर करवाते रहें।
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो स्मोकिंग करना छोड़ दें। इससे सिर्फ साइलेंट हार्ट अटैक (Silent heart attack) का खतरा ही नहीं बल्कि कैंसर जैसी अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है। महिला या पुरुषों का स्मोकिंग करना उनके फर्टिलिटी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है और लोग इनफर्टिलिटी के शिकार हो जाते हैं।
- एल्कोहॉल का सेवन न करें। जरूरत से ज्यादा एल्कोहॉल का सेवन साइलेंट मायोकार्डियल इन्फार्क्शन का खतरा बढ़ा सकता है। अत्यधिक एल्कोहॉल कई सारी शारीरिक परेशानी शुरू कर सकता है।
- रोजाना कम से कम 20 मिनट एक्सरसाइज करें। ऐसा करने से आप हेल्दी रहेंगे। एक्सरसाइज करने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है जिससे बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
- तनाव से दूर रहने की कोशिश करें। बदलते लाइफस्टाइल में आप तनाव के शिकार हो सकते हैं लेकिन, इससे जितना हो सके बचें क्योंकि तनाव के कारण कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- फिजिकल तौर से एक्टिव रहें। जब तक डॉक्टर बेड रेस्ट की सलाह न दें तब तक बेड रेस्ट पर न रहें और इस दौरान हल्के काम-काज में समय बिताएं।
- अत्यधिक तेल-मसाले से बने खाद्य पदार्थों का सेवन न करें साथ ही फ्रोजन और जंक फूड का सेवन न करें।
डॉकटर्स अपने मरीजों में हार्ट अटैक के खतरे को समझ सकते हैं। जैसे हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज। प्री-एक्लेम्पसिया का मेडिकल इतिहास रखने वाली महिलाओं में भी हार्ट अटैक के खतरे होते हैं। यह बहुत जरुरी है कि जिन रोगियों को पहले से ही हृदय रोग है या दिल का दौरा पड़ चुका है, वे अपने दिल की देखभाल के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ (कार्डियोलॉजिस्ट) से नियमित रूप से मिलते रहें। जिन मरीजों को दिल का दौरा पड़ चुका होता है, उन्हें दूसरा दौरा पड़ने का भी बहुत खतरा होता है, कार्डियोलॉजिस्ट मरीज के लक्षणों को देखते हुए उसके हार्ट अटैक के खतरे को नियंत्रण कर सकता है।
साइलेंट हार्ट अटैक का इलाज कैसे किया जाता है?
इस हार्ट अटैक का इलाज डॉक्टर दवा से कर सकते हैं। इन दवाओं में शामिल है –
साइलेंट हार्ट अटैक के लिए ऊपर बताई गई दवाओं से इलाज की जा सकती है। इन दवाओं से शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है, ब्लड क्लॉट नहीं हो सकता है और हार्ट अटैक की संभावना कम हो सकती है।
हार्ट अटैक होने से पेशेंट डॉक्टर से क्या सवाल कर सकते हैं?
हार्ट अटैक के पेशेंट को निम्नलिखित सवाल अपने हेल्थ एक्सपर्ट से पूछना चाहिए, जैसे-
- अगर आप बेचैनी महसूस करते हैं तो क्या ये साइलेंट हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं?
- बीमारी कौन सी स्टेज में है?
- क्या मुझे लाइफटाइम दवा खाने की जरूरत पड़ेगी?
- मुझे अपने जीवनशैली में क्या बदलाव करना चाहिए?
इन सवालों के अलावा अगर आप साइलेंट हार्ट अटैक से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। उम्मीद करते हैं कि ये आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित होगा। अपनी राय हमें कमेंट कर के जरूर बताएं। आपके सुझावों का भी हैलो स्वास्थ्य स्वागत करेगा। अपना ध्यान रखें और स्वस्थ रहें।
किसी भी बीमारी से लड़ना आसान होता है अगर आपकी विल पवार स्ट्रॉन्ग हो। नीचे दिए इस वीडियो लिंक में मिलिए मिसेज पुष्पा तिवारी रहेजा से। मिसेज रहेजा ने कभी न ठीक होने वाली बीमारियों की लिस्ट में शामिल डायबिटीज को मात दी है।
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