जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, खेलना उसकी दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बन जाता है। प्लेटाइम केवल फन या गेम्स नहीं है। खेल-खेल में बच्चे कई महत्पूर्ण डेवलपमेंट और सोशल स्किल्स सीखते हैं। खेलना बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी भी है। बच्चे के प्ले को छे स्टेजेज में बांटा गया है। इन्हीं में से एक है स्टेज को एसोसिएटिव प्ले (Associative play) कहा जाता है। अगर आप इन स्टेजेज के बारे में नहीं जानते हैं, तो कोई बात नहीं। पाइए जानकारी इन स्टेजेज और एसोसिएटिव प्ले (Associative play) के बारे में विस्तार से।
प्ले की छह स्टेजेज कौन सी हैं? (Stages of Play)
कई चाइल्ड डेवलपमेंट मॉडल्स में से एक मॉडल है यह प्ले की छह स्टेजेज। एक अमेरिकन सोशलॉजिस्ट जिनका नाम मिल्ड्रेड पार्टन न्यूहॉल (Mildred Parten Newhall) था, उन्होंने इन स्टेजेज को क्रिएट किया था। इन छे में से पांचवीं स्टेज को एसोसिएटिव प्ले (Associative play) कहा जाता है। आइए, जानते हैं इन स्टेजेज के बारे में:
- अनऑक्युपाइड प्ले (Unoccupied play): इस पहली स्टेज में बच्चे केवल ऑब्ज़र्व करते हैं, खेलते नहीं है। वो इधर-उधर ध्यान देते हैं और आसपास की दुनिया को देखते और ऑब्ज़र्व करते हैं।
- सोलिटरी प्ले (Solitary play): इस स्टेज में बच्चे दूसरों से इंटरेक्ट किए बिना अकेले खेलने में रूचि रखते हैं।
- ऑनलुकर प्ले (Onlooker play): प्ले की इस स्टेज में बच्चे अपने आसपास के लोगों या बच्चों को ऑब्ज़र्व करते हैं, लेकिन उनके साथ खेलते नहीं हैं।
- पैरेलल प्ले (Parallel play): इस स्टेज में आपका बच्चे उस खेल को खेलेंगे या वही एक्टिविटी करेंगे, जो उसके आसपास के लोग या बच्चे कर रहे होंगे। लेकिन, वो उनसे इंटरेक्ट नहीं करेगा।
- एसोसिएटिव प्ले Associative play: इस स्टेज में बच्चे अन्य बच्चों के साथ खेलने में रुचि लेने लगते हैं। बच्चों में सोशल स्किल्स (social skills) के डेवलप होने का यह पहला चरण होता है।
- कोऑपरेटिव प्ले (Cooperative play): कोऑपरेटिव प्ले स्टेज (Cooperative play stage) में अन्य बच्चों के साथ खेलेंगे भी और इंटरेक्ट भी करेंगे। वो अन्य बच्चों के खेलने और बात करने में रुचि दिखाएंगे। यह तो थी प्ले की स्टेजेज। अब बात करते हैं एसोसिएटिव प्ले (Associative play) के बारे में।
एसोसिएटिव प्ले क्या है? (Associative play)
एसोसिएटिव प्ले (Associative play) बच्चों की डेवलपमेंट की एक फंडामेंटल स्टेज (Fundamental stage) है, जिसमें वो सिंपल सोशल स्किल्स (Simple social skills) को सीखना शुरू करते हैं। जैसे खेलते हुए अपने दोस्तों से कैसे बात करनी है? यह सोशल इंटरेक्शन की उनकी पहली स्टेज होती है। आमतौर पर यह स्टेज बच्चे के तीन साल के होने पर शुरू होती है। इन स्टेज में बच्चे सामान्य एक्टिविटीज करना शुरू कर देते हैं जैसे अपने खिलोने या चीज़ें अपने दोस्तों के साथ शेयर करना। यही नहीं, वो दूसरे बच्चों की तरह खेलना भी पसंद करते हैं। हालांकि, इस स्टेज में बच्चे अधिक बातचीत करना पसंद नहीं करते क्योंकि वो इस दौरान सीखने में अधिक रुचि लेते हैं। अब जानते हैं कि यह स्टेज कब शुरू होती है।
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बच्चों में एसोसिएटिव प्ले की शुरुआत कब होती है?
बच्चों में एसोसिएटिव प्ले (Associative play) स्टेज की शुरुआत तब होती है, जब वो तीन से चार साल के होते हैं। यह स्टेज उनके चार से पांच साल के होने तक रहती है। हालांकि, इस उम्र के बाद भी बच्चे इसी तरह से खेलना और सीखना पसंद करते हैं। लेकिन, इस बात का ध्यान रखें कि हर बच्चा अलग होता है। ऐसे में अगर आपका बच्चा इस तरह से व्यवहार नहीं करता है, तो चिंता न करें क्योंकि यह भी सामान्य है। लेकिन, अगर आपका बच्चा हमेशा अकेला ही खेलता है और आप उसे अन्य बच्चों के साथ इंटरेक्ट करने और खेलने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं, तो कुछ एक्टिविटीज को ट्राय कर सकते हैं। अगर आप अपने बच्चे के विकास को लेकर चिंतित हैं तो उसके डॉक्टर से बात करें। अब जानिए क्या हैं इसके फायदे?
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एसोसिएटिव प्ले के फायदे क्या हैं? (Benefits of Associative play)
जब हमारा बच्चा टोडलर होता है तो उन्हें नई चीजों के बारे में जानने में बहुत अधिक उत्सुकता रहती है। ऐसे में जब वो इस स्टेज में कदम रखते हैं, तो उन्हें कई नए अनुभव प्राप्त होते हैं जैसे दूसरों से बात करना, दोस्त बनाना, नई चीजें सीखना आदि। इस स्टेज के कई लाभ हैं, जैसे
प्रॉब्लम सॉल्विंग (Problem solving)
जैसे ही बच्चा एसोसिएटिव प्ले (Associative play) में दूसरे बच्चों के साथ इंटरेक्ट करना और खेलना शुरू कर देता है,तो उसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि उसमें प्रॉब्लम सॉल्विंग (Problem Solving) और कॉन्फ्लिक्ट रेजोल्यूशन(Conflit resolution) स्किल्स विकसित होने लगते हैं। शोध के मुताबिक इस दौरान बच्चा यह सब सीखता है:
- ग्रुप में काम करना (Work in groups)
- शेयर करना (Sharing)
- तय करना (Negotiate)
- प्रॉब्लम को सॉल्व करना (Solve problems)
- खुद को डिफेंड करना (Learn self-advocacy)
हालांकि, इस दौरान आपको भी अपने बच्चे पर नजर रखनी चाहिए। लेकिन उनके खेल या बातों में तभी इंटरफेयर करें जब बहुत अधिक जरूरी हो। उन्हें अपने इशूज खुद सॉल्व करने दें। धीरे-धीरे आपका बच्चा हर स्थिति को सही से हैंडल करना सीख जाएगा।
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कोऑपरेशन (Cooperation)
एसोसिएटिव प्ले (Associative play) का दूसरा फायदा है अन्य बच्चों के साथ खेलते हुए अपनी चीजों और टॉयज को शेयर करना। यही नहीं, इससे वो दूसरों की मदद करना भी सीखेंगे और दूसरों की मदद लेना भी उन्हें आ जाएगा।
हेल्दी ब्रेन डेवलपमेंट (Healthy brain development)
खेलना बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। उन्हें आसपास की चीजों को एक्सप्लोर करने के लिए अपनी इमेजिनेशन का इस्तेमाल भी करना पड़ता है। जिससे वो बहुत कुछ सीख सकते हैं। हेल्दी ब्रेन डेवलपमेंट के लिए बच्चे को अन्य बच्चों के साथ खेलने दें।
सीखने की तैयारी (Learning readiness)
एसोसिएटिव प्ले (Associative play) या कोई भी खेल बच्चों को कुछ भी सीखाने का सबसे बेहतरीन तरीका है। यानी, आप उसे स्कूल भेजने से पहले ही तैयार कर सकते हैं। यही नहीं, इससे आप अपने बच्चों को व्यस्त भी रखेंगे जिससे वो कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं से बच सकता है जैसे इस दौरान होने वाले मोटापे से। भावनात्मक रूप से भी आपका बच्चा मजबूत होगा।
अपने बच्चे को टीवी या मोबाइल के प्रयोग से दूसरों के साथ खेलने के लिए प्रेरित करें। इससे न केवल वो हेल्दी होगा बल्कि स्मार्ट भी बनेगा। इस दौरान सीखी यह चीजें पूरी उम्र उसके साथ रहेंगी। अब जानते हैं एसोसिएटिव प्ले (Associative play) के उदाहरणों के बारे में।
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एसोसिएटिव प्ले के उदाहरण क्या हैं? (Examples of Associative play)
अपने बच्चे को एसोसिएटिव प्ले (Associative play) में व्यस्त रखने के लिए आप कुछ आसान एक्टिविटीज का सहारा ले सकते हैं। यह एक्टिविटीज इस प्रकार हैं:
- बिना प्लानिंग या कॉम्पिटिशन के ब्लॉक्स का टावर बनाना।
- अन्य बच्चों के साथ एक ही प्लेग्राउंड में एक जैसे झूले शेयर करना जैसे स्लाइड्स, स्विंग्स आदि।
- अन्य बच्चों के साथसाइकिलिंग करना।
- किचन-किचन या इसी तरह से अन्य खेलों को खेलते हुए चीजों को शेयर करना।
- एक ही मटेरियल से पेंटिंग करना।
- प्ले स्कूल में एक्टिविटीज करना जैसे पजल्ज आदि।
- दूसरे बच्चों के साथ बैठ कर खाना खाना और शेयर करना।
प्ले के हर स्टेज के अपने-अपने फायदे हैं। इन प्ले सेशन के दौरान बच्चे सोशल, फंक्शनल और इमोशनल स्किल्स सीखते हैं। लेकिन, हर बच्चा अलग होता है। ऐसे में कुछ बच्चे कई चीजें जल्दी सीख जाते हैं, तो कुछ देर से सीखते हैं। इसके अलावा आप अन्य एक्टिविटीज के लिए भी अपने बच्चे को एनकरेज कर सकते हैं। यह तो आप जान ही गए होंगे कि रोजाना बच्चे के लिए खेल के लिए पर्याप्त समय निकालना जरूरी है। इससे वो कई स्किल्स सीखते हैं। हालांकि, इस उम्र के बच्चों के लिए अकेले खेलना ठीक है। लेकिन, उन्हें दूसरों के साथ खेलने के लिए भी प्रेरित करें।
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यह तो थी एसोसिएटिव प्ले (Associative play) के बारे में जानकारी। यह ध्यान रखें कि प्ले की इन विभिन्न स्टेजेज के माध्यम से बच्चे के विकास को परिभाषित करने का कोई पर्टिकुलर रूल नहीं है। लेकिन, बच्चे को नई चीजें सीखने और नए खेल खेलने के लिए प्रेरित करते रहें। ताकि, वो हेल्दी रहें और उनका विकास सही से हो पाए। इससे संबंधित कोई भी सवाल अगर आपके मन में है, तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में पूछ सकते हैं। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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