वेंट्रिकुलर एरिथमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Ventricular Arrhythmia)
वेंट्रिकुलर एरिथमिया के इलाज के लिए जब डॉक्टर से कंसल्ट किया जाता है, तो डॉक्टर सबसे पहले बीमारी के लक्षणों को समझने की कोशिश करते हैं। इस दौरान डॉक्टर पेशेंट्स की मेडिकल हिस्ट्री, मेडिकेशन और लाइफस्टाइल के बारे में पूछते हैं। इसके अलावा डॉक्टरों इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट (ECG Test or EKG Test) की मदद से हार्ट के इलेक्ट्रो सिग्नल की जानकारी मिलती है। इस टेस्ट की सहायता से इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलती है। हार्ट कंडिशन को समझने के साथ ही वेंट्रिकुलर एरिथमिया का इलाज शुरू करते हैं।
वेंट्रिकुलर एरिथमिया का इलाज कैसे किया जाता है? (Treatment for Ventricular Arrhythmia)
वेंट्रिकुलर एरिथमिया का इलाज पेशेंट की उम्र और हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर शुरू किया जाता है। अगर वेंट्रिकुलर एरिथमिया के लक्षण गंभीर हैं या इस वजह से पेशेंट को ज्यादा परेशानी हो रही है तो ऐसी स्थिति में इलाज जल्द से जल्द किया जाता है और निम्नलिखित तरह से ट्रीटमेंट किया जाता है-
एंटीरैडमिक ड्रग्स (Antiarrhythmic drugs)
वेंट्रिकुलर एरिथमिया के इलाज के लिए रनोलॉजीन (Ranolazine), बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers), ऐमियोडैरोन (Amiodarone), सोटालोल (Sotalol) एवं आइडोकेनिन (Lidocaine) प्रिस्क्राइब की जाती हैं। जर्नल ऑफ एरिथमिया (Journal of Arrhythmia) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इन दवाओं का सेवन कम वक्त तक या ज्यादा समय तक किया जा सकता है। हालांकि दवाओं का सेवन कबतक करना है यह वेंट्रिकुलर एरिथमिया की स्थिति पर निर्भर करता है और डॉक्टर इस बारे में आपको सलाह देंगे।
नोट : यहां वेंट्रिकुलर एरिथमिया के लिए दवाओं की सिर्फ जानकारी शेयर की गई है। वैसे तो ये दवाएं प्रिस्क्राइब्ड ड्रग्स की श्रेणी में आती है, लेकिन आपको यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जितनी डोज पेशेंट को लेनी की सलाह दी गई है उतनी ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। डोज से कम या ज्यादा पेशेंट के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर (Implantable cardioverter defibrillator [ICD])
इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर एक छोटी सी डिवाइस है जिसे चेस्ट के अंदर इम्प्लांट किया जाता है। इस डिवाइस से एब्नॉर्मल हार्ट रिदम हार्ट को इलेक्ट्रिकल शॉक (Electric Shock) भेजने का काम करता है, जिससे हार्ट रेट को नॉर्मल करने में मदद मिल सकती है।
कैथेटर एब्लेशन (Catheter ablation)
कैथेटर एब्लेशन को मेडिकल टर्म में रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन भी कहा जाता है। इस प्रोसेस के दौरान हार्ट टिशू के छोटे से हिस्से को डिस्ट्रॉय किया जाता है और रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है। रेडियोफ्रीक्वेंसी एनर्जी अनियमित हार्ट बीट की स्थिति पैदा करने वाले टिशू को नष्ट करने में सक्षम होते हैं।
नोट: नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार वेंट्रिकुलर एरिथमिया के इलाज में कैथेटर एब्लेशन (Catheter ablation) प्राइमरी ट्रीटमेंट के रूप में भी मददगार जो सकती है। वहीं वेंट्रिकुलर एरिथमिया के इलाज के लिए दी जानी वाली ड्रग्स फायदेमंद हो सकती हैं, लेकिन इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफिब्रिलेटर की सहायता से इलाज कार्डियोलॉजिस्ट के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
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किन-किन स्थितियों में वेंट्रिकुलर एरिथमिया की संभावना बढ़ सकती है? (Risk factor for Ventricular Arrhythmia)
निम्नलिखित शारीरिक परेशानियों को ज्यादा वक्त तक इग्नोर करने से वेंट्रिकुलर एरिथमिया की संभावना बढ़ सकती है ,
- फेमली में हार्ट डिजीज (Heart disease) की बीमारी होना।
- स्मोकिंग (Smoking) करना।
- एल्कोहॉल और ड्रग्स (Alcohol or drugs) का सेवन करना।
- सांस से जुड़ी (Respiratory disease) समस्या होना।
- शरीर का वजन (Obesity) जरूरत से ज्यादा बढ़ना।
- डायबिटीज (Diabetes) की समस्या होना।
- हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure) की शिकायत रहना।
- थायरॉइड से जुड़ी बीमारी (Thyroid disease) होना।
- स्लीप एप्निया (Sleep apnea) की समस्या होना।