नींद न आने की समस्या को इंसोम्निया कहा जाता है। इंसोम्निया कई प्रकार के हो सकते हैं। कई लोग इसे घरेलू उपचार या जीवनशैली में कुछ बदलाव कर ठीक कर लेते हैं लेकिन कई लोगों को नींद की गोली लेनी पड़ती है। नींद की गोली लेना कुछ वक्त के लिए ठीक हो सकता है पर एक लंबे समय के लिए यदि आप नींद की गोली ले रहे हैं तो यह नुकसानदायक भी हो सकती है। इसलिए नींद की गोली के फायदे और नुकसान जान लेना जरूरी है।
नींद की गोलियां जो नींद में मददगार साबित हो सकती हैं?
मेलाटोनिन वर्ग (Melatonin)
मेलाटोनिन एक तरह का हॉर्मोन होता है, जो अंधेरे में सक्रिय हो जाता है और नींद में मददगार साबित होता है। रोशनी के साथ-साथ बढ़ती उम्र भी मेलाटोनिन की दुश्मन होती है। मेलाटोनिन की कमी के कारण अच्छी नींद में भी कमी आती है। हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया कि मेलाटोनिन कैंसर व अन्य कई प्रकार की बीमारियों के उपचार में मददगार साबित हो सकता है। जिन नींद की दवाओं में मेलाटोनिन होता है वह नींद लाने में मददगार होती हैं। सर्काडियन रिद्म स्लीप डिसआॅर्डर (Circadian Rhythm Sleep Disorders) में भी मेलाटोनिन कारगर साबित हो सकता है। सर्काडियन रिदम स्लीप डिसऑर्डर में रोगी को सोने और उठने में समस्या होती है। सन् 2017 के स्लीप मेडिसीन रिव्यू के जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार मेलाटोनिन नींद आने के समय में कमी ला सकता है यानी यदि आपको नींद आने में समय लगता है तो मेलाटोनिन आपकी मदद कर सकता है। मेलाटोनिन वाली नींद की गोली से इंसोम्निया ठीक होता है या नहीं इसकी पुष्टि नहीं हुई है। हां यह जरूर है कि इस नींद की गोली से अब को झटपट नींद जरूर आ जाती है।
सिडेटिंग एंटीहिस्टामाइन (Sedating antihistamines)
सिडेटिंग एंटीहिस्टामाइन उन लोगों के लिए मददगार साबित होते हैं जिन्हें, नींद आने या लंबे समय तक लगातार सोने में समस्या होती है। कई एंटीहिस्टामाइन के कारण हमेशा ही नींद जैसी स्थिति बनी रह सकती है। लोग नींद की कमी, बार-बार नींद टूटने या तनाव व एंग्जायटी को दूर करने के लिए इनका उपयोग करते हैं।
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फर्स्ट जनरेशन एंटीहिस्टामाइन
बैनेड्रिल में मौजूद डायफिनहायड्रामिन (Diphenhydramine), यूनिसम (Unisom) में डोक्सिलामिन (Doxylamine), मैराजिन (Marezine) में साइक्लिजिन ऐसे ही एंटीहिस्टामाइन हैं। यह नींद की गोलियां फर्स्ट जनरेशन एंटीहिस्टामाइन हैं, इन ड्रग्स के कारण नींद आती है।
सैकेंड जनरेशन एंटीहिस्टामाइन
वहीं सैकेंड जनरेशन एंटीहिस्टामाइन से नींद जैसी स्थिति नहीं बनती है। जिर्टेक (Zyrtec) में सिट्रिरिजिन (Cetirizine), क्लेरिटिन (Claritin) में लोरेटाडिन (Loratadine), एलेग्रा (Allegra) में फेक्सोफेनाडिन (Fexofenadine) आदि नॉनसिडेटिंग एंटीहिस्टामाइन होती हैं। इस तरह की नींद की गोली की आदत नहीं पड़ती है। यह सच है कि बहुत जल्दी शरीर को इनकी आदत जरूर हो जाती है। यानी बहुत लंबे समय तक यदि आप इनका इस्तेमाल करें तो नींद आने की संभावना कम हो जाती है।
हिपनोटिक्स (Hypnotics)
रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम आदि डिसऑर्डर जिनकी वजह से नींद में कमी आती है या इंसोम्निया के कई प्रकारों से लड़ने के लिए डॉक्टर इस तरह की नींद की गोली देते हैं। यह जरूर है कि हिपनोटिक्स मेलाटोनिन की तरह बिना डॉक्टर के पर्चे के नहीं मिल सकती हैं। हिपनोटिक पिल्स जोल्पिडेम (Zolpidem), जेलेप्लोन (Zaleplon), इसजोपिक्लोन (Eszopiclone), रमेल्ट (Ramelteon) बहुत ही आम नींद की गोलियां हैं। सिडेटिव हिपनोटिक्स का एक वर्ग बेंजोडाईजेपिन्स है। इससे भी इंसोम्निया का उपचार किया जाता है। सिडेटिव हिपनोटिक्स से पहले विशेषज्ञ हिपनोटिक्स को ही देते हैं। चूंकि यह आपको दवाओं पर निर्भर बना देती है और इसके बहुत सारे नुकसान सेहत पर पड़ते हैं।
निर्भर बना देने वाली नींद की गोली कौन सी होती हैं?
नींद की गोली का नाम | नींद आने में मददगार | नींद नहीं टूटती | निर्भर कर देती है |
डोक्सिपिन सिलेनॉर Doxepin (Silenor) | नहीं | हां | |
एस्टाजोलम Estazolam | हां | हां | हां |
एसजोपिक्लोन (ल्युनेस्टा) Eszopiclone (Lunesta) | हां | हां | हां |
रामेलटिऑन रोजेरेम Ramelteon (Rozerem) | हां | ||
टेमाजेपाम रेस्टोरिल Temazepam (Restoril) | हां | हां | हां |
ट्राइआजोलाम हालसिऑन Triazolam (Halcion) | हां | हां | |
जेलप्लॉन सोनाटा Zaleplon (Sonata) | हां | हां | |
जॉल्पिडेम (एमबीएन, एडलुआर, इंटरमेजो, जॉल्पीमिस्ट) Zolpidem (Ambien, Edluar, Intermezzo, Zolpimist) | हां | हां | |
स्युवोरेकसंट बेलसॉमराSuvorexant (Belsomra) | हां | हां | हां |
जॉल्पिडेम एक्सटेंडेड रिलीस ( एमबीएन सीआर) – Zolpidem extended release (Ambien CR) | हां | हां | हां |
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क्यों नहीं आती नींद?
- चिंता, नींद न आने का सबसे बड़ा कारण है। यदि आप पर्सनल या प्रॉफेसनल लाइफ में परेशान हैं तो सबसे पहले इसका असर आपकी नींद पर पड़ता है
- टीवी, फोन या लैपटॉप आदि भी नींद न आने के कारणों में शामिल हैं। इनसे निकलने वाली रोशनी के कारण मेलाटोनिन हॉर्मोन प्रभावित होता है। मेलाटोनिन हॉर्मोन जब सक्रिय रहता है तब अच्छी नींद आती है। यदि यह कम बनने लगे तो कम नींद आती है
- बीमारी आदि के कारण भी नींद नहीं आती है
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क्या हैं स्लीपिंग पिल्स(Sleeping Pills) के नुकसान?
ड्रग एडिक्टिव
एक लंबे समय तक यदि आप इन दवाओं का सेवन करते हैं तो यह दवाएं खाएं बिना आपको नींद नहीं आती।
याद्दाश्त में कमी
नींद की गोली के कारण आप हमेशा नींद में रहते हैं और इस कारण किसी भी काम में एकाग्रचित यानी कंसंट्रेट नहीं कर पाते हैं। इसके साथ ही इससे याद्दाश्त में भी कमी आने लगती है।
हार्ट अटैक का खतरा
यदि आप साल भर में 60 के करीब नींद की दवा लेते हैं तो 50 प्रतिशत हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
श्वास संबंधी दिक्कत
जिन लोगों में स्लीप एप्निया की समस्या होती हैं उनके लिए स्लीपिंग पिल के नुकसान बहुत भयावह हो सकते हैं। कई बार सांस में बाधा की वजह से आप सो नहीं पाते हैं तो कई बार यह मौत का भी कारण बन सकती है।
कैंसर का खतरा
एक अध्ययन के अुनसार स्लीपिंग पिल के नुकसान में कैंसर का खतरा बढ़ना भी है। यदि आप वर्ष में करीब 132 दवाओं का सेवन लगातार कर रहे हैं तो यह आपमें कैंसर का खतरा तो बढ़ाती ही हैं इसके साथ ही आपकी मौत का भी कारण बन सकती हैं।
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क्या उपाय करें?
- सोने से कुछ देर पहले टीवी, लैपटॉप मोबाइल आदि से दूरी बना लें
- सोते वक्त बिस्तर, तकिया सब साफ रखें
- सोने से करीब दो घंटे पहले खाना खाएं
- नींद न आ रही हो तो रिलेक्सिंग म्यूजिक सुनें
- कैफीन से दूर रहें
- स्ट्रैस दूर करने के लिए मेडिटेशन करें या एक्सरसाइज करें
नींद की गोली लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है क्योंकि यह हार्ट अटैक, सिरदर्द, हाथ-पैरों में कंपन्न आदि का कारण बन सकती है। किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। फिर चाहे वह ओवर द काउंटर मिलने वाली दवा ही क्यों ना हो।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और बेबी नींद की गोली के सेवन से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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