सर्वांगासन सबसे आम योग आसनों में से एक है। सर्वांगासन करने से स्वास्थ्य को कई लाभ होते हैं। यही कारण है कि सर्वांगासन योग को ‘आसनों की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है। इसे शोल्डर स्टैंड पोज भी कहा जाता है। सर्वांगासन एक शक्तिशाली योग आसन है क्योंकि सर्वांगासन आसान आपको कई तरह की गंभीर बीमारियों से भी बचाता है। योग आसनों में ये सबसे पहले शुरू किया जाता है। सर्वांगासन आसन मानव शरीर को आकार देने का काम करता है। इसी के साथ इससे आपकी उम्र भी लंबी होती है। इसके महत्व को समझने के लिए सर्वांगासन के बारे में जानें-
सर्वांगासन (Sarvangasana)
‘सर्व’ का अर्थ है, ‘सभी’, ‘अंग’ का अर्थ है ‘शरीर का हिस्सा’ और ‘आसन’ का अर्थ है ’पोज’। सर्वांगासन या शोल्डर स्टैंड एक ऐसा योग आसन है जिसमें पूरा शरीर कंधों पर संतुलित होता है। सर्वांगासन शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। साथ ही सर्वांगासन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा, सर्वांगासन शरीर के सभी आंतरिक भागों को मजबूत करने और उनको क्रियाशील बनाने का काम करता है।
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सर्वांगासन योग का अभ्यास करने का सबसे अच्छा समय सुबह है। सुबह जल्दी उठकर योग करने से इसके बहुत फायदे होते हैं। इसके अलावा भोजन के तीन से पांच घंटे बाद भी इसे किया जा सकता है। इस योग आसन का अभ्यास करते समय पेट खाली होना चाहिए। क्योंकि इस आसन को करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा की जरूरत होती है। ऐसे में भोजन पचा हुआ होना चाहिए।
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सर्वांगासन कैसे काम करता है (How to work Sarvangasana)?
शोल्डर स्टैंड पोज यानी सर्वांगासन में पूरे शरीर का वजन कंधों पर जाता है और पैरों को सीधा ऊपर की दिशा में उठा दिया जाता है। सर्वांगासन मानव शरीर के लिए बेहद लाभकारी है। एक व्यक्ति गुरुत्वाकर्षण के कारण सिर से नीचे की ओर बेहतर रक्त प्रवाह का अनुभव करता है। जब शरीर उल्टा होता है, तो रक्त संचरण सिर की ओर होने लगता है। ये आसन शरीर की ग्रंथियों को पोषक तत्व प्रदान करता है।
सर्वांगासन करने के स्टेप्स ( Steps of Sarvangasana)
- मैट पर पीठ के बल लेट जाएं।
- फिर अपने पैरों, नितंबों और पीठ को सीधा ऊपर की दिशा में उठाएं।
- अपनी पीठ को अपने हाथों से सहारा दें।
- अब अपनी कोहनी को जमीन पर टिकाएं। पीठ को ऊपर की ओर बढ़ाते रहें।
- कोहनी को नीचे और हाथों को पीछे की ओर दबाते हुए अपनी रीढ़ और पैरों को सीधा रखें।
- आपके शरीर का वजन गर्दन और सिर पर नहीं बल्कि हाथों और कंधों पर होना चाहिए।
- अपने पैरों को सीधा रखें और अपनी एड़ी को ऊपर उठाएं।
- अपने पैर की उंगलियों को नाक की सीध में रखें और उंगलियों की दिशा ऊपर की ओर हो।
- गर्दन को फर्श में ज्यादा न दबाएं। इसके बजाय गर्दन को मजबूती से रखें। गर्दन की मांसपेशियों को थोड़ा खींचने का प्रयास करें।
- अपने सीने को ठोड़ी की ओर दबाएं।
- गहरी सांस लेते रहें और 30-60 सेकंड तक इस स्थिति में रहें।
- फिर धीरे-धीरे घुटनों को नीचे लाएं।
- हथेलियों को नीचे की ओर रखते हुए अपने हाथों को फर्श पर ले आएं।
- अपने रीढ़ को धीरे से नीचे लाएं और हल्के से सिर को उठा लें।
- अपने पैरों को फर्श पर रखें और आराम करें।
सर्वांगासन के प्रकार (Types of Sarvangasana)
एक बार जब आप शोल्डर स्टैंड पोज के साथ सहज हो जाते हैं, तो इन एडवांस सर्वांगासन को आजमा सकते हैं।
1- मिडिल स्प्लिट सर्वांगासन
मिडिल स्प्लिट सर्वांगासन (Benefits of Middle split Sarvangasana) करते समय, ध्यान रहे कि आपके हाथ पीठ को रोके रहें। बेसिक शोल्डर स्टैंड पोज के साथ, अपने दोनों पैरों को आपस में फंसा लें। इस आसन का सही और धीरे-धीरे अभ्यास करें। ओवरस्ट्रेचिंग से बचें।
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मिडिल स्प्लिट सर्वांगासन के लाभ (Benefits of Middle split Sarvangasana)
- शरीर में ऊर्जा भरती है
- नितंबों को मजबूत बनाता है
- आपको दृढ़ बनाता है
- धैर्यता बढ़ती है
- जांघे खिंचाव के चलते टाइट ओ जाती हैं
गरुड़ासन या ईगल लेग (Garudasana)
गरुड़ासन के लिए, अपनी दाई जांघ को बाई जांघ में लपेट लेते हैं। इस स्थिति में रहते हुए, अपने पैर की उंगलियों को बाहर की दिशा में रखें। धीरे से अपने पैरों को इसी स्थिति में रोकें और सांस लें। धीरे-धीरे, अपने पैरों को खोलिए और दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया कीजिए। इसमें हाथों को आपस में लपेट लिया जाता है।
गरुड़ासन के फायदे
- घुटने व एंकल मजबूत और स्ट्रेच होती है
- सेंस ऑफ बैलेंस बढ़ाता है
- एकाग्रता बढ़ाता है
- जांघों, कूल्हों, कंधों और ऊपरी पीठ में खिंचाव पैदा करता है
- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है
बद्ध कोणासन या बाउंड एंगल लेग (Bowl leg Syndrome)
बद्ध कोणासन में पैरों के तलवों को मिलाएं और धीरे-धीरे कमर की मांसपेशियों की मदद से खिंचाव पैदा करें। इस मुद्रा को दो मिनट तक बनाए रखें।
बद्ध कोणासन के फायदे (Benefits of baddha konasana)
- जांघों में खिंचाव पैदा करता है
- फ्लैट पैर और हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करता है
- कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को खोलता है
- कूल्हों, घुटनों, पैरों और टखनों को लचीला बनाता है।
साइड स्प्लिट्स
साइड स्प्लिट्स के लिए, सामान्य सर्वांगासन मुद्रा बनाएं। धीरे-धीरे सांस छोड़ें और एक पैर को अपने सिर के ऊपर लाएं जबकि दूसरा पैर वहीं पर घुटनों को मोड़कर रखें। अपने पैर की उंगलियों को जमीन पर छूने की कोशिश करें। सांस लें और पैर को सामान्य स्थिति में लाएं और दूसरे पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। हां, ध्यान रहे कि पैरों को ज्यादा न खींचें। उंगलियां न छू पाएं तो उंगलियों को सिर्फ जमीन पर टैप करके वापस आ जाएं।
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साइड स्प्लिट्स के लाभ (Benefits of side splits)
- तनाव नहीं होने देता है
- पाचन तंत्र में सुधार करता है
- रजोनिवृत्ति के लक्षण कम करता है
- नितंबों और पैरों को टोन करता है
- पेट के अंगों, थॉयराइड और प्रोस्टेट ग्रंथियों को क्रियाशील बनाता है
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उर्ध्व पद्मासन या अपवर्ड लोटस (Urdhva Kukkutasana)
अपवर्ड लोटस करने से पहले, आपको इस स्थिति के साथ सहज होना चाहिए। उर्ध्व पद्मासन के लिए, एक एड़ी को अपने विपरीत कूल्हे की ओर लाएं । पैरों को ढ़ीला रखें। लोट्स पोजिशन करते समय सामान्य रूप से सांस लें। जब तक आप सहज हों तब तक इस स्थिति में रहें। अंत में शवासन में लेटकर आराम करें।
उर्ध्व पद्मासन के लाभ (Benefits of Urdhva Kukkutasana)
- बुढ़ापा धीमी गति से आता है
- तनाव कम करता है
- रीढ़ को मजबूत करता है
- मस्तिष्क की एकाग्रता को बढ़ाता है
- पाचन तंत्र ठीक रहता है
अर्ध पद्मासन या हाफ लोटस
यदि आपको अपवर्ड लोटस पोज करते समय कोई समस्या है या आपके निचले शरीर में लचीलापन कम है तो अर्ध पद्मासन करें। इस आसन में, एक पैर को ऊपर की दिशा में रखें और दूसरे पैर की एड़ी को विपरीत दिशा में कूल्हे तक लाएं। अर्ध पद्मासन शुरुआती लोगों के लिए सबसे अच्छा है।
अर्ध पद्मासन के लाभ (Benefits of Urdhva Kukkutasana)
- मूत्राशय, श्रोणि, पेट, और रीढ़ में सुधार करता है
- घुटनों का तनाव बना रहता है
- मस्तिष्क को शांत रखता है
- मासिक धर्म की गड़बड़ी को ठीक करता है
कैंडलस्टिक (Candlestick)
कैंडलस्टिक सर्वांगासन को कैंडल सर्वांगासन भी कहा जाता है। सर्वांगासन एक आम सर्वांगासन मुद्रा है। इसमें आपको एक पैर को दूसरे पर लपेटना होता है। सांस लेने के लिए कुछ मिनटों के लिए रुकें और फिर पैरों को घुमाएं।
कैंडलस्टिक सर्वंगासन के लाभ (Benefits of Candlestick)
- कब्ज को ठीक करता है
- शरीर के ऊपरी हिस्से को मजबूत करता है
- मेटाबॉलिज्म, पाचन, और इंसुलिन के उत्पादन को ठीक रखता है
- गले के चक्र को संतुलित करता है
- बवासीर का इलाज करता है
सर्वांगासन के लाभ (Benefits of Sarvangasana)
- यौन विकार का इलाज करता है
- शारीरिक शक्ति में सुधार करता है
- आंखों की रोशनी और सुनने की शक्ति बढ़ाता है
- रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है
- कब्ज को ठीक करता है
- रक्त को साफ करता है
- पाचन और श्वसन प्रणाली को ठीक करता है
- आंतों की बीमारी, अस्थमा, मधुमेह और ल्यूकेमिया का इलाज करता है
- महिलाओं में बांझपन, ल्यूकोरिया, गर्भपात और मासिक धर्म संबंधी बीमारी का इलाज करता है
महिलाओं के लिए सर्वांगासन के फायदे ( Sarvangasana Benefits For women)
- महिलाओं के लिए सर्वांगासन बहुत फायदेमंद है क्योंकि सर्वांगासन प्रजनन अंगों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करता है। शरीर में साफ रक्त का संचरण करता है।
- शोल्डर स्टैंड पोज भी गर्भाशय, अंडाशय की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करता है। साथ ही सर्वांगासन गर्भाशय को भी स्वस्थ रखता है।
- रोज सर्वांगासन योग करने से मन को शांति मिलती है।
सर्वांगासन के मनोवैज्ञानिक लाभ
- सर्वांगासन के कई मनोवैज्ञानिक लाभ भी हैं। सर्वांगासन मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करने में मदद करते हैं। सर्वांगासन योग आसन सद्भावना का विकास करता है।
- शोल्डर स्टैंड आसन का सही तरीके से अभ्यास करने से शरीर में कोशिकाओं की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। सर्वांगासन नई ऊर्जा भरता है, जो मानसिक सुस्ती से छुटकारा दिलाता है।
- इसके अलावा सर्वांगासन योग एक व्यक्ति में अवसाद और अनिद्रा के इलाज में मदद कर सकता है।
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सर्वांगासन (Sarvangasana) करते समय क्या करें और क्या ना करें
सर्वांगासन करने से पहले कुछ बातें जान लेनी बेहद जरूरी हैं:
सर्वांगासन करने योग्य बातें:
- अपने पैरों को ऊपर की दिशा में करते हुए पैर की उंगलियों को ऊपर की ओर इंगित रखें।
- शरीर को एक सीधी रेखा में रखने की कोशिश करें।
- अपनी आंखों को पैर की उंगलियों की ओर रखें और सिर को भी सीधा रखें। गहरी सांस लेते रहें ।
सर्वांगासन में क्या न करें (Dont Do During Sarvangasana):
- पैरों और घुटनों को ना मोड़ें
- गर्दन को हिलाए-डुलाए नहीं
- ठोड़ी में ज्यादा खिंचाव न पैदा होने दें
- अपने सिर को फर्श से न उठाएं
ये लोग सर्वांगासन करने से बचें (Sarvangasana )
सर्वांगासन योग आसन का अभ्यास करने से पहले इससे जुड़ी सावधानियों पर एक नजर डालें।
- मस्तिष्क से जुड़ी परेशानियों, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय की बीमारी (Heart disease) वाले मरीजों को सर्वांगासन योग आसन को करने से बचना चाहिए।
- गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सर्वांगासन योग नहीं करना चाहिए।
- आंखों की कमजोरी, बढ़े हुए थायरॉइड, स्लिप डिस्क, यकृत से जुड़ी बीमारी वाले व्यक्तियों को शोल्डर स्टैंड योग करने से बचना चाहिए।
- साथ ही, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और सिरदर्द से पीड़ित लोगों को सर्वांगासन योग आसन को नहीं करना चाहिए।
सर्वांगासन के लिए समय और सुझाव
- सर्वांगासन के हर स्टेप को सही ढंग से करना आवश्यक है। सर्वांगासन भी महत्वपूर्ण है कि स्टैंड पोज करने का समय निश्चित हो। किसी भी योग आसन को करने के लिए टिप्स और ट्रिक्स जानना हमेशा फायदेमंद होता है।
- सर्वांगासन शुरुआत में चुनौती भरा हो सकता है। विशेष रूप से भारी कूल्हों वाले लोगों के लिए। इसलिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं।
- जब आप शोल्डर स्टैंड पोज करने में सहज हो जाते हैं तो अच्छा परिणाम पाने के लिए 3 मिनट तक मुद्रा बनाए रखने का प्रयास करें।
शोल्डर स्टैंड (Shoulder Stand) करने के टिप्स
- शुरुआत में आप अपने कंधों और गर्दन के नीचे एक मुड़े हुए कंबल का उपयोग कर सकते हैं।
- कुछ व्यक्तियों के लिए, अपने पैरों को सीधा उठाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए वो घुटनों को थोड़ा मोड़ सकते हैं और फिर धीरे-धीरे पैरों को सीधा रखने का प्रयास करें।
- पैर उठाने और शरीर को संतुलित करने के लिए दीवार की मदद लें।
- अगर गर्दन या पीठ में दर्द है, तो विपरीत करणी आसन की तरह पैरों को थोड़ा झुका लें।
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सर्वांगासन के बाद किन आसनों को करना चाहिए
सर्वांगासन करने के बाद इन योग आसनों को करें।
सर्वांगासन के बाद द्वि पदा उत्तनपदासना
द्वि पदा उत्तनपदासना या दोनों पैरों को उठाकर करने वाला पोज लोअर बैक पेन से पीड़ित व्यक्तियों के लिए सहायक है। उत्तनपदासना संस्कृत शब्द है, इसका अर्थ होता है उठे हुए पैर। सर्वांगासन पेट की मांसपेशियों और पीठ के निचले हिस्से को मजबूत करने के लिए बेहद लाभकारी व्यायाम है।
सर्वांगासन के बाद विपरीत करणी (Opposite radical)
विपरीत करणी को इनवर्टेड लेक पोज या लेग्स अप द वॉल पोज भी कहा जाता है। इस योग आसन के कई स्वास्थ्य लाभ है। विपरीत करणी ऊपरी शरीर और मस्तिष्क में रक्त के संचार में मदद करता है।
सर्वांगासन के बाद मत्स्यासन (Matsyasan)
सर्वांगासन का अभ्यास करने के बाद मत्स्यासन करना बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है। मत्स्यासन या मछली मुद्रा को पैरों के साथ किया जाता है। फिश पोज गर्दन, गले, पेट की मांसपेशियों और अन्य अंगों को मजबूत बनाने में मदद कर सकता है।
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सर्वांगासन के लिए पूछे जाने वाले 5 सबसे सामान्य प्रश्न
प्रश्न : अच्छे स्वास्थ्य परिणामों का अनुभव करने के लिए मुझे कितनी बार सर्वांगासन का अभ्यास करना चाहिए?
उत्तर: शुरुआत में सप्ताह में दो बार सर्वांगासन योग का अभ्यास करने की कोशिश करनी चाहिए। सर्वांगासन तब तक रोज करें जब तक आप इसके साथ सहज न हो जाएं।
प्रश्न: सर्वांगासन का अभ्यास करने के लिए शरीर का लचीलापन महत्वपूर्ण है?
उत्तर: नहीं, सर्वांगासन सहित किसी भी योग आसन को करने के लिए शरीर का लचीला होना जरूरी नहीं है।
प्रश्न: क्या मैं योग आसनों को करने के बाद जिम में कसरत कर सकता हूं?
उत्तर: हां, आप अपने नियमित योग आसन करने के बाद जिम में कसरत कर सकते हैं।
प्रश्न: क्या सर्वांगासन बालों के लिए फायदेमंद है?
उत्तर: हां, सर्वांगासन सिर में रक्त परिसंचरण को बढ़ाकर हेयर एजिंग का मुकाबला करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, सर्वांगासन सिर में पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है। पोषक तत्व न मिलने के कारण ही बालों झड़ते हैं।
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प्रश्न: क्या यौन स्वास्थ्य के लिए सर्वांगासन फायदेमंद है?
उत्तर: योग विशेषज्ञों का मानना है कि सर्वांगासन का यौन स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सर्वांगासन तनाव को कम करके यौन इच्छाओं में सुधार करता है।
हर मर्ज की एक दवा सर्वांगासन
सर्वांगासन से बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ होते हैं इसलिए सर्वांगासन योग आसनों में सबसे पहले आता है। सर्वांगासन शरीर की काया को बिल्कुल बदल देता है। हर दिन सुबह सर्वांगासन करने का प्रयास करें। सर्वांगासन के हर स्टेप को सही ढंग से करें। आप किसी योग प्रशिक्षक से भी परामर्श कर सकते हैं। जो आपको सर्वांगासन के बारे में अच्छे से बताएंगे।
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