घमौरी की समस्या बहुत ज्यादा गर्मी और बरसात के मौसम में हो सकती है। यह शरीर के पीठ और छाती के अंगों पर सबसे अधिक हो सकता है। घमौरी की स्थिति में त्वचा के आसपास लाल रंग के छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं, जिनमें जलन, खुजली और चुभन होती है।
दाद (Ringworm)
दाद की समस्या त्वचा की सही तरीके से साफ-सफाई न करने के कारण हो सकता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैल सकता है। दाद की समस्या सिर, हथेली, एड़ी, कमर, दाढ़ी या अन्य भाग में भी हो सकता है। दाद होने पर त्वचा पर गोल निशान बन जाता है जिसमे जलन और खुजली की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा स्किन प्रॉब्लम्स में खाज (स्केबीज) (Scabies), मेलनोमा (Melanoma), मेलस्मा (Melasma), त्वचा पर सफेद दाग (लुकोडर्मा या विटिलिगो), इम्पेटिगो (impetigo) जैसी समस्याओं का भी सामवेश होता है।
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क्या हैं स्किन प्रॉब्लम्स से जुड़े आम लक्षण? (Symptoms of skin problems)
स्किन प्रॉब्लम्स अस्थायी यानी कि टेम्पररी या स्थायी यानी कि पर्मनेंट भी हो सकते हैं। स्किन डिसॉर्डर को अलग-अलग इन दो भागों में बांटा जा सकता है। इन स्किन समस्याओं में दर्द या सूजन की समस्या भी हो सकती है और नहीं भी हो सकती है। आइए जानते हैं स्किन से जुड़े कुछ आम लक्षण, जो आपको कभी भी दिखाई दे सकते हैं।
- त्वचा पर लाल या सफेद रंग के उभार होना
- ऊभरी हुई त्वचा में दर्दनाक या खुजली होना
- त्वचा पर चकत्ते निकलना
- त्वचा का खुरदुरापन होना
- त्वचा का छिलना
- स्किन पर छाले निकलना
- अज्ञात कारणों पर से त्वचा पर घाव या जख्म बनना
- त्वचा का ड्राय हो जाना
- स्किन क्रैक की समस्या
- थक्के, मस्से या अन्य तरह के त्वचा पर उभार आना
- शरीर पर तिल के रंगों या आकार में परिवर्तन होना
- त्वचा का रंग बदलना
जब आपको ये लक्षण दिखाई दे, तो आप समझ सकते हैं कि आपको स्किन प्रॉब्लम हो सकती है। अब जब आप लक्षण जान जाएंगे, तो आपके लिए जानना जरूरी होगा कि स्किन प्रॉब्लम्स को कैसे परखा जा सकता है। इसलिए आपको इन टेस्ट्स की जरूरत पड़ेगी।
पैच टेस्ट करना
पैच टेस्ट की प्रक्रिया के दौरान त्वचा की एलर्जी का पता लगाया जाता है। इसके लिए चेहरे पर एक चिपकने वाले पदार्थ को लगाया जाता है, जिसे कुछ समय बाद त्वचा से हटाकर उसकी जांच की जाती है।
स्किन बायोप्सी
स्किन बायोप्सी की प्रक्रिया में त्वचा की जांच की जाती है। जो स्किन कैंसर या अन्य विकारों की जानकारी दे सकती है।
कल्चर टेस्ट
कल्चर टेस्ट की प्रक्रिया में संक्रमण करने वाले सूक्ष्मजीवों, जैसे- बैक्टीरिया या वायरस की पहचान की जाती है। इन बैक्टीरिया या वायरस की पहचान करने के लिए स्किन, बाल या नाखूनों का टेस्ट किया जा सकता है।
इस तरह अलग-अलग टेस्ट्स के ज़रिए स्किन प्रॉब्लम्स को पहचान जा सकता है। इसके बाद बारी आती है उपचार, यानी कि त्रीटमेंट्स की, जो अलग-अलग समस्याओं के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। आइए जानते हैं इन तकलीफ़ों के ट्रीटमेंट से जुड़ी ये जानकारी।
स्किन प्रॉब्लम्स : क्योंकि ट्रीटमेंट है जरूरी! (Treatment for skin problems)
स्किन प्रॉब्लम्स कई तरह की हो सकती है, जिसमें संक्रामक, ग़ैर संक्रामक और चर्म रोग आदि का सामवेश होता है। इसलिए इनके उपचार के दौरान भी कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है।
संक्रामक रोगों के लिए आपको इन बातों का ध्यान देने की जरूरत पड़ती है –
- शरीर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
- दिन में कम से कम एक बार या दो बार स्नान करें
- बार-बार त्वचा को अपनी हाथों से न छुएं
- साबुन और गर्म पानी से अपने हाथों को बार-बार धोएं
- खाने और पीने के बर्तन अन्य लोगों के साथ शेयर न करें
- ऐसे लोगों के संपर्क से दूरी बनाएं, जिसे किसी तरह का त्वचा संक्रमण है
- सार्वजनिक स्थानों, जैसे जिम उपकरण, को इस्तेमाल करने से पहले उसे साफ करें
- व्यक्तिगत सामानों को सार्वजिनक रूपों से शेयर न करें
- खूब पानी पीएं
- हमेशा पौष्टिक आहार खाएं
- अत्यधिक शारीरिक या भावनात्मक तनाव से बचें
- चिकनपॉक्स जैसी संक्रामक त्वचा स्थितियों के लिए टीके लगवाएं
- संक्रामक त्वचा समस्याओं जैसे कि चिकन पॉक्स के लिए टीकाकरण करवाएं