मां अपने नवजात शिशु की देखभाल के लिए हर संभव कोशिश करती हैं। बच्चे की देखभाल को लेकर कई सवालों में से एक सवाल, जो हर मां के जेहन में रहता है, वह यह है कि नवजात बच्चों को कैसे नहलाएं। इसके अलावा यह भी जानना जरूरी है कि नवजात बच्चों कब नहलाएं और अगर नहलाएं नहीं है, तो उनकी सफाई के लिए क्या करें। नवजात बच्चों की त्वचा बहुत कोमल होती है और उनकी देखभाल के लिए नए पैरेंट्स को खास सावधानी बरतने की जरूरत होती है। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में नवजात बच्चों की त्वचा (baby skin care) का ख्याल कैसे रखा जाए? इस बारे में कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जो न्यू पेरेंट्स के लिए बहुत ही मददगार साबित होंगे।
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बच्चों की त्वचा पर होने वाली आम समस्याएं
झुर्रियां, स्किन का लाल होना और ड्राइनेस ये तीनों ही समस्याएं नवजात बच्चों की त्वचा में बहुत आम हैं। नवजात बच्चों की त्वचा में कुछ समस्या दिखें, तो घबराएं नहीं। मां के गर्भ के बाहर आने के बाद बच्चा और बच्चे की त्वचा नए वातावरण में खुद को एडजेस्ट करने की कोशिश कर रहा होता है। ज्यादातर बच्चों की त्वचा की समस्याएं समय के साथ ठीक हो जाती हैं। जैसे कि प्रीमेच्योर बेबी (pre-mature baby) में चेहरे और पीठ पर कभी-कभी नरम बाल होते हैं। वहीं, जो बच्चे देर में पैदा होते है उन बच्चों की स्किन पर अक्सर ड्राई और पपड़ी दिखाई देती है। लेकिन, कुछ ही हफ्तों में बच्चों की स्किन की यह परेशानी कम हो जाती है।
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बच्चों की स्किन पर बर्थमार्क
इमेच्योर ब्लड वैसेल की वजह से बच्चे की त्वचा में छोटे लाल धब्बे “स्टॉर्क बाइट’ या एंजल किस दिखाई दे सकते हैं। ये निशान चेहरे या गर्दन के पीछे हो सकते हैं। जब बच्चा रोता है, तो यह ज्यादा दिखाई दे सकते हैं। लेकिन, ये सारे निशान एक साल के अंदर खुद ही साफ हो जाते हैं। पैदा होने पर आपके नवजात शिशु की त्वचा पर छोटी खरोंचें या खून के धब्बे दिख सकते हैं, जो कुछ ही हफ्तों में ठीक भी हो जाते हैं। वहीं कुछ बर्थमार्क ज्यादा समय तक टिक सकते हैं या ये कभी नहीं जाते।
बच्चों की त्वचा की देखभाल के लिए नहलाने के बीच रखें गैप
बच्चों को हर रोज नहाने की जरूरत नहीं होती है। पहले कुछ हफ्तों के दौरान बच्चों को गंदे डायपर बदलने के दौरान साफ करना और स्पंज बाथ देना चाहिए। शिशु को लगभग एक महीने तक नहाने की जरूरत नहीं होती है। अगर वे एक साल से छोटे हैं, तो उन्हें हर दो से तीन दिनों में नहलाया जा सकता है। बार-बार नहलाने से बच्चों की त्वचा सूख सकती है। बच्चों को नहलाने के दौरान एक गर्म वॉशक्लॉथ से पोंछकर उनके चेहरे को साफ रखा जा सकता है। उन्हें नहलाने के बाद पाउडर और मॉश्चराइजर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है। अगर आपके पास इतना समय है कि बच्चा अपने आप ही सूख जाए तो अच्छा है आपको पाउडर का उपयोग करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो पाउडर का उपयोग करें। इसके साथ ही आपको बता दें कि बच्चे की त्वचा बहुत जल्दी ड्राई हो जाती है इसलिए मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। पाउडर हो या मॉश्चराइजर दोनों के लिए बेबी प्रोडक्ट का ही उपयोग करें।
बच्चों की त्वचा की देखभाल में जरूरी है अंबिलिकल कॉर्ड की देखभाल
जब तक बच्चे की नाल गिर न जाए उसे गीला होने से बचाएं। अगर यह गंदा हो जाता है, तो इसे पोंछे या रबिंग एल्कोहॉल से साफ करें। उसे पानी से पूरी तरह से नहलाने के बजाए स्पंज बाथ देने की कोशिश करें। एक बेसिन में गर्म पानी और साफ वॉशक्लॉथ को इकट्ठा करें ताकि आप हर समय बच्चे पर एक हाथ रख सकें। बच्चे को लेटाने के लिए एक बराबर सतह पर एक नरम तौलिया बिछाएं। उसे तौलिए में लपेटकर केवल उस भाग को ना ढंकें जिसे आप धो रही हैं। अगर आप स्टंप क्षेत्र के आसपास त्वचा में मवाद या लाल स्किन देखते हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।
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बच्चों की त्वचा की देखभाल: नहलाते हुए स्किन प्रॉब्लम से बचाएं
जब आपका बच्चा नहाने के लिए तैयार हो, तो याद रखें उसकी त्वचा सॉफ्ट और सेंसिटिव है। आपको केवल तीन-चार इंच पानी से बेसिन या टब को भरने की जरूरत होती है। बच्चे को नहलाने से पहले पानी को चेक करें कि यह बहुत गर्म तो नहीं है। केवल तीन से पांच मिनट के लिए हल्के गर्म पानी में नहलाकर बच्चे की त्वचा को हाइड्रेटेड रखें। अगर लोशन का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चे को गीला होने पर होने पर ही लोशन लगाएं। बच्चे की स्किन को रगड़ने से बेहतर उसे थपथपाएं।
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बच्चों की त्वचा की देखभाल के साथ ही बच्चों के बालों की देखभाल भी है जरूरी
बच्चों की त्वचा के साथ-साथ बच्चों के बालों की देखभाल भी जरूरी है। एक बार जब बच्चा नहाने लगता हैं और अगर उसके बाल हैं, तो उसे हफ्ते में केवल एक या दो बार शैम्पू की जरूरत होगी। उसके सिर को सावधानी से धोना चाहिए। इसके बाद बेबी क्लींजर या बेबी शैम्पू का इस्तेमाल करें। उसकी आंखों में इसे जाने से रोकने के लिए अपने हाथ को उसके माथे पर रखें या उसे थोड़ा पीछे झुकाएं ताकि पानी उसकी पीठ से नीचे चला जाए।
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बेबी प्रोडक्ट्स चुनें ध्यान से
नवजात बच्चों की त्वचा की देखभाल के दौरान याद रखें कि उनके लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बेबी स्किन केयर प्रोडक्ट्स जैसे कि लोशन, साबुन, शैंपू आदि का चुनाव करते समय याद रखें कि ये सारे प्रोडक्ट्स सॉफ्ट हों। हो सके तो बच्चों के लिए मार्केट में उपलब्ध खास बेबी स्किन केयर रेंज का ही चुनाव करें।
नवजात बच्चों की त्वचा की देखभाल कोई आसान काम नहीं होता है। इसके लिए सबको बहुत ध्यान रखना पड़ता है। बच्चों की त्वचा को स्किन रैशेज से बचाना आपके बच्चे को मुस्कुराता और खुश रखेगा। बच्चों के कपड़ों को धोने के लिए सॉफ्ट डिर्टजेंट का उपयोग करें। अगर आप ऊपर दी गई बातों का ध्यान रखते हैं, तो अपने बच्चों की त्वचा को बेहतर बना सकते हैं।
बच्चे के पहले महीने के दौरान लोशन या क्रीम की जरूरत नहीं होती है। शिशु की त्वचा सेंसिटिव होती है। अडल्ट के लिए बनाए गए प्रोडक्ट में डाई, फ्रेगरेंस और क्लींजर हो सकते हैं, जो बच्चों की त्वचा के लिए बहुत हार्श हो सकते हैं। बेबी पाउडर का इस्तेमाल करने से बचें यह बच्चों में फेफड़ों की परेशानी पैदा कर सकता है।
बच्चों की त्वचा की देखभाल के लिए मसाज
मसाज ना सिर्फ बच्चे की बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करती है ब्लकि यह बॉन्ड भी मजबूत बनाती है। बच्चे को नैचुरल ऑइल से मसाज करना उसकी स्किन को पोषण देता है। इसके लिए सामान्यत: नारियल का तेल उपयोग किया जाता है। नारियल का तेल बेहद गुणकारी है। बच्चों की मालिश के लिए कमर्शियल ऑयल जिसमें सुगंध और कैमिकल का उपयोग होता है अवॉइड करना चाहिए। इनके उपयोग से बच्चे की स्किन पर रिएक्शन हो सकता है।
बच्चों को डायपर रैशेज से बचाएं
डायपर रैशेज तभी होते हैं जब बच्चों को गंदे और गीले डायपर को लंबे समय तक पहनाकर रखा जाता है। अगर डायपर बहुत टाइट है और अगर शिशु की ब्रांड के डायपर के प्रति एलर्जिक हैं तो आपको डायपर को तुरंत बदलना होगा। क्योंकि इससे इंफेक्शन होने की संभावना हो सकती है। बच्चे के लिए ऐसे डायपर का चुनाव करें जो सॉफ्ट और सोखने वाला हो। हालांकि रैशेज का होना कोई गंभीर बात नहीं है लेकिन ये लंबे समय तक बने रहते हैं तो बच्चों के डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है।
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सूरज की रोशनी
जन्म के शुरुआती दिनों में बेबी को डायरेक्ट सनलाइट में नहीं लेकर आना चाहिए। इससे बच्चों को सनबर्न हो सकता है। अगर आप कहीं बाहर जा रहे हैं और बच्चा लंबे समय तक धूप में रहने वाला है तो उसे पूरी बांह के कपड़े, फुल पैंट पहनाएं और केप लगाएं। साथ ही खुले हुए हिस्से में बेबी सेफ सनस्क्रीन लगाना बेहतर रहेगा। जब बच्चा बड़ा हो जाए तो उसे कुछ समय के लिए धूप में ले जाया जा सकता है। इससे विटामिन डी मिलता है।
बच्चों की त्वचा की देखभाल के लिए कॉटन के कपड़े पहनाएं
बच्चों को प्रीकली हीट रैशेज बहुत आसानी से हो जाते हैं क्योंकि उनकी स्किन फोल्ड्स में पसीना बहुत ज्यादा आता है। इसलिए बच्चों को कॉटन के कपड़े पहनाना चाहिए क्योंकि ये सॉफ्ट, पसीना सोखने वाले और काफी कंफर्टेबल होते हैं। सिंथेटिक कपड़ों को बच्चों को नहीं पहनाना चाहिए। इससे बच्चों को एलर्जिक रिएक्शन हो सकते हैं। आप वेदर के हिसाब से भी कपड़ों को चुन सकते हैं।
बच्चों के नाखूनों का भी रखें ध्यान
बच्चों के नाखूनों को छोटा रखना भी जरूरी है। कई बार बच्चे अपने नाखूनों से ही खुद को चोट पहुंचा लेते हैं। साथ ही इनमें मैल भरने से इंफेक्शन का भी खतरा रहता है क्योंकि बच्चे अक्सर अपने हाथ को मुंह में डालते रहते हैं। बच्चों के नाखून बढ़ते भी बहुत जल्दी हैं। इन्हें काटने के लिए नेल क्लीपर का इस्तेमाल करें और बेहद सावधानी से इन्हें काटें।
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