backup og meta

विटामिन-डी डेफिशिएंसी (कमी) से बचने के लिए खाएं ये चीजें

विटामिन-डी डेफिशिएंसी (कमी) से बचने के लिए खाएं ये चीजें

हमारे शरीर के लिए विटामिन-डी बहुत जरूरी है। विटामिन-डी डेफिशिएंसी (कमी) से आपकी हड्डियों कमजोर हो सकती हैं, बोन डेंसिटी घटने की संभावना होती है और यहा तक की रिकेट्स (Rickets) जैसी बीमारी भी हो सकती है। तो हम विटामिन-डी की कमी से बचाव के लिए क्या कर सकते हैं? तो इसका जवाब है डायट। दरअसल, भरपूर  मात्रा में विटामिन-डी लेने का सबसे अच्छा तरीका हमारा ‘रोज काआहार’ और ‘सूरज की धूप’ है। पर ज्यादातर लोगों को विटामिन-डी से भरे आहारों के बारे में नहीं पता। आइए जानते हैं वो 7 चीजें जो दूर करेंगी विटामिन-डी डेफिशिएंसी।

और पढ़ेंः विटामिन डी के फायदे पाने के लिए खाएं ये 7 चीजें

शरीर में विटामिन-डी की सही मात्रा कितनी होती है?

हमारे शरीर में विटामिन डी की मात्रा खून में 75 नैनो ग्राम तक सही मात्रा में मानी जाती है। अगर खून में विटामिन डी की मात्रा 50 से 75 नैनो ग्राम के बीच होती है, तो उस व्यक्ति में विटामिन डी की मात्रा को अपर्याप्त माना जा सकता है। वहीं, अगर खून में विटामिन डी की मात्रा 50 नैनो ग्राम से कम हो तो उस व्यक्ति में विटामिन डी की कमी मानी जा सकती है। वहीं, विभिन्न शोधों के अनुसार आज अधिकतर भारतीयों के शरीर के खून में विटामिन डी 5 से 20 नैनो ग्राम के बीच में पाया जाता है।

जानिए विटामिन डी की कमी से जुड़ी कुछ खास बातें

एनसीबीआई में प्रकाशित लेख के मुताबिक, भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में विटामिन डी की कमी अधिक देखी जा सकती है। एम्स, सफदरजंग और फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा मिलकर किए गए एक शोध के आंकड़ों पर गौर करें, तो भारत में रहने वाली लगभग 69 फीसदी महिलाओं में विटामिन-डी की कमी है। जबकि, देश में महिलाओं की कुल आबादी का 26 फीसदी हिस्सा विटामिन डी की अपर्याप्ता की कमी से जूझ रहा होता होता है। सिर्फ 5 फीसदी महिलाओं को ही विटामिन डी की सही मात्रा में पूर्ति होती है। जिसका सबसे मुख्य कारण हो सकता है महिलाओं का रहन-सहन और खानपान। भारत की अधिकतर महिलाएं घर के अंदर के काम-काजों को अधिक करती हैं। जिस वजह से धूप से उनका संपर्क सबसे कम हो पाता है। इसके अलावा, भारतीय महिलाओं के परिधान की बात की जाए, तो वे पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े अधिक पहनती हैं। जिससे उनके शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। इसके अलावा, घरेलू महिलाओं से लेकर कामकाजी महिलाओं के दैनिक आहार में भी विटामिन डी की उचित मात्रा नहीं पाई जाती है।

वहीं, बीबीसी को दिए गए एक इंटरव्यू में पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, आर वेंकटरमन और प्रणब मुखर्जी के फीजिशियन रह चुके डॉ. मोहसीन वली का कहना है कि, महिलाओं में विटामिन डी के कमी के अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। जिसमें महिलाओं में होने वाला हॉर्मोनल बदलाव भी शामिल है। मेनोपॉज के बाद और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं में इसकी समस्या सबसे अधिक देखी जा सकती है। साथ ही, उनका कहना है कि, विटामिन-डी की कमी की बहुत बड़ी वजह खाने में रिफाइंड तेल का इस्तेमाल भी हो सकता है। रिफाइंड तेल के अधिक इस्तेमाल की वजह से शरीर में कोलेस्ट्रॉल के कण कम बन सकते हैं। हमारे शरीर में विटामिन डी बनाने में कोलेस्ट्रॉल के कणों का काफी अहम योगदान होता है। इसकी वजह से विटामिन डी को शरीर में प्रोसेस करने में परेशानियां आने लगती है और शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है।

और पढ़ेंः क्या सचमुच विटामिन डी के सेवन से कम होगा कोरोना वायरस का खतरा?

[mc4wp_form id=’183492″]

विटामिन डी का सबसे अच्छा स्त्रोत क्या हो सकता है?

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, विटामिन डी हड्डियों को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए सबसे जरूरी होता है। उचित रूप से विटामिन डी की मात्रा हमें सूर्य की किरणों से मिलती है। इसलिए दिन के कुछ मिनट हमें धूप में बिताना चाहिए। याद रखें सुबह 10 से पहले तक की धूप बॉडी के लिए अच्छी होती है। अगर दैनिक रूप से धूप के संपर्क में आने की आदत बना ली जाए, तो विटामिन डी की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। इसके अलावा, डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए दवाओं और उचित आहार का भी सेवन किया जा सकता है।

विटामिन-डी डेफिशिएंसी के कारण क्या हैं?

नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजी इंफॉर्मेशन (NCBI) के मुताबिक दुनियाभर की 50 फीसदी जनसंख्या विटामिन-डी डेफिशिएंसी की समस्या से जूझ रही है। प्रति व्यक्ति के लिए प्रतिदिन कम से कम 10 से 20 माइक्रोग्राम विटामिन डी की जरूरत होती है। जिसकी पूर्ति आहार और सूर्य की किरणों से की जा सकती है। हालांकि, ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से विटामिन डी की कमी हो सकती है, जिसमें मॉर्डन लाइफस्टाइल और गरीबी सबसे बड़े कारणों में से एक हो सकते हैं।

विटामिन डी की कमी के निम्न कारण हो सकते हैंः

1.विटामिन-डी डेफिशिएंसी का कारण है शुध्द शाकाहारी होना

आहार के तौर पर विटामिन-डी डेफिशिएंसी को दूर करने के सबसे बेहतर स्त्रोत पशु आधारित आहार होता है। हालांकि, ऐसे लोग जो शुध्द शाकाहारी हैं, उनमें विटामिन डी की कमी के जोखिम ज्यादा होते हैं। क्योंकि मछली और मछली के तेलअंडे की जर्दी, फॉर्टफाइड मिल्क (Fortified Milk) और मीट विटामिन डी के एक अच्छे स्त्रोत होते हैं।

2.आहार में विटामिन डी अधिक न ले पाना

कुछ लोगों का मेटाबॉलिज्म विटामिन डी के स्त्रोतों को अच्छी मात्रा में नहीं पचा पाता है, जिसकी वजह से भी शरीर में धीरे-धीरे विटामिन-डी डेफिशिएंसी हो सकती है।

3.विटामिन-डी डेफिशिएंसी का प्रमुख कारण है हमेशा धूप से दूर रहना

बहुत देर तक या बहुत ज्यादा समय धूप में रहने के कारण त्वचा से संबंधिक कई बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है, लेकिन अगर धूप की बहुत ज्यादा कमी भी हो जाए, तो शरीर में विटामिन-डी डेफिशिएंसी भी हो सकती है। सूर्य की किरणें विटामिन डी का सबसे उच्च स्त्रोत होती हैं। इसके लिए आप सुबह की सूर्य की किरणों में कुछ समय तक रह सकते हैं।

4.गहरी रंगत की त्वचा होना

अगर आपका स्किन कलर डार्क है, तो विटामिन-डी डेफिशिएंसी का जोखिम बढ़ सकता है। पिगमेंट मेलेनिन सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से विटामिन डी बनाने की त्वचा की क्षमता को कम कर देता है। कुछ अध्ययनों में इसका दावा भी किया गया है कि गहरे रंग की त्वचा वाले बड़े वयस्कों में विटामिन-डी डेफिशिएंसी का खतरा अधिक होता है।

5.किडनी का सही से कार्य न करना

बढ़ती उम्र के साथ ही शरीर के अलग-अलग अंगों के कार्य करने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। इसकी तरह किडनी विटामिन डी को उसके सक्रिय रूप में परिवर्तित करने में कम सक्षम होने लगता है, जिसके कारण भी शरीर में विटामिन-डी डेफिशिएंसी का खतरा बढ़ सकता है।

और पढ़ेंः Ascorbic Acid (Vitamin C) : विटामिन सी क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

6.सनस्क्रीन क्रीम का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करना भी बन सकता है विटामिन-डी डेफिशिएंसी का कारण

सूर्य की हारिकारक यूवी किरणों से बचाव करने के लिए त्वचा पर सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी होता है। हालांकि, बहुत ज्यादा मात्रा में इनका इस्तेमाल करने के कारण त्वचा और शरीर को सूर्य की किरणों से विटामिन डी प्राप्त नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से भी विटामिन-डी डेफिशिएंसी हो सकती है।

विटामिन-डी डेफिशिएंसी को दूर करने के लिए खाएं ये खाद्य पदार्थ

1. गाय का दूध

गाय के दूध का सेवन बहुत सारे लोग करते हैं। विटामिन-डी का यह एक बहुत ही मुख्य स्रोत है। गाय के दूध में कैल्शियम, फॉस्फोरस और राइबोफ्लेविन (riboflavin) सहित कई पोषक तत्व मिलते हैं। आहार में इसका उपयोग विटामिन-डी डेफिशिएंसी से बचाता है।

2. सैल्मन मछली

सैल्मन एक वसायुक्त (फैट्स) मछली है और विटामिन-डी का एक बड़ा स्रोत भी है। 100-ग्राम सैल्मन मछली का सेवन करने में विटामिन-डी 361 से 685 IU (international unit) के बीच होता है।

3. कॉड लिवर ऑयल

कॉड लिवर ऑइल विटामिन-डी का एक लोकप्रिय पूरक है। यदि आप मछली का सेवन नहीं करते तो कॉड लिवर ऑइल आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। कॉड लिवर ऑइल भी विटामिन-ए का एक भरपूर स्रोत है। परंतु उच्च मात्रा में विटामिन-ए टॉक्सिक हो सकता है । इसलिए, कॉड लिवर ऑइल का सावधानीपूर्वक  सेवन करें और इसे बहुत अधिक मात्र में न लें।

और पढ़ेंः विटामिन डी की कमी को कैसे ठीक करें?

4. अंडा

जो लोग मछली नहीं खाते उनके लिए अंडा विटामिन-डी का एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। एक अंडे में अधिकांश प्रोटीन उसके सफेद रंग के हिस्से में पाया जाता है। जब कि अंडे के पीले हिस्से में फैट्स, अन्य विटामिन, प्रोटीन और मिनरल पाए जाते हैं।

5. मशरूम

मशरूम केवल एकमात्र ऐसा पौधा है जो विटामिन-डी का अच्छा स्त्रोत है। बाहर उगने वाले मशरूम जो प्रकाश के संपर्क में आते हैं उनमें विटामिन-डी की मात्रा ज्यादा होती है, इसलिए घर के अंदर उगने वाले मशरूम में विटामिन-डी बहुत कम मात्रा में पायी जाती है। इसीलिए यदि आप अपने विटामिन-डी की कमी को मशरूम के सेवन से पूरा करने की सोच रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे धूप के पर्याप्त स्तर के संपर्क में हैं।

6. ऑरेंज जूस

कई फोर्टिफोइड संतरे के रस में अतिरिक्त विटामिन-डी होता है। अक्सर कई विभिन्न ब्रैंड के ऑरेंज जूस में अलग से भी कैल्शियम डाला जाता है जो कि कई मायने में फायदेमंद है। क्योंकि विटामिन-डी हमारे शरीर में बोन-बूस्टिंग मिनरल को समाने में मदद करता है।

7. झींगा मछली

झींगा मछली विटामिन-डी का एक बहुत ही लोकप्रिय विकल्प है। बाक़ी मछलियों की तुलना में झींगा मछली में विटामिन-डी अच्छी मात्रा में होता है और इसमें फैट्स बहुत ही कम मात्रा में होती है। इन में फायदेमंद ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है, जो कि कई विटामिन-डी की  खाद्य पदार्थों की तुलना में कम प्रमाण में होता है।

स्वस्थ हड्डियों को बनाए रखने के लिए विटामिन-डी लेना बहुत ही महत्वपूर्ण है। पर्याप्त विटामिन-डी प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका नियमित रूप से बाहर धूप में समय बिताना है। अगर आपके शरीर को जरुरी विटामिन-डी  इन सभी तरीकों से नहीं मिलता है तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श ले विटामिन-डी के विकल्प भी ले सकते हैं।

[embed-health-tool-bmr]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Vitamin D Deficiency. https://medlineplus.gov/vitaminddeficiency.html. Accessed December 17, 2019.

Why am I not getting enough vitamin D? https://www.medicalnewstoday.com/articles/318060.php. Accessed December 17, 2019.

Vitamin D Deficiency in Adults: When to Test and How to Treat. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2912737/. Accessed December 17, 2019.

What is vitamin D and what does it do?. https://ods.od.nih.gov/factsheets/VitaminD-Consumer/. Accessed on 20 August, 2020.

Vitamin D. https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/healthyliving/vitamin-d. Accessed on 20 August, 2020.

Vitamin D Deficiency. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK532266/. Accessed on 20 August, 2020.

Vitamin D.  https://www.cdc.gov/nutritionreport/pdf/nr_ch2b.pdf. Accessed on 20 August, 2020.

Vitamin D deficiency. https://www.healthdirect.gov.au/vitamin-d-deficiency. Accessed on 20 August, 2020.

Current Version

27/04/2021

Pawan Upadhyaya द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Pooja Bhardwaj

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

मोटापे के कारण (Causes of obesity) क्या हो सकते हैं जान लें, सिर्फ ज्यादा खाने से ही नहीं बढ़ता वजन

जानें, हमारे शरीर और पुरूषों कि त्वचा के लिए विटामिन सी के फायदे?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr. Pooja Bhardwaj


Pawan Upadhyaya द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/04/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement