दुनिया में बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जिनके बारे में लोगों को मालूम भी नहीं होता, लेकिन वो इसके शिकार हो जाते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है गौशर। आप में से शायद ही किसी ने इस बीमारी का नाम पहले सुना होगा। सोचने वाली बात है कि, जिस रोग का नाम भी किसी को मालूम नहीं होता, वो अगर हो भी जाए तो उससे निजात पाना कितना मुश्किल हो जाता है। इस आर्टिकल में आप गौशर रोग से जुड़ी सभी जानकारियां हासिल कर सकते हैं। यहां आप जानेंगे कि गौशर रोग किसे कहते हैं, इसके लक्षण और कारण क्या होते हैं।
गौशर (Gaucher) रोग किसे कहते हैं ?
जब शरीर के कुछ अंगों में विशेष प्रकार के फैटी पदार्थ ग्लूकोसेरिब्रोसेडिस बनने लगते हैं तो उसे गौशर रोग कहते हैं। ये फैटी पदार्थ विशेष रूप से लिवर और प्लीहा को प्रभावित करते हैं। ये फैटी पदार्थ हड्डियों को भी प्रभावित कर सकते हैं। हड्डियों की ऊतकों में इस फैटी पदार्थ का विस्तार होने से हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं और बोन फ्रैक्चर होने का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। गौशर बीमारी यदि एक बार आपके बोन मैरो को प्रभावित कर दे तो इससे ब्लड क्लॉटिंग में समस्या उत्पन्न हो सकती है। कहने का मतलब ये है, अगर ब्लड क्लॉटिंग में समस्या आती है तो कटने पर या चोट लगने पर खून का रुकना मुश्किल हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप चोट लगने पर या सर्जरी के दौरान खून रोकना मुश्किल हो जाता है।
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अंगों का असामान्य आकार
शरीर के जिन अंगों में फैटी पदार्थ का विस्तार होता है उनका आकार सामान्य से ज्यादा बढ़ जाता है और वो ठीक तरह से काम भी नहीं कर पाते हैं। गौशर रोग में शरीर में उस एक एंजाइम की कमी हो जाती है जो फैटी पदार्थों को शरीर के अंगों में विस्तृत होने से रोकता है। यह एक अनुवांशिक रोग है जो ज्यूइश लोगों में होना आम माना जाता है। गौशर रोग के लक्षण किसी भी उम्र में दिखाई पड़ सकते हैं।
गौशर रोग के लक्षण
गौशर रोग के लक्षण हर किसी में अलग-अलग हो सकते हैं। डायबिटीज की तरह इस बीमारी के भी तीन टाइप होते हैं। टाइप-1 गौशर इसके अन्य प्रकार से अलग और खतरनाक हो सकता है। इसके लक्षण विभिन्न लोगों में अलग होते हैं, यहां तक की जुड़वां बच्चों में भी गौशेर रोग के लक्षण एक दूसरे से काफी अलग हो सकते हैं। जहां कुछ लोगों में इसके लक्षण काफी गंभीर होते हैं वहीं कुछ लोगों में गौशर के लक्षण काफी कम दिखाई देते हैं। आमतौर पर गौशर रोग के ये निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं।
पेट से जुड़ी शिकायतें : गौशर रोग से पीड़ित व्यक्ति का लिवर और पिल्हा सामान्य से काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इस स्थिति में एब्डोमेन या पेट के निचले हिस्से में असहनीय दर्द का अनुभव हो सकता है। इसके साथ ही साथ पेट से जुड़ी अन्य शिकायतों का सामना भी करना पड़ सकता है। हालांकि, गौशर रोग से पीड़ित सभी लोगों को ये शिकायत हो ऐसा जरूरी नहीं है।
हड्डियों से जुड़ी समस्याएं : गौशर रोग से पीड़ित व्यक्ति की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। इस वजह से आमतौर पर हड्डियों के फ्रैक्चर होने का चांस सबसे ज्यादा रहता है। इस रोग में व्यक्ति की हड्डियों में खून का प्रवाह ठीक ढंग से नहीं हो पाता है। हड्डियों में खून का प्रवाह नहीं होने से उस निर्धारित जगह की हड्डी बेकार हो सकती है।
खून से जुड़ी समस्याएं : गौशर रोग से पीड़ित व्यक्ति को खून से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं। शरीर में रेड ब्लड सेल्स में कमी आना या एनीमिया से ग्रसित होना भी इस बीमारी का एक लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में खून काफी पतला हो जाता है जिससे ब्लड क्लॉटिंग में भी दिक्कतें हो सकती हैं।
इसके अलावा गौशर रोग की दुर्लभ स्थिति में इस बीमारी का प्रभाव मरीज के मस्तिष्क पर भी पड़ सकता है, इससे आंखों की रौशनी पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इस बीमारी से पीड़ित कुछ लोगों को निगलने में भी दिक्कत हो सकती है। गौशर रोग का एक दुर्लभ प्रकार शिशु के जन्म के बाद शुरु होता है और महज 2 साल की उम्र में ये मौत का कारण भी बन सकता है।
गौशर रोग के प्रमुख कारण
गौशर बीमारी मुख्य रूप से अनुवांशिक होता है और पेरेंट्स से बच्चों में आता है। मेडिकल विज्ञान में इस प्रक्रिया को “ऑटोसोमल रिसेसिव (Autosomal recessive)” कहा जाता है। अगर माता पिता दोनों के शरीर में गौशर जीन का वाहक है तो उनसे होने वाले बच्चे गौशर रोग हो सकता है। किसी भी व्यक्ति के शरीर में मुख्य रूप से बीटा ग्लूकोसेरिब्रोसेडिस नाम का एंजाइम गौशर रोग का कारण बनता है। ये एंजाइम शरीर के जीन में होने वाले परिवर्तनों से उत्पन्न हो सकता है।
गौशर रोग किसे होने का चांस ज्यादा रहता है
आमतौर पर गौशर रोग ज्यूइश लोगों में उनके पूर्वजों से होने का डर सबसे ज्यादा रहता है। ईस्टर्न और सेंट्रल यूरोप में रहने वाले लोगों में इस बीमारी का सबसे आम प्रकार देखने को मिल सकता है। इसके अलावा ये बीमारी पहले से ही फैटी लिवर से ग्रसित लोगों में होने का चांस सबसे ज्यादा रहता है।
गौशर रोग से मरीजों में ये समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं
- पार्किंसंस नाम की बीमारी हो सकती है।
- स्त्री रोग और प्रजनन संबंधित समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- ल्यूकेमिया और लिंफोमा जैसे कैंसर का शिकार भी हो सकते हैं।
- बच्चों के शारीरिक विकास में देरी हो सकती है, उनमें यौवन से संबंधित समस्या देखी जा सकती है।
गौशर रोग का निदान
इस बीमारी की जांच ब्लड टेस्ट के जरिए किया जा सकता है। इस दौरान खून में ग्लूकोसेरिब्रोसेडिस एंजाइम के बारे में मालूम किया जा सकता है। इसके साथ ही जेनेटिक म्युटेशन के बारे में जानने के लिए कुछ जेनेटिक टेस्ट भी किए जा सकते हैं। इस बीमारी से बचने या इसके निदान की बात करें तो अभी तक इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने का कोई ठोस इलाज नहीं बना है। यदि किसी व्यक्ति में इस बीमारी के एंजाइम ज्यादा बनते हैं तो उसके लिए एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी उपलब्ध है। कुछ लोगों में इस बीमारी के लक्षण बहुत ही कम दिखाई देते हैं। ऐसे लोगों को इलाज की जरूरत हो नहीं होती लेकिन उन्हें समय समय पर डॉक्टर से जांच जरूर करवाते रहना चाहिए। इस बीमारी के लक्षण हड्डियों में दिखाई देने पर डॉक्टर बोन मैरो रिप्लेस्मेंट की सलाह देते हैं।
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