सी-सेक्शन के फायदे की बात हो रही हो और ब्रीच पुजिशन की स्थिति को न गिना जाए ऐसा नहीं हो सकता। सामान्य प्रेग्नेंसी की अवस्था में बच्चा गर्भाशय में खुद अपनी स्थिति को बदल लेता है। सामान्य प्रेग्नेंसी में बच्चे का सिर गर्भाशय के मुख की तरफ और पैर पेल्विक की तरफ होते हैं। ब्रीच पुजिशन में बच्चे का सिर पेल्विक की तरफ और पैर गर्भाशय की तरफ होते हैं। गर्भाशय में बच्चे की इस स्थिति को ब्रीच पुजिशन के नाम से जाना जाता है।
यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक होती है। बच्चे का सिर पेल्विक में फंसा होता है, जिसकी चलते सामान्य डिलिवरी में ऑक्सिजन सप्लाई रुक सकती है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के 35 से लेकर 36 हफ्तों तक ब्रीच पुजिशन को नहीं माना जाता। इस अवधि के बाद बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है, जिसकी वजह से उसका गर्भाशय में घूमना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर बच्चे की पुजिशन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या विशेष एक्स-रे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने का काम करती है। सिजेरियन सर्जरी के माध्यम से बच्चे को गर्भाशय से तत्काल बाहर निकाल लिया जाता है। सी-सेक्शन के फायदे में यह महत्वपूर्ण फायदा है।
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ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान सी-सेक्शन के फायदे
ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान भी सेक्शन के फायदे देखने को मिलते हैं। जब किसी महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे पल रहे हो तब सामान्य प्रसव करा पाना मुश्किल होता है। क्योंकि ट्विन्स प्रेग्नेंसी की स्थिति में कई बार एक बच्चा सामान्य स्थिति में होता है तो दूसरा ब्रीच पुजिशन में। जिसकी वजह से नॉर्मल डिलिवरी के दौरान गर्भनाल के फटने का डर रहता है। ऐसे में सी-सेक्शन के फायदे यह हैं कि इससे मां और शिशु के जीवन को बचाया जा सकता है।
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सी-सेक्शन के फायदे: बर्थ ट्रॉमा की संभावना को कम करता है
सी-सेक्शन के लाभ (फायदे) में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सिजेरियन डिलिवरी में फॉरसेप्स का उपयोग न के बराबर किया जाता है। जिससे शिशु को बर्थ ट्रॉमा से पीड़ित होने से बचाया जा सकता है। सी-सेक्शन के फायदे में ये बड़ा फायदा है।
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अभी आपने सी-सेक्शन के फायदों के बारे में पढ़ा लेकिन, इसके कुछ नुकसान भी हैं। आइए अब उनको भी जान लेते हैं।