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क्या है सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, कैसे करें एसटीडी से बचाव?

क्या है सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज, कैसे करें एसटीडी से बचाव?

एसटीडी यानी सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज। एक्सपर्ट बताते हैं जब एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के साथ वजायनल, एनल या फिर ओरल सेक्स करता है तो दूसरा व्यक्ति भी बीमारी से प्रभावित हो जाता है। इतना ही नहीं यदि इंफेक्टेड व्यक्ति इंजेक्शन का इस्तेमाल कर दूसरे व्यक्ति को भी इंजेक्शन दे देता है तो उस स्थिति में उसको भी बीमारी हो सकती है। वहीं यह बीमारी इतनी ज्यादा गंभीर है कि यह ब्रेस्टफीडिंग कराने, पीड़ित व्यक्ति के घाव का खून या स्राव से भी दूसरे व्यक्ति को हो सकती है।

यौन रोग एसटीडी और उसके प्रकार (STDs and its types)

एसटीडी के अंदर आने वाली सामान्य बीमारियों में सिफलिस, गोनोरिया, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस एचपीवी (human papillomavirus), एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस), हेपेटाइटिस ए, जेनाइटिस हर्पिस, फंगल इंफेक्शन सहित अन्य बीमारियां सामान्य हैं। जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए

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क्या है सिफलिस? (What is syphilis?)

एसटीडी से बचाव की बात करें तो हमें सिफलिस जैसी बीमारी से बचाव करना चाहिए। झारखंड की यूनिवर्सल संस्था के मिलकर एचआईवी मरीजों के लिए काम कर रहे जमशेदपुर के होमियोपैथिक डाॅक्टर नागेन्द्र शर्मा बताते हैं कि, इसके होने से गोल आकार का घाव होता है। वहीं इसमें दर्द नहीं होता है, यही इसकी पहचान की विशेषता भी है। इसके लक्षणों की बात करें तो खुजली, बिना दर्द के लालपन और जोइंट पेन के साथ वजन का कम होना, याद्दाश्त का कम होने के साथ बुखार आ सकता है। शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

इस बीमारी का पता लगाने के लिए वीडीआरएल टेस्ट करवाया जाता है, जिसके तहत प्रोटीन जिसे एंटीबाडीज भी कहा जाता है की जांच की जाती है। शरीर में एंटीबाडीज तभी बनते हैं जब सिफलिस का बैक्टीरिया शरीर के संपर्क में आता है। खून के द्वारा इसकी जांच की जाती है। देखा गया है कि यह बीमारी 30-50 वर्ष के लोगों को ज्यादा होता है। बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, मेल व फीमेल कंडोम का इस्तेमाल करें। सेक्स करने के दौरान दर्द हो तो डाॅक्टरी सलाह लें, प्राइवेट पार्ट में दर्द या फिर पेशाब करने के दौरान दर्द हो तो डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए। यह बीमारी पुरुषों के साथ महिलाओं को हो सकती है। जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

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एसटीडी से बचाव

यौन रोग में से एक है गोनोरिया (Gonorrhea)

डाॅक्टर नागेन्द्र शर्मा बताते हैं कि यह बीमारी भी 20 साल से लेकर 50 साल की उम्र में अधिक देखने को मिलती है। यह बीमारी पुरुषों के साथ महिलाओं को होने वाली यौन रोग से संबंधित बीमारी है। एसटीडी से बचाव न हो पाने के कारण बीमारी होने से मरीज के प्राइवेट पार्ट से वजायनल डिस्चार्ज होता है। सामान्य तौर पर यह डिस्चार्ज तीन रंगों में हो सकता है, पीला, हरा और सफेद। पुरुषों के एक टेस्टिकल्स में सूजन के साथ दर्द हो सकता है वहीं पेशाब करने में दर्द जैसे लक्षण मरीज में देखने को मिलते हैं। यह बीमारी शरीर के अन्य भाग जैसे रेक्टम, आंख, थ्रोट और जॉइंट को प्रभावित कर सकती है। बीमारी के होने का मुख्य कारण बैक्टीरियम निसेरिया गोनोरिया (bacterium neisseria gonorrhoeae) है, जो असुरक्षित यौन संबंध बनाने से एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है। जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

महिलाओं में यह बीमारी सर्विक्स को नुकसान पहुंचा सकती है। यह बीमारी गर्भवती महिला से जन्म देने के दौरान बच्चे को भी हो सकती है। शिशु में गोनोरिया ज्यादातर उनकी आंखों को प्रभावित करता है।

बीमारी के रिस्क फेक्टर

  • नए पार्टनर के साथ शारीरिक संबंध बनाने से।
  • ऐसे किसी के संबंध बनाने से जिसके कईयों के साथ संबंध हैं।
  • एक या एक से अधिक पार्टनर के साथ संबंध बनाने से।
  • गोनोरिया होने या फिर दूसरी सेक्शुअल ट्रांसमिटेड डिजीज होने के कारण।

बीमारी होने के दुष्परिणाम

गोनोरिया होने के कारण महिलाओं और पुरुषों में इनफर्टिलिटी के साथ इंफेक्शन शरीर के अन्य जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। वहीं बीमारी होने की वजह से एचआईवी व एड्स की बीमारी होने की संभावना भी बढ़ जाती है। वहीं यदि बच्चे होते भी हैं तो वो सामान्य नहीं होते हैं। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

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ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (human papillomavirus) क्या है, कैसे करें बचाव

एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (human papillomavirus) के बारे में बताते हुए डाक्टर नागेंद्र बताते हैं कि यह मसा-इला होता है जिसे वार्ट्स (warts) भी कहा जाता है। एसटीडी से बचाव कर इससे बचा जा सकता है। सामान्य तौर पर यह पुरुष व महिलाओं में किसी को भी हो सकता है वहीं ज्यादातर यह गर्दन या फिर प्राइवेट पार्ट के आसपास देखने को मिलता है। किसी-किसी में तो यह अपने आप ही खत्म हो जाता है, वहीं यदि इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया तो यह एनस या फिर यूट्रस के कैंसर का कारण भी बनता है। या फिर जिस जगह पर होता है उस जगह का कैंसर बन सकता है। एचपीवी में सबसे ज्यादा खतरनाक एचपीपी 16 और एचपीवी 18 को माना जाता है। इस बीमारी के लक्षणों में व्यक्ति के शरीर में बहुत ज्यादा मसा, इला आ जाता है। वहीं 80 फीसदी लोगों में यह बीमारी खुद ब खुद ही ठीक हो जाती है। यह बीमारी रेयर है और 20 से 50 वर्ष के लोगों में पाई जाती है। यह भी एसटीडी से होने वाली बीमारी है इसलिए जरूरी है कि इससे बचाव किया जाए। होमियोपैथिक पद्दिती में यह बीमारी साइकोजिमाइज्म की श्रेणी में आती है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

जानें एचआईवी के लक्षण और इससे बचाव (HIV symptoms and prevention)

सेक्स रोग या यौन रोग में सबसे गंभीर बीमारी में से एक एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस) व एड्स (acquired immune deficiency syndrome) है। डाॅक्टर नागेंद्र बताते हैं कि यह बीमारी शरीर की इम्युनिटी को कमजोर कर देती है। वहीं एचआईवी यदि तीसरे स्टेज में बहुत जाए तो एड्स का रूप ले लेती है। बीमारी के होने पर देखा गया है कि मरीज को बुखार, हल्का ठंडा लगना, गले में इंफेक्शन, सिर दर्द और उल्टी आने के साथ बदन दर्द की शिकायत होती है। शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए।

जब किसी में इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हे एचआईवी 1 और एचआईवी 2 ब्लड टेस्ट की सलाह दी जाती है। रिपोर्ट यदि पाॉजीटिव आती है तो व्यक्ति को जीवन भर दवाओं का सेवन करना पड़ता है। यह बीमारी भी एसटीडी की श्रेणी में ही आती है। सह सेक्शुअल ट्रांसमिशन से एक से दूसरे में फैलती है, वजायनल, एनस और ओरल सेक्स के साथ खून का ट्रांसमिशन या फिर संक्रमित व्यक्ति को इंजेक्शन लगा दूसरे को इंजेक्शन लगाने से और घाव का खून या स्त्राव किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में चला जाता है उस कारण भी भी यह बीमारी होती है। इस बीमारी का अभी तक इलाज संभव नहीं है वहीं एसटीडी से बचाव के लिए जरूरी है कि सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, यूज किया इंजेक्शन ना इस्तेमाल करें, ब्लड ट्रांसमिशन में सावधानी बरतें वहीं बाल कटाने जाएं तो नए ब्लेड का ही इस्तेमाल करें। कोशिश करना चाहिए कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

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एसटीडी से बचाव के लिए जेनाइटल हर्पीस से भी बचें (Avoid genital herpes to protect against STDs)

डाॅक्टर नागेंद्र बताते हैं कि जेनाइटल हर्पीस की बीमारी भी सेक्स रोग से जुड़ी हुई है। यह बीमारी दो प्रकार की होती है. पहला ओरल और दूसरा जेनाइटल हर्पीस। एसटीडी से बचाव कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। यह बीमारी एचएसवी 1 और एचएसवी 2 वायरस के कारण होने वाला रोग है। ऐसे में जरूरी है कि एसटीडी से सावधान रहा जाए। बीमारी के होने पर पेनफुल इंटरकोर्स (सेक्शुअल रिलेशनशिप बनाने में दर्द)  होने के साथ महिलाओं में इररेगुलर पीरियड की समस्या होती है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

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एसटीडी (STD) जिनका इलाज है संभव

क्लामायडिया (chlamydia), सिफलिस, गोनोरिया, कार्ब्स (crabs), ट्राइकोमोनाइसिस (trichomoniasis) जैसी बीमारी से बचाव किया जा सकता है, वहीं इनका इलाज भी संभव है, लेकिन एचपीवी और एचआईवी के साथ हर्पीस जैसी बीमारी का इलाज संभव नहीं है। इसलिए जरूरी है कि संक्रमित व्यक्ति से एसटीडी से बचाव करना चाहिए।

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बैक्टीरिया जनित रोग है क्लामायडिया (chlamydia)

क्लामायडिया (chlamydia) बैक्टीरिया जनित रोग में से एक है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि एसटी़डी से बचाव किया जाए। कई लोगों में देखा गया है कि इस बीमारी के होने के कारण उनमें किसी प्रकार का कोई लक्षण ही दिखायी नहीं देता है। वहीं उनमें सेक्स के दौरान दर्द, डिस्कंफर्ट के साथ पेशाब का आना के साथ पेनिस या वजाइना से ग्रीन यल्लो डिस्चार्ज होता है। वहीं पेट के निचले हिस्से लोअर एब्डामिन में दर्द होता है। वहीं इस बीमारी का इलाज न कराया गया तो व्य्क्ति को यूरेथरा, प्रोस्टेट ग्लैंड, टेस्टिकल्स में इंफेक्शन हो सकता है। वहीं पेल्विस इंफ्लेमेटरी डिजीज के साथ इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि बीमारी से बचा किया जाए। वहीं गर्भवती महिलाओं में यदि इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो उनसे शिशु को भी बीमारी हो सकती है, शिशु में नियोमोनिया के साथ आंखों का इंफेक्शन या फिर आंख की रोशनी तक जा सकती है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

प्यूबिक लाइस (कार्ब्स) से बचने के लिए एसटीडी से बचें

प्यूबिक लाइस का ही दूसरा नाम कार्ब्स भी है। इस बीमारी से बचाव के लिए भी एसटी़डी से बचाव जरूरी है। यह छोटे-छोटे इंसेक्ट्स होते हैं जो हमारे प्यूबिक हेयर में घर बना लेते हैं। वहीं हेड लाइस और बॉडी लाइस के जरिए ही शरीर में घुस जाते हैं। बीमारी के होने पर लोगों के प्राइवेट पार्ट या एनसल में खुजली होती है, एनस के आसपास छोटे व पिंक कलर के लाल उभार देखने को मिलते हैं, कम बुखार होने के साथ शरीर में कमजोरी और इरीटेशन होता है। बीमारी के होने पर प्यूबिक हेयर की जड़ पर जुएं के पास सफेद छोटे अंडे दिखते हैं। वहीं यह बीमारी एक दूसरे के कपड़े पहनने, बेड शेयर करने और टावेल का इस्तेमाल करने से भी हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि एसटीडी से बचाव किया जाए।

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सेक्स रोग की श्रेणी में आता है ट्राइकोमोनाइसिस (trichomoniasis)

एसटी़डी से बचाव के लिए ट्राइकोमोनाइसिस (trichomoniasis) से भी बचाव जरूरी है, इसको ट्रिच भी कहा जाता है। एक से दूसरे व्यक्ति में असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण होता है। बता दें कि करीब एक तिहाई लोगों में ही इस बीमारी का लक्षण देखने को मिलता है। वहीं लक्षणों में वजायना या पेनिस से डिस्चार्ज होता है, वहीं शारीरिक संबंध बनाने के दौरान और पेशाब करने में परेशानी होना, तुरंत पेशाब होना बीमारी के लक्षणों में से एक हैं। वहीं महिलाओं में डिस्चार्ज होने के साथ मच्छली जैसी बदबू आती है। वहीं बीमारी का इलाज न किया गया तो आगे चलकर यूथेरा में इंफेक्शन, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज होने के साथ इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। ऐसे में एसटीडी से बचाव किया जाए, ताकी इस प्रकार की बीमारी न हो।

उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और एसटीडी से बचाव से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Dr Nagendra Sharma, Homeopathic doctor, Currently working with a universal NGO, In Jharkhand. NGO working for HIV patients.

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Current Version

26/02/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/02/2021

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