वैरिकोज वेन्स दरअसल उभरी हुई अथवा नीले या बैंगनी रंग की सामान्य से ज्यादा बढ़ी हुई नसें होती हैं, जिन्हें आमतौर पर टांगों तथा पैरों पर देखा जाता है। इनकी वजह से दर्द भी हो सकता है। गर्भावस्था में वैरिकोज वेन्स की समस्या बेहद सामान्य है तथा लगभग 70% गर्भवती महिलाएं प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स से पीड़ित होती हैं।
प्रेग्नेंसी में वैरिकोज वेन्स को ऐसे समझें
हमारे शरीर की नसें हमारे शरीर के अलग-अलग जगहों से खून को हृदय तक पहुंचाती हैं। ऐसा करते समय शरीर की कुछ नसों, खासतौर पर टांगों तथा पैरों की नसों को गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करना पड़ सकता है। नसों में मौजूद वॉल्व खून को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं। हालांकि, कभी-कभी मोटापे के कारण या लंबे समय तक खड़े रहने की आदत या आनुवंशिकता के कारण ये वॉल्व कमजोर हो सकते हैं, जिसकी वजह से हमारे शरीर के निचले हिस्से, यानी कि टांगों तथा पैरों में खून का संचय एवं संग्रहण बहुत ज्यादा हो सकता है।
यह भी पढ़ें- क्या आपको भी परेशान करता है नसों का दर्द?
प्रेग्नेंसी में वैरिकोज वेन्स के कौन-कौन से लक्षण हैं?
प्रेग्नेंसी में वैरिकोज वेन्स की समस्या के लक्षण कुछ महिलाओं में नजर नहीं आते हैं, जबकि कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कई तरह की शिकायतें हो सकती हैं। यह लक्षण अलग हो सकते हैं, जिसमें पैरों की सूजन से लेकर नीली-बैंगनी रंग की नसों का स्पष्ट तौर पर दिखाई देना शामिल है।
- पांव पर और कभी-कभी जननांगों के ऊपर नीले-बैंगनी रंग की उभरी हुई नसों का विकास।
- पैरों में सूजन एवं दर्द।
- पैरों में हमेशा थकान महसूस होना तथा पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन और लगातार असुविधा का अनुभव हो सकता है।
- गंभीर परिस्थितियों में त्वचा पूरी तरह रूखी हो सकती है और यहां तक कि अल्सर जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
- प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स की समस्या के अंदर त्वचा की ऊपरी परत पर मकड़ी जैसी नसें नजर आ सकती हैं।
- कुछ मामलों में ऊपरी नसों में थक्के बन सकते हैं और नसों की दीवारों में सूजन के कारण गंभीर दर्द हो सकता है।
यह भी पढ़ें- जानिए ब्रेन स्ट्रोक के बाद होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव
प्रेग्नेंसी में वैरिकोज वेन्स की समस्या क्यों उत्पन्न होती है?
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई अनोखे बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से इसकी संभावना बढ़ जाती है। शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है, लिहाजा नसों के जरिए प्रवाहित होने वाले खून की मात्रा भी अधिक होती है। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बढ़ने से मांसपेशियां ढीली पड़ जाती हैं और वेसल्स ज्यादा फैल जाते हैं। ज्यादा फैलाव के कारण वॉल्वों की क्षमता कम हो सकती है। साथ ही गर्भावस्था के दौरान खून की मात्रा में बढ़ोतरी की वजह से वॉल्वों की अक्षमता अधिक जटिल हो सकती है। गर्भावस्था के बाद के चरणों में गर्भाशय का विकास होता है, और निचले वेना-कावा और पैल्विक नसों के कामकाज में बाधा उत्पन्न होने से नसों में होने वाले फैलाव की समस्या और बिगड़ जाती है।
यह भी पढ़ें- चमकदार त्वचा चाहते हैं तो जरूर करें ये योग
प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स की समस्या से किस तरह बचा जा सकता है?
- प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स की समस्या से बचने के लिए अगर आपको कुछ देर खड़ा रहना पडे़ या बैठना पड़े तो इस दौरान इधर-उधर टहलते रहें।
- शरीर के भीतर दाईं ओर मौजूद वेना-कावा से दबाव हटाने के लिए बाईं ओर करवट लेते हुए सोएं।
- बैठते समय अपने पैरों को एक दूसरे के ऊपर नहीं रखें।
- समय-समय पर अपने पैरों को ऊपर उठाएं।
- प्रसूति अवस्था में सहारे के लिए बने मेटर्निटी सपोर्ट होज पहनें। ये विशेष पेंटीहोज पैर की मांसपेशियों को बड़े आराम से संकुचित करती हैं और नसों पर दबाव डालते हैं जिससे खून को हृदय की ओर वापस लाने में मदद मिलती है। वे सामान्य पेंटीहोज़ से अलग होते हैं, क्योंकि वे पैर की मांसपेशियों पर धीरे-धीरे दबाव डालते हैं, जिसमें टखने पर सबसे ज्यादा दबाव तथा पैर के ऊपरी हिस्सों में कम दबाव पड़ता है। बेहद तंग मोजे या घुटने तक के मोजे पहनने से परहेज करना बेहद जरूरी है, जो पैरों में एक खास स्थान पर दबाव डालते हैं, जिससे रक्त के प्रवाह में बाधा उत्पन्न हो सकती है। कमर के आसपास तंग कपड़े पहनने से बचना भी जरूरी है।
- प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स की समस्या से बचने के लिए सही प्रकार से दबाव डालने वाले स्टॉकिंग्स इनमें से ज्यादातर लक्षणों से राहत दे सकते हैं। सही स्टॉकिंग का चयन करना बेहद अहम है। वैरिकोज वेन्स की गंभीरता के अनुरूप उपयुक्त दबाव डालने वाले स्टॉकिंग्स का चयन करना चाहिए, क्योंकि इसमें काफी भिन्नता होती है। इस मामले में विशेषज्ञ डॉक्टर ही आपको बेहतर सलाह दे पाएंगे।
- अगर आपका डॉक्टर सलाह दे, तो हर दिन कम शारीरिक परिश्रम वाले व्यायाम करें।
यह भी पढ़ें- त्वचा संबंधी परेशानियों के लिए उपयोगी है नीम का तेल
प्रेग्नेंसी में वैरिकोज वेन्स का किस तरह उपचार किया जाए?
प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स के उपचार के लिए सामान्य तौर पर अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं को गर्भावस्था के दौरान इस्तेमाल करने की सलाह नहीं दी जाती है। डीवीटी की किसी भी संभावना को दूर करने के लिए, गर्भावस्था के दौरान अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ सकती है।
बच्चे के जन्म के 3-4 महीने बाद वैरिकोज वेन्स गायब हो सकती हैं। बच्चे के जन्म के 4 महीने के बाद भी अगर वैरिकोज़ वेन्स की समस्या मौजूद हो, तो ऐसी स्थिति में वैरिकोज़ वेन्स के विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए और इसका उचित उपचार कराया जाना चाहिए। वैरिकोज वेन्स की समस्या अगर लगातार बनी रहे, तो एंडोवीनस लेजर एब्लेशन ट्रीटमेंट या स्क्लेरोथेरेपी जैसी कम पीड़ादायक विधियों से इसका इलाज किया जा सकता है।
प्रेग्नेंसी में वैरीकोज वेन्स से बचने के लिए एक्सरसाइज
प्रेग्नेंसी में कुछ हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करना बेहतर होता है। लेकिन, अपनी लाइफस्टाइल में किसी भी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। हालांकि, वैरीकोज वेन्स के लिए निम्नलिखित कुछ एक्सरसाइज या तरीके हैं, जो मदद कर सकते हैं।
- रोजाना कुछ देर चहलकदमी करना आपके सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। इससे आपके पैरों की मसल्स को मजबूती मिलती है और वैरीकोज वेन्स से राहत भी मिलती है।
- लेग लिफ्ट करना एक आसान स्ट्रेच है, जो आपके पैरों की मसल्स और वेन्स को आराम पहुंचाता है। इसे करने के लिए कमर के बल लेट जाएं और एक समय पर एक पैर को ऊपर की तरफ उठाएं। कुछ सेकेंड के लिए पैर को हवा में रखें और फिर नीचे लाकर दूसरा पैर उठाएं।
- इसी तरह अपने पैरों को थोड़ी देर ऊंचा रखना फायदेमंद हो सकता है। इसके लिए, जमीन या बेड पर कमर के बल लेट जाएं और अपने पैरों को उठाकर सामने दीवार या किसी ऊंची चीज पर थोड़ी देर रहने दें। इससे वेन्स में ब्लड सर्कुलेशन सही हो जाता है।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार मुहैया नहीं कराता।
और पढ़ेंः
बच्चों की त्वचा की देखभाल नहीं है आसान, इन टिप्स से बनेगा काम
सर्दियों में बच्चों की स्किन केयर है जरूरी, शुष्क मौसम छीन लेता है त्वचा की नमी
Rectal Cancer: रेक्टल कैंसर क्या है और शरीर का कौनसा अंग प्रभावित करता है, जानें यहां
बच्चों की रूखी त्वचा से निजात दिला सकता है ‘ओटमील बाथ’
[embed-health-tool-pregnancy-weight-gain]