यूनाइटेड किंगडम के शोधकर्ताओं ने सी-सेक्शन के फायदे पर शोध करके अपनी रिपोर्ट में यह बात कही कि सी-सेक्शन सर्जरी जब वास्तव में जरूरी हो तब ही करानी चाहिए। सिजेरियन डिलिवरी शिशु को मां के पेट से ऑपरेशन के द्वारा बाहर निकालने की एक प्रक्रिया है। इसमें पेट और वॉम्ब में चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है। इसका विकल्प अमूमन तब चुना जाता है जब किन्हीं कारणों से नार्मल डिलिवरी होने में मुश्किलें आती हैं या महिला की स्थिति वजायनल डिलिवरी के लिए ठीक नहीं होती।
डॉ नील एस. सेलिगमैन, ओबी-जीवाईएन, सी-सेक्शन, रोचेस्टर विश्वविद्यालय कहते हैं कि, ‘आमतौर पर गर्भावस्था के 39वें सप्ताह के दौरान सी-सेक्शन निर्धारित किया जाता है। इसलिए डॉक्टर को प्रसव के कुछ ही देर में शिशु में कंजेनिटल हार्ट डिजीज आदि का पता चल जाता है।
सेलिगमैन का कहना है कि एक प्री-प्लांड सिजेरियन सेक्शन बर्थ इंजुरी के जोखिम को कम करता है जैसे कि एस्फिक्सिया (ऑक्सिजन की कमी), डिस्टोसिया और फ्रैक्चर आदि।
क्या रिसर्च में सी-सेक्शन के फायदे होने की बात सिद्ध हुई है?
सी-सेक्शन डिलिवरी के फायदों को लेकर इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग में एमआरसी सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ के सारा स्टॉक ने सिजेरियन संबंधी पूर्व में किए गए शोध का अध्ययन किया। जिसमें पाया कि सी-सेक्शन डिलिवरी पेल्विक प्रोलेप्स तथा यूरिनरी इंकॉन्टीनेंट के रिस्क को कम करती है। हालांकि, सारा का यह कहना है कि खास जरूरत पड़ने पर ही सिजेरियन डिलिवरी को चुना जाना चाहिए।
सारा स्टॉक ने अपने अध्ययन के आधार पर निम्नलिखित सी-सेक्शन के फायदे की पुष्टि की है:
सी-सेक्शन के फायदे में सबसे पहला आती है प्लासेंटा प्रीविया की स्थिति
जब प्लासेंटा पूरी तरह से या पार्शियल रूप से गर्भाशय के मुख-बिंदु को ब्लॉक कर देता है तब इसे प्लासेंटा प्रीविया कहा जाता है। यह कई प्रकार के होते हैं जैसे-लो लाइन प्लासेंटा, पार्शियल प्लासेंटा तथा मार्जिनल प्लासेंटा प्रीविया। यह तीनों मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं। प्रेग्नेंसी के शुरुआती पांच महीने तक प्लासेंटा यूट्रस में नीचे की तरफ होता है। इसके बाद यह गर्भाशय के ऊपर की तरफ आ जाता है।
नॉर्मल डिलिवरी के वक्त गर्भाशय से प्लासेंटा शिशु से पहले बाहर आता है। प्लासेंटा और गर्भाशय में कई ब्लड वेसल्स होती हैं, जिन्हें सामान्य प्रसव के दौरान फटने का डर होता है। इससे महिला को बहुत मात्रा में ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है। इसका एक रिस्क यह भी होता है कि गर्भ में शिशु को ऑक्सिजन की सप्लाई बाधित हो जाती है जिसके कारण शिशु की मौत भी हो सकती है। इस तरह की स्थिति उत्पन्न होने पर डॉक्टर सिजेरियन डिलिवरी का विकल्प चुनते हैं। इसकी मदद से मां और शिशु की जान बचाई जा सकती है। सी-सेक्शन के फायदे में इसे प्रमुख माना जाता है।
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सी-सेक्शन के फायदे में ब्रीच पुजिशन को न भूलें
सी-सेक्शन के फायदे की बात हो रही हो और ब्रीच पुजिशन की स्थिति को न गिना जाए ऐसा नहीं हो सकता। सामान्य प्रेग्नेंसी की अवस्था में बच्चा गर्भाशय में खुद अपनी स्थिति को बदल लेता है। सामान्य प्रेग्नेंसी में बच्चे का सिर गर्भाशय के मुख की तरफ और पैर पेल्विक की तरफ होते हैं। ब्रीच पुजिशन में बच्चे का सिर पेल्विक की तरफ और पैर गर्भाशय की तरफ होते हैं। गर्भाशय में बच्चे की इस स्थिति को ब्रीच पुजिशन के नाम से जाना जाता है।
यह स्थिति मां और बच्चे दोनों के लिए ही खतरनाक होती है। बच्चे का सिर पेल्विक में फंसा होता है, जिसकी चलते सामान्य डिलिवरी में ऑक्सिजन सप्लाई रुक सकती है। हालांकि, प्रेग्नेंसी के 35 से लेकर 36 हफ्तों तक ब्रीच पुजिशन को नहीं माना जाता। इस अवधि के बाद बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है, जिसकी वजह से उसका गर्भाशय में घूमना मुश्किल हो जाता है।
डॉक्टर बच्चे की पुजिशन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड या विशेष एक्स-रे का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस स्थिति में सिजेरियन डिलिवरी मां और बच्चे दोनों को सुरक्षित रखने का काम करती है। सिजेरियन सर्जरी के माध्यम से बच्चे को गर्भाशय से तत्काल बाहर निकाल लिया जाता है। सी-सेक्शन के फायदे में यह महत्वपूर्ण फायदा है।
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ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान सी-सेक्शन के फायदे
ट्विन्स प्रेग्नेंसी के दौरान भी सेक्शन के फायदे देखने को मिलते हैं। जब किसी महिला के गर्भ में जुड़वां बच्चे पल रहे हो तब सामान्य प्रसव करा पाना मुश्किल होता है। क्योंकि ट्विन्स प्रेग्नेंसी की स्थिति में कई बार एक बच्चा सामान्य स्थिति में होता है तो दूसरा ब्रीच पुजिशन में। जिसकी वजह से नॉर्मल डिलिवरी के दौरान गर्भनाल के फटने का डर रहता है। ऐसे में सी-सेक्शन के फायदे यह हैं कि इससे मां और शिशु के जीवन को बचाया जा सकता है।
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सी-सेक्शन के फायदे: बर्थ ट्रॉमा की संभावना को कम करता है
सी-सेक्शन के लाभ (फायदे) में यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सिजेरियन डिलिवरी में फॉरसेप्स का उपयोग न के बराबर किया जाता है। जिससे शिशु को बर्थ ट्रॉमा से पीड़ित होने से बचाया जा सकता है। सी-सेक्शन के फायदे में ये बड़ा फायदा है।
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अभी आपने सी-सेक्शन के फायदों के बारे में पढ़ा लेकिन, इसके कुछ नुकसान भी हैं। आइए अब उनको भी जान लेते हैं।
सिजेरियन डिलिवरी से भविष्य में होने वाले नुकसान
टांकों में दर्द और पेट में तकलीफ:
सी-सेक्शन के फायदे के साथ कुछ नुकसान भी होते हैं उनमें प्रमुख है टांकों में दर्द। सी-सेक्शन डिलिवरी के बाद महिलाओं को कई टांके लगते हैं। इन टांके वाली जगह में दर्द और पेट में तकलीफ की समस्या हो सकती है। इनमें पेट की तकलीफ महिलाओं को महीने भर से ज्यादा परेशान कर सकती है। जिसकी वजह से उन्हें कॉन्स्टिपेशन भी हो सकता है।
ब्लीडिंग की समस्या:
सी-सेक्शन के फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं। जिनमें सबसे कष्टदायक है ब्लीडिंग। सी-सेक्शन प्रसव के दौरान यदि सामान्य से अधिक ब्लड हो तो महिला को ब्लड की कमी हो सकती है। कई परिस्थितयों में सिजेरियन के दौरान कुछ महिलाओं को बहुत अधिक रक्तस्राव की समस्या होती है, जिसके कारण खून चढ़ाने की नौबत तक आ सकती है।
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सिजेरियन सर्जरी से हो सकने वाले अन्य नुकसान
मां के लिए:
- अधीजन (adhesion)
- एनेस्थिसिया के साइड-इफेक्ट्स
शिशु के लिए:
हम उम्मीद करते हैं कि सी-सेक्शन के फायदे पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। आशा करते हैं कि सी-सेक्शन के फायदे और नुकसान समझने में आपको मदद मिली होगी। सी-सेक्शन से संबंधित किसी प्रकार के डाउट के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी प्रकार की चिकित्सा सलाह, उपचार और निदान प्रदान नहीं करता।
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