महिला हो या पुरुष, सभी में समय-समय पर शारीरिक परिवर्तन आते रहते हैं। अपने शरीर में आए बदलावों को लेकर महिलाएं अक्सर परेशान रहती हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि महिला के शरीर में आए अधिकतर बदलावों का कारण हॉर्मोन्स असंतुलन होता है? फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) तब होता है जब महिलाओं के ब्लडस्ट्रीम में हॉर्मोन्स सामान्य लेवल से अधिक या कम हो जाते हैं। हॉर्मोन्स, एंडोक्राइन सिस्टम (endocrine system) में ग्रंथियों द्वारा उत्पादित केमिकल होते हैं, जो हमारी कोशिकाओं, ऊतकों और अंगों को यह बताते हैं कि उन्हें क्या करना है। हॉर्मोन शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों को सही से करने में मदद करते हैं। शरीर के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है और थोड़ा सा भी हॉर्मोनल असंतुलन होने पर पूरे शरीर में साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) को समझना बहुत जरूरी है। क्योंकि, इसके बारे में अच्छे से जानकर और कुछ सावधानियां बरत कर आप इस समस्या से बच सकते हैं।
फीमेल हॉर्मोन्स बैलेंस क्यों महत्वपूर्ण हैं? (Importance of Female Hormone Balance)
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के बारे में अन्य जानकारी से पहले आपके लिए इसके महत्व को जानना जरूरी है। दरअसल, हॉर्मोन्स हमारी शरीर की अधिकतर और मुख्य शारीरिक प्रक्रियाओं को सही से काम करने में मदद करते हैं। ऐसे में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण शरीर के अधिकतर कार्य बाधित होते हैं। यह हॉर्मोन्स हमारे शरीर के कई कामों और अंगों को नियंत्रित करने के लिए जरूरी हैं, जैसे:
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- मूड (Mood)
- शरीर का तामपान (Body Temperature)
- प्रजनन चक्र (Reproductive Cycles)
- विकास (Growth)
- तनाव (Stress)
- मेटाबोलिज्म (Metabolism)
- हार्ट रेट (Heart Rate)
- नींद (Sleep)
यानी, फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के कारण हमारी सेहत पर बहुत प्रभाव पड़ता है। महिलाओं में हॉर्मोन लेवल में कुछ खास समय में बदलाव आता रहता है जैसे मासिक धर्म से पहले या बाद में और गर्भावस्था या मेनोपॉज के समय। एड्रेनलाईन (Adrenaline), स्टेरॉयड हॉर्मोन (Steroid Hormones), ग्रोथ हॉर्मोन (Growth Hormones), इंसुलिन (Insulin), एस्ट्रोजन (Estrogen) या प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) का आम कारण हैं। अब आगे जानिए क्या हैं इस समस्या के लक्षण, यानि आप कैसे पहचान सकते हैं कि आपके शरीर में हॉर्मोन्स संतुलित हैं या नहीं।
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Female Hormonal Imbalances)
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के कारण महिलाएं कई समस्याओं का सामना करती हैं। यही नहीं, महिलाएं यह भी नहीं जान पाती कि जो समस्याएं हो रही हैं उनका कारण क्या है? अधिकतर महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन (Hormone Imbalance) के यह लक्षण नजर आते हैं:
- अचानक वजन का बढ़ाना या कम होना (Unexplained Weight Gain or Weight Loss)
- बहुत अधिक पसीना (Excessive Sweating)
- सोने में समस्या (Difficulty in Sleeping)
- हड्डियों का कमजोर होना (Weak Bones)
- चिंता और तनाव (Anxiety and Depression)
- थकावट (Exhaustion)
- अधिक प्यास लगना (Increased Thirst)
- सिरदर्द (Headaches)
- ठंड या गर्मी के प्रति संवदनशीलता में परिवर्तन (Changes in Sensitivity to Cold and Heat)
- त्वचा का रुखा होना या स्किन रैशेज (Very Dry Skin or Skin Rashes)
- ब्लड प्रेशर में परिवर्तन (Changes in Blood Pressure)
- हार्ट रेट में परिवर्तन (Changes in Heart Rate)
- सामान्य से अधिक या कम मूत्र त्याग (More or Less Urination than Normal)
- सूजन (Bloating)
- भूख में परिवर्तन (Changes in Appetite)
- सेक्स ड्राइव का कम होना (Reduced Sex Drive)
- बालों का पतला होना (Thin hair)
- बांझपन (Infertility)
- नजर का कमजोत होना (Blurred Vision)
- ब्रेस्ट का नरम होना (Breast Tenderness)
- आवाज में परिवर्तन (Change in Voice)
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस के कारण (Causes of Female Hormonal Imbalances)
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के कई कारण हो सकते हैं। जिनमें कुछ मेडिकल स्थितियां (Some Medical Conditions), लाइफस्टाइल हैबिट्स (Lifestyle Habits) और एंडोक्राइन ग्लैंड की खराबी (Endocrine Gland Malfunctions) आदि भी शामिल हैं। इसके कुछ खास कारण इस तरह से हैं:
- अनहेल्दी डायट (Unhealthy Diet)
- अधिक स्ट्रेस (Excessive Stress)
- शरीर में बसा की अधिक मात्रा (High Body Fat)
- जहरीली चीजें, प्रदूषक, और कीटनाशक (Toxins, Pollutants and Pesticides)
- गंभीर एलर्जिक रिएक्शंस (Severe Allergic Reactions)
- टर्नर सिंड्रोम (Turner Syndrome)
- ओवरएक्टिव या अंडरएक्टिव थायराइड (Overactive or Underactive Thyroid)
- पिट्यूटरी ट्यूमर (Pituitary Tumors)
- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 1 and Type 2 Diabetes)
- प्रेडर-विली सिंड्रोम (Prader-Willi syndrome)
- वंशानुगत अग्नाशयशोथ (Hereditary Pancreatitis)
- एंडोक्राइन ग्लैंड में चोट (Injury to the Endocrine Gland)
- इन्फेक्शन (Infections)
- बर्थ कंट्रोल मेडिकेशन्स (Birth Control Medications)
- हॉर्मोनल रिप्लेसमेंट मेडिकेशन्स (Hormonal Replacement Medications)
- बिनाइन ट्यूमर या सिस्ट्स (Benign Tumors or Cysts)
- कैंसर (Cancer) जो एंडोक्राइन ग्लांड्स (Endocrine Glands) को प्रभावित करते हैं
- कीमोथेरेपी या रेडिएशन्स (Chemotherapy or Radiation)
- सोलिटरी थायरॉइड नोड्यूल्स (Solitary Thyroid Nodules)
- कोर्टिसोल हॉर्मोन का उच्च स्तर (High levels of Cortisol Hormone)
- कोर्टिसोल और एल्डोस्टेरोन का कम होना (Too little Cortisol and Aldosterone)
- आयोडीन के स्तर में कमी (Deficient Levels of Iodine)
- कुछ दवाईयां (Some Medicines)
महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन (Hormone Imbalance) का कारण बनने वाली चिकित्सा स्थितियों में ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer), पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome), प्रारंभिक रजोनिवृत्ति (Early Menopause), हॉर्मोन रिप्लेसमेंट (Hormone Replacement) या जन्म नियंत्रण दवाएं (Birth control Medications) और प्राइमरी ओवेरियन इंसफिशिएंसी (Primary Ovarian Insufficiency) भी शामिल हो सकते हैं।
महिलाओं में हॉर्मोन्स में बदलाव का प्रभाव कैसे दिखाई देता हैं? (Effect of Harmon Changes in Women)
हॉर्मोन्स के बदलाव के कारण महिलाओं में शारीरक और मानसिक रूप से बहुत से बदलाव आते हैं। यह समस्याएं सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं। फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के कारण सबसे पहले शरीर का मेटाबोलिज्म प्रभावित होता है। जानिए इस असंतुलन के और क्या असर हो सकते हैं महिलाओं के शरीर पर:
- अधिक, दर्द भरे और असमान्य पीरियड्स (Heavy, Irregular or Painful Periods)
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
- रात में अधिक पसीना आना (Night Sweats)
- योनि में रूखापन (Vaginal Dryness)
- स्तनों का नरम होना (Breast Tenderness)
- अपच (Indigestion)
- कब्ज और डायरिया (Constipation and Diarrhea)
- पीरियड्स से पहले या दौरान मुहांसे आना (Pimples before or during Periods)
किस स्थितियों में फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) से जुडी जटिलताएं बढ़ सकती हैं?
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) को अक्सर इतना गंभीरता से नहीं लिया जाता। लेकिन, हॉर्मोन्स असंतुलन की समस्या कई बार गंभीर हो सकती है। कुछ चीजें फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) से जुडी जटिलताओं को बढ़ा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:
- अगर आप किसी वायरस, केमिकल या जहरीली चीजों के कांटेक्ट में आते हैं।
- अगर आपको कोई जेनेटिक बीमारी है।
- अगर आपको किसी चीज से एलर्जी है।
- अधिक धूम्रपान या शराब का सेवन
- अधिक तनाव
- अधिक अनहेल्दी चीजों का सेवन
कुछ अन्य चीजें भी हो सकती हैं जो ऊपर दी गई लिस्ट में नहीं है लेकिन, हॉर्मोनल असंतुलन (Hormone Imbalance) के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इनके बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर की सलाह लें।
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फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) का निदान कैसे किया जाता है?
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) का निदान करने के लिए डॉक्टर आपसे लक्षणों के बारे में जानेंगे और शारीरिक जांच भी कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आपको कुछ टेस्ट कराने के लिए भी कह सकते हैं। यह टेस्ट इस प्रकार हैं:
- ब्लड टेस्ट (Blood Test) : ब्लड टेस्ट से अधिकतर हॉर्मोन लेवल के बारे में जाना जा सकता है।
- पेल्विक की जांच (Pelvic exam): पेल्विक की जांच से किसी भी अप्राकृतिक गांठ (Unnatural Lumps), अल्सर (Ulcer) या ट्यूमर (Tumor) का पता चल सकता है।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): अल्ट्रासाउंड स्कैन (Ultrasound Scan) गर्भाशय (Uterus), अंडाशय (Ovaries), थायरॉयड (Thyroid) और पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) की तस्वीर को लेने के लिए साउंड वेव्स का उपयोग करता है।
- अन्य टेस्ट (Other Tests): अन्य टेस्ट में एक्स-रे (X-rays),मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging), बायोप्सी (Biopsy) ,थाइरोइड स्कैन (Thyroid Scans) आदि शामिल हैं।
हॉर्मोनल इम्बैलेंस का उपचार कैसे किया जाता है (Treatment of Female Hormonal Imbalances) ?
हॉर्मोनल असंतुलन का उपचार कैसे किया जाए, यह बात इसके कारणों और महिला के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। हर महिला को उपचार के लिए कुछ परहेज करने की जरूरत भी हो सकती है। मेडिकल ट्रीटमेंट और लाइफस्टाइल में बदलाव से इस समस्या से न केवल राहत मिलती है बल्कि लंबे समय तक इसके परिणाम भी देखने को मिलते हैं। फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के लिए चिकित्सा उपचार इस प्रकार हैं:
- हॉर्मोन नियंत्रण या बर्थ कंट्रोल मेडिसिन (Hormone Control or Birth Control Medicines): इन दवाओं में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) होते हैं, जो मासिक धर्म चक्र और अन्य समस्याओं को दूर करने मदद कर सकते हैं। बर्थ कंट्रोल मेडिसिन के लिए उपलब्ध विकल्प पिल्स (Pills) पैच (Patches) या अंतर्गर्भाशयी डिवाइस (Intrauterine Devices) आदि हैं।
- हॉर्मोन रिप्लेसमेंट दवाएं (Hormone Replacement Medications) : महिलाएं रजोनिवृत्ति के लक्षणों को अस्थायी रूप से कम करने के लिए कुछ दवा ले सकती हैं। यह लक्षण रात को पसीना आना या अन्य हो सकते हैं।
- एंटी-एंड्रोजन दवाएं (Anti-androgen Medications) : ये दवाएं को एस्ट्रोजन (Estrogen) बाधित करती हैं और अधिक मुहांसे या बालों के झड़ने को कम करने में मदद कर सकती हैं।
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- वजाइनल एस्ट्रोजन (Vaginal estrogen) : इस ट्रीटमेंट में, लक्षणों को कम करने के लिए योनि के टिश्यूस पर सीधे एस्ट्रोजन युक्त क्रीम लगाई जाती है। एस्ट्रोजन की गोलियां और रिंग योनि के सूखेपन को भी कम कर सकते हैं।
- क्लोमीफीन (Clomiphene) और लेट्रोजोल (letrozole): पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (polycystic ovary syndrome) या बांझपन से पीड़ित महिलाएं ओव्यूलेशन को तेज करने के लिए यह दवाएं ले सकती हैं। गोनाडोट्रोपिन के इंजेक्शन (Injections of gonadotropins) भी गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
- सहायक प्रजनन तकनीक (Assisted reproductive technology) : सहायक प्रजनन तकनीक जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilization) उन लोगों के लिए मददगार है, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome) से पीड़ित हैं।
- मेटफोर्मिन (Metformin) : यह दवा आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज में ली जाती और ब्लड शुगर लेवल को कम या संतुलित करने में सहायक है। जो हॉर्मोन्स में बदलाव का एक कारण है।
- लेवोथायरोक्सिन (Levothyroxine) : यह एक केमिकल है जो दवाइयों में पाया जाता है। यह हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) के लक्षण कम कर सकता है। थायरॉइड भी हॉर्मोन्स में असंतुलन का कारण है
इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि महिलाओं में आजकल सबसे ज्यादा हॉर्मोनल प्रॉब्लम देखने को मिल रही है। जिसका प्रभाव उनके मासिक धर्म पर भी पड़ रहा है। उनकी इस समस्या का सबसे बड़ा कारण उनकी खराब लाइफस्टाइल और डायट है। हॉर्मोनल असंतुलन मूड, भूख और पूरे स्वास्थ्य को बहुत अधिक प्रभावित कर सकता है। एजिंग सहित कुछ अन्य फैक्टर भी हैं, जिनकी वजह से हॉर्मोन्स कंट्रोल से बाहर हो सकते हैं। कुछ चीजें हमारे कंट्रोल में नहीं होती। लेकिन तनाव से दूर रहना, सही डायट या व्यायाम आदि हॉर्मोन्स को सही बनाए रखने में मददगार हो सकते हैं। जानिए फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) के लिए आपको अपने जीवन में क्या बदलाव करने चाहिए।
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सही नींद (Enough Sleep)
हॉर्मोन्स को बैलेंस रखने के लिए पर्याप्त नींद बहुत महत्वपूर्ण फैक्टर है। अगर आपकी नींद की गुणवत्ता में समस्या है, तो इसके कारण कुछ हॉर्मोन्स का लेवल कम या अधिक होता रहेगा। हॉर्मोन पर नींद की गड़बड़ी यह प्रभाव पड़ सकते हैं:
- मोटापा (Obesity)
- डायबिटीज (Diabetes)
- भूख संबंधी समस्या (Problems with Appetite)
रोजाना अच्छी नींद आपके शरीर में हॉर्मोन्स के लेवल को सही बनाने में मदद कर सकती है।
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तनाव से दूर रहें (Stay away from Depression)
एक शोध के अनुसार तनाव, एंडोक्राइन सिस्टम (Endocrine System) और हॉर्मोन लेवल के बीच गहरा संबंध है। यह भी माना जाता है कि यह संबंध इतना मजबूत है कि स्ट्रेस का थोड़ा सा लेवल भी एंडोक्राइन को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में ही तनाव से एड्रेनालाईन (Adrenaline) और कोर्टिसोल (Cortisol) में वृद्धि होती है। यदि इन हॉर्मोन का स्तर बहुत अधिक है, तो यह पूरे संतुलन को बाधित कर सकता है और इसके कारण मोटापा, मूड में परिवर्तन और यहां तक की कार्डियोवैस्कुलर इश्यू (Cardiovascular Issues) भी हो सकते हैं। इसलिए तनाव को कम करना हॉर्मोन्स असंतुलन के लिए जरूरी है। इसके लिए आप खुश और सकारात्मक रहें, अच्छा खाएं और व्यायाम करें। अधिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
व्यायाम करें (Exercise)
नियमित व्यायाम के हॉर्मोनल प्रभाव से ओवरईटिंग को रोका जा सकता है। माना जाता है कि व्यायाम करने से हॉर्मोन्स सही रहते हैं, जो भूख को नियंत्रित करते हैं। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, योगा (Yoga) और कार्डियो वर्कआउट (Cardio Workout) करने से न केवल सेहत सही रहती है, बल्कि हॉर्मोन लेवल भी बढ़ता है। इसके साथ ही इंटेंस वर्कआउट करने से भी अधिक हॉर्मोन्स शरीर से निकलते हैं। इसलिए रोजाना व्यायाम करें।
सही आहार (Diet)
हॉर्मोन्स के लेवल को सही रखने में आहार भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके लिए आपको कुछ चीजों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए लेकिन कुछ चीजों को पूरी तरह से नजरअंदाज करना चाहिए। जानिए इसके लिए आपको क्या खाना चाहिए:
क्या खाएं (What to Eat)
फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalances) से बचने के लिए आपको यह चीजें खानी चाहिए:
- हेल्दी फैट्स जैसे अलसी के बीज, अखरोट, सोया मिल्क आदि
- फाइबर युक्त आहार जैसे साबुत अनाज, फल और सब्जियां, मेवे और सीड्स
- ग्रीन टी
क्या न खाएं (What not to Eat)
खाने के साथ ही कुछ चीजों का सेवन करने से बचें। इन चीजों का सेवन न करने से आपको अन्य कई लाभ भी होंगे। जानिए कौन सी चीजों को नहीं खाना चाहिए :
- अधिक चीनी और नमक
- मसालेदार या तला भुना आहार
- कैफीन जैसे चाय और कॉफी
- जंक फ़ूड
- तंबाकू और एल्कोहॉल
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फीमेल हॉर्मोनल इम्बैलेंस (Female Hormonal Imbalance) शारीरिक कार्यों पर बड़े पैमाने पर असर डालता है, और यहां तक की थोड़ा सा हॉर्मोनल असंतुलन (Hormone Imbalance) के कई बुरे परिणाम हो सकते हैं। कुछ लोग, आहार और जीवन शैली में बदलाव करके हेल्दी हॉर्मोन बैलेंस कर सकते हैं। लेकिन, लक्षणों को नोटिस करें और कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
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