“सभी डिजीज गट से शुरू होती है” यह बात लगभग 2500 साल पहले यूनानी चिकित्सक (Greek Physician) हिप्पोक्रेटिस ने कही थी। हजारों साल बाद आज के शोधकर्ताओं का भी यही कहना है। हालांकि, यह बात पूरी तरह से सही नहीं है क्योंकि सभी बीमारियां सच में गट से शुरू नहीं होती। कई मेटाबोलिक (metabolic), ऑटोइम्यून (autoimmune) और कॉग्निटिव (cognitive) डिजीज वास्तव में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्टर्बेंस या असंतुलन से शुरू होती हैं। लेकिन, यह बात भी सही है कि अगर आपका गट हेल्दी नहीं है तो आप पूरी तरह से हेल्दी नहीं रह सकते। यानी, हमारे गट का प्रभाव पूरे शरीर के स्वास्थ्य पर पड़ता है। तो आज हम “गट और डिजीज का खतरा” (Gut and Danger of Disease) इस टॉपिक के बारे में आपको बताने वाले हैं। इसकी शुरुआत करते हैं गट से।
गट और डिजीज का खतरा: गट किसे कहा जाता है? (What is Gut)
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को गट कहा जाता है, यह एक लंबी ट्यूब है जो मुंह से शुरू होती है और एनस (Anus) तक जाती है। इसमें लाखों बैक्टीरिया, कवक या परजीवी रहते हैं। इन सबको माइक्रोबायोम कहा जाता है। आमतौर पर अन्नप्रणाली (Esophagus), पेट (Stomach) और इंटेस्टायन (Intestine) सभी एक साथ काम करते हैं ताकि हमें खाना खाने और पचाने में कोई समस्या न हो। “गट हेल्थ” को हम गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में मौजूद बैक्टीरिया के फंक्शन और बैलेंस के अनुसार परिभाषित कर सकते है। यह तो गट के बारे में जानकारी। लेकिन, अब जानते हैं कि गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease) आपस में कैसे कनेक्टेड हैं।
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गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease)
गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) की कम्पोजीशन में बदलाव कई बीमारियों का कारण बन सकता है। जिनमें डायबिटीज से लेकर ऑटोइम्यून बीमारियां जैसे रयूमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid arthritis) और ऑटोइम्यून थायरॉइड भी शामिल हैं। इसके साथ ही अगर माइक्रोबायोम में बुरे बैक्टीरिया अधिक होते हैं तो आपको यह समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे क्रोहन रोग (Crohn’s Disease) , अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative Colitis) या इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) आदि। यानी, गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease) दोनों आपस में पूरी तरह से कनेक्टेड हैं। जानिए हैं इनके बारे में अधिक
गट और डिजीज का खतरा: गट एंड हार्ट (Gut and Heart)
कुछ गट बैक्टीरिया को कोलेस्ट्रॉल से जोड़ कर देखा जा सकता है जो हमारे हार्ट के रोगों का कारण बनते हैं। जब हम रेड मीट या अंडे जैसे आहार को खाते हैं, तो यह बैक्टीरिया एक केमिकल बनाते हैं, जिसे हमारा लिवर ट्राइमेथाइलमीन-न-ऑक्साइड (trimethylamine-N-oxide) में बदल देता है। यह ट्राइमेथाइलमीन-न-ऑक्साइड कोलेस्ट्रॉल को ब्लड वेसल्स में बनने में मदद करता है। जिससे दिल संबंधित समस्याएं बढ़ सकती हैं।
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गट और डिजीज का खतरा: गट और किडनी (Gut and Kidney)
गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease) आपस में कैसे संबंधित हैं, इसमें हम जानेंगे गट और किडनी के बारे में। अधिक ट्रायमेथलामिन-एन-ऑक्साइड (Trimethylamine-N-Oxide) के कारण क्रॉनिक किडनी डिजीज के बारे में हो सकती है। जो व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित हैं वो ट्रायमेथलामिन-एन-ऑक्साइड (Trimethylamine-N-Oxide) से उस तरह से छुटकारा नहीं पा सकते हैं जैसे उन्हें पाना चाहिए। इससे हार्ट की समस्याओं को भी बढ़ावा मिलता है।
गट और डिजीज का खतरा: गट और दिमाग (Gut and Brain)
गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease) में अगली बारी है हमारे गट और दिमाग की। गट और दिमाग दोनों एक दूसरे से कनेक्टेड हैं। जैसा की हम जानते ही हैं कि हमारा दिमाग पूरे शरीर को संदेश भेजता है। शोधकर्ताओं का यह मानना है कि हमारा गट दिमाग के साथ कम्यूनिकेट कर सकता है। स्टडी के अनुसार गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) में बैक्टीरिया का बैलेंस हमारे इमोशंस और जिस तरह से हमारा दिमाग हमारी सेंसेस जैसे आवाज, सुगंध आदि तक सूचना पहुंचाता है, उसे को प्रभावित कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह बैलेंस में बदलाव ही कई समस्याओं जैसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorder), एंग्जायटी (Anxiety) या डिप्रेशन (Depression) आदि का कारण बनता है।
गट में समस्या के लक्षण हो सकते हैं ध्यान लगाने में परेशानी, कमजोर याददाश्त, तनाव , एंग्जायटी आदि। ऐसा इसलिए है क्योंकि गट और ब्रेन, गट-ब्रेन एक्सिस के माध्यम से लगातार कम्युनिकेशन करते हैं। इसका अर्थ है कि पुअर गट फंक्शन के कारण पुअर ब्रेन फंक्शन हो सकता है। अन्य क्षेत्रों जिन्हें गट प्रभावित करता है उनमें स्किन, इम्यून सिस्टम, ब्लड शुगर रेगुलेशन, डेटॉक्सिफिकेशन और मेटाबोलिज्म आदि भी शामिल हैं।
हार्वर्ड हेल्थ पब्लिशिंग (Harvard Health Publishing) के अनुसार ब्रेन का हमारे पेट और दिमाग पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अगर गट को कोई परेशानी होती है तो उसका सीधा सिग्नल दिमाग पर जाता है और ऐसे ही जब दिमाग में परेशानी होने पर गट वो गट को सिग्नल भेज सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ब्रेन और गट दोनों आपस में कनेक्टेड हैं।
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गट और डिजीज का खतरा: गट और मोटापा (Gut and Obesity)
ऐसा माना गया है कि गट माइक्रोबायोम में अनहेल्दी बैलेंस के कारण हमारे दिमाग में क्रॉस सिग्नल हो सकता है। शोधकर्ताओं का यह भी मानना है यह पिट्यूटरी ग्लैंड (Pituitary gland) से संबंधित भी हो सकता है जो हार्मोन बनाती है और आपकी भूख को सेट करने में मदद करती है। यह ग्रंथि गट में बैक्टीरिया के संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में अगर गट में समस्या है तो यह समस्या मोटापे का कारण भी बन सकती है।
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क्या गट बैक्टीरिया को बदला जा सकता है? (Change of Gut Bacteria)
गट हेल्थ के बारे में सही बात यह है कि इस पर पोषण और जीवनशैली में बदलाव का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। जैसे अगर आप अनहेल्दी आहार खा रहे हैं तो आप बहुत अधिक स्ट्रेस महसूस करेंगे लेकिन जब आप अपने आहार में बलदाव करेंगे तो आपके तनाव में कमी आएगी और जीवन सुधरेगा। हम अपने गट माइक्रोबायोम को जन्म से प्राप्त करते हैं और जब हम बड़े होते हैं तो हमारे आसपास की चीजें इसे प्रभावित करती है। हम क्या खाते हैं? इसका प्रभाव भी हमारे गट पर पड़ता है। इसलिए आप अपने जीवन में बदलाव ला कर अपने गट बैक्टीरिया में बदलाव ला सकते हैं। जानते हैं कौन सी चीजें ला सकती हैं गट बैक्टीरिया में नकारात्मक बदलाव और किन चीजों से रहना चाहिए दूर।
- डायट (Diet) – अगर आप पर्याप्त प्लांट फूड नहीं लेते हैं, अधिक चीनी, हाय फैट फूड या ग्लूटेन का सेवन करते हैं, तो आप अनहेल्दी गट को बढ़ावा देते हैं।
- मेडिकेशन्स (Medications) – एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), पैन किलर्स (Pain Killers) जैसे पेनाडोल (Panadol), प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (Protein Pump Inhibitor), कीमोथेरेपी ड्रग्स (Chemotherapy Drug) , स्टेरॉइड्स (Steroids) आदि भी हमारे गट में बुरे बदलाव ला सकते हैं।
- इंफेक्शंस (Infections) – परजीवी, पैथोजेनिक बैक्टीरिया और वायरस हमारे गट के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।
- तनाव (Stress) – एक्यूट और क्रॉनिक स्ट्रेस (Acute and Chronic Stress, फिजिकल स्ट्रेस (Physical stress), सर्जरी (Surgery) आदि से भी गट में नकारात्मक बदलाव हो सकते है।
- वातावरण में मौजूद केमिकल (Chemicals) – वातावरण में मौजूद केमिकल जैसे क्लीनिंग केमिकल, कीटनाशक (Pesticides) आदि से भी गट में बदलाव आता है। इन सब से दूर रहने के साथ ही आपको कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। ताकि, आप अपने गट को स्वास्थ्य रखने में मदद कर सकें यह तरीके इस प्रकार हैं:
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अपने गट को सपोर्ट करने के लिए क्या करें? (How to Support Gut)
गट और डिजीज का खतरा (Gut and Danger of Disease), इनके बारे में तो आप जान ही गए होंगे। अगर हमारा गट हेल्दी होगा तो हमारे संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी। आप अपने गट को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान तरीकों को अपना सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
सही और संतुलित आहार खाएं (Right Food for gut)
अगर आप खुद भी स्वस्थ रहना चाहते हैं और अपने गट को भी खुश रखना चाहते हैं यानी गट और डिजीज का खतरा नो हो, तो हमेशा संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करें। अपने आहार में अधिक से अधिक फल और सब्जियों को शामिल करें जिनमें फाइबर और न्यूट्रिएंट्स होते हैं। ऐसा आहार जिसमें प्रोटीन हाय और कार्बोहायड्रेट लो हो, उससे बायल टोलेरंट माइक्रोब्स (Bile Tolerant Microbes) और फर्मिक्यूट्स में कमी आती है, जो भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
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सही नींद और व्यायाम (Enough Sleep and Exercise)
सही नींद और व्यायाम करना भी हमारे गट और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। पूरे दिन में कुछ समय अपने व्यायाम के लिए अवश्य निकालें। सैर करें, योग या मैडिटेशन करें। इससे भी आप अपने गट में बदलाव महसूस करेंगे। इसके साथ ही रोजाना सात से आठ घंटे की नींद लेना भी जरूरी है।
बहुत अधिक चीनी न लें (Avoid Sugar)
गट और डिजीज का खतरा ना हो इसलिए बहुत अधिक चीनी की हानियों के बारे में आप जानते ही होंगे। उनमें से एक यह भी है कि इससे हमारा गट प्रभावित होता है। इसलिए अधिक चीनी का सेवन करने से बचें।
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केमिकल्स से बचें (Avoid Chemicals)
गट और डिजीज का खतरा ना हो इसलिए केमिकल्स को नजरअंदाज करने के लिए प्रीजरवेटिवज का प्रयोग कम से कम करें। यही नहीं घर या अपने घर के आसपास कीटनाशकों का प्रयोग भी न करें। इससे भी गट के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। यही नहीं, यह सेरोटोनिन (Serotonin) और मेलाटोनिन (Melatonin) के स्वस्थ उत्पादन के लिए आवश्यक ट्रिप्टोफैन (Tryptophan ) जैसे प्रमुख पोषक तत्वों के उत्पादन को रोकता है। अगर हो सके तो कीटनाशकों से बचने के लिए ऑर्गेनिक फूड खाएं।
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यह तो थी “गट और डिजीज का खतरा” (Gut and Danger of Disease) से संबंधित जानकारी। अपने शरीर के स्वास्थ्य को सही रखने के लिए जरूरी है, अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाए रखना। हमारे पाचन स्राव (Digestive Secretions) जैसे स्टमक एसिड, पित्त और पैंक्रियाटिक एंजाइम (Pancreatic Enzymes) सभी एक स्वस्थ माइक्रोबायोम और हेल्दी गट को स्पोर्ट करते हैं। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है या तनाव के कारण हमारा पाचन कमजोर होता जाता है, तो हर्बल दवाओं का उपयोग करके इन प्रक्रियाओं को सपोर्ट करना महत्वपूर्ण है।
कमजोर डायजेशन के लक्षण हैं ब्लोटिंग, रिफ्लक्स, अपच, भूख न लगना, कमजोरी, खाने के बाद पेट का भरा हुआ लगना आदि। अगर आपको ऐसे कोई लक्षण नजर आते हैं तो यह गट में परेशानी का संकेत हो सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और इन लक्षणों को सुधारने के लिए उपचार कराएं। गट को हेल्दी रखने के लिए सबसे पहले अपने लाइफस्टाइल पर ध्यान दें। अगर आपका लाइफस्टाइल हेल्दी होगा, तो आपका गट हेल्दी बनेगा जिससे आपको पूरी तरह से स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
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