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डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज की समस्या को कैसे किया जा सकता है मैनेज?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2021

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज की समस्या को कैसे किया जा सकता है मैनेज?

    नैशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (National Centre for Disease Control) के अनुसार भारत में अभी 6.51 करोड़ से भी अधिक डायबिटीज के मरीज हैं। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी डायबिटीज के रोगियों की संख्या है। ऐसे भी माना जा रहा है कि साल 2035 तक यह संख्या लगभग ग्यारह लाख तक होगी। डायबिटीज एक गंभीर रोग है लेकिन यह बीमारी अन्य कई गंभीर स्थितियों का कारण भी बन सकती है। डायबिटीज के कारण किडनी के ब्लड वेसल्स कमजोर हो जाते हैं और डैमेज हो सकते हैं। आज हम आपको जानकारी देने वाले हैं डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) के बारे में। जानिए इसके बारे में विस्तार से। डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) की स्थिति में क्या करना चाहिए, यह जानना न भूलें। सबसे पहले जान लेते हैं डायबिटीज और किडनी फेलियर के बारे में।

    डायबिटीज और किडनी फेलियर (Diabetes and Kidney Failure)

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज(Diabetes in dialysis patients) के बारे में जानने से पहले डायबिटीज में किडनी फेलियर (Kidney Failure)  के बारे में जानना बेहद जरूरी है। अगर रोगी प्रभावी तरीके से डायबिटीज को मैनेज करने में सक्षम नहीं होता है तो उसमें स्मूथ ब्लड सर्क्युलेशन (Smooth Blood Circulation) में समस्या आती है। इसके साथ ही वो विभिन्न नर्वज और ब्लड वेसल्स (Blood Vessels) में डैमेज को भी महसूस कर सकते हैं। नर्वज और ब्लड वेसल के डैमेज होने से किडनी अपना सामान्य तरीके से कार्य करना बंद कर देती है। इसके कारण रोगी निम्नलिखित समस्याओं का अनुभव कर सकता है:

  • हाय ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
  • शरीर में हानिकारक वेस्ट मटेरियल का जमा होना (Accumulation of harmful wastes)
  • शरीर का आवश्यक रेड ब्लड सेल्स का न बना पाना (Inability to make red blood cells)
  • शरीर में फ्लूइड का जमा होना (Accumulation of fluid in the body)
  • इसके कारण शरीर में कई जटिलताएं हो सकती हैं। ऐसे में, किडनी फेलियर (Kidney Failure) का सही उपचार किया जाना जरूरी है। इसके उपचार के लिए कई तरीकों को अपनाना जाता है। जिनमें से डायलिसिस भी एक है। अब पाइए, डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) की स्थिति के बारे में अन्य जानकारी। सबसे पहले जानते हैं कि किडनी डिजीज (Kidney Disease) के लक्षण क्या हैं?

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    डायबिटीज की स्थिति में किडनी डिजीज के लक्षण क्या हैं? (Kidney Disease Symptoms)

    जैसा की हम पहले ही बता चुके हैं कि डायबिटीज की स्थिति में किडनी डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। किडनी डिजीज की स्थिति में डायलिसिस जरूरी है। लेकिन, पहले जान लेते हैं डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) के लक्षणों के बारे में। डायबिटिक किडनी डिजीज के शुरुआती लक्षणों में यूरिन में एल्ब्यूमिन का इन्क्रीज्ड एक्सक्रीशन (Increased Excretion) है। इस समस्या के निदान के लिए सालाना टेस्ट कराना जरूरी है। इसके कारण वजन का बढ़ना और टखने में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती है। इसके कारण आप रात में बाथरूम का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे। इसमें आपका रक्तचाप बहुत अधिक हो सकता है। डायबिटीज की स्थिति में आपको खून, यूरिन और ब्लड प्रेशर साल में एक बार चेक जरूर कराना चाहिए। इसके कारण डिजीज पर सही कंट्रोल रहता है और इससे हाय ब्लड प्रेशर व किडनी डिजीज का जल्दी उपचार हो सकता है।

    अपने डायबिटीज पर नियंत्रण बनाए रखने से गंभीर किडनी डिजीज होने का खतरा कम हो सकता है। लेकिन, अगर किडनी डैमेज हो जाती है तो किडनी के फैल होने पर, आपके ब्लड यूरिया नाइट्रोजन (Blood urea nitrogen) का स्तर बढ़ेगा और साथ ही आपके रक्त में क्रिएटिनिन (Creatinine) का स्तर भी बढ़ेगा। इसके साथ ही रोगी जी मचलना, उल्टी आना, भूख न लगना, कमजोरी, थकावट का बढ़ना, खुजली, मसल्स क्रैम्प्स (Muscle cramps) और एनीमिया (Anemia) जैसी समस्याएं भी अनुभव कर सकते हैं। ऐसे में आपको इंसुलिन की कम जरूरत होती है क्योंकि रोगग्रस्त किडनी कम इंसुलिन के ब्रेकडाउन का कारण बनती है।

    इनके अलावा भी अन्य कुछ लक्षण रोगी को नजर आ सकते हैं। अगर आपको ऐसे कुछ लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। किडनी के फैल होने पर, यानी सही से काम न करने पर डायलिसि जरूरी है। अभी हम बात करने वाले हैं डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) के बारे में। अब जान लेते हैं कि डायलिसिस किसे कहा जाता है?

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients)

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    डायलिसिस क्या है? (Dialysis)

    डायलिसिस मशीन की मदद से किडनी से अतिरिक्त पानी, सॉलयूट्स और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने की प्रक्रिया को कहा जाता है। डायलिसिस की जरूरत उन लोगों में पड़ती है, जिनकी किडनी यह कार्य प्राकृतिक रूप से नहीं कर पाती है। इस मशीन को किडनी डायलिसिस मशीन(Kidney dialysis Machine) कहा जाता है। डायलिसिस दो तरह की होती है:

    • पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal dialysis): यह वो डायलिसिस है जिसमें रोगी के पेट का उपयोग उन वेस्ट उत्पादों को हटाने के लिए किया जाता है, जो काम किडनी सामान्य रूप से एक स्वस्थ व्यक्ति में करती है
    • हीमोडायलिसिस (Hemodialysis): इस प्रक्रिया में मशीन की मदद से शरीर से वेस्ट प्रोडक्ट्स को बाहर निकाला जाता है।

    यह तो थी डायलिसिस के बारे में जानकारी। अब जानिए इस स्थिति में लाइफ एक्सपेक्टेंसी के बारे में।

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    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज: डायबिटीज की स्थिति में डायलिसिस पेशेंट्स की लाइफ एक्सपेक्टेंसी

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) में लाइफ एक्सपेक्टेंसी विवादास्पद है। यह कई चीजों पर निर्भर करती है, जिनमें कुछ इस प्रकार हैं।

    • डायबिटीज के कारण किडनी डैमेज (Kidney Disease) के अलावा अन्य कॉम्प्लीकेशन्स के भी पेशेंट्स शिकार हो सकते हैं। यह कॉम्प्लीकेशन्स फुट डैमेज (Foot Damage), शरीर में विभिन्न भागों में नर्व डैमेज (Nerve Damage), कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular disease), आई डैमेज (Eye Damage), फुट और शरीर के अन्य अंगों का एम्प्यूटेशन (Amputation) आदि शामिल हैं। ऐसे में इसके लिए खास देखभाल और उपचार जरूरी है।
    • डायलिसिस पेशेंट्स जिन्हें डायबिटीज है उनकी डाइट भी पेशेंट की लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life Expectancy) में मुख्य भूमिका निभाती है।
    • डायलिसिस पेशेंट्स जो डायबिटीज का भी शिकार हैं उनकी लाइफ में अन्य कई फैक्टर भी महत्वपूर्ण हैं, जिससे उसकी मेन्टल स्ट्रेंथ और टॉलरेंस लेवल बढ़ती है।
    • डायलिसिस पेशेंट्स जिन्हें डायबिटीज की समस्या भी हैं। उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life Expectancy) में अन्य जो फैक्टर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, वो है डायलिसिस का रोगी बीमारी की कौन सी स्टेज पर है और वो किस तरह से डायबिटीज और किडनी फेलियर (Kidney Failure) को मैनेज कर रहा है।
    • एक्सपर्ट के अनुसार, इस समस्या को प्रभावी रूप से मैनेज किया जा सकता है। डायलिसिस पेशेंट जिसे डायबिटीज भी है, उसकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी (Life Expectancy) को बीस साल तक माना जाता है। लेकिन, अगर रोगी अच्छे से इन स्थितिओं को मैनेज नहीं कर रहा है। तो उसकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी एक साल या कुछ महीने से कम भी हो सकती है। ऐसे में डायलिसिस पेशेंट में डायबिटीज की स्थिति में लाइफ एक्सपेक्टेंसी का कोई निश्चित नंबर नहीं है।

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    डायबिटीज क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney disease) का एक कारण हो सकता है। जब किसी रोगी में क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) स्टेज पांच पर पहुंच जाती है। तो इसे एंड स्टेज रीनल डिजीज (End stage renal disease) कहा जाता है। इसमें डायलिसिस जरुरी है। जैसा कि आप जानते हैं, डायलिसिस में अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि आप अपने टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को अच्छे से मैनेज करें। डायबिटीज को मैनेज करने के टिप्स क्या हैं, जानें।

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज: डायबिटीज को मैनेज करने के टिप्स (Tips to Manage Diabetes)

    डायबिटीज को मैनेज करने के लिए कुछ टिप्स में आपने अपनी ब्लड शुगर लेवल को मॉनिटर करना, नियमित रूप से ग्लूकोज को मॉनिटर करना, सही आहार का सेवन करना और नियमित व्यायाम करना आदि शामिल है। डायबिटीज को मैनेज करने में डायट बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। डायबिटीज को मैनेज करने के फ़ूड टिप्स इस प्रकार है:

    • अपनी डायबेटेज को बहुत अधिक हाय या लो होने से बचने के लिए नियमित रूप से आहार और स्नैक्स का सेवन करें।
    • हाय कैलोरी फ्राइड फूड्स को नजरअंदाज करें।
    • डॉक्टर के बताएं अनुसार लो पोटैशियम फ्रूट्स और सब्जियों का सेवन करें, ताकि आहार में फायबर की मात्रा हो।
    • शुगर फ्री ऑप्शन (Sugar free options) का सेवन करें। शुगर फ्री कैंडी और डायट सोडा आदि इसके अच्छे विकल्प हैं।
    • नॉन-प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे ग्रेन्स, सब्जियां, फल, लो-फैट डेयरी और लीन मीट्स का सेवन किया जा सकता है।
    • अपने डायटिशन से बात करें ताकि डायबिटीज और डायलिसिस को ध्यान में रखकर डायट प्लान बनाया जा सके। अब जानिए डायबिटीज को कंट्रोल करने के कुछ मेडिकेशनल टिप्स।

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    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज को कंट्रोल करने के मेडिकेशनल टिप्स (Medicational Tips for dialysis patients)

    • डॉक्टर की सलाह के अनुसार डायबिटीज की दवाई लें।
    • नियमित रूप से अपने ब्लड ग्लूकोज लेवल को जांचें।
    • आपको दवाई किस समय पर लेनी है। इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
    • डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) होने की स्थिति में आपको नियमित रूप से अन्य कॉम्प्लीकेशन्स जैसे हार्ट कंडीशंस, नर्व डैमेज आदि की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा आपको बैड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी मैनेज करना चाहिए। यही नहीं, रोगी के ब्लड प्रेशर लेवल का सही रहना भी जरूरी है।
    • जो भी दवाईयां आप ले रहे हैं उन्हें नियमित रूप से लें।
    • डायलिसिस की स्थिति में अपने ब्लड ग्लूकोज (Blood Glucose) को नियमित रूप से मॉनिटर करें। खासतौर पर डायलिसिस ट्रीटमेंट को शुरू होने पर।

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    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज को कंट्रोल करने के एक्टिविटी टिप्स (Activity tips for dialysis patients)

    • डायबिटीज को कंट्रोल करने के एक्सरसाइज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें कि कौन इस एक्सरसाइज आपके लिए बेहतरीन रहेगी।
    • दिन में कुछ समय व्यायाम के लिए अवश्य निकालें।
    • नियमित रूप से व्यायाम करें ताकि अगर आपका वजन अधिक है तो कम हो सके।
    • वर्कआउट रूटीन को शुरू करने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि आप अपने वर्कआउट रूटीन में एरोबिक (Aerobics) और रेजिस्टेंस ट्रेनिंग (Resistance Training) को अवश्य शामिल करें। ताकि, आपको ब्लड ग्लूकोज लो और नार्मल रेंज में रखने में मदद मिले।
    • डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) की स्थिति में सबसे अधिक जरुरी है। रोगी का मानसिक रूप से स्ट्रॉग होना ताकि वो इफेक्टिव रूप से स्थिति से डील कर सके।
    • इसके लिए खुद को जीवन की इन चुनौतियों के लिए शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी तैयार करें।
    • तनाव से भी बचें। इससे बचने के लिए योगा और मैडिटेशन की मदद ली जा सकती है। समस्या के गंभीर होने पर आप डॉक्टर की सलाह लें। इस स्थिति में रोगी का पर्याप्त नींद लेना और आराम करना भी जरूरी है।

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    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

    यह तो थी डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) के बारे में पूरी जानकारी। अगर रोगी डायलिसिस पर है टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिए सही और संतुलित आहार का सेवन, डॉक्टर के बताए अनुसार इंसुलिन लेना, सही मेडिसिन्स का सेवन और शारीरिक रूप से एक्टिव रहना आदि शामिल है। यही नहीं, डायलिसिस की स्थिति में डायबिटीज को कंट्रोल कर के आप अपने जीवन की गुणवत्ता को भी सुधार सकते हैं और जटिलताओं की संभावनाओं को भी कम किया जा सकता है। लेकिन, इस स्थिति में रोगी का मानसिक रूप से स्ट्रांग और सकारात्मक रहना भी बेहद जरूरी है। इसलिए, इस स्थिति में अपने मन में कोई भी नाजारात्मक विचारों को न आने दें। यही नहीं, जल्दी रिकवर होने के लिए आपको आपके दोस्तों, परिवार वालों और प्रियजनों आदि के सपोर्ट की भी जरूरत होगी।

    डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज (Diabetes in dialysis patients) में बारे में अच्छे से समझ गए होंगे। उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको डायलिसिस पेशेंट्स में डायबिटीज के संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब अपने मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।

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